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कौर उतना जिसे चबा सकें ,वादा उतना जिसे निभा सके

Vichar Manthan
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अब दिल्ली में जनता दरबार नही लगेगा ,सब पहले ही जानते थे विधान सभा में आने के लिए बड़ें -बड़ें वादे किये जा रहे थे  जनता को सपने दिखाए जा रहे  थे  अब तो आगे लोक सभा की तैयारी की जा रही है भारत के लोग जानते है कोई उनका भला नही कर सकता इस मामले में दिल्ली की जनता ज्यादा समझदार है वह सर झुका कर अपनी रोजी रोटी में लगी रहती है इलेक्शन के दिन वोट देने जब जाती है तब  यह सोच कर वोट देती है हमारा कोई भला नही कर सकता है वोट देना उनकी नैतिक ड्यूटी है |आप दल ने आप ,आप, कर सपने जगा दिए थे क्या दिया २०,००० हजार लीटर पानी हर माह उससे एक लीटर भी  अधिक होने पर पूरा पैसा १०%के साथ ज्यादातर छोटे -छोटे प्लाट दो तीन मंजिल बना कर संयुक्त परिवार रहता है ,या आमदनी का कोई जरिया नही है किराये दार  रख कर लोग  अपना खर्च चलाते है यही हल बिजली का है ४०० यूनिट के ऊपर होते ही कहानी बदल जायेगी यदि फायदा लेना है तो कई मीटर लो किस भरोसे रिस्क लें सवाल जहाँ भ्रष्टाचार का है पहले हमे कसम खानी पड़ेगी हम न रिश्वत लें गे न देगे आधा समाज भी यह समझ जाएगा भ्रष्टाचार पर लगाम कस जायेगी जरूरत आज  जनसंख्या नियोजन की है  रोजगार के अवसर बढ़ाने  की है |इसकी कोई बात  नही करता
डॉ शोभा भारद्वाज

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