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देश में शोर मचा है कि भारत में बहूत महंगाई है परन्तु मेरी समझ नहीं आता कि कहाँ महंगाई है दिल्ली की लाल बत्ती पर तीन-तीन बत्तियां निकल जाती हैं तब जा कर गाड़ी सरकती है एक-एक गाड़ी मे एक आदमी या औरत गाड़ी चला रहें हैं | लम्बी दूरी भी अपनी गाड़ी से तय की जाती है |एक पान खाने जाना है इसके लिय गाड़ी निकाली जाती है देश में , खास कर दिल्ली में अच्छा खासा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम है गुडगाँव के लिए मैट्रो की व्यवस्था है लेकिन रोज नोकरी के लिये जाने वाले घंटों अपनी गाड़ी में सफर करते हैं कई बार जाम में फसे रहते हैं गाड़ियों का शोर जाम में फसे रहने की परेशानी से ब्लड प्रैशर बढ़ता है|यहाँ तक दूर दराज यात्रा पर जाते हैं चाहें तो बस या ट्रेन से सफर कर सकते हैं परन्तु अपनी गाड़ी ले जाना शान समझते हैं | किसी नई गाड़ी का ऐड आता हें उसे ज्वाय राइड अर्थात दूर -दूर तक सफर का आनन्द लीजिये , जैसे गाड़ी पैट्रोल की जगह पानी से चलेगी |
इन गाड़ियों में जलने वाला पैट्रोल या डीजल हमारा देश ( हम सब का देश ) ८०% मिडिल ईस्ट से आयत करता है कई वर्षों से पूरा मिडिल ईस्ट जल रहा है ईरानी क्रांति के बाद ईरान इराक का युद्ध वर्षीं तक चला जिसमें कच्चे तेल के दाम कभी घटे कभी बढ़े जैसे ही तेल के दाम बढ़ते हैं कई देशों की इकोनोमी पूरी तरह हिल जाती है |तेल की खरीद या तो बार्टर सिस्टम से होती है अर्थात कच्चे तेल के बदले सामान , हमारे देश से सामान भेजा जायेगा जैसे प्याज ,दूध का पाउडर कई तरह की खाने की वस्तुयें या जो उस मुल्क की आवश्यकता है | कच्चे तेल की आदायगी कुछ देश डालर में मांगते है ईरान काफी समय से नकद भुगतान का इच्छुक रहा है यह डालर पेड़ पर नहीं उगता न इसे हम छाप सकते है यह तो शुक्र है विदेशों में काम करने वाले भारतीय अपने देश में पैसा भेजते हैं जिनमें सबसे प्रमुख आई . टी. में काम करने वाले लोग जिससे ज्यादातर डालर हमारे देश में आता है| वह यदि हवाले के रास्ते पैसा भेजने लगे तो डालर वहीं के बैंकों में काले धन के रूप में रह जायेगा और यहाँ पर रूपया ही मिलेगा अधिक लाभ पाने के लालच में काफी लोग अपना पैसा बैंक के जरिये न भेज कर हवाले से भेज देते हैं | जब दो देश लड़ते हैं देश का के कच्चे तेल का स्त्रोत खत्म न हो तेल मिलता रहे हम उस देश को बचाने के लिए मदद करते हैं इराक ईरान युद्ध में हमारे देश को सद्दाम सरकार की मदद करनी पड़ीं थी यह मुल्क बना रहे और हमें पुराने भाव पर तेल मिलता रहें | इस प्रकार की मदद करने में खतरा भी रहता है |तेल पैदा करने वाले देश अब इस काले सोने का महत्व भी अच्छी तरह समझ चुके है उन्होंने तेल की अच्छी कीमते लेने के लिए संगठन बना लिए हैं ओपेक संगठन के माध्यम से वह कोशिश करते हैं तेल पैदा करने वाले देशों को तेल की अच्छी कीमत मिले कोई भी देश अपनी जरूरत के लिए तेल को सस्ते भाव पर न बेच दे | तेल आराम से मिलता रहे इसके लिए पूरी आयल डिप्लोमेसी खेली जाती है | विश्व की बड़ी ताकतों का सबसे अधिक ध्यान इन्हीं देशो पर लगा रहता है क्योंकि यहाँ काला सोना है इनसे व्यापार कर देश अपनी अर्थ व्यवस्था सुधार सकते हैं | जब इस क्षेत्र की शांति भंग होती है हथियार डीलरों की चांदी हो जाती है | वह हथियारों की सप्लाई का रास्ता ढूंढने लगते हैं | उस मुल्क की बर्बादी के बाद वहां का फिर से जीर्णोद्धार होगा कंस्ट्रक्शन कंपनियां अपने लिए अच्छा भविष्य खोजने लगती हैं|
इन देशों के पास तेल हैं इस लिए बड़ी शक्तियों का यह क्षेत्र पूरा अखाड़ा हैं यह एक लम्बी कहानी हैं |अमेरिका के पास अपना तेल हैं अलास्का में तेल के पूरे जखीरे हैं वहाँ पर तेल निकालना महंगा पड़ता हैं इसके अलावा वह अपने तेल को भविष्य के लिए बचा कर इस क्षेत्र से सस्ता तेल लेना चाहता है | रशिया भी इस क्षेत्र पर अपना वर्चस्व खोना नहीं चाहता यह उसका पुराना क्षेत्र हैं | काफी समय से इस्लामिक कटटर पंथी इस क्षेत्र में अपनी आँखे गड़ाये हैं |वह इन तेल के क्षेत्रों पर अधिकार जमाने के लिए तैयार हैं उनके नेता जवान पीढ़ी को इस्लामिक राज्य का सपना दिखा कर पूरी एक फौज तैयार कर रहे हैं इसके लिए वह ज्यादातर दबाब की राजनीति से धन इकट्ठा करते रहते हैं अब उन्हें देश चाहिए जहां से वह अपनी इस्लामिक क्रांति का निर्यात दूसरे मुल्कों में कर सकें |ईरान में शाह के पतन के बाद मजबूत शिया इस्लामिक स्टेट का गठन कर लिया गया है| इन देशों में ताना शाही के खिलाफ नौजवानों में प्रजातांत्रिक राज्य बनाने का भी जोश हैं | नौजवान प्रजातंत्र लाने के लिए क्रांति करते हैं परन्तु जैसे ही उस क्षेत्र में रिक्तता आती है उसको इस्लाम का नारा दे कर कटटर पंथी आ जाते हैं और सत्ता पर अधिकार जमा लेते हैं | दीनी सियासत का कोई तोड़ भी नहीं है जैसे ही विरोध की आवाज उठती है उन्हें यह कह कर दबाया जाता है ‘ चुप तू जद्दे इस्लाम है ( इस्लाम का दुश्मन है , काफिर है ) ‘ सामने वालों के मुहँ पर ताला लग जाता है | इराक बर्बाद हो रहा है तेल के कुओं में आग लग रही है लीबिया का बुरा हाल है , हर तेल पैदा करने वाला देश खतरे में है सउदिया भी इन इस्लामिक कटटर पंथियों को चौथ दे कर अपने को किसी तरह बचाये हुये है उसे तो कट्टर पंथी पूरा खाने को तैयार है और हमारे देश का बहुत बड़ा वर्ग इस बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं है कि तेल हमारे देश में बाहर से आता है | सरकारों ने कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए डीजल पर छूट दी उसका फायदा किसान के साथ आम लोग भी उठाने लगे बाजार में डीजल की गाड़ियां आ गई अब सरकार धीरे -धीरे छूट का दायरा कम कर रही है डीजल का दाम भी धीरे- धीरे बढ़ाया जा रहा है | पैट्रोल की कीमत बढ़ी हैं क्यों कि इराक में इस्लामिक कटटर वादी इराक के शहरों को पकड़ने के लिये युद्ध कर रहें हैं | वह तेल के कूओं पर अधिकार कर दुनिया को अपने हिसाब से नचाना चाह रहें हैं | लड़ाई का क्षेत्र होने की वजह से कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है जिसका दुनिया के हर देश पर प्रभाव पड़ रहा है हमारे यहाँ भी पैट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाये गये हैं | इराक मे शन्ति होने के बाद तेल के दाम फिर स्थिर हो जायेंगे | क्या हमारा कर्तव्य नहीं है हम तब तक पैट्रोल का खर्च कम कर लें ? पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें जिससे देश का भला होगा जितनी कटौती करेंगे सरकार की महंगे दामों पर कच्चा तेल खरीदने की मजबूरी कम होगी डीजल बचेगा उसका फायदा यह होगा ट्रांसपोर्ट में उस डीजल का प्रयोग किया जायेगा लेन की खपत कम होने पर डीजल आदि की कीमत फिर वस्तुओं के दाम कम होंगे गरीब महंगाई की चक्की में कम पिसेगा एक खास वर्ग की अय्याशी और बहुत बड़ें वर्ग का दुख | आपको उन देशों की और ले चलूँ जहां पैट्रोल पैदा होता था जिनका जीवन सुख सुविधा से परिपूर्ण था दुख को वह जानते ही नहीं थे लेकिन इन देशों में परिवर्तन की बयार चलने लगी कहीं प्रजातंत्र के लिए जागरूकता आई कहीं इस्लामिक विचारधारा वाले लोग इस्लामिक स्टेट बनाने की इच्छा से सत्ता पर कब्जा करना चाह रहे थे देखते -देखते यह देश क्रांति की चपेट में आ गये |वहाँ के लोगों को अगर नान (रोटी ) प्याज या उबले आलू के साथ मिल जाती है वह इसे खुदा का शुक्र समझ कर माथे से लगा कर खाते हैं सीरिया के बाशिंदे गृह युद्ध की चपेट में दाने-दाने को तरस रहें हैं | हमारे देश में प्याज की महंगाई में सरकारें बदल जाती हैं |पैट्रोल के दाम बढ़ते हैं शोर मच जाता है | प्रजातंत्र ने हमें केवल अधिकार सिखाया है हमें बस चाहिए कई घरों की यह हालत है परिवार में हर सदस्य की अपनी गाड़ी है पार्किंग की जगह नहीं है पर गाड़ी रखने का शौक है किसी की सोच में भी नहीं है यह पैट्रोल कहाँ से आयेगा हमें जी लेने दो या आज तो जी लें | कई देशों में कच्चा तेल के भंडार खत्म हो रहें हैं या कुछ वर्षों बाद खत्म हो जायेंगे पर हम सोचते हैं सरकार को हमें इस पर छूट देनी चाहिये |
डॉ शोभा भारद्वाज
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