- 297 Posts
- 3128 Comments
आजादी के बाद पाकिस्तान की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य अपने आप को आर्थिक दृष्टि से एक मजबूत राष्ट्र बनाना, वह मुस्लिम वर्ड का लीडर भी बनना चाहता था |पाकिस्तान के प्रथम प्रधान मंत्री लियाकत अली के अनुसार विश्व के नक्शे पर एक नए राष्ट्र का उदय होना पाकिस्तान का उद्देश्य नहीं है वह इस क्षेत्र में मजबूत मुस्लिम राष्ट्र का निर्माण एवं मुस्लिम राष्ट्रों से मजवूत सम्बन्धों को बनाना चाहते है| प्रारम्भ में भारत के समान ही पाकिस्तान दोनों विश्व शक्तियों से दोस्ती चाहता था लेकिन अपने आप को भारत से अधिक आर्थिक रूप मजबूत और मिलिट्री शक्ति बनने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिकन ब्लाक के साथ संबंध बनाये जबकि पाकिस्तान को रशिया या चीन से कोई भी खतरा नहीं था| वह भारत को ही अपना दुश्मन मानते थे |एंग्लो अमेरिकन ब्लाक ने एशिया में अपने मित्र बनाने के लिए मिलिटरी पैक्ट बनाये , पाकिस्तान के डिफेंस सेकेट्री सिकंदर मिर्जा जिसे ब्रिटेन का आदमी कहा जाता था और जनरल अयूब खान जिनका रुझान अमेरिका की तरफ था , दोनों देश को आर्थिक रूप से सम्पन्न तथा मिलिट्री को मजबूत और आधुनिक बनाना चाहते थे| SEATO और CENTO पैक्ट पर हस्ताक्षर कर पाकिस्तान आर्थिक ही नहीं आधुनिक मिलिट्री हथियारों से लैस हो गया | सभी जानते थे इन सभी शस्त्रों का इस्तेमाल भारत के विरुद्ध किया जायेगा | १९६२ में चीन ने भारत पर हमला किया नेहरूजी ने एंग्लो अमेरिकन ब्लाक से रक्षा की अपील की और चीन के खिलाफ हमारी मदद भी की गई क्योंकि मिलिट्री पैक्ट का उद्देश्य एशिया में कम्युनिज्म के प्रभाव और प्रसार को रोकना था परन्तु पाकिस्तान को यह मदद नागवार गुजरी अब उसने अपनी विदेश नीति में परिवर्तन किया अब उसकी विदेश नीति का उद्देश्य चीन से नजदीकिया बढ़ा कर भारत के खिलाफ उससे मदद लेना था| जब भी भारत के साथ पाकिस्तान का युद्ध हो चीन भी सीमा पर अपना दबाब बढाये | चीन ने पाकिस्तान की सेना को गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिग दी अब पाकिस्तान रशिया से भी अपने सम्बन्ध मजबूत करना चाहता था |
१९६५ में भारत पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध हुआ |युद्ध के उपरांत पाकिस्तानी विदेश नीति ने एक नया मोड़ लिया अमेरिकन ब्लाक का अलाई होते हुए भी उसने चीन और रशिया से अपने संबंध मजबूत किये |अमेरिका को ब्लैकमेल किया ज्यादा से ज्यादा आर्थिक और सैन्य सहायता ली दूसरी और चीन और रशिया से भी मदद ले कर अपने को मजबूत किया | एक बार तो ऐसा लगा पाकिस्तान कूटनीति का खिलाड़ी है उसकी विदेश नीति भारत से अधिक सफल है |पाकिस्तान की राजनीति में पूरी तरह मिलिट्री का वर्चस्व था |सब चालाकियों के बावजूद १९७१ का भारत पाक युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान पाकिस्तान से अलग हो कर नया राष्ट्र बंगलादेश बन गया | यह इंदिरा जी की कूटनीतिक विजय थी, अब भारत को पाकिस्तान से केवल एक मोर्चे पर लड़ना था यदि चीन भी उसकी मदद में सेना उतार दे तब भी हम उससे लड़ सकते थे ||बंगलादेश का निर्माण एक शूल की तरह पाकिस्तान के सीने में चुभने लगा क्योंकि पाकिस्तान की विशाल सेना ने भारत के सामने सरेंडर किया और भुट्टो के साथ समझोते में तय किया गया कि अब कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण नहीं होगा |भुट्टो के अंत के साथ मिलिट्री जरनल जिया उल हक देश के राष्ट्रपति बने वह समझ गये थे युद्ध में भारत को हराना आसन नहीं हैं अत: ISI को खुला बजट दिया गया |जिससे भारत विरोधी गतिविधियाँ बढ़ाई जा सकें |
जिया ने भुट्टो के प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए पाकिस्तान को एटमी शक्ति बनाया |पाकिस्तान का इस्लामी करण भी किया उनके अनुसार इस क्षेत्र में पाकिस्तान के जन्म का कारण इस्लाम था हमारी मुस्लिम संस्कृति अलग है अत : पाकिस्तान को एक इस्लामिक राज्य बनाना चाहिये |यह उनका अपने आप को मजबूत करने का भी एक तरीका था अत :धीरे -धीरे :इस्लामिक कानून लागू किया जाने लगा | दिसम्बर २५. १९७९ रशिया ने अफगानिस्तान में प्रवेश किया अमेरिका चाहता था पाकिस्तान अफगान मुजाहिदीनों की सहायता करे | जिया ने मौके का लाभ उठाया अमेरिका ने भी इस Proxy War के लिए जम कर सहायता की | अफगान शरणार्थी पाकिस्तान आने लगे, अमरीका द्वारा , जम कर आर्थिक सहायता मिली ,आधुनिक हथियार मिले और अत्याधुनिक स्ट्रिंगर मिसाइल भी मिली लेकिन साथ ही पाकिस्तान में A.K. 47 के कल्चर की शुरुआत हो गई | बंदूक इतनी सुलभ थी पाकिस्तान के रूपये में एक रात किराये पर मिल जाती थी ,अफगानी अफीम की खेती करते थे और उससे हीरोइन बनाते थे इससे पाकिस्तान में ड्रग कल्चर की भी शुरुआत हो गई| आज विश्व के विकसित देशों में हीरोइन की तस्करी का अड्डा पाकिस्तान है | मुजाहिदीनों के जेहादी तालिबान और अल –कायदा जैसे गुट बन गये रशिया के अफगानिस्तान से पलायन करने के बाद यह जेहादी पाकिस्तान के लिए तो बड़ा सर दर्द बने भारत के लिए बड़ी मुसीबत बन गये हैं पाकिस्तान में आये दिन बम फटते हैं आत्मघाती कहीं भी बम बांध कर फाड़ देते हैं खुद तो मरते ही हैं ओरों के लिए भी मौत बन जाते है | पाकिस्तान ने उनका लाभ उठाने के लिए उनका रुख भारत की और मोड़ दिया |सर्दी और बर्फ गिरने से पहले पाकिस्तानी सेना कोशिश करती है किसी तरह उन्हें भारत में प्रवेश करा दिया जाये |
पाकिस्तान के आजाद कश्मीर में आतंकवाद की ट्रेनिंग के कैप हैं | पाकिस्तान के अलावा कश्मीर और भारतीय मुस्लिम लड़कों को भी जिहाद के लिए बरगलाया जाता है || पूरी कश्मीर घाटी आतंकवाद की चपेट में आ चुकी थी कश्मीरी पंडितों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा वह अपने जीवन की रक्षा के लिये घर द्वार छोड़ कर घाटी से पलायन करने लगे | जवान किशोर लड़कों को भारत के खिलाफ भड़का कर उनके हाथ में जेहादियों ने बंदूकें पकड़ा दी, धरती का स्वर्ग नर्क में बदल दिया भारत सरकार के प्रयत्नों से धीरे –धीरे घाटी में शांति स्थापित होने लगी|परन्तु पाकिस्तानी सरकार का उद्देश्य रहा है वह इन बरगलाये हुए आतंकवादियों का प्रयोग भारत में कर दहशत फैला दे एक ऐसा युद्ध जिसमें जान मॉल के साथ भारत की आर्थिक रीढ़ भी टूट जाये |बेशक पाकिस्तान में चुनाव द्वारा प्रजातंत्र की कोशिश की गई है लेकिन सेना ने अपना वर्चस्व नहीं छोड़ा आज पाकिस्तान आर्थिक रूप से कमजोर है इसलिए सत्ता पर अधिकार नहीं किया लेकिन अपना दखल पूरी तरह रखा है |वैध रूप से चुने हुए नबाब शरीफ को कहा जा रहा है वह सत्ता छोड़ दे | क्या उनका नेशनल असेम्बली में बहुमत खत्म हो गया है ?
अटल जी ने मित्रता को बढ़ाने की कोशिश की लाहोर तक बस यात्रा हुई पाकिस्तान की और से भी उनका स्वागत किया गया पर पाक सेना कारगिल में युद्ध के अपने मंसूबे बना रही थी|हमारे देश में संसद पर हमला किया गया हम सह गये बम्बई में दहशत गर्दी का तमाशा किया गया इसे भी हमने सह लिया पाकिस्तान से नकली नोटों की खेप भेज के हमारी अर्थ व्यवस्था को कमजोर करने की लगातार कोशश की जाती है | कराची का ग्वादर बन्दरगाह चीन को सोंप दिया बन्दरगाह से सम्पर्क करने ३०० मील की चीन ने सड़क बना ली भारत इतना कमजोर नहीं है लगातार सीमा पर बसे सिविलियन पर गोले दागे जा रहे है पर अमन की बात करने की कोशिश की जा रही है और यही नहीं पाकिस्तानी राजदूत कश्मीर के अलगाववादियों से बात कर रहे है हमारे विदेश विभाग ने वार्ता कैंसिल कर दी पाकिस्तान बर्बादी की राह पर चल रहा है वह अपने लिए ही गड्ढा खोद रहा हैं उसकी विदेश नीति का एक ही सिद्धांत है भारत विरोध |
डॉ शोभा भारद्वाज
Read Comments