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“शाजिया इल्मी जी वोट बैंक की राजनीति का गुर आप जल्दी ही सीख गई ?”

Vichar Manthan
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भारत में विभिन्न जातियों एवं धर्मो के लोग रहते हैं और सब मिल जुल कर रहते हैं जब भी एक दूसरे को आवाज देतें हैं ,उनके धर्म या जाति के सम्बोधन से नहीं बुलाते| क्या कभी किसी ने ऐ हिन्दू या ओ मुस्लिम के नाम का सम्बोधन कर किसी को  बुलाया है ?ज्या दातर, बहन,भाई भाभी ,बाबा, दादी अम्मा ,मौसी ,और आज कल आंटी अंकल कह कर ही  सम्बोधित करते हैं | बड़े शहरों में एक ही कलौनी में साथ सटे घर हैं एक दूसरे से अपना सुख दुख बांटते हैं |शादी ब्याह की सलाह लेते हैं ,क्योंकि वह  जानते हैं यहाँ आपस में कोई मतलब नहीं है इसलिए  सच्ची और बिना स्वार्थ की सलाह मिलेगी |किसी के घर में मातम होता है  सब की आँखे भीगती हैं , जब तक जनाजा नहीं उठता किसी के गले से कौर नहीं उतरता | आज कल त्यौहार भी लोग साथ मिल कर मनाते हैं ईद की सेवइयां किसने नहीं खाई ,बकरीद पर इष्ट मित्र  लोग लजीज गोश्त की दावत उड़ाने का इंतजार करते हैं ऐसे ,होली के रंग .दीवाली के पटाके और मिठाईयों का स्वाद  क्रिसमस केक का आनन्द किसने नहीं उठाया ,मोहर्रम के ताजियों का जलूस हो या दशहरे का मेला सब बच्चे मिल कर देखने जाते हैं ब्याह में सबको कार्ड दिया जाता है | मुस्लिम समाज  में खास तौर पर शुद्ध शकाहारी खाने का इंतजाम किया जाता हैं  |  लेकिन ज्यादातर लोग गोश्त वाले पंडाल में नजर आते हैं| लड़की किसी भी धर्म को मानने वाले की हो जब सुसराल के लिए विदा होती है  आँख सबकी भरती है | एक बार मुंह से  शुभ कामना जरूर निकलती है बेटी बहन सब की खुश रहे | यदि किसी की बेटी दुखी हो कर मायके लौटती है सब कष्ट पाते हैं लड़की के सुसराल वालों से लड़ने को तैयार रहते हैं |यदि किसी की बहू ब्याह कर आती है सब को उत्सुकता रहती है बहू कैसी है क्या घर गृहस्ती सम्भाल लेगी | बच्चे आपस में धर्म के नाम पर कभी नहीं लड़े | उन्हें अपना दोस्त प्यारा है न कि अपना या दोस्त का धर्म  |    फिल्में आज के जमाने में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन हैं उनकी कहानियाँ कितनी भी शुरू मे  बुराई की जीत  और  विलन को फलता फूलता दिखायें अंत में अच्छाई की जीत ही दिखाती हैं  इसी तरह सबका  उद्देश्य  मिल जुल कर जनता का   मनोरंजन करना दो सौ करोड़ के क्लब में शमिल होना है |कभी हिन्दू एक्टर या मुस्लिम एक्टर की बात नहीं की जाती  बाली वुड सबसे अधिक  सैक्यूलर है | फ़िल्मों में यदि भजन है तो  सूफियाना  कव्वाली भी है
हमारे संविधान की विशेषता मुख्यतया धर्म निरपेक्षता ,समानता और सहअस्तित्व     है |संविधान और संविधान द्वारा प्रदत्त   मौलिक अधिकारों की  रक्षा के लिये सर्वोच्च न्यायालय का गठन किया गया है  |जो भी व्यक्ति एक बार  न्यायालय के फेर में आया है वह चैन से रह नहीं पाया , देर से ही सही उसे सजा जरूर मिली है जब तक केस चला है वह चैन से सो नहीं पाया है|
फिर यह हिन्दू मुस्लिम झगड़े क्यों होते हैं ? यह आपको गरीब बस्तियों में नजर नहीं आयेगें सब की एक ही परेशानी होती है रोजी और रोजगार , एक कारखाने में काम करते हैं मिल जुल कर समय बिताते हैं एक साथ अपनी रूखी सूखी रोटी खाते हैं | जो बच्चे बुरी  लतों में लग जाते हैं वह हम प्याला हम नेवाला  हैं | अपराध करने भी साथ जाते हैं | आज कल बाइकर्स गैंग बना कर आधी रात को पुलिस को छकाते हैं वहाँ कोई धर्म का झगड़ा नहीं है | यह सारे झगड़े चुनाव के समय ही क्यों होते हैं ? अचानक इंसान  वोट बैंक  क्यों बन जाते हैं
ऐसा करवाने वाली एक ही कौम है वह हैं देश के नेता गण मुस्लिम नेता  अपनी कौम को डरा कर एक सशक्त वोट बैंक बना लेते हैं फिर सत्ताधारी दल से अपने लाभ का सौदा करते हैं मुस्लिम नेता का वैभव बढ़ा है पर मुस्लिम समाज उसी मुफलिसी में जीता हैं |दूसरी और दूसरे नेता वोट के लिए बड़ी -बड़ी बोलियाँ लगाते हैं प्रलोभन दिखाते हैं ,कोई उनकी शिक्षा और रोजगार की बात नहीं करता उनका हित इसी में है समाज  के लोग  अशिक्षा और  दरिद्रता में डूबे रहो  इसी में उनकी  भलाई है यदि आपसी  दंगे  होते रहेंगे  और  वोट बैंक बनते रहेंगे
शाजिया इल्मी भी तो इसी नेता बिरादरी की है वह एक कदम और ऊपर निकल गई उसने कहा तुम्हे सेकुलरवाद से क्या मिलेगा  क्म्यूनिल बन जाओ  और अब मेरा वोट बैंक बन कर मुझे वोट दो शाजिया अचानक वोट के लिए हिजाब में  भी आ गई   इसके दो फायदे हुये यदि मुस्लिम बहकावे में आ जाएँ तो वोट का प्रतिशत बढ़ जायेगा नहीं तो मीडिया की सुर्खियों में  शाजिया इल्मी छा जायेगी |मुस्लिम समाज को अब सोचना है उनका भला किसमें  है |
डॉ शोभा भारद्वाज

भारत में विभिन्न जातियों एवं धर्मो के लोग रहते हैं और सब मिल जुल कर रहते हैं जब भी एक दूसरे को आवाज देतें हैं ,उनके धर्म या जाति के सम्बोधन से नहीं बुलाते| क्या कभी किसी ने ऐ हिन्दू या ओ मुस्लिम के नाम का सम्बोधन कर किसी को  बुलाया है ?ज्या दातर, बहन,भाई भाभी ,बाबा, दादी अम्मा ,मौसी ,और आज कल आंटी अंकल कह कर ही  सम्बोधित करते हैं | बड़े शहरों में एक ही कलौनी में साथ सटे घर हैं एक दूसरे से अपना सुख दुख बांटते हैं |शादी ब्याह की सलाह लेते हैं ,क्योंकि वह  जानते हैं यहाँ आपस में कोई मतलब नहीं है इसलिए  सच्ची और बिना स्वार्थ की सलाह मिलेगी |किसी के घर में मातम होता है  सब की आँखे भीगती हैं , जब तक जनाजा नहीं उठता किसी के गले से कौर नहीं उतरता | आज कल त्यौहार भी लोग साथ मिल कर मनाते हैं ईद की सेवइयां किसने नहीं खाई ,बकरीद पर इष्ट मित्र  लोग लजीज गोश्त की दावत उड़ाने का इंतजार करते हैं ऐसे ,होली के रंग .दीवाली के पटाके और मिठाईयों का स्वाद  क्रिसमस केक का आनन्द किसने नहीं उठाया ,मोहर्रम के ताजियों का जलूस हो या दशहरे का मेला सब बच्चे मिल कर देखने जाते हैं ब्याह में सबको कार्ड दिया जाता है | मुस्लिम समाज  में खास तौर पर शुद्ध शकाहारी खाने का इंतजाम किया जाता हैं  |  लेकिन ज्यादातर लोग गोश्त वाले पंडाल में नजर आते हैं| लड़की किसी भी धर्म को मानने वाले की हो जब सुसराल के लिए विदा होती है  आँख सबकी भरती है | एक बार मुंह से  शुभ कामना जरूर निकलती है बेटी बहन सब की खुश रहे | यदि किसी की बेटी दुखी हो कर मायके लौटती है सब कष्ट पाते हैं लड़की के सुसराल वालों से लड़ने को तैयार रहते हैं |यदि किसी की बहू ब्याह कर आती है सब को उत्सुकता रहती है बहू कैसी है क्या घर गृहस्ती सम्भाल लेगी | बच्चे आपस में धर्म के नाम पर कभी नहीं लड़े | उन्हें अपना दोस्त प्यारा है न कि अपना या दोस्त का धर्म  |    फिल्में आज के जमाने में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन हैं उनकी कहानियाँ कितनी भी शुरू मे  बुराई की जीत  और  विलन को फलता फूलता दिखायें अंत में अच्छाई की जीत ही दिखाती हैं  इसी तरह सबका  उद्देश्य  मिल जुल कर जनता का   मनोरंजन करना दो सौ करोड़ के क्लब में शमिल होना है |कभी हिन्दू एक्टर या मुस्लिम एक्टर की बात नहीं की जाती  बाली वुड सबसे अधिक  सैक्यूलर है | फ़िल्मों में यदि भजन है तो  सूफियाना  कव्वाली भी है

हमारे संविधान की विशेषता मुख्यतया धर्म निरपेक्षता ,समानता और सहअस्तित्व     है |संविधान और संविधान द्वारा प्रदत्त   मौलिक अधिकारों की  रक्षा के लिये सर्वोच्च न्यायालय का गठन किया गया है  |जो भी व्यक्ति एक बार  न्यायालय के फेर में आया है वह चैन से रह नहीं पाया , देर से ही सही उसे सजा जरूर मिली है जब तक केस चला है वह चैन से सो नहीं पाया है|

फिर यह हिन्दू मुस्लिम झगड़े क्यों होते हैं ? यह आपको गरीब बस्तियों में नजर नहीं आयेगें सब की एक ही परेशानी होती है रोजी और रोजगार , एक कारखाने में काम करते हैं मिल जुल कर समय बिताते हैं एक साथ अपनी रूखी सूखी रोटी खाते हैं | जो बच्चे बुरी  लतों में लग जाते हैं वह हम प्याला हम नेवाला  हैं | अपराध करने भी साथ जाते हैं | आज कल बाइकर्स गैंग बना कर आधी रात को पुलिस को छकाते हैं वहाँ कोई धर्म का झगड़ा नहीं है | यह सारे झगड़े चुनाव के समय ही क्यों होते हैं ? अचानक इंसान  वोट बैंक  क्यों बन जाते हैं

ऐसा करवाने वाली एक ही कौम है वह हैं देश के नेता गण मुस्लिम नेता  अपनी कौम को डरा कर एक सशक्त वोट बैंक बना लेते हैं फिर सत्ताधारी दल से अपने लाभ का सौदा करते हैं मुस्लिम नेता का वैभव बढ़ा है पर मुस्लिम समाज उसी मुफलिसी में जीता हैं |दूसरी और दूसरे नेता वोट के लिए बड़ी -बड़ी बोलियाँ लगाते हैं प्रलोभन दिखाते हैं ,कोई उनकी शिक्षा और रोजगार की बात नहीं करता उनका हित इसी में है समाज  के लोग  अशिक्षा और  दरिद्रता में डूबे रहो  इसी में उनकी  भलाई है यदि आपसी  दंगे  होते रहेंगे  और  वोट बैंक बनते रहेंगे

शाजिया इल्मी भी तो इसी नेता बिरादरी की है वह एक कदम और ऊपर निकल गई उसने कहा तुम्हे सेकुलरवाद से क्या मिलेगा  क्म्यूनिल बन जाओ  और अब मेरा वोट बैंक बन कर मुझे वोट दो शाजिया अचानक वोट के लिए हिजाब में  भी आ गई   इसके दो फायदे हुये यदि मुस्लिम बहकावे में आ जाएँ तो वोट का प्रतिशत बढ़ जायेगा नहीं तो मीडिया की सुर्खियों में  शाजिया इल्मी छा जायेगी |मुस्लिम समाज को अब सोचना है उनका भला किसमें  है |

डॉ शोभा भारद्वाज

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