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१५ अगस्त १९४७ से अब तक ” दास्ताने कश्मीर ” जागरण जंक्शन फोरम

Vichar Manthan
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14 अगस्त 1947 मध्य रात्रि गुलामी की बेड़ियों टूट गई ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा उपहार स्वरूप भारत की शक्ति को कमजोर करने के लिये दो नये राष्ट्रों का विश्व पटल पर उदय हुआ “ भारत और पाकिस्तान “ब्रिटिश साम्राज्यवाद सिमटने लगा| दूसरे विश्व युद्ध ने ब्रिटेन को इतना कमजोर कर दिया था वह इस उप महाद्वीप पर शासन करने के लिए असमर्थ हो चुका था , सत्य, अहिंसा और असहयोग के शस्त्र के सामने कमजोर पड़ चुका था| पन्द्रह अगस्त की सुबह सूयोदय के साथ नव प्रभात लाई | यह नव प्रभात क्या सुख कारी था ?लाखों लोग घर से बेघर अनिश्चित भविष्य की खोज में काफिले के काफिले हिन्दोस्तान की और चलने के लिए मजबूर कर दिए गये थे कुछ लोग जो कभी अपने घर के पास के शहर के अलावा कहीं नहीं गये थे वह नही जानते थे अब उनका घर कहाँ बसेगा अपना सब कुछ छोड़ कर काफिले के काफिले हिन्दोस्तान की और चल पड़े | बेहालों को बसाना आसन नहीं था|अंत में कटी हूई लाशों से भरी रेलगाड़ियों आने लगीं|इधर भारत की और से भी मुस्लिमों के साथ यही प्रतिक्रिया होने लगी | लगभग १० लाख लोगों की हत्या हूई |
३ जून १९४७ के प्लान के अनुसार हिंदुस्तान और पाकिस्तान (पूर्वी पाकिस्तान जो आज बंगला देश के नाम से सम्प्रभु राष्ट्र है ) दो राष्ट्रों का निर्माण होगा और आजादी के दिन से ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन रियासते भी आजाद हो जाएँगी वह चाहें तो आजाद रह सकतीं हैं या हिन्दुस्तान या पाकिस्तान में विलय कर सकती हैं| रियासतों का विलय कराना आसन नहीं था परन्तु सरदार पटेल के प्रयत्नों से जूनागढ़ , हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को छोड़ कर ५२९ रियासतों ने भारत में विलय स्वीकार कर लिया ,सख्ती के बाद जूनागढ़ और हैदराबाद का भी भारत में विलय हो गया लेकिन काश्मीर की भौगोलिक स्थिति के कारण एंग्लो अमेरिकन ब्लाक की उस पर नजर थी | माउन्टबेटन चाहते थे कश्मीर या तो पाकिस्तान के साथ जाये या स्वतंत्र रहे माउन्टबेटन की रुचि कश्मीर के गिलगित प्रदेश में थी यह एरिया उनकी नजर में roof of the world था यह पांच राष्ट्रों की सीमाओं के बीच का क्षेत्र था यहाँ सोवियत लैंड ( अब वारसा पैक्ट के सदस्य सोवियत लैंड से अलग हो गये हैं ),चीन ,अफगानिस्तान ,भारत और पाकिस्तान की सीमाए मिलती थी | यहाँ केंद्र बना कर पांच राष्ट्रों पर निगाह रखी जा सकती थी |यही भगौलिक स्थिति पाकिस्तान की है| पाकिस्तान की सीमा ईरान के प्रदेश जाह्दान से भी मिलती है |
माउन्टबेटन जानते थे राजा हरिसिंह हिन्दू डोगरा राजा होने के नाते कभी भी पाकिस्तान के साथ विलय नहीं करेगे ,अत: राजा हरिसिंह के विचारों को बदलने के लिए वह स्वयं कश्मीर गये वह राजा को मजबूर करना चाहते ,उन्हें भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ विलय स्वीकार कर लेना चाहिए वह अपनी सलाह अकेले में महाराज को दे कर उन्हें अपने अनुसार बदलना चाहते थे ,यदि महाराज ने विलय स्वीकार नहीं किया तो वह सत्ता परिवर्तन के बाद वह मुश्किल में पड़ सकते हैं महाराजा उनसे मिलना नहीं चाहते थे|अत: उन्होंने बहाना किया वह बीमार हैं और बिस्तर पर हैं,उनके द्वारा बुलाई मीटिंग में आने में असमर्थ हैं माउंट बैटन का महाराजा पर पाकिस्तान में विलय करने का बहुत दबाब था वह निश्चय नहीं कर पाए कि क्या करें २१ अक्टूबर को ५००० कबायली लड़ाके, पाकिस्तान के नार्थ वेस्ट फ्रंटियर के सैनिक थे कश्मीर की और प्रस्थान कर गये और श्री नगर से केवल ३५ किलो मीटर की दूरी पर रह गये कश्मीर सरकार ने भारत से जल्दी मदद की गुहार लगाई सैनिक सहायता मांगी, अब माउन्ट बेटन का खेल शुरू हो गया उसने कहा कश्मीर एक आजाद देश है हम कैसे दखल दे सकते हैं अत: पहले कश्मीर भारत में विलय के लिए अपनी सहमती दे | उसी समय कृष्णा मेनन कश्मीर के लिए प्लेन से रवाना हो गये वह वहाँ के पूरे हालत का जायजा ले कर साथ ही महाराजा का accession letter जिस पर उनके हस्ताक्षर थे लेकर अगले ही दिन दिल्ली पहुंच गये इस पत्र के साथ शेख अब्दुल्ला की सहमती भी थी शेख साहब कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस ,कश्मीर का सबसे बड़ा दल था के प्रेसिडेंट थे |सरदार पटेल बहुत बेचैन थे| पत्र प्राप्त करते ही वह डिफेंस कमेटी की मीटिंग जो २६ अक्टूबर की शाम को होनी थी पहुंच गये | अगले दिन ही मिलिट्री और सैन्य सामान श्री नगर के लिए रवाना कर दिया गया अब भी माउन्ट बेटन इस इंतजार में थे किसी तरह देर हो जाये पकिस्तानी सेना श्रीनगर पर कब्जा कर ले वह चाहते थे इस विलय को कंडीशनली स्वीकार किया जाये जैसे ही शन्ति स्थपित हो जनता की राय के नाम पर मामले को उलझाया जाये | नेहरू जी कश्मीर की समस्या को स्वयं सुलझाना चाहते थे अत: उन्होंने माउन्टबेटन के सुझाव को मान लिया | नेहरु जी पूरी तरह माउन्ट बेटन के प्रभाव में थे अत: सरदार पटेल यहाँ कुछ नहीं कर सकते थे भारतीय सेना ने जैसे ही कश्मीर में पांव रक्खा जिन्ना ने पाकिस्तानी सेना भेज दी कश्मीर युद्ध क्षेत्र बन गया | माउन्टबेटन लाहौर में जिन्ना से मिलने गये जिन्ना ने उनसे शर्त रक्खी यदि भारत अपनी सेना हटा लेगा वह भी पीछे हट जायंगे माउन्ट बेटन ने सलाह दी कश्मीर में प्लेबीसिट (जनमत )संग्रह UN के द्वारा कराया जाये, जबकि जिन्ना चाहते थे दोनों प्रेसिडेंट की अध्यक्षता में जनमत संग्रह कराया जाये | आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपना गवर्नर जरनल जिन्ना को बनाया लेकिन भारत ने माउन्ट बेटन को गवर्नर जरनल स्वीकार किया जिन्ना मुस्लिम लीग के भी प्रेसिडेंट थे उनकी जैसी हैसियत माउनटबेटन की नही थी |
माउन्ट बेटन की सलाह पर जनवरी १९४८ में कश्मीर का विषय सुरक्षा परिषद में भेज दिया गया उसी समय से कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो गया कश्मीर की भोगोलिक स्थिति को देखते हुये अमेरिका ने इस क्षेत्र मे रुचि लेना प्रारम्भ कर दिया आज तक कश्मीर समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया | कश्मीर पर कई U.Nमे प्रस्ताव पारित हुये सुरक्षा परिषद में बहस हुई तीसरे पक्ष द्वारा समझोता करने के प्रस्ताव दिए गये | आजाद कश्मीर का भी सुझाव दिया गया | इस बीच सारा परिद्रश्य ही बदल गया यह शीत युद्ध का समय था पाकिस्तान ने एंग्लो अमेरिकन ब्लाक के साथ पैक्ट कर SEATO और बगदाद पैक्ट का मैंबर बन गया उसे खुल कर हथियारों की सप्लाई होने लगी | पाकिस्तान को किसी से कोई खतरा नहीं था वह पैक्ट का मैंबर अपने आप को भारत के खिलाफ मजबूत करने के लिए बना था |भारत ने अपनी विदेशी नीति तटस्थता की नीति अपनाई, सोवियत यूनियन भी हमारा मित्र था दिसम्बर १९५५ में बुल्गानिन और ख्रुश्चेव भारत आये उन्होंने एक स्टेटमेंट दिया “ कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है “ भारत की कश्मीर नीति का समर्थन किया
भारत और पाकिस्तान के बीच १९६५ और १९७१ में दो युद्ध हुये पूर्वी पाकिस्तान , पाकिस्तान से अलग हो कर एक आजाद राष्ट्र बंगलादेश बन गया| भारत और पाकिस्तान के बीच हुये शिमला समझोते में यह तय हुआ अब हर समस्या का हल आपसी बातचीत द्वारा किया जायेगा कश्मीर समस्या का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं होगा |पाकिस्तान. में जियाउलहक ,मिलिट्री जरनल नें तख्ता पलट कर पाकिस्तानी सत्ता की कमान सम्भाल ली अब कश्मीर हथियाने के लिए नये युद्ध का सहारा लिया ,भारत में आतंकवाद फैलाना | I.S.I. को खुला फंड दिया गया | कश्मीरी युवकों को भारत के खिलाफ बरगलाना, उनके हाथ में हथियार दे कर बदमनी फैलाना ,विश्व में भारत की बदनामी करना है | पाकिस्तान के ट्रेंड आतंकवादी हरी भरी कश्मीर घाटी में खून की होली खेलने लगे | पाकिस्तान का जो भी हाकिम आया है सबकी पॉलिसी कश्मीर में एक सी रही है धीरे –धीरे इतना आतंक फैलाया कश्मीरी पंडितों को अपने घर द्वार छोड़ कर पलायन करना पड़ा कश्मीरी मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिल्ली और अन्य शहरों में बसने लगे |
जम्मू कश्मीर में अपनी जनता की चुनी हुई सरकार है धारा ३७० के अंदर विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है|प्रतिदिन घुसपेठिये घाटी में घुसने की कोशिश करते है उनके लिए सेना सतर्क है यदि भारत सरकार सतर्कता न बरते पूरी घाटी बाहर से आये आतंकवादियों का स्वर्ग बन जायेगी |पाकिस्तान ने जिस आतंक वाद को भारत का हथियार बनाया था वह आज उसके लिए समस्या बन गया हैं कई आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर सत्ता पकड़ना चाहते हैं पाकिस्तान आर्थिक रूप से भी खोखला हो गया है | कश्मीर घाटी के लोग आतंकवाद का परिणाम भुगत चुके हैं अत: अब वह शांति चाहते हैं | डॉ शोभा भारद्वाज

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