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‘ फिजी ‘ में भारतीय मूल के लोग एवं भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी

Vichar Manthan
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी फिजी गये इनसे पहले १९८१ में स्वर्गीय इंदिरा जी भी फिजी की यात्रा पर गई थी और अब तैतीस वर्ष बाद भारतीय मूल के ३७% लोगों ने भारत के प्रधान मंत्री को देखा और सुना | फिजी से मेरा भी नाता है मेरी कई यादे ताजा हो गई मेरा जब विवाह हुआ उन्ही दिनों मेरी नन्द का रिश्ता फिजी निवासी राम रक्खा परिवार से आया था यह वहाँ का बहुत प्रतिष्ठित परिवार है जो राजधानी सूबा में रहता है इस परिवार के एक महानुभाव राजनीति में हैं ,शिव काका उनके भतीजे से मेरी नन्द का रिश्ता आया था भारत की कई लडकियां फिजी ब्याही थी मेरी नन्द मनीषा हिंदी एवं अर्थशास्त्र में एम.ए. थी फिजी में हिंदी का बहुत महत्व था | विवाह के अवसर पर फिजी से होने वाले ससुर, लड़का सुभाष एवं कुछ रिश्तेदार उपस्थित हुये | सुभाष की माँ का परिवार हिमाचल कांगड़ा से और पिता के बाबा रामरक्खा बनारस से फिजी गये थे वह फिजी की राजधानी सूबा में पुलिस अधिकारी थे मेरे लिए फिजी के बारे में जानने का सुनहरा अवसर था |
फिजी प्रशांत महासागर में ३३२ द्वीपों का समूह हैं केवल ११० द्वीप ऐसे हैं जिनमें लोग रहते हैं १८७४ से यह ब्रिटिश उपनिवेश था १९७० में विजय दशमीं के दिन यह आजाद हो गया |इस दिन प्रथम बार हिन्दुओं ने स्वतन्त्रता दिवस और विजय दशमी एक साथ मनाई राम कथा की ३० झांकियां और १२ घोड़ों पर राम जी की सवारी निकाली गई| यहाँ सबसे अधिक क्रिश्चन हैं यहाँ के मूल निवासियों ने भी इसी धर्म को स्वीकार कर लिया था, दूसरा नम्बर हिन्दू धर्मावलम्बियों का हैं ‘मुस्लिम बोद्ध धर्म को मानने वाले लोग और कुछ सिख भी रहते हैं सिखों का एक गुरुद्वारा हैं ,धर्म के नाम पर कोई झगड़ा नही है | यहाँ आग पर चलने(firewalker) और चाकुओं पर नंगे पावँ चलने का उत्सव भी होता है |श्रद्धा यह हाल है मन्नत मांगने के लिए मन्दिर, मस्जिद और चर्च सब जगह माथा टेक लेते हैं |

Walking-On-Fire (1)

Walking-Barefoor-on-Knives (1)

यहाँ मुख्यतया गन्ने की खेती होती है |टूरिज्म के लिहाज से फिजी में बड़ी मात्रा में टूरिस्ट आते हैं टूरिज्म भी यहाँ की आमदनी का साधन है, कारखाने हैं वन सम्पदा की भी कमी नहीं हैं यह एक विकसित देश है फिजी की करंसी फिजियन डालर कहलाती हैं जो मजबूत करंसी है |
अंग्रेजी राज में भारत में गरीबी का यह हाल था लोग रोजी रोटी की खोज में अपना देश छोड़ने के लिए विवश थे ब्रिटिश साम्राज्य इतना विस्तृत था जिसमें सूरज नहीं डूबता था १८७९ से १९१६ के बीच अंग्रेज ठेकेदार ६१००० मजदूरों को यह कह कर पानी के जहाजों से लेकर गये थे बस पास के ही द्वीप पर जाना हैं वहाँ काम है| फिजी के मूल निवासी कवीची मौजू प्रकृति के थे समुद्र में मछलियों की भरमार थी ,वन सम्पदा की कमी नहीं थी वह काम क्यों करते | अंग्रेज भी जानते थे भारतीय बहुत मेहनती हैं | यह ऐसी यात्रा थी जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी जहाज में एक दूसरे का दुःख बांटते –बांटते सब यात्री जहाजी भाई हो गये| लम्बे सफर में यात्री बेदम हो रहे थे अंत में खूबसूरत द्वीप के किनारे जहाज नें लंगर डाला चारो और पानी ही पानी था परन्तु जमीन बहुत उपजाऊ थी |इसके मूल निवासी कवीची थे परन्तु उनका व्यवहार मित्रता पूर्ण था |आज भारतीय मजदूरों की पांचवी पीढ़ी वहाँ रहती हैं | यह मजदूर बेहद दुखों दे गुजरे इनका सहारा रामायण और हनुमान चालीसा थी जिसे यह साथ ले कर गये थे | |इनकी दशा में धीरे –धीरे सुधार आया घर द्वार बन गये | अगली पीढ़ी ने शिक्षा की और ध्यान दिया यह लोग प० बिबेकानन्द शर्मा जी का बहुत समान करते थे उनकी रचनाओं से इनमें जाग्रति आई | यह अवधि भोजपुरी और हिंदी बोलते हैं अब अंग्रेजी का प्रचलन है लेकिन वह अपनी संस्कृति को कभी नहीं भूले भारतीय मूल के हिन्दू , शादी विवाह अपने ही लोगों में करना चाहते हैं जाति प्रथा लगभग खत्म हो चुकी हैं ज्यादातर लोग सम्मान के तौर पर अपने पूर्वज का नाम अपने नाम के साथ लगाते हैं हमारे रिश्तेदार सुभाष के मामा बड़े उच्च पद पर आसीन हैं परन्तु ब्राह्मण होने के नाते वह पंडिताई भी करते हैं फिजी में उनका बहुत मान था उन्ही के संस्कारों का फल था सुभाष भारत में शादी कर अपने परिवार को भारत के कल्चर से जोड़ना चाहते थे जबकि उनके परिवार में हर कल्चर ,विदेशी और हर जाति के रिश्तेदार थे |
विवाह में भी वह कोई रस्म छोड़ना नहीं चाहते थे उन्होंने हर रस्म को कैमरे में उतारा विवाह भी बहुत धूमधाम से हुआ वह भारत की कुरीति दहेज प्रथा को भी वह जानते थे| जिस समय हमारा उनसे सम्बन्ध जुड़ा फिजी की अर्थ व्यवस्था पर भारतीय मूल के लोगो का अघिकार था भारतीय मूल के लोग कुल जनसंख्या का ४४ % थे |वहाँ के मूल निवासी क्वीचियों से उनका कोई झगड़ा नहीं था कवीची लोग कहते थे हमारे वंशजों ने श्री राम रावण युद्ध में भगवान राम का साथ दिया था हमें भी युद्ध के लिए श्री राम जी के पक्ष से युद्ध के लिए आमंत्रित किया गया था |भारतीय मूल का खानपान वहीं है जो हमारा हैं परन्तु वह बार-बार चोखा नामक सब्जी का जिक्र करते थे पता चला वह आलू बैंगन का भर्ता या भुने आलू और पनीर की सूखी सब्जी है | वह अक्सर कहते थे हमारे यहाँ डालो नामक कंद होता है यदि उसे भारत में उगाया जाये देश में प्रोटीन युक्त भोजन की समस्या काफी मात्रा में हल हो जाए वह गोश्त खाते थे परन्तु बीफ नहीं खाते थे | सुभाष शाकाहारी थे |
१९७० में फिजी आजाद हो गया और राष्ट्र मंडल का सदस्य बन गया ब्रिटिश सरकार ने भारतीय मूल के लोगों को आश्वासन दिया था किसी समस्या के आने पर उन्हें नागरिकता भी दी जाएगी |१९८७ तक फिजी में लोकतान्त्रिक शासन था |१९८७ के चुनाव में महेंद्र चोधरी के दल की सरकार चुनी गई लेकिन जल्दी ही सरकार को अपदस्त कर दिया गया कर्नल रम्बूका ने बिना रक्त पात के तख्ता पलट दिया, महेंद्र चोधरी और उनकी सरकार को बंधक बना कर रखा गया |१९९० में नये संविधान का गठन किया गया नये संविधान के अंदर चुनाव हुए १९९२ में रम्बूका देश के प्रधान मंत्री बने यह दो सैनिक विद्रोह थे एक भारतियों के प्रभुत्व के खिलाफ , दूसरा ब्रिटिश गवर्नर जनरल के स्थान पर कार्य पालिका अध्यक्ष की नियुक्ति की गई और फिजी का नाम फिजी गणराज्य कर दिया | लेकिन जनमत के दबाब में संविधान के लिए एक आयोग का गठन किया गया और इस नये संविधान को भारतीय मूल और स्वदेशी समुदाय के नेताओ ने स्वीकार किया फिजी को फिर से राष्ट्र मंडल की सदस्यता मिल गई |१९९७ में फिजी को फिजी द्वीप समूह गण राज्य कर दिया गया | अंतर्राष्ट्रीय समुदायों ने भी तख्ता पलट का विरोध किया गया था परन्तु महेंद्र चोधरी की मदद के लिए कोइ प्रयास नही किया | १९९७ के चुनाव में महेंद्र चौधरी की फिर सरकार बनी लेकिन २००० में उन्हें जार्ज स्पीत ने हटा दिया एक फिर से सैनिक विद्रोह हुआ |२००१ में उच्च न्यायालय के आदेश से फिर से संविधान को लागू किया, फिर से चुनाव हुए इन कूपों से भारतीय मूल के लोग फिजी में अपने भविष्य के प्रति चिंतित हो गये सम्पन्न भारतीय मूल के लोगों ने आस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड और अमेरिका के लिए पलायन करना शुरू कर दिया| फिजी की आर्थिक दशा को झटका लगा पर्यटन भी कम हो गया अब वहाँ फिजी के क्वीचियों का बहुमत हो गया फिजी के मूल बाशिन्दों का सत्ता पर अधिकार हैं फिजी में संसदीय प्रणाली की सरकार है |राष्ट्रपति कार्यपालिका अध्यक्ष और राष्ट्र का अध्यक्ष है प्रधान मंत्री सरकार का प्रमुख | फिजी की जनसंख्या के हिसाब से आर्मी हैं परन्तु इनकी सुरक्षा का आस्ट्रेलिया ध्यान रखता हैं चीन की इस क्षेत्र में सदैव निगाह रहती है|
भारतीय बच्चे पढने की और बहुत ध्यान देते हैं विदेश जा कर पढने के इच्छुक रहते है शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रतिस्पर्धा है हमने जब फिजी में रम्बूका का कूप हुआ अपने रिश्ते दरों को भारत आने का आग्रह किया परन्तु वह भारत में बसने के इच्छुक नहीं थे ,वह न्यूजीलैंड आस्ट्रेलिया और अमेरिका बस गये केवल मेरी नन्द एक बेटे के साथ सूवा में रहती हैं| विवाह के बाद उन्होंने हमसे सूबा के मन्दिर में लगाने के लिए देवी की मूर्ति मंगवाई वहाँ के मन्दिर में पेंटिंग की | उनका घर लटोका में है वहाँ वह आर्यसमाज के स्कूल में हिंदी टीचर थी परन्तु उन्होंने वहाँ बहुत तरक्की की |वह वहाँ सीनियर एजुकेशन आफिसर बनी आगे तरक्की कर उन्होंने हिंदी का पाठ्यक्रम लागू किया हिंदी की पुस्तकें लिखवाई और भारत से भी मंगवाई उनमे भारतीयता से सम्बन्धित लेख दिए | उनके द्वारा किये कामों की पूरी लिस्ट है वहाँ अपने बल पर सम्मान अर्जित किया बच्चे ऊचे पदों पर विदेशों में आसीन हैं परन्तु वह फिजी से जुडी हैं|
नरेंद्र मोदी ने आस्ट्रेलिया के बाद फिजी की यात्रा की, उनका वहाँ परम्परागत ढंग से स्वागत किया गया उन्होंने फिजी संसद में भाषण दिया उनका भारतीय मूल के लोगों ने हार्दिक स्वागत किया | वहाँ के प्रधान मंत्री वैनिमरामा से द्वीय पक्षीय वार्तालाप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों ,रक्षा सहयोग निवेश एवं व्यपार पर सहमती बनी | भारत अन्तरिक्ष , आईटी के क्षेत्र में फिजी की मदद करने का इच्छुक है फिजी के ग्रामीण उद्योग को मदद देने के लिए ५० लाख डालर, एक बिजली संयंत्र के ७० मिलियन डालर की मदद का आश्वासन दिया हैं | भारत में पढने आने वाले विद्यार्थियों का वजीफा दुगना कर दिया | बीजा के नियमों को भी सरल बनाने का प्रयत्न किया जाएगा |फिजी एक प्रकार से छोटा भारत रहा है | वहां के लोग अपने को सदा भारत भूमि से जुड़ा महसूस करते हैं

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