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आज २५सितम्बर् २००४ दो गठ्बन्धन टूट गये , किसी विचार धारा के आधार पर नही बल्कि चीफ मिनिस्टर के पद और विधान सभा में अधिक से अधिक सीटें पाने के लोभ में पहला गठ्बन्धन स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे की शिव सेना और भाजपा के बीच स्वर्गीय प्रमोद महाजन द्वारा हिंदुत्व के मुद्दे पर आज से २५ वर्ष पूर्व जोड़ा गया था | बाला साहब के भतीजे राज ठाकरे शिव सेना से अलग हो गये लेकिन भाजपा और शिव सेना अलग नही हुई | दूसरा गठ्बन्धन कांग्रेस और एन. सी .पी . के मध्य आज से १५ वर्ष पूर्व चुनाव जीतने के बाद सरकार बनाने के लिए किया गया था दोनों ने अपने को आप को सच्चा धर्म निरपेक्षता का पक्षधर सिद्ध करने का दावा किया था | हिंदुत्व का मुद्दा भी कही नहीं गया न ही धर्म निरपेक्षता की रक्षा का नारा |
कांग्रेस की लोकसभा के चुनाव में बहुत क्षति हुई वह केवल ४४ सीटों पर सिमट कर रह गई | कांग्रेस के एक साथी दल के नेता शरद पवार की महाराष्ट्र की राजनीति पर काफी पकड़ हैं उन्होंने महाराष्ट्र की विधान सभा में २४४ सीटों में से आधी सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की , वह समझते हैं कांग्रेस की काफी हेठी भारत की राजनीति में हो चुकी है इसलिये महाराष्ट्र की जनता में वह लोकप्रिय हैं जनता उन्हें ही वोट देगी | शिव सेना के दिग्गज समझते है अबकी बार महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत उथल पुथल हुई है कई घोटाले सरकार के नाम पर हैं जिससे अबकी उनके गठ्बन्धन की जीत निश्चित है | स्वर्गीय बाला साहब के नाम पर शिव सेना के कार्यकर्ता बहुत भावुक हैं | इधर हाल के विधान सभा के उपचुनावों में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नही कर पाई है | भाजपा का जनाधार कम हुआ हैं राजस्थान में चार सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा को केवल एक सीट ही मिली जबकि तीन सीटें कांग्रेस को मिली | उत्तर प्रदेश में भी आठ सीटें सपा को और भाजपा को केवल तीन सीटें मिली अत : शिव सेना ने अपना पलड़ा भारी समझा |
शिव सेना को मोदी सरकार में कोई महत्व पूर्ण मिनिस्ट्री न मिलने से भी उनमें नाराजगी चल रही है वह अब १५१ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है भाजपा को अंत में केवल १२७ सीटें वह भी गठ्बन्धन से जुड़े छोटे दलों की सीटें काट कर देना चाहती थी , लेकिन चीफ मिनिस्टर के पद का निर्णय पहले ही होगा | यदि गठ्बन्धन की सरकार बनती है तो चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे बनेंगे | अब चुनाव का यह हाल है पांच मुख्य दलों में जनता के वोटों का बटवारा होगा| कांग्रेस , शिवसेना , भाजपा , मनसा ( राज ठाकरे का दल जिसकी अबकी विधान सभा में सदस्य संख्या १३ है ),और एन सी पी |इन गठबन्धनों ने सत्ता के लिए सिद्धांतो को दर किनार कर अलग चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया, बात समझ से बाहर है अब वह किस मुद्दों को सामने रख कर लड़ेंगे | कल तक जिनके साथ थे उनकी किस आधार पर आलोचना करेगे क्या हिंदुत्व का मुद्दा खत्म हो गया है या कांग्रेस एन सी पी दोनों धर्म निर्पेक्ष नही रहे| दो दिन बाद नामांकन का आखिरी दिन है बीच में २४ घंटे शेष हैं गठ्बन्धन के अन्य दल भाजपा के साथ चुनाव लड़ेंगे | लेकिन कांग्रेस से एन सी पी ने अब समर्थन वापिस ले ले
ले लिया है |अब सिद्ध हो गया चुनाव का मतलब व्यक्ति गत स्वार्थ है , न कि प्रदेश का हित | कभी एक दूसरे के मित्र रहे चुनाव में एक दूसरे पर कीचड़ उछालेंगे चुनाव परिणाम आने पर यदि बहुमत नहीं मिला तो सरकार बनाने के लिए फिर से दोस्ती और एक जैसी विचारधारा
का दम भरेंगे |
डॉ शोभा भरद्वाज
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