Menu
blogid : 15986 postid : 724087

वरिष्ठों को दर किनार करने की क्या भाजपा में हिम्म्त है ?

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments
आज हमारा देश आतंक वाद ,नक्सल वाद ,गिरती अर्थ व्यवस्था ,विदेशी निवेश का घटना , असुरक्षित सीमा ,घोटाले , महंगाई बढ़ता क्राइम ग्राफ ,राष्ट्रीयता का ह्रास ,गिरता शिक्षा स्तर ,बढ़ती जनसंख्या ,और सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी  से जूझ रहा है ,जरूरत है एक मजबूत सरकार की कांग्रेस के शासन काल इतने घोटाले हो चुके है कि जनता का उस  पर से विश्वास उठ गया है कोंग्रेस के बाद दूसरी मजबूत नेशनल पार्टी भाजपा है | अनेक दल हैं पर सब प्रादेशिक हैं ,हमारे यहाँ  नये दलों का जन्म होना कोई नई बात नहीं है |अनेक बड़ें नेता प्रधान मंत्री बनने की महत्वकांक्षा पाल रहें हैं , जैसे मुलायम सिंह यादव , ममता बनर्जी (बंगाल में वह क्या कर पाई हैं ? ) जय ललिता , नितीश ,ऎसे कई नाम हैं | सत्ता को हासिल करने का भाजपा के पास इससे अच्छा सुअवसर नहीं है | वह इस सुअवसर का फायदा भी उठाना  चाहते हैं  गोवा के सम्मेलन में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने २०१४ का चुनाव लड़ने के लिए अपने दल के सेना पति  पद के लिए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी का नाम  प्रस्तुत किया जिसका अपने ही दल में सबसे अधिक विरोध हुआ |अडवाणी जी कब से अपने मन में प्रधान मंत्री पद की इच्छा पाले हुए थे उनके कई समर्थक भी नाराज हुए   काफी वाद विवाद के बाद  नरेंद्र मोदी के नाम पर सहमति बन पाई |
यदि भाजपा जीतती है  नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री पद के  दावेदार होंगें | |उनके नेता नरेंद्र मोदी  चुनाव जीतने के   लिए हर संभव प्रयास कर रहें हैं धूआं धार प्रचार , अन्य दलों के नेताओं को अपने दल में शामिल कर अपने दल का मनोबल  बढ़ाना ,वोट बैंक बढ़ाने  के लिए वह  हर हथकंडे  को अपनाने में  वह कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहें हैं |हर और भाजपा की लहर पैदा की जा रही है परन्तु अपने घर में अशंति है | वरिष्ठ नेताओ , जिन्होंने इस दल को अपने कई वर्ष दिये हैं  और अडवाणी जी का इस दल को मजबूत करने में  बहुत योगदान हैं ,अब वह उसका फल चखना चाहते हैं सबसे बड़ी अड़चन उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधान  मंत्री पद का दावेदार घोषित करने में की |यह महत्व कांक्षा कोई नई नहीं है पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी जी को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की सलाह दी थी और स्वयं अपने को प्रधान मंत्री बनाने  की इच्छा जाहिर की थी ,और आज  के समय में वह रोज रूठ जाते हैं या कोप भवन में चले जाते हैं ,या  अपने विचारों से जनता एवं अपने दल के विरोधियों को अवगत कराते हैं  ज्यादातर यहीं समाचार आता है अडवाणी जी नाराज हैं सब उनको मनाने जा रहें हैं फिर उनका स्टेटमेंट आता नहीं सब ठीक है भाजपा की  आधी ताकत  अडवाणी जी के रूठने और  मनाने में निकल जाती है    |यहीं नहीं वह गुजरात के गांधी नगर से वह  सदैव चुनाव लड़तें हैंअबकी बार उन्होंने होली  पर अपनी फिर नाराजगी दी   उन्होंने अबकी बार भोपाल से चुनाव लड़ने का मन बना लिया भगवान जाने इन्हें फिर कैसे मनाया गया | कैसे उनके आंसू पोछे?
एक और भाजपा के वरिष्ठ महानुभाव हैं मुरली मनोहर जोशी बनारस से जीतते थे लेकिन पार्टी ने वोटरो को प्रभावित करने के लिए मोदी को बनारस से खड़े करने की योजना बनाई मुरली मनोहर जी नाराज हो गये वह भी शायद इस सीट पर अपना जन्म सिद्ध अधिकार बना चुके थे अभी तो चुनाव लड़ना है , जीतना है फिर दल का बहुमत होने पर जा कर सरकार बनेगी अभी से यह हाल है आगे जा कर क्या होगा ? बड़ीं मुश्किल से जोशी जी माने उन्हें कानपुर का टिकट दिया गया और कानपुर उत्तर प्रदेश का ही एक हिस्सा है यदि भाजपा या मोदी की लहर है तो आपके लिए क्या बनारस या कानपुर में क्या फर्क पड़ता है |
एक और नेता हैं जसवंत सिंह भारतीय सेना के अफसर रहे हैं | सब जानते हैं सेना में  ऊपर से  आदेश लेना और अपने से नीचे वालों को आदेश दिया जाता है | युद्ध के समय में जहां ऊपर से आदेश आता है सेना कूच करती है  मुझे किस सीमा पर लड़ना है यह किसी  फौजी   ने  कभी नहीं कहा  दल का भी अपना अनुशासन होता है देश की सेवा की बात करने वाले यह कहते सुने जाते हैं  हम अमुक क्षेत्र से सेवा करेंगे |हमारे देश में राजतंत्र कब से हो गया , सांसद कब से दरबारी  हो गये ?  हजारो लाखों आजादी के दिवानो ने देश की आजादी के लिए क्या नहीं किया कितनी कुर्बानी के बाद आजादी मिली ,कईयों ने  तो  भारत  की आजादी भी नहीं देखी | यह जनता के सेवक अपने मनपसंद के चुनाव क्षेत्र से टिकट न मिलने पर रोते हैं | ऐसे एक नहीं अनेक महानुभाव हैं जो बहती लहर में हाथ धोने को तैयार हैं |
देश को एक मजबूत सरकार चहिये |बेरोजगारी से जवान जूझ रहा है वह कभी भी गुमराह हो सकता है इन वरिष्ठों को यह भी सोचना चाहिए यह शाश्वत सत्य है आप कितने भी चुस्त दुरूस्त दिखे आपकी मानसिक क्षमता घटती जाती है शरीर में भी वह ताकत नहीं रहती जितनी आज जरूरत है यह समय है वरिष्ट अपने बहुमूल्य अनुभवों से जवानों का मार्ग दर्शन करें अब नई पीढ़ी को आगे आने दे | चुनाव लड़ना और जीतना इतना आसान नहीं रहा है पहले एक दो मजबूत नारे पर पर जीता जा सकता था | क्या  अब ऐसा    सम्भव  है ? बोटर भी अपने वोट की कीमत समझ गया है ,प्रचार के माध्यम भी बढ़ गये है | आज इंटरनेट का जमाना है जरा सी बात घर -घर फैल जाती है | यदि हर दल के वरिष्ठ सत्ता का मोह छोड़ कर अपने दल के हित में कार्य करें यदि दल जीतेगा सरकार बनाएगा
तो बहुत से पद हैं जिनको आप गौरवान्वित कर सकते हैं | यदि देश है तो हम हैं |                  डॉ० शोभा भारद्वाज     A

आज हमारा देश आतंक वाद ,नक्सल वाद ,गिरती अर्थ व्यवस्था ,विदेशी निवेश का घटना , असुरक्षित सीमा ,घोटाले , महंगाई बढ़ता क्राइम ग्राफ ,राष्ट्रीयता का ह्रास ,गिरता शिक्षा स्तर ,बढ़ती जनसंख्या ,और सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी  से जूझ रहा है ,जरूरत है एक मजबूत सरकार की कांग्रेस के शासन काल इतने घोटाले हो चुके है कि जनता का उस  पर से विश्वास उठ गया है कोंग्रेस के बाद दूसरी मजबूत नेशनल पार्टी भाजपा है | अनेक दल हैं पर सब प्रादेशिक हैं ,हमारे यहाँ  नये दलों का जन्म होना कोई नई बात नहीं है |अनेक बड़ें नेता प्रधान मंत्री बनने की महत्वकांक्षा पाल रहें हैं , जैसे मुलायम सिंह यादव , ममता बनर्जी (बंगाल में वह क्या कर पाई हैं ? ) जय ललिता , नितीश ,ऎसे कई नाम हैं | सत्ता को हासिल करने का भाजपा के पास इससे अच्छा सुअवसर नहीं है | वह इस सुअवसर का फायदा भी उठाना  चाहते हैं  गोवा के सम्मेलन में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने २०१४ का चुनाव लड़ने के लिए अपने दल के सेना पति  पद के लिए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी का नाम  प्रस्तुत किया जिसका अपने ही दल में सबसे अधिक विरोध हुआ |अडवाणी जी कब से अपने मन में प्रधान मंत्री पद की इच्छा पाले हुए थे उनके कई समर्थक भी नाराज हुए   काफी वाद विवाद के बाद  नरेंद्र मोदी के नाम पर सहमति बन पाई |

यदि भाजपा जीतती है  नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री पद के  दावेदार होंगें | |उनके नेता नरेंद्र मोदी  चुनाव जीतने के   लिए हर संभव प्रयास कर रहें हैं धूआं धार प्रचार , अन्य दलों के नेताओं को अपने दल में शामिल कर अपने दल का मनोबल  बढ़ाना ,वोट बैंक बढ़ाने  के लिए वह  हर हथकंडे  को अपनाने में  वह कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रहें हैं |हर और भाजपा की लहर पैदा की जा रही है परन्तु अपने घर में अशंति है | वरिष्ठ नेताओ , जिन्होंने इस दल को अपने कई वर्ष दिये हैं  और अडवाणी जी का इस दल को मजबूत करने में  बहुत योगदान हैं ,अब वह उसका फल चखना चाहते हैं सबसे बड़ी अड़चन उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधान  मंत्री पद का दावेदार घोषित करने में की |यह महत्व कांक्षा कोई नई नहीं है पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी जी को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की सलाह दी थी और स्वयं अपने को प्रधान मंत्री बनाने  की इच्छा जाहिर की थी ,और आज  के समय में वह रोज रूठ जाते हैं या कोप भवन में चले जाते हैं ,या  अपने विचारों से जनता एवं अपने दल के विरोधियों को अवगत कराते हैं  ज्यादातर यहीं समाचार आता है अडवाणी जी नाराज हैं सब उनको मनाने जा रहें हैं फिर उनका स्टेटमेंट आता नहीं सब ठीक है भाजपा की  आधी ताकत  अडवाणी जी के रूठने और  मनाने में निकल जाती है    |यहीं नहीं वह गुजरात के गांधी नगर से वह  सदैव चुनाव लड़तें हैंअबकी बार उन्होंने होली  पर अपनी फिर नाराजगी दी   उन्होंने अबकी बार भोपाल से चुनाव लड़ने का मन बना लिया भगवान जाने इन्हें फिर कैसे मनाया गया | कैसे उनके आंसू पोछे?

एक और भाजपा के वरिष्ठ महानुभाव हैं मुरली मनोहर जोशी बनारस से जीतते थे लेकिन पार्टी ने वोटरो को प्रभावित करने के लिए मोदी को बनारस से खड़े करने की योजना बनाई मुरली मनोहर जी नाराज हो गये वह भी शायद इस सीट पर अपना जन्म सिद्ध अधिकार बना चुके थे अभी तो चुनाव लड़ना है , जीतना है फिर दल का बहुमत होने पर जा कर सरकार बनेगी अभी से यह हाल है आगे जा कर क्या होगा ? बड़ीं मुश्किल से जोशी जी माने उन्हें कानपुर का टिकट दिया गया और कानपुर उत्तर प्रदेश का ही एक हिस्सा है यदि भाजपा या मोदी की लहर है तो आपके लिए क्या बनारस या कानपुर में क्या फर्क पड़ता है |

एक और नेता हैं जसवंत सिंह भारतीय सेना के अफसर रहे हैं | सब जानते हैं सेना में  ऊपर से  आदेश लेना और अपने से नीचे वालों को आदेश दिया जाता है | युद्ध के समय में जहां ऊपर से आदेश आता है सेना कूच करती है  मुझे किस सीमा पर लड़ना है यह किसी  फौजी   ने  कभी नहीं कहा  दल का भी अपना अनुशासन होता है देश की सेवा की बात करने वाले यह कहते सुने जाते हैं  हम अमुक क्षेत्र से सेवा करेंगे |हमारे देश में राजतंत्र कब से हो गया , सांसद कब से दरबारी  हो गये ?  हजारो लाखों आजादी के दिवानो ने देश की आजादी के लिए क्या नहीं किया कितनी कुर्बानी के बाद आजादी मिली ,कईयों ने  तो  भारत  की आजादी भी नहीं देखी | यह जनता के सेवक अपने मनपसंद के चुनाव क्षेत्र से टिकट न मिलने पर रोते हैं | ऐसे एक नहीं अनेक महानुभाव हैं जो बहती लहर में हाथ धोने को तैयार हैं |

देश को एक मजबूत सरकार चहिये |बेरोजगारी से जवान जूझ रहा है वह कभी भी गुमराह हो सकता है इन वरिष्ठों को यह भी सोचना चाहिए यह शाश्वत सत्य है आप कितने भी चुस्त दुरूस्त दिखे आपकी मानसिक क्षमता घटती जाती है शरीर में भी वह ताकत नहीं रहती जितनी आज जरूरत है यह समय है वरिष्ट अपने बहुमूल्य अनुभवों से जवानों का मार्ग दर्शन करें अब नई पीढ़ी को आगे आने दे | चुनाव लड़ना और जीतना इतना आसान नहीं रहा है पहले एक दो मजबूत नारे पर पर जीता जा सकता था | क्या  अब ऐसा    सम्भव  है ? बोटर भी अपने वोट की कीमत समझ गया है ,प्रचार के माध्यम भी बढ़ गये है | आज इंटरनेट का जमाना है जरा सी बात घर -घर फैल जाती है | यदि हर दल के वरिष्ठ सत्ता का मोह छोड़ कर अपने दल के हित में कार्य करें यदि दल जीतेगा सरकार बनाएगा

तो बहुत से पद हैं जिनको आप गौरवान्वित कर सकते हैं | यदि देश है तो हम हैं |                  डॉ० शोभा भारद्वाज     A

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh