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इंसान की याददाश्त बहूत छोटी होती है वह भूल गये लालूप्रसाद के सत्ता में आने के बाद बिहार की क्या हालत थी |बिहार से आने वाली हर गाड़ी से जवान लडके रोजी रोटी की खोज में दिल्ली के स्टेशन पर उतरते थे , दिल्ली ही नहीं भारत के हर शहर में जहाँ रोजी रोटी मिल सके |बिलकुल अनिश्चित भविष्य उनके सूखे चेहरे ,सबके पास एक बैग जिसमें दो जोड़ी कपड़े एक चादर एक थाली और सत्तू या चिवड़ा |उनके पास न रहने का ठिकाना था न ही कोई भविष्य ,लालू प्रसाद के शब्दों में उसने ‘ उन्हें स्वाभिमान दिया है ‘रोजी रोटी का कोई ठिकाना नहीं था |लालू जी के बस में बिहार चलाना नहीं था वह केवल बाते बनाना जानते थे और मिडिया के चहेते बने हुये थे उनकी लच्छेदार बाते सब सुन कर उन पर लोग हसते थे बिहार का इंसान रोता था उनकी मजबूरी का फायदा काम देने वालों ने भी खूब उठाया कम वेतन ज्यादा काम ‘बिना ओवर टाइम के गुजारा मुश्किल था लोगों को दूध की चाय भी नसीब नहीं थी ओ बिहारी एक सम्बोधन बन गया था ,एक कमरे में दस -दस जीवन रहते थे |जो लोग बिहार में रहते थे उनके जीवन की सुरक्षा की गारंटी नहीं थी सर्वत्र कुशासन था रंग दरी अपहरण एक व्यवसाय था लड़कियों कि बात तो जाने दीजिये लड़के भी बाहर निकलने से डरते थे परदेसी पटना के नाम से घबराते थे |ऎसे में नितीश कुमार ने भाजपा के साथ में चुनावी गणित बिठाया लालू जी के माई (यादव और मुस्लिम वोट ) के फार्मूले की काट ढूंढी बिहार में लेकिन नितीश जी को सरकार बनाने का बहुमत नहीं मिल सका |विधान सभा में नितीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा , जदयू तथा शरद यादव ने पहली बार ३ मार्च २००० में नितीश जी की सरकार बनी पर बिहार का दुर्भाग्य वह बहुमत साबित नहीं के पाये लालू प्रसाद यादव को तीसरी बार सरकार बनाने का अवसर मिला |नवम्बर २००५ को लालू जी की हार से उनका १५ साल के शासन का अंत हुआ |नितीश जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी और नितीश जी ने मुख्य मंत्री पद की शपथ ली धीरे – धीर बिहार के दिन फिरने लगे अपराधियों को फास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से दंडित किया गया अपराध व्यापक रूप से राज्य सरकार की समस्या बन गए थे |पुलिस के आत्म बिश्वास को जगाया गया अपराधों की संख्या में कमी आ गई अपहरण,फिरोती और रंगदारी एक व्यवसाय बन गया था उसमे एक दम रोक लग गयी |लोग रोजी और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में रहनें को मजबूर थे अब वह बिहार लौटनें लगे बिहार में सबसे बड़ी समस्या रोजी रोजगार की थी अब ,ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले लोग टेलीफ़ोन द्वारा रोजगार की जानकारी प्राप्त कर सकते थे |तथा ई शक्ति नरेगा कार्यक्रम को चलाया गया |
उनकी सरकार में पुलिस सेवामें भर्ती की गई और शिक्षा के क्षेत्र में भी रोजगारों को बढ़ाया गया | निर्माण के कार्यों से भी रोजगार के अवसर बढ़े | उन्होंने स्कूली विद्यार्थियों को साइकिल देने की योजना शुरू की तथा दोपहर के समय मिड -डे मील योजना शुरू की गई जिससे गरीब बच्चे स्कूल आने लगे | अपराधों में कमी आने से और साइकिल मिलने से लड़कियां स्कूल जाने लगी पिछड़ी जाति की लड़कियां एवं लड़को की भी स्कूल में संख्या में बढ़ोतरी हुई |इस साइकिल योजना में काफी भ्रष्टाचार से नितीश सरकार की आलोचना की गई | जनता के स्वास्थ का ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की गई गावों में अस्पतालों में निशुल्क दवा का वितरण कार्य शरू किया गया किसानों के लिये राष्ट्रीय बैंको में किसानों के कल्याण के लिए ऋण योजनाएं शुरू की गई |बिहार में विकास दर बढ़ी |नितीश कुमार ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कमाल और भारत के प्रधान की अध्यक्षता नालंदा विश्व विद्यालय की स्थपना की योजना बनाई
२०१० में फिर चुनाव हुए नितीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी बड़े बहुमत से एक बार फिर सत्ता में आये अबकी बार लालू प्रसाद की राजनितिक पराजय हुई विपक्ष कमजोर गयाउसके पास संख्या बल ही नहीं था |नितीश जी राजनैतिक पटल पे एक कुशल राज नेता के रूप में यहीं से वह अपनी राजनितिक ताकत तोलने लगे उनके पास इतनी सीटें थी वह दो ,तीन निर्दलीय मिला कर आराम से अपनी सरकार बचा सकते थे |यदि भाजपा हट जाती है तो उनके अपने दल के लोगो में मंत्री पद का बटवारा हो जाता नितीश जी को भी मुस्लिम वोट बैंक पकड़ने का चस्का लग गया था |मुस्लिम समाज का यह दुर्भाग्य रहा है वह सदैव एक वोट बैंक बने रहें है वह किसकों वोट दें यह निर्णय पढ़े लिखों को छोड़ कर दूसरे लोग उन्हें डरा कर या सब्ज बाग दिखा कर एक मुश्त , वोट बैंक के माहिर ख़िलाड़ी लेते हैं नितीश कुछ दिन कराची की यात्रा कर आये उसके बाद उन्हें भी जाति वाद के आधार पर वोट लेने के साथ मुस्लिम वोट बटोरने का गणित भी भाने लगा उन्होंने भी अपने आप को सच्चा धर्म निर्पेक्ष सिद्ध करना चाहते थे| हमारा संविधान स्पष्ट करता है भारत एक धर्म निर्पेक्ष राष्ट्र हैं| अच्छा खासा बिहार के दिन सुधारते -सुधारते उनमें प्रधान मंत्री पद की इच्छा जग गई उन्होंने अपने आप को प्रधान मंत्री पद के योग्य समझना शुरू कर दिया |नितीश जी में अच्छी सरकार चलने की पूरी क्षमता है ,| कांग्रस एवं भाजपा दोनों राष्ट्रीय दल हैं , दोनों की आर्थिक नीतियांकाफी एक सी हैं लेकिन कांग्रेस अपनी भ्र्ष्टाचार की छवि के कारण बहुत बदनाम हो चुकी है जितने अत :तीसरे मोर्चे के गठन की भी कोशिश की गई कांग्रेस को छोड़ कर एक अलग मोर्चा जिसमें सी .पी. आई .और सी. पी .एम . को बिहार में एक -एक सीट देने की कोशश ममता बनर्जी से भी बात करने की कोशिश की गई पर बात आगे न बढ़ सकी| नितीश कुमार अब भाजपा से दूरी बनाना चाहते थे उन्हें सुअवसर मिल गया |भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले प्रधान मंत्री पद के उम्मीद बार की घोषणा कर मजबूती से एक जूट हो कर चुनाव में जाना चाहती थी भाजपा के अंदर सत्ता के लिए संघर्ष की स्थिति थी उनके वरिष्ठ नेता लाला कृष्ण अडवाणी प्रधान मंत्री बनने के इच्छुक थे उनकी अवस्था कॉफी हो चुकी थी तथा भाजपा नेतृत्व अब युवा वर्ग को आगे लाना चाहता था यह नितीश जी ने अपने लिए सुअवसर जान कर नरेंद्र मोदी का विरोध किया वह अडवाणी जी का समर्थन कर रहे थे इस बात का काफी प्रचार किया गया |नितीश जी ने पहले नरेंद्र मोदी से दूरी बनाई फिर चेतावनी दी वह एन डी ए छोड़ देंगे | भाजपा के गोवा अधिवेशन में नरेंद्र मोदी को भाजपा का भावी प्रधान मंत्री घोषित कर उन्हीं के नेतृत्व में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का निश्चय किया गया | नितीश कुमार और शरद यादव ने एन डी ए से किनारा कर लिया उन्हें भाजपा के नरेंद्र मोदी पसंद नहीं थे ,वह भाजपा में अडवाणी जी के समर्थक वर्ग को भी भड़काना चाहते थे |
चारा घोटाले में फसे लालूजी बिहार में अपनी जड़ें मजबूती से जमाना चाहते थे ,अपनें बाल बच्चों एवं पत्नी को लोक सभा ,को भी वह लोक सभा में भेज कर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते थे उन्होंने भी नितीश कुमार की जड़ें हिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ीं l लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सजा हो गई | उन्होंने जमानत पर बाहर आते ही कांग्रेस के साथ अपने दल राजद का समझोता करने का प्रयत्न किया नितीश भी कांग्रेस से गठबंधन करना चाहते थे इसके लिए उन्होंने बिहार के लिए विशेष पैकेज की शर्त रखी और दबाब डालने के लिए दिल्ली में रैली की वह आखिर समय तक अपनी शर्त पर डटे रहे परन्तु अपने हित में लालू प्रसाद सदैव कांग्रेस और सोनिया जी के वफादार रहे हैं उन्हें इस वफादारी का ईनाम मिला उनका एन.सी .पी. और कांग्रेस से गठबंधन हो गया |अच्छा हुआ नितीश जी अपने में ही समर्थ हैं उनके कई अपने उन्हें छोड़ गए और कई भाजपा में क्ले गए |भाजपा भी अपना गढ़ मजबूत कर रही थी उसने कई जातियों के समूह को अपनी और आकृष्ट किया पासबान से उनका सीटों का समझौता हुआ ,नितीश जी के दल से टूट कर आने वालों का तो स्वागत किया राजद से आने बालों को अपने बिहार के लोगों के विरोध के बाद टिकट दे दी नितीश जी से एक और भूल हुई मोदी जी की रैली थी सुरक्षा की ऐसी चूक हुई और जगह की बात छोड़िये रैली के स्थल पर जब मोदी जी का भाषण चल रहा था एक के बाद एक बम विस्फोट हो रहे थे मोदी ने अपने भाषण से लोगों को ऐसा सम्मोहित किया कोई भगदड़ नहीं मची लोग शांत रहे कई लोगों की जान भी गई ,कोई उत्तेजना नहीं फैली लोग मोदी जी की नेतृत्व का लोहा मान गए सरकार की भी बहुत किरकिरी हुई |बिहार को नितीश जी के नेतृत्व की बहुत जरूरत है बिहार के लोग लगन शील एवं मेहनती हैं उन्हें अच्छी सरकार चहिये | नितीश जी ने दो बार केंद्रीय मंत्री पद संभाला छ बार वह लोक सभा का चुनाव जीते नौ वर्ष से बिहार के मुख्य मंत्री हैं वह काफी समय तक बिहार को संभालेंयह बिहार के हित में हैं |कहने से क्या हैं उन्होंने तो कर दिखाया हैं |
डॉ. शोभा भरद्वाज
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