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लाल गुलाब कब्र में सोयी अजनबी लडकी के नाम

Vichar Manthan
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लाल गुलाब कब्र में सोयी अजनबी लडकी के नाम
rose
आज 14 फरवरी वैलेंटाइन डे हैं प्रेम के इजहार का दिन हैं |मुझे आज के दिन सदैव एक प्रेम कथा, इक तरफा प्रेम में मर मिटने की घटना याद आती है |
मैं सपरिवार कई वर्ष ईरान के खुर्दिस्तान प्रांत की राजधानी सनंदाज में रही हूँ, वहाँ की महिलाओं से इतना घुल मिल गयी कि उन्हीं का हिस्सा बन गयी मेरी कई सहेलियाँ आफिस में काम करती थीं | उनसे मेरा एक ही प्रश्न होता था आपके यहाँ बहु बिवाह प्रथा है तलाक भी बहुत आसानी से हो जाता है ,लड़की बहुत अरमानो से शादी करती है प्यार से घर बसाना चाहती है वह अपने पति को बहुत प्यार करती है तलाक से उसके दिल में क्या जख्म नहीं हो जाता ? |मेरी ईरानी सहेलियां हंस कर कहती थीं कैसी मोहब्बत खानम ?हम इस लफड़े में नहीं पड़ती , क्योकि शौहर अपनी पसंद से जब चाहे दूसरी बीबी ला सकता है , बीबी को बड़ी आसानी से तलाक दिया जा सकता है काजी शौहर के तीन बार तलाक कहने के बाद कहता है खानम आप आजाद हो गयी और मियाँ बीबी का रिश्ता खत्म | मैं तर्क देती अलगाव हो सकता हैं लेकिन प्रेमी ,या शोहर को भूलना आसान नहीं है|
उन्होंने एक दिन मुझे एक मोहब्बत की दास्तान सुनायी | हमारे साथ हमारी एक सहेली काम करती थीं | उसका नाम नसरीन था ,बेहद खूबसूरत | दूध में यदि केसर मिला दो ऐसा उसका रंग था, लम्बी, स्याह चश्म (काली आँखे ) आवाज शीरीन (शहद जैसी मीठी )लम्बे काले बाल, उन्होंने मेरे सामने उसकी फोटो रख दी,ऐसी सुंदरता मैने कभी नहीं देखी थीं | ईरानी सुंदरता दुनिया मे मशहूर है पर यह अजब थी | वह तेहरान में पढ़ती थी | उसके साथ एक लड़का पढ़ता था ‘तोफीक’ लम्बा ऊँचा मीठा बोलने वाला परन्तु पढ़ने में उसकी बिलकुल रुचि नही थी | दोनों विवाह करना चाहते थे | नसरीन के माँ बाबा को वह बिलकुल पसंद नही था | वह कहते थे, यह हमसे आँख मिला कर बात नहीं करता, हर बात में हाँ –हाँ करता है जो कहो कबूल करता है , फिर भी हमारा मन नहीं मानता लेकिन बेटी के हठ के आगे वह मजबूर थे, उन्होंने विवाह से पूर्व लड़की से कसम ली यदि जिन्दगी में उसे जरा भी कोई तकलीफ महसूस हो वह अपने घर लौट आये | यह उनकी इकलोती सन्तान थी यूं कहिये बुढ़ापे का सहारा | तोफीक को नौकरी करना पसंद नहीं था उसके बाबा का कालीन का चलता व्यवसाय था उसने घर की चलती दुकान संभाल ली | नसरीन नौकरी करती थी | विवाह के बाद उसकी दुनिया उसका पति और घर था| वह अपनी तनखा का एक –एक पैसा तौफीक पर खर्च करती थी | तौफीक को क्या पसंद है, वह क्या खायेगा, क्या पहनेगा, उसे घर की सजावट अच्छी लगी या नहीं | नसरीन को अपना होश ही नहीं था | तौफिक अपने हर दोस्त को अपने घर बुलाता ,मेरे घर आईये मेरी खानम से मिलिए मेरा घर देखिये, ईरान में सजा घर और सुन्दर बीवी बड़े गर्व की बात है |
परन्तु क्या तौफिक नसरीन के प्रति वफादार था ? उसकी दुकान पर लडकियाँ खरीददारी करने आती वह उनके प्रति आकर्षित हो जाता था | कई लड़कियो को वह विवाह के लिए पैगाम भी भेज चुका था | नसरीन को जब भी उसकी सहेलियो ने शिकायत की उसने विश्वास ही नहीं किया उलटा हंसने लगती | वह अपनी दुनिया मे मगन थीं | वह दुनिया जिसमें मोहब्बत ही मोहब्बत थी | वह उसे अक्सर समझाती ,इस बात के सदा याद रक्खो एक दिन तौफिक दूसरी बीबी ला कर कहेगा ,नसरीन इससे मिलो यह मेरी दूसरी खानम है | विरोध करने पर वह तुम्हें तलाक भी दे सकता है और काजी साहब , तुम्हे कहेंगे खानम तुम आजाद हो गयी | मजाक में कही गई बात ईरान के मर्दों की दुनिया में कभी भी सम्भव हो जाती है |
अचानक नसरीन उदास रहने लगी हंसने के बाद उसके गाल पर पड़ने वाले डिम्पल गायब हो गये | बहुत पूछा उसने कुछ नहीं बताया |एक दिन वह ऑफिस नहीं आई परन्तु खबर आई ,नसरीन अस्पताल के बर्न विभाग में बुरी तरह जली अवस्था में लाई गई थी | जिसने सुना वही अस्पताल भागा नसरीन जहाँ भर्ती थी उस कमरे के बाहर तौफीक खड़ा अपना माथा पीट रहा था, बाल नोच रहा था पूरी तरह बेहाल था | हमे लगा अस्पताल से दो जनाजे उठेंगे | उसने रो-रो कर बताया नसरीन ने घर के बाहर वाले गुसलखाने में मिट्टी का तेल अपने पर डाल कर आग लगा ली | उसने दरवाजा तोड़ कर जलती नसरीन को बाहर निकाला सब उसे अस्पताल लाये | देखने वालो ने बताया नसरीन तौफिक का हाथ पकड़ कर बार –बार एक ही बात कह रही थी मन शुमा रा दूस्त दारम (मै तुमसे मोहब्बत करती हूँ ) जब तक वह बेहोश नहीं कर दी गई यही कहती रही | मैं चुपचाप सुन रही थी जलना जला दिया जाना हमारे देश में अकसर होता है | उन्होंने अपनी बात पर जोर देकर कहा हमारे यहाँ खुद अपने को जलाना अकेली घटना है पिदर सुकते (तेरा बाप जले) गाली है | कुछ देर सब चुप रही फिर बताया पूरे बदन पर फफोले थे | उसने तड़फ –तड़फ कर दो दिन बाद आँख मूँद ली | बर्फ का मौसम था बड़ी मुश्किल से कब्र खुदी ठंडी कब्र में लगा नसरीन के जले शरीर और जलती रूह को शन्ति मिली होगी तौफिक का हाल तो पूछिये मत वह तो कब्र में साथ लेटने को आमादा था | हमारे दिल से आहें निकल रहीं थी |
लम्बी साँस ले कर उन्होने बताया मौत को कुछ ही दिन बीते थे ,मैने पूछा कितने दिन? उन्होंने कहा यह मत पूछिये अभी मातम खत्म नही हुआ था उड़ती खबर आई तौफिक् शादी कर रहा है हमें लगा अफ्फाह है| हम सब उसके घर गये ,घर के बाहर गाड़ियाँ हॉर्न बजा रहीं थी| यह खुशी का सिम्बल है तौफिक शादी कर बीबी लाया था, कहीं मौत का निशान नहीं था केवल बाहर वाले हमाम घर पर जलने के निशान थे | आज के दिन यह प्रसंग देना ठीक नहीं है | यह किस्सा मैने जहाँ सुना था वहाँ तलाक़, उसके बाद फिर से नई जिन्दगी शुरू करना बहुत आसन था | वह लड़की पढ़ी लिखी थी अपने माँ बाबा का अकेला सहारा तथा उनकी जिन्दगी थी | आज कब्र में तन्हा लेती आखिरत का इंतजार कर रही है|
मेरा मन नहीं माना में उसके माँ और बाबा से मिलने उस अनजानी लडकी के घर गई जिसे मैने कभी देखा नहीं था|घर के आगे बाग़ था उसमें फलों के कई पेड़ लगे थे लेकिन फल पेड़ पर ही सूख गये थे उन्हें कभी तोडा नहीं गया था| घंटी बजाने पर आवाज आई कौन? मैं उनके लिए अनजान खरिजी(विदेशी ) थी ,घर के मालिक ने दरवाजा खोला वह चकित नजरों से मुझे देखने लगे मेरे सलाम करने पर उन्होंने बेहद शालीनता से उत्तर दिया , अपनी पत्नी को बुलाया और अपने मेहमान खाने में बिठाया |मेरी आँखे फटी रह गई | खुर्द पति पत्नी का बेहद खूबसूरत जोड़ा उनके चेहरे गमगीन थे उनकी इतनी उम्र नहीं थी जितने वह बूढ़े लग रहे थे | मैने खड़े हो कर अपना परिचय दिया मैने आपकी बेटी के विषय में सुना था हालाकि इस घटना को काफी समय हो गये फिर भी मैं आपसे मिलना चाहती थी आपका गम बांटना चाहती थी| दोनों ने मेरा एक एक हाथ पकड़ लिया उनकी आखों से आंसू झर रहे थे उनका गम फिर से हरा हो गया | वह मुझे अपने घर के बाग़ में ले गये वहाँ एक अंजीर का पेड़ था उन्होंने कहा यह हमारी बेटी ने लगाया था खूब फल आते थे परन्तु जैसे ही बेटी दुनिया से गई हर अंजीर में कीड़े निकलते हैं | मैं एक घंटा उनके पास रही वह मुझे नसरीन के कमरे में ले गये वहाँ बेटी की हर याद बड़े सलीके से सजाई गई थी |
यह प्यार था या खुदगर्जी बेवफा के लिए जान दे देना माँ बाबा का प्यार दुलार गौण हो गया |हर वैलेंटाइन डे पर मुझे वह अजनबी लड़की याद आती है |

डॉ शोभा भारद्वाज

Email-shobhabhardwaja09@gmail.com

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