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चीन और भारत के सम्बध

Vichar Manthan
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जापान में प्रधान मंत्री मोदी जी ने अपने भाषण मे कहा था हम विस्तार वादी नीति का विरोध करते है | यह वक्तव्य चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ दिया गया था, चीन विस्तार वादी नीति का पोषक है वह जापान,वियतनाम फिलिपीन से उसका सीमा विवाद चलता रहता है भारत में लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश पर अपना अधिकार जमाना चाहता है | कश्मीर के काफी बड़े हिस्से पर उसने कब्जा जमा रखा है ब्रम्हपुत्र नदी पर भी वह बाँध बनाकर जल को अपने अनुसार रोकना चाहता था पर अब काम रुक गया | पकिस्तान भारत के विरुद्ध अपनी शक्ति बढ़ाने का इच्छुक रहा है अत:चीन से उसके सम्बन्ध बहुत अच्छे हैं| चीन भारत के मुकाबले सैन्य शक्ति पर हमसे दुगना खर्च करता है आर्थिक दृष्टि से भी वह एक मजबूत देश है | भारत से उसकी सीमा ४,०५४ किलोमीटर तक मिलती है |
१५ अगस्त १९४७ को भारत आजाद हुआ १९४९ में विश्व के पटल पर चीन एक कम्युनिस्ट देश बन कर उभरा | दोनों देश विश्व में जनसंख्या के हिसाब से एक मजबूत देश हैं | सांस्कृतिक दृष्टि से काफी मिलते जुलते देश है चीन का इतिहास भारत के समान ही बहुत पुराना हैं | वहाँ की बहुत बड़ी जनता बोद्ध धर्म को मानती है बोद्ध धर्म का प्रचार प्रसार भारत से ही हुआ था | १९५० मे भारत और चीन के बीच में स्थित एक स्वतंत्र देश तिब्बत पर कम्युनिस्ट चीन ने अपना अधिकार जमा लिया भारत कुछ नहीं कर सका उल्टा अटलबिहारी वाजपेयी को २००३ में अपने विदेशमंत्री काल में ओपचारिक रूप से घोषणा करनी पड़ी ‘ तिब्बत चीन का हिस्सा है ‘ |विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद विश्व में नये प्रकार का युद्ध शीत युद्ध प्रारम्भ हो गया एक और कम्युनिस्ट व्लाक और वारसा पैक्ट के सदस्य देश दूसरी और एंग्लो अमेरिकन ब्लाक लेकिन भारत ने नेहरु जी के नेत्रत्व में गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई और विश्व को पंचशील का सिद्धांत दिया जिसे चीन ने भी स्वीकार किया भारत ने सबसे पहले कम्युनिस्ट चीन को मान्यता दी थी | उस समय के विश्व रंगमंच पर नेहरूजी का बहुत सम्मान था विश्व की हर समस्या के निदान में नेहरु जी की उपस्थिति दर्ज होती थी चीन तटस्थ राष्ट्रों के सम्मेलनों में उनके साथ दिखाई देता देश में हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे लगे | ऐसा लगने लगा था एक समय ऐसा आएगा एशिया यह दोनों राष्ट विश्व का नेतृत्व करेंगे लेकिन सीमा विवाद की आड़ मे चीन ने हमारी सीमा पर हमला कर दिया उस समय हमारी सेना कमजोर थी उसके पास बर्फीले स्थानों पर लड़ने के लिय पर्याप्त कपड़े जूते और अत्याधुनिक हथियार नही थे हमें पीछे हटना पड़ा नेहरु जी को एंग्लो अमेरिकन ब्लाग से देश की रक्षा के लिए सहायता मांगनी पड़ीं | चीन ने ऐसा खंजर देश के सीने पर घोपा जिसे हम आज भी नहीं भूल पाए नेहरु जी तो सह ही नहीं सके अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन आगे बढ़ गया ताकतवर को दुनिया प्रणाम करती हैं |उस समय के लोग अकसर प्रश्न करते थे चीन ने हमसे अधिक तरक्की कैसे कर ली ? उसे तानाशाही का लाभ मिला |हम उससे पीछे अवश्य रह गये परन्तु हमारा लोकतंत्र से कभी विश्वास नहीं टूटा |
चीन के साथ वार्तालाप में मोदी जी ने कड़ा रुख अपनाया लाइन आफ कंट्रोल का मुद्दा जोर शोर से उठाया | एक और चीनी राष्ट्रपति हमसे वार्तालाप करने और व्यापारिक समझौते करने हमारे देश आये , दूसरी और हम पर दबाब डालने के लिए सीमा पर सेनाये खड़ी कर दी हैं जिससे हमें दबा कर अधिक से अधिक व्यपारिक लाभ उठाया जा सके |अंत में मोदी जी के विरोध पर सेनाये पीछे हटीं परन्तु चीनी राष्ट्रपति ने बार्डर पर सेना के विषय पर गोल मोल कूटनीतिक जबाब ही दिया, जैसे ही चीनी राष्ट्रपति अपने देश लौटे लद्दाख के चुमार बार्डर पर पहले की तरह ५० सैनिक फिर आगे बढ़ आये उनके लिए चुमार क्षेत्र में हेलीकाफ्टर से भोजन के पैकेट भी गिराए जा रहे हैं | चीन केवल बार्डर पर ही नहीं हिन्द महासागर पर भी अपना प्रभाव बढ़ा रहा है |सवाल यह है यदि हमारी सीमा पर चीन का यह हाल है तो क्या उससे व्यापारिक सम्बन्ध बढ़ाना उचित है |जापान और चीन के सम्बन्ध कभी ठीक नहीं रहे परन्तु उनके वाणिज्य सम्बन्धो में कभी कमी नही आई
विश्व भर से चीन का व्यवसाय है चीन निर्यात अधिकाधिक करता है आयत कम भारत के बाजार तो चीन के सस्ते सामान से पटे हुए हैं क्योंकि चीन का सामान हमारे मुकाबले में सस्ता है चीन में सबके रोजगार की व्यवस्था सरकार करती है इसलिये वहाँ कारखानों को सस्ता सामान दिया जाता है ( कच्चे माल पर सब्सिडरी देना) कारखानों में उत्पादन निरंतर चलता रहता है और उत्पादन को खपाने के लिए बाजार चाहिये वह बाजारों में सस्ता सामान भेजता हैं हमारे देश की यह हालत हैं हमारे कई कारखानों में ताले लग गये हैं | पूजा के लिए लक्ष्मी गणेश, बिजली की लड़िया ,पटाके और सजावट का सामान तक चीन से आता हैं |सच में चीन के कारखानों की दीवाली हैं जरूरत का हर समान चीन भेजता है हमारे व्यापारी केवल चीनी माल के सप्लायर रह गये हैं | फर्श पर लगने वाली टाइलों का गुजरात गढ़ और खूबसूरत भी बहुत है परन्तु वह भी चीन से आ रही हैं हर क्षेत्र मेंउसका दबदबा बढ़ रहा है | हम क्या कर सकते हैं |मोदी जी प्रयत्न कर रहे थे चीन अधिक से अधिक निवेश लें हमारे व्यपारियों को भी उनके देश में व्यपार बढाने की सुविधा दी जाये अमेरिका में चीन के समान की बहुत खपत हैं वहाँ गरीबों का ऐसा वर्ग है वह सस्ता सामान ही खरीद सकता है |चीन का सामान अमेरिकन बाजारों में बिकता है दूसरी और चीन अमेरिका को लोन भी देता हैं |
गुजरात में चीन के साथ तीन मत्वपूर्ण समझौते हुये | हमें औध्योगिक पार्क बनवाने में विदेशी निवेश की जरूरत है | दिल्ली में भी दोनों देशों ने १२ विषयों पर हस्ताक्षर किये गये | जिनमें रेलवे प्रमुख है ,हो सकता है चीन द्वारा बनाई पटरियों पर जापानी ट्रेन दौड़े |भारतीय और चीनी फिल्म उद्योग मिल कर काम करें चीन भारतीय फिल्मों का अच्छा बाजार है |कृषि और मेडिसिन के क्षेत्र महत्व पूर्ण कदम उठाने में अभी समय लगेगा लेकिन एक समझोते पर शीघ्र अमल होगा नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा, यदि यह रास्ता खुल गया तीर्थ यात्रियों के लिए हर्ष का विषय होगा |चीन भारत में पांच वर्षों में २० बिलियन डालर का निवेश करेगा | चीन के नीतिकारों के दिमाग में क्या चल रहा है इसे समझना मुश्किल है | लेकिन इसमें संदेह नही चीन को बाजार चाहिए हमारा बाजार बहुत बड़ा है नरेंद्र मोदी जी घाटे का सौदा नही करेंगे चीन हमारा फायदा उठाये हम उठाने नहीं देंगे |
डॉ शोभा भारद्वाज

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