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सोनिया जी का प्रधानमंत्री पद से इनकार “आत्मा की आवाज या कूटनीति “

Vichar Manthan
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कांग्रेस के शासन में रहे विदेश मंत्री एवं कांग्रेस के प्रभाव शाली नेता रहे श्री नटवर सिह जी ने अपनी पुस्तक one life is not enoughपुस्तक, जिसका विमोचन अभी अगले माह होगा, क्या लिखी राजनैतिक हलकों में हलचल मच गई |इससे पूर्व चुनाव के समय आई संजय बारू की पुस्तक द० एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर जबर्दस्त चर्चा में रही जिसमे लेखक ने लिखा था सोनिया जी प्रधानमंत्री बनना चाहती थी लेकिन उनका विदेशी मूल का मुद्दा इतना गरमाया जिससे उन्हें मनमोहन सिह को प्रधानमंत्री बनाना पड़ा | वास्तव में मनमोहन सिह एक ऐसे व्यक्ति थे जिससे सोनिया जी को कोई नुकसान नहीं हो सकता था उल्टा शासन पर उनकी पकड़ भी मजबूत बनी रहती| डॉ मनमोहन सिह जी के परिवार की राजनीति में कोई रुचि नहीं थी अत: सोनिया जी की सन्तान को भी उनसे कोई खतरा नहीं था, वह जब चाहती सत्ता उनसे ले सकती थी| उन्होंने राहुल गाँधी को कांग्रेस दल का उपाध्यक्ष बनाया और २०१४ का चुनाव उन्हीं की अध्यक्षता में लड़ा गया, हाँ कांग्रेस की लोकसभा मे सदस्य संख्या कुल ४४ रह गई | संजय बारू ने यहाँ तक लिखा था हर महत्व पूर्ण फाइल सोनिया जी के पास से गुजरती थी अर्थात उन्ही का निर्णय आखिरी था |
नटवर सिंह जी की पुस्तक बाजार में आने वाली है सोनिया जी उस पुस्तक आने से पहले ही मई के पहले हफ्ते में अपनी बेटी प्रियंका वडेरा के साथ नटवर सिह के घर उनसे मिलने गई, जबकि उन्हें काफी पहले वह मनमोहन सिंह मंत्री मंडल में विदेश मंत्री के पद से हटा चुकी थी और कभी भी उनसे सम्पर्क नहीं किया आखिर ऐसा क्या भय था जो सोनिया गाँधी को उनके द्वार तक ले ,वह लगभग 50 मिनट तक उनके घर रहीं |शायद वह नटवर सिंह को नर्म करना चाहती थी क्योंकि सोनिया जी के हाथ से सत्ता फिसल चुकी है | श्री नटवर सिह के अनुसार सोनिया जी देश की प्रधानमन्त्री बनना चाहती थी इसके लिए वह राष्ट्रपति से भी मिल चुकी थी :UPA के समर्थक घटकों से समर्थन भी ले चुकी थी अचानक उन्होंने यह कह कर प्रधानमन्त्री बनने से इनकार कर दिया’ वह अपनी अंतरात्मा की आवाज पर यह पद छोड़ रही है ‘| नटवर सिंह उन दिनों 10 जनपद के बहुत करीब थे उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है यह अंतर्रात्मा की आवाज नहीं थी बल्कि राहुल का भय था, उसे डर था उसकी दादी इंदिरा जी की हत्या हुई थी उनके पिता राजीव गाँधी की भी हत्या हुई थी अत: वह अपनी माँ के लिए चिंतित थे उस समय उनकी आयु 34वर्ष थी उन्होंने अपनी माँ को 24घंटे का समय निर्णय बदलने के लिए दिया था | सोनिया जी के विदेशी मूल के विषय पर भाजपा द्वारा भी विरोध किया जा रहा था अत: राहुल की जिद पर उन्हें पीछे हटना पड़ा जिसे उन्होंने अंतर्रात्मा की आवाज कहा ,तथा जनता की पब्लिसिटी जम कर लूटी चुनावों में भी उन्हे त्याग की देवी बना कर पेश किया गया |
उसके बाद सब जानते है कांग्रेस ने और सोनिया जी ने जम कर अपनी मार्किटिंग की चार पांच घंटे सोनिया जी को मनाने की कोशिश की गई | अम्बिका सोनी तो रोईं भी हर कांग्रेसी द्बारा बार – बार अपना निर्णय वापिस लेने की अपील की गई सब जानते थे कांग्रेस में वह सबसे अधिक सत्ता धारी हैं उनका निर्णय अंतिम है |जिसको जो चाहे पद प्रदान कर सकती हैं , समय का सदुपयोग किया जाये उन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रभावित कर लिया जाये सोनिया जी भी चार घंटे तक अपनी मनुहार कराती रहीं अंत में उन्होंने डॉ मनमोहन सिहं का नाम प्रधान मंत्री पद के लिए प्रस्तुत किया | लालू प्रसाद यादव और पासवान सोनिया जी को प्रधान मंत्री बनाना चाहते थे |

श्री नटवर सिंह ने अपने इंटरव्यू में कहा सोनिया जी में तानाशाही की भावना थी इसका मतलब नटवर सिंह के अनुसार वह फैसले खुद लेती थी कांग्रेस में एक पत्ता भी उनकी मर्जी के बिना नहीं हिल सकता है | वह सीक्रेटिव और मैक्यावलियन विचारधारा की समर्थक हैं उनका कांग्रेस पर नेहरू जी और से इंदिरा जी से कंट्रोल है| शाम को पुलक चटर्जी जरूरी सरकारी फाइले लेकर उनके पास जाते थे वह उन्हें देखती हैं |
संजय बारू की किताब में भी इसका वर्णन किया गया है |सब जानते हैं सोनिया जी को खुश रखना उनकी वाह-वाही करना सोनिया जी मैं आप के लिए कुछ भी कर सकता हूँ , उनके प्रति अपनी वफादारी सिद्ध करने से मंत्री पद प्राप्त करना आसान था सलमान खुर्शीद की पत्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप था सलमान खुर्शीद ने सोनिया जी की वफादारी में कशीदे पढ़े उन्हें विदेश मंत्री का पद प्राप्त हो गया| मनमोहन जी दूसरी बार प्रधानमन्त्री मंत्री बने उनकी शक्ति कम होती जा रही थी बह अपनी मर्जी से नियुक्ति भी नहीं कर सकते थे न किसी को हटा सकते थे वह ए राजा और टी आर बालू को अपनी कैबिनेट में नही लेना चाहते थे परन्तु उन्हें लेना पड़ा| यहाँ तक मनमोहन सिह अमेरिका के साथ परमाणू समझौते के इच्छुक थे लेकिन बाम पंथियों ने सरकार से समर्थ खीचने की धमकी दी इससे सरकार अल्प मत में आ जाती | सोनिया जी नहीं चाहती थी सरकार जाये अंत में मनमोहन सिह को अपने इस्तीफे की धमकी देनी पड़ी तब जाकर उनकी बात मणि गई |
नटवर सिंह को इराक के लिए Oil-for- Food scandal का दोषी पाया गया, जिसके लिए वह कहते है उन्हें बली का बकरा बनाया गया था | उनके सम्मान को ठेस पहुची , उन्हें विदेश मंत्री का पद छोड़ना पड़ा जबकि उनका नाम नेहरू, गाँधी के वफादारों में आता था |वह कहते है मुझे मनमोहन सिहं जी ने मैडम से मिलने की सलाह दी थी परन्तु मेरे स्वाभिमान को यह मंजूर नहीं था |उन पर एक सवाल उठाया जाता है उन्होंने यह प्रश्न इतने समय बाद क्यूं उठाया | देश वासी भूले नहीं होंगे संगमा और शरद पवार कांग्रेस के पुराने सम्मानित सदस्य थे उन्होंने सोनिया जी के विदेशी मूल का प्रश्न उठाया था उन्हें कितने अपमान का सामना करना पड़ा था| जब तक कांग्रेस की सत्ता थी तब तक किसमें हिम्मत थी वह सोनिया जी के खिलाफ कुछ कह सके| नटवर सिहं की किताब अभी बाजार में नहीं आई है कांग्रेस एवं डॉ मनमोहन सिंह ने इसका जम कर विरोध किया | इसे किताब की पब्लिसिटी का स्टंट कहा तथा मार्किटिंग का फंडा कहा गया अन्य कांग्रेस विरोधी दलों और भाजपा के हाथ में कांग्रेस और गाँधी परिवार के विरोध का एक हथियार लग गया | यह समय ही बतायेगा सत्य क्या है |सोनिया जी ने कहा की वह भी एक किताब लिख कर कुछ तथ्य सामने रक्खेंगी ठीक है मतदाता भी उनका पक्ष जानना चाहते हैं | सत्ता में केवल सुख ही नहीं है जनता के प्रति जवाबदेही भी होती है वह बहुत लम्बे समय से कांग्रेस अध्यक्षा हैं |
डॉ. शोभा भारद्वाज

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