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केजरी वाल , सत्तर वादे

Vichar Manthan
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केजरी वाल , सत्तर वादे
26 जनवरी देश के लिए गर्व का दिन हैं आज के दिन गुलाम भारत ने पूर्ण स्वराज के बाद तिरंगा फहराया था बीस वर्ष बाद 26 जनवरी 1950 के दिन देश का अपना संविधान लागू किया गया था | इस दिन सेनाये राजपथ पर मार्च पास करती हुई राष्ट्रपति को सलामी देती हैं |कदम से कदम मिलाती हुई सेना के कदमों की थाप से पूरा राजपथ गूंज उठता है भारत की प्रगति को जनता के सामने दर्शाया जाता हैं | अबकी बार अमेरिकन राष्ट्रपति हमारे मेहमान बन कर आये लेकिन इसी दिन से कुछ दिन पूर्व दिल्ली के CM आप पार्टीं के सर्वस्व राज पथ के पास धरना प्रदर्शन करने बैठे थे ऐसा करने के लिए उन्होंने यही समय क्यों चुना था , यह वही जानते हैं? वह जमीन पर सोये यही नहीं देश की जनता का आह्वान कर रहे थे जो भी मुझे टेलीविजन पर देख रहें हैं आ जाओ-आ जाओ , उनके कार्यकर्ता दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई बैरिकेट तोड़ने के लिए आतुर थे |आखिर केजरी वाल जी क्या चाह रहे थे ?क्या देश की राजधानी में बैठ कर देश को इजिप्ट बनाने का दिवास्वप्न देख रहे थे ?इजिप्ट को क्या मिला केवल भुखमरी ?आप के इस नेता को 26 जनवरी पर खर्च होने वाला पैसा भी बेकार लग रहा था अजीब हैरानी की बात है |इसे उनके अनुसार गरीबों में बाँट देना चाहिए |
सच पूछा जाए केजरी वाल जी संसद चुनाव के लिए अपना विज्ञापन कर रहे थे| दिल्ली से लोकलुभावन वादे कर वह 28 विधान सभा सीटें जीत चुके थे अपनी ताजा –ताजा ख्याति को भुनाना चाह रहे थे|जब देखा उनका धरना बेअसर हो रहा है , पढ़ा लिखा वर्ग पसंद नहीं कर रहा | वह राज्यपाल जी द्वारा भेजे पराठें खा कर उठ गये| उन्होंने शीघ्र ही असंवैधानिक ढंग से जनलोकपाल बिल को जनता के खुले दरबार में पेश करने की जिद पकड़ ली इसे एक अच्छा मौका समझ कर अपने पद से इस्तीफा दे दिया और संसद के चुनाव में अपने दल को उतारा | उन्होंने घोषणा की हमारी 100 सीटें आ रही हैं जी | जब ४० या ५० पर मुलायम सिंह जी देश का प्रधानमन्त्री का सपना देख सकते है तो यह 100 का सपना क्यों नहीं देख सकते थे| जनता ने इन्हें नकार दिया यह माफ़ी मांग कर फिर विधान सभा का चुनाव लड़ने आ गये|
केसरीवाल जी कुतर्क के माहिर हैं कहते है मैं अराजकता वादी हूँ | गांधी जी भी अराजकता वादी थे अपनी तुलना गांधी जी से करने वाले भूल जाते हैं गांधी जी विदेशी सत्ता ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अहिंसा और सत्याग्रह के शस्त्र से लड़े थे| आज प्रजातंत्र है हमारा शासन हैं | दिल्ली की जनसंख्या वे हिसाब बढ़ रही है|आपके लोक लुभावन वादे , अराजकता वाद कहाँ ले जाएगा? घरों से लोग निकाल लाओगे परन्तु दुबारा उन्हें घर कैसे भेजोगे | जरा इतिहास पढ़ लो गांधी जी ने कोइ वादा नहीं किया था केवल स्वराज और ब्रिटिश शासन से मुक्ति की बात , आप तो सत्ता के लिए 70 वादे कर रहे हैं |

यह बड़े-बड़े वादों के बाद विधान सभा का पहला चुनाव जीते थे इन्होने शपथ ग्रहण समारोह में गीत गाया था ‘इन्सान से इन्सान का हो भाई चारा’ गरीब जनता ने सोचा उनका अपना आदमीं आ गया बड़ी भीड़ जुटी उन्होंने पहला जनता दरबार किया आशा से भरी जनता अपनी समस्यायें ले कर इनके दरबार में इकट्ठी हुई हर व्यक्ति की अपनी समस्यायें थी वह इन्हें अपना मसीहा मान रही थी | जनता की मांगें और भीड़ देख कर यह घबरा गये छत पर चढ़ गये वहीं से आश्वासन देने लगे अब आप इंटरनेट से अपनी शिकायतें लिखें|
चाणक्य नीति के अनुसार पानी कभी निशुल्क नही मिलना चाहिए प्रकृति की देंन है जीवन रक्षक है जिस पर द्रव्य खर्च होता है उसका दुरूपयोग नहीं होता| लेकिन आपने २०००० हजार लीटर प्रति माह देने का वायदा किया था लेकिन यदि पानी एक भी लीटर आधिक हुआ तो कोई लाभ नहीं मिलेगा जनता ने पानी का बिल जमा नहीं किया उन पर बिला आया |आधे दाम पर बिजली देने की घोषणा की लोगों ने सीमा में रह कर बिजली जलाई परन्तु सबके घर में पूरा बिल आया तब तक केजरी वाल जी दिल्ली की पाठशाला(विधानसभा) छोड़ कर विद्यावाचस्पति (सांसद ,प्रधानमन्त्री ) बनने चल दिये |
बनारस से चुनाव का पर्चा भरा A/C कोच में सफर के लिए रिजर्वेशन कराया लेकिन दिल्ली स्टेशन पर अखबार बिछा कर केजरीवाल जी मनीष शिशोदिया दोनों लेट गये टी वी चैनलों ने दोनों ही रूप दिखा दिए |हाथ में कागज लेकर ईमानदारी और बेईमानी का सर्टिफिकेट देते हैं जैसे ईमानदार विश्वविद्यालय के उपकुलपति हों, आज कल खुद मुसीबत में फस गये जम कर चुनाव पर खर्च कर रहें हैं पैसा कहाँ से आया ?पूछने पर प्रश्न करते हैं कांग्रेस और भाजपा से पूछो उनका पैसा कहाँ से उनके पास आ रहा है| आजकल एक नई मुसीबत में फंसे हैं उनको न जाने किन स्त्रोतों से धन मिला है थोड़ा नही दो करोड़ एक ही समय में चार अलग – अलग नाम लेकिन नाम पता सब झूठ ऐसा कौन सा भामा शाह इस युग में पैदा हो गया जो गुप्त दान देता हैं पता हैं, परन्तु जो दिया है वह पता नहीं हैं वह भी गुप्त है कहीं हवाले का धन तो नहीं हैं ?परन्तु कहाँ से आया ? ऐसा कौन सा देश है जो इनका हित चिंतक बन गया हैं ?कहते हैं मुझे गिरफ्तार कर लो जानते हैं प्रजातंत्र है पूरी कानूनी प्रक्रिया है यह चाहते हैं गिरफ्तार करो , अब तो लल्कारते हैं गिरफ्तार करके देखो और भी अच्छा विक्टिम कहलाऊंगा चुनाव में फायदा मिलेगा |
दिल्ली में आने वाले समय में बस केजरी वाल ही दिखने वाले हैं यदि विरोधी दल के रूप में विधान सभा में आये तो भी हंगामा ,यदि जीत कर आये सरकार बनाई तो भी हंगामा हम क्या करे हमारे पास पैसा नहीं हैं केंद्र हमें पैसा देता नहीं हैं नहीं तो हम जनता को न जाने क्या क्या दे देते | दिल्ली के बजट की सीमा हैं परन्तु इनके जनता को दिए वादों की कोइ सीमा नहीं है |

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