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आतंकवाद का खौफनाख चेहरा
आतंकवादी गुट तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने आर्मी पब्लिक स्कूल में घुस कर हमला किया जिसमें लगभग 142 लोग जिनमें मारे गये जिनमें 132 बच्चे थे और कई बच्चे घायल हुए| उनकी टीचर को उनकी आँखों के सामने जिन्दा जला दिया जलना इस्लाम के अनुसार कुफ्र है उस टीचर नें क्या कुफ्र किया था वह तो बच्चों को शिक्षा देती थी | आतंक वाद का जो मंजर बच्चों ने देखा वह जीवन भर तक न भूलने वाला हादसा है टेबल के नीचे जान बचाने के लिए निश्चल पड़े, बच्चे एक के ऊपर एक गिरे बच्चे ज़िंदा लाश बने बच्चे ,अपने साथियों की लाश के पास से गुजर कर अपनी जान बचाते बच्चे ,क्रोध क्षोभ से भरे बच्चे| कितना खौफनाख वीभत्स काण्ड जिसने सुना या चैनलों पर देखा रूह कांप गई | बचपन आशाओं से भरा होता हैं उसमें बड़े-बड़े सपने, कुछ कर गुजरने की भावना ,ऊचाईयों को छूने की आशा होती हैं बच्चों में माँ बाप की जान बसती हैं |उन्हें इस लिए मार देना जिससे दहशत फैले इसे उचित ठहराने के लिए कोई भी दलील क्या उचित हो सकती है ?,तालिबान ने दलील दी है आर्मी ने उनके १३०० के करीब आतंकवादी मार दिए आर्मी स्कूल में बच्चे फौजियों के बच्चे पढ़ते है उन्हें उस दर्द का अहसास दिलाना जो दहशत गर्द मरता है उसकी मौत का दर्द उसके मैंटर को होता है | यह कौन सा तर्क है फौजी का कर्तव्य है लड़ना, आदेश का पालन करना | वह किसी का दुश्मन नही है | उन्हीं का मनोबल तोड़ने की कोशिश करना |आतंकवाद का यह सबसे बड़ा घिनौना चेहरा दुनिया ने देखा इस संकट की घड़ी में भारत अपने पड़ोसी के साथ खड़ा है देश के बच्चे मौन हो कर उन मासूमों को श्रद्धांजलि दे रहे है जो एक अन्यायी मौत के शिकार हुए हैं उनका इतना ही दोष था उनके देश में आतंकवाद फल फूल रहा था |उनके देश की सरकारों ने उसे आसरा दिया था, जिसे दूसरे देश के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया था भारत ने इस आतंकवाद को झेला है कई बच्चे इसके शिकार हुए कई अनाथ हो गये | आतंकवाद आज के समाज में उभरता नासूर है वह आज के समाज को आदिम काल में ले जाना चाहता है | इसकी सदैव भर्त्सना की जानी चाहिए विश्व के लगभग हर देश ने इसकी निंदा की हैं |
डॉ शोभा भारद्वाज
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