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क्या पूर्ण बहुमत के योग्य नहीं है पॉलिटिकल पार्टियां

Vichar Manthan
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आमिर खान एक कलाकार है उन्होंने सोचा पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल है इसलिये गठ्बन्धन सरकार ही उचित है |गठ्बन्धन के बारे में चुनाव के बाद सोचना चहिये अभी तो मशहूर कलाकारों को एक दल की सरकार के लिये अपील करनी चहिये |हमारे देश में मजबूत संविधान है जिसकी रक्षा के लिये सर्वोच्च न्यायालय है | कानून को जानने वाले भी कम नहीं है जहाँ जरा भी कैबिनेट ने अपनी सीमा का उलंघन किया कानून विद जागरूक हो जाते है ,मीडिया में बहस शुरू हो जाती है फिर जन हित याचिका के लिये  सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाता है |हमारे यहाँ विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग हैं संविधान की नजर से सभी लोग बराबर हैं | यहाँ एक ही विचार धारा को मानने वालो ने  अनेक  दल बना लिये सभी  अपने आप को समाज वादी कहते हैं पर समाज वाद के नाम पर कितने ही  दल हैं जय प्रकाश नारायण जी और  राम मनोहर लोहिया जी के हर चेले ने अपना- अपना दल बना लिया   सब एक स्वर से अपने आप को सैकूलरिज्म का पक्ष धर गरीबो  और मुस्लिम का  हित रक्षक कहते  हैं| यह स्लोगन आज का सबसे बड़ा नारा हैं |कई दलों का कोई चुनाव घोषणापत्र पत्र ही नहीं है  केवल अपने परिवार का दल बनाना , जनता से सम्भव या असम्भव वादे करना और  सत्ता को कैसे भी हो   हासिल    करना  उनका उद्देश्य है | कई दल केवल नकारात्मक सोच को जन्म दे रहे हैं | जिन्दगी की जरूरतों को सस्ते में देने का दम भर कर गरीबो को गुमराह कर रहे हैं | वह जीत गये तो  सब कुछ हाजिर हो जायेगा क्या उनके पास कोई जादुई चिराग है या रिजर्व बैंक उनके अधिकार में आ जायेगा |

एक बड़े दल के मैंबर हैं पर चुनाव में टिकट न मिलने पर या मन चाहे क्षेत्र से टिकट  न मिलने पर नाराज हो जाना अपना दल छोड़ के नया दल बना लेना अपने बेटे के लिये टिकट न मिलने पर  स्वयं और अपने सपुत्र के साथ  इंडिपेंडेंट खड़े हो जाना  चुनाव में केवल वोट काटने के लिये खड़े हो जाना और  अपनी  महत्वकांक्षा की पूर्ती के लिये दल बदल लेना देश के लिये कितना घातक | यह  मंदी का  दौर है  बेरोजगारी,बढ़ रही है, विकास दर  गिर रही है  और ,जवानों  की समझ  नहीं आ रहा उनका भविष्य क्या है |यदि आज हम नही सम्भले एक मजबूत पार्टी के साथ नहीँ जुड़े या एन० डी० ए० और  यू० पी० ए ० के अंदर विभिन्न पार्टियों ने  अपनी विचारधारा के अनुसार चुनाव से पहले समझोता नही किया केवल विकास को चुनाव का मुद्दा नहीं बनाया तो याद रखिये भुखमरी बढ़ती जायेगी जब रोजगार नहीं होगा तो टैक्स पेयर खुद भूखो की भीड़ में शमिल हो जायेगे वोट पाने के लिये क्या क्या हथकंडे अपनाओगे |सब जानते हैं दुनिया में भूखे के लिये सबसे बड़ी खुशबू ताजा पकती रोटी की सौन्धाहट होती है और सबसे स्वादिष्ट भी रोटी होती है] कलाकार एक लिखी स्क्रिप्ट पढ़ता है उसे अब भावना से भर कर  देश को मजबूत करने की अपील करनी चहिये |

डॉ० शोभा भारद्वाज

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