Menu
blogid : 15986 postid : 757622

“कांग्रेस के दिन अभी नहीं लदे ” चव्वालिस अभी बाकी हैं जागरण जंक्शन फोरम

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

• 1984 के चुनाव में भाजपा को केवल दो सीटे मिली थी और बड़े –बड़े दिग्गज चुनाव हार गये थे क्या भाजपा समाप्त हो गई आज उसी दल के लोकसभा में २८२ सांसद हैं | कांग्रेस के नेत्रत्व में देश ने स्वतन्त्रता संग्राम लड़ा था |आजादी के बाद वह एक राजनैतिक दल में बदल गया ,कांग्रेस के तीन लोकसभा चुनाव नेहरू जी के नेत्रत्व में लड़े ,लेकिन तीसरे चुनाव में कांग्रेस की साख गिरने लगी थी फिर भी कांग्रेस की सरकार बनी | नेहरू जी की मृत्यू के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के देश के प्रधान मंत्री बने उनके समय में १९६५ में भारत पाकिस्तान का युद्ध हूआ परन्तु उनकी ताशकंद में ताशकंद समझौते पर साइन करने के बाद हृदय गति रूकने से मृत्यू हो गई | पहली बार १९६६ में कांग्रेस नेत्रत्व के प्रश्न पर दो गुटों में बट गई ,मोरार जी देसाई और इंदिरा गाँधी दोनों में कौन नेता बने बकायदा चुनाव हुआ इंदिरा जी को लोक सभा के सांसदों ने अपना नेता चुना|आपसी कलह के बीच कांग्रेस ने १९६७ मे लोक सभा का चुनाव लड़ा और जीता लेकिन मोरारजी देसाई जैसे प्रभाव शाली नेता को उपप्रधानमंत्री पद के साथ वित्त विभाग भी सौंपना पड़ा |कांग्रेस के भीतर १९६९ में इंदिरा जी के नेत्रत्व पर फिर संकट आया उन्होंने समाजवादी एवं कम्यूनिस्टों के समर्थन से सरकार को बचा लिया और १९७१ का चुनाव उन्होंने गरीबी हटाओ के नारे से जीत लिया | यह उतार चढ़ाव कांग्रेस के लिए नये नहीं है इंदिरा जी ने अपने खिलाफ आये उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ अपना अस्तित्व बचाने के लिए १९७५-७६ में आपतकालीन घोषणा की और अपने विरोधियों को जेल में डाल दिया |कांग्रेस के विरूद्ध सारे विरोधी दल एक हो गये यहाँ तक कांग्रेस टूट गई उनके समर्थक मजबूत नेता जगजीवन राम ने कांग्रेस छोड़ दी इंदिरा जी के समर्थकों की संख्या वहूत कम रह गई |चुनाव में जनता दल चुनाव जीत गया इंदिराजी को अपनी सीट गवानी पड़ी एक बार ऐसा लगा जैसे उनका अस्तित्व ही खतरे में आ गया पर जनता दल ही टूट गया इन्दिरा जी जिनसे जनता रूठी थी , उन्होंने उन्हें फिर से प्रधानमन्त्री के पद पर आसीन किया आपरेशन व्लू स्टार के विरोध में उनके अपने अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी यह कांग्रेस पर संकट का काल था | इंदिरा जी की इच्छा थी उनका उत्तराधिकारी उनका पुत्र बने ,कांग्रेस ने राजीव गाँधी को प्रधानमन्त्री बनाया | १९८४ के चुनाव में कांग्रेस को संसद में ४२५ सीटे प्राप्त हूई यह इंदिरा जी की हत्या से उठी सहानूभूति की लहर थी परन्तु कांग्रेस ने फिर एक बार टूट देखी राजीव गाँधी के वित्तमंत्री वी .पी .सिंह ने बोफोस तोपों की दलाली का मुद्दा उठा कर अपने ही दल की जड़ें कतरनी शुरू कर दी अपनी छवि एक ऐसे राजनेता की बनाने लगे जो बहुत ईमानदार और समय आने पर न जाने क्या –क्या राज खोलने वाला है |उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया पर वह अपने साथ कई कांग्रेसी नेताओं को भी तोड़ कर ले गये जिनमें चन्द्रशेखर और देवी लाल जैसे दिग्गज नेता भी थे |वी.पी.सिंह ने संयूक्त मोर्चे का गठन किया और चुनाव लड़ा कांग्रेस घोर विरोधी दलों कम्यूनिस्टों और भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाई , जल्दी ही उनके एक चालाकी भरे कदम ,जिसमें उनका मंडल कमिशन की सिफारिशे लागू कर पिछड़ों को रिजर्वेशन दे कर अपना जनाधार बनाने की कोशिश करना था | राजीव गाँधी अब तक राजनीति की कूटनीति चालें सीख चुके थे उन्होंने वी .पी.सिंह को उन्हीं की चाल से मारा उनके दल के महत्व कांक्षी नेता चन्द्र शेखर को प्रधानमन्त्री बनने की स्थिति में समर्थन देने का आश्वासन दिया ,लेकिन जल्दी ही समर्थन बापिस ले लिया| देश में फिर से चुनाव हुये प्रथम चरण के चुनाव हो चुके थे दूसरे चरण के चुनाव में राजीव गाँधी जनता के समर्थन और स्नेह को देख कर सुरक्षा घेरा तोड़ने लगें उसी में वह आत्म घाती आतंकवाद का शिकार हो कर शहीद हो गये उनकी यह शहादत कांग्रेस को नया जीवन दे गयी | नरसिंघा राव राजीव गाँधी के बाद देश के प्रधान मंत्री बने उनकी सरकार पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं थी अन्य दलों के समर्थन से सरकार बनाई गई थी | उन्होंने मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री बनाया यह आर्थिक सुधारों का दौर था देश में रोजगार के नये अवसर आये| राजीव जी की हत्या के बाद कांग्रेस सोनिया जी को काग्रेस अध्यक्ष बनाना चाहती थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया |१९९६ का चुनाव कांग्रेस हार गई अब उन्हें जीतने के लिए नेहरू परिवार की आवश्यकता अनुभव हुई | इससे पूर्व जब सोनिया जी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात चल रही थी जिसका नरसिंघा राव ने विरोध किया था| उचित अवसर समझ कर बड़ी धूम धाम और मनुहार से सोनिया जी ने राजनीति मे प्रवेश किया उनकी बहुत जय जय कार हुई यहाँ तक उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी को बाहर का रास्ता देखना पड़ा| कांग्रेस जनों ने बड़े-बड़े नारे लगाये ‘सोनिया जी आईये देश बचाईये ‘ जैसे देश कहीं लुट रहा था जिसने उनका विरोध किया उसी का राजनैतिक जीवन संकट में आ गया शरद पवार संगमा जैसे नेताओं को बाहर कर दिया गया 2004 के चुनाव में सोनिया जी ने बहुत मेहनत की कई रोड़ शो किये चुनाव का रिजल्ट आया यू पी ए में शमिल १६ दलों एवं और कम्यूनिस्टों की मदद से ही सरकार बन सकती थी वह प्रधान मंत्री बनना चाहती थी, विरोधी दलों द्वारा उनके विदेशी मूल के मुद्दे से उनका विरोध हूआ| उन्होंने भारतीय नागरिकता भी राजीव गाँधी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद ली थी वह इटली की नागरिकता छोड़ना नहीं चाहती थी | उन्होंने प्रधानमन्त्री मंत्री बनने का विचार छोड़ दिया कांग्रेस मे उनकी मनुहार की गई परन्तु उन्होंन डॉ मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तुत किया जो उनके वफादार थे उनसे उनको भविष्य में कोई परेशानी नहीं थी डॉ मनमोहन सिंघ्देश के प्रधान मंत्री बन गये |सोनिया जी ने इटली के लेखक मेक्यावली की पुस्तक” दी प्रिंस “ बहुत अच्छी तरह पढ़ी थी यह पुस्तक राजीव गाँधी के पास भी रहती थी वह पढ़ते थे पर समझ न सके तभी वी,पी.सिंह से धोखा खा गये |The Prince के अनुसार सत्ता में प्रवेश तब करो जब प्रिन्स की जरूरत हो प्रिंस को अपने आस पास ऐसे लोगों को रखना चाहिए जो अपने बल पर सत्ता प्राप्त नहीं कर सकते जिससे वह सदा आपके आधीन रहेंगे योग्य व्यक्ति को अपने से वहुत दूर रहने दो पास आते ही उसकी महत्वकांक्षा जग जायेगी उनके लिए डॉ मनमोहन से अच्छे प्रधानमन्त्री नहीं हो सकते थे जिन्होंने कोई लोकसभा चुनाव नहीं जीता था जिनके शासन में वह सत्ता का केंद्र बनी रह सकती थी | कांग्रेस के पतन की राह – डॉ मनमोहन सरकार का पहला कार्य काल ठीक चला लेकिन अगले पांच वर्ष महंगाई घोटालों और भ्रष्टाचार के नाम रहें| इस पूरे समय को घोटालों का काल कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कोई भी महत्व पूर्ण पद प्राप्त करना हो सोनिया जी की जय बोलिए और कहिये ‘सोनिया जी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ’ सलमान खुर्शीद को विदेश मंत्री का पद प्राप्त हुआ जबकि उनकी पत्नी पर घोटाले का आरोप था प्रधान मंत्री पूरी तरह अकर्मण्य थे सोनिया जी का एक ही उद्देश्य था इंदिरा जी के समान राहुल गाँधी को सत्ता के शीर्ष पर ले जाना |राहुल गाँधी ने कभी मंत्री मंडल में जिम्मेदारी का पद नहीं लिया जब भी देश मे महत्वपूर्ण अवसर आये वह देश से गायब थे |अन्ना जी ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध आन्दोलन किया उसके निदान के लिए वह जनलोक पाल बिल लाने का प्रयत्न कर रहे थे उनके आन्दोलन को अपूर्व जन समर्थन मिला नारे भी लगे’ युवा यहाँ है राहुल कहाँ हैं ‘ राहुल चाहते अन्ना को आगे बढ़ कर आश्वासन दे कर आन्दोलन का मुहं अपने पक्ष में मोड़ सकते थे पर राहुल गायब थे | चुनाव से पहले उन्होंने जन लोक बिल बिल पास कराने की कोशिश की वह भी आधा अधूरा लोकपाल बिल| चुनाव में विपक्ष नरेंद्र मोदी के पीछे एक जुट हो कर खड़ा हो गया विकास के दावे को लेकर चुनाव लड़ा परन्तु उनके विरोध में राहुल के पास क्या था अपनी दादी और पिता की बलिदान कथा और माँ की सत्ता त्याग की कथा वह कब तक भुनाई जा सकती है या धर्म निरपेक्षता खतरे में,है यह नारा इन पर विकास का विश्वास भारी पड़ा| कांग्रेस में अपना अस्तित्व बचाने के नया सुझाव दिया जा रहा हैं प्रियंका को आगे किया जाये और जनता को याद दिलाया जाये बिल्कुल इंदिरा जी जैसी हैं |लोग भूले नही है इंदिरा जी के पति श्री फिरोज गाँधी एक महान आत्मा थे और प्रियंका के पति राबर्ड बडेरा जो कम पूँजी और कम समय में अपनी सास के राज में धन और जमीन बनाने की कला में माहिर हैं |अब वह राज भी समाप्त हो गया है कहते हैं कांग्रेस को परिवार वाद ले डूबा |नेहरू जी के समय में अनेक विद्वान् संसद में थे जो अपने में” स्कूल आफ थॉट थे “ श्री अशोक मेहता समाजवादी दल के थे उन्हें नेहरू जी ने समाज कल्याण विभाग दिया था |नेहरू जी की मृत्यू के बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधान मंत्री बने उनकी मृत्यू हूई तब इंदिरा जी प्रधान मंत्री बनीं | इंदिरा जी ने अपनी सत्ता और ताकत बचाये रखने के लिए कुशल नेताओं को पीछे किया जिससे कई लोग उनका साथ छोड़ने को मजबूर हो गये |उनके साथ वही रह गये जिनका इंदिराजी के बिना कोई अस्तित्व नहीं था | वह किसी भी कीमत पर अपनी सन्तान को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहती थी |इंदिराजी की हत्या के बाद प्रणव मुखर्जी एक योग्य व्यक्ति थे लेकिन राजीव जी को प्रधानमन्त्री बनाया गया जबकि उनकी राजनीति में विशेष रुचि नहीं थी | अब तो नेहरू गाँधी परिवार को आगे रख कर चुनाव लड़ने की प्रथा ही पड़ गई है | डॉ मनमोहन सिंह क्या ऐसे थे जिन्हें क्लर्क जैसे अधिकार दिए जाये और प्रणव दा को महामहिम बना कर किनारे कर दिया जाये चिदम्बरम जी की बात न सुन कर जनता को चुनाव जीतने के लिए बड़े-बड़े प्रलोभन दिए जाये ऐसा बजट पेश किया जाये जो बस लोक लुभावन हो |कांग्रेस में कभी योग्य नेताओं की कमी नही रही है न रहेगी बस उन्हें कभी भी सम्मानित नहीं किया गया |सोनिया जी चाहें तो इस देश की एनी बी सेंट बन सकती हैं पर उनको इसके लिए चाणक्य का अर्थशास्त्र देश का इतिहास और भूगोल जानना पड़ेगा इंदिरा जी अपने समय के कार्यकर्ताओं को उनके नाम और क्षेत्र से सम्बोधत करती थी जनता से इसी तरह जुड़ना पड़ेगा | मोदी सरकार ने जहाँ गलती की कांग्रेस फिर से अपने खोये सम्मान को हासिल के लेगी |कांग्रेस का संसद में बने रहना और मजबूत बिरोधी दल की भूमिका अदा करना देश के हित में है |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh