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‘ बस केवल दो ही बच्चे होते हैं सबसे अच्छे ‘

Vichar Manthan
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बस केवल दो ही बच्चे होते हैं घर में अच्छे
आज कल बहस छिड़ी है हिन्दू कितने बच्चे पैदा करे कोई कहता है चार कोई पांच आज का शिक्षित समाज बच्चे उत्पन्न करने से पूर्व दस बार सोचता है वह पहली प्लानिंग करता है बेटा हो या बेटी उसके लिए सुरक्षित भविष्य की कल्पना करते हैं बच्चे को अच्छा कैरियर देना चाहते हैं बच्चे का किस स्कूल में नर्सरी में एडमिशन कराया जाएगा आगे की शिक्षा कहाँ होगी |जिन दिनों में दाखिले होते हैं सुबह सबेरे माता या पिता फार्म लेने के लिए लाइन में लग जाते हैं यदि मन चाहे स्कूल में दाखला मिल जाता है वह उनके लिए बड़ी ख़ुशी होती है | बच्चे के भविष्य को सफल बनाने के लिए क्या नहीं करते| भारतीय अपनी नस्ल के लिए बहुत जागरूक हैं यदि बच्चा गुमराह हो जाता है उसे सुधारने की पूरी कोशिश करते हैं एक बच्चे का खर्च यदि आसानी से वहन नहीं कर पाते घर में दूसरा शिशु लाने की कितनी भी इच्छा हो मन मार लेते हैं दूसरे बच्चे की सोचते भी नहीं है |अपने बच्चे के लिए उन्हें सर्वोत्तम कैरियर की चाहत होती है यदि उत्तम कैरियर को बच्चा पकड़ नही पाता उसके लिए दूसरा विकल्प भी रखा जाता हैं अब माता पिता समझ गये हैं आप अपने मन का कैरियर बच्चे पर थोप नहीं सकते पहले कोशिश की जाती है | फिर सन्तान रोजी रोटी कमाने लायक हो जायें ऐसे कैरियर के बारे में सोचा जाता है |
विश्व की जनसंख्या जिस तरह तेजी से बढ़ रही है चीन सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश था वहाँ की सरकार ने जनता को एक बच्चे की स्वीकृति दी जिससे बढती जनसंख्या पर रोक लगाई जा सके उनके यहाँ जवानों की जनसंख्या कम हो गई लेकिन जोखिम उठाया | जापान में भी एक बच्चे का चलन है वहाँ धरती कम है अत: मजबूरी थी अकेला बच्चा बिगड़ने लगा उसे उन्होंने लिटिल prince का नाम दिया कुछ लोग बच्चा उत्पन्न करने से ही डरने लगे | ईरान इराक का युद्ध हुआ ईरान में एक मिलियन लोग मर गये और एक मिलियन के करीब अपाहिज हो गये जनता से प्रार्थना की गई वह अधिक संख्या में शहीद पैदा करें वहाँ कई गुना बच्चे पैदा हो गये सरकार को बढती जनसंख्या पर रोक लगानी पड़ी|
यदि भारत की जनसंख्या देखी जाये वह अनियमित रूप से इतनी बढ़ चुकी है जिससे हर और भीड़ ही भीड़ दिकाई देती है दिल्ली में तो जनसंख्या का यह हाल है जिसे सम्भालना मुश्किल है छोटे से एक कमरे में पूरा परिवार रहता है जिसमें बूढ़े माता पिता भी समाये हुए हैं | रोजी रोटी की खोज में राज्यों से रोज बहुत बड़ी जनसंख्या में लोग दिल्ली आते हैं एक कमरे में दस-दस लडके तक रहते हैं सुबह जब लोग अपने आफिस या रोजगार पर जाते है पूरा जन समूह नजर आता हैं बम्बई का तो और भी बुरा हाल है |अब और कितनी जनसंख्या का स्वप्न देख रहे हो महाराज ?, महगाई ने सब को सोचने पर विवश कर दिया हैं हम दो हमारे दो |आमदनी कम और अधिक बच्चे उनका स्वास्थ कैसा होगा कमजोर भूखी माँ क्या सन्तान उत्पति करने में समर्थ है ?सन्तान दुनिया में आ भी गई, कमजोर सूखा ग्रस्त बच्चे कितने दिन जीयेंगे? यदि किसी तरह बच भी गये उनके भविष्य का क्या होगा एक कमजोर असमर्थ बेरोजगार भूखी भीड़ का साक्षी जी महाराज उसका आप क्या करेगें ?
पढ़े लिखे आज कल बेरोजगार हैं शादी करने से डर रहें हैं, सन्तान तो दूर की बात है | मोदी जी हर वक्त निवेश की चिंता से परेशान रहते हैं निवेश आयेगा तब जाकर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे | क्या आज कल तन बदन जंग का जमाना हैं ?सामने दुश्मन तलवार लेकर खड़ा हैं तुम उसे मार दो या वह आपको मार देगा | यह टेक्नोलोजी का जमाना है जितनी विकसित टेक्नोलोजी देश के पास होगी उतना ही समर्थ शाली देश होगा | पढ़े लिखे मुस्लिम के पढ़े लिखे होनहार बच्चे धर्म के नाम पर बरगलाये जा रहे हैं क्या वह खुश हैं ?उनकी आखों में छिपे आंसू देखें हैं क्या? आज जरूरत है मिल बैठ कर आतंकवाद की समस्या का हल ढूंडने की| देश के जवानों ने बड़ी संख्या में विदेश जा कर अपनी प्रतिभा के बल पर अपना सम्मानित स्थान बनाया वह बड़े-बड़े पदों पर कार्य कर रहे है | भारतीयों के विदेशों से डालर कमा कर विदेशी मुद्रा की समस्या हल कर दी है| आज हमारे देश के अस्पतालों में दूसरे देशों से असाध्य रोगों का निदान करवाने रोगी आ रहें हैं उनके सफल आपरेशन हो रहे हैं|प्रधान मंत्री चाहते हैं हमारा देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो

जनसंख्या का बोझ इतना बढ़ गया हैं जवानों में असंतोष ,हताशा और कुंठा बढती जा रही है आत्महत्या की घटनाओं में भी बढ़ोत्तरी हो रही हैं | अत : सोचें आपको जनता ने संसद में अपनी समस्याओं के हल के लिए भेजा था न कि आत्म प्रचार के लिए केवल सन्तान उत्पन्न करो का उपदेश सुनने| यह समाज सेवा का कौन सा मार्ग है भूख आदमी से क्या नहीं करवा देती ? सबसे पहले विवेक हर लेती है
डॉ शोभा भारद्वाज

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