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८ मार्च अंतराष्ट्रीय महिला दिवस “एक बहादुर लडकी निर्भया जो सदा के लिए सो गई “

Vichar Manthan
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निर्भया की आत्मा को शान्ति दो
8 मार्च विश्व महिला दिवस पर मुझे १६ दिसम्बर की वह ठंडी रात याद आ रही हैं जब अपने सम्मान की रक्षा के लिए एक दुबली पतली लडकी दरिंदों से अपने मित्र के साथ लड़ रही थी अंत में जो हुआ जिसे देख कर मानवता शर्म सार हो गयी | जिसने भी सुना वह सन्न रह गया | लोग विरोध में घरों से निकल कर सडकों आ गये| माता पिता अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता में निकले जवान अमानवीयता के खिलाफ निकले |हर आँख में आंसू था | राजनितिक गलियारों में हलचल थी पूरी दिल्ली बेचैन थी जितना सरकार रोकती उतना ही विरोध बढ़ता जा रहा था |सिसक सिसक कर देश की बेटी विदेश नें (सिंघापुर ) की धरती में अंतिम सांस ली लेकिन उसकी चिता को अग्नि अपने देश में दी गई चिता भी ठंडी पड़ गई लेकिन एक चिंगारी जो जली थी वह बड़ी मुश्किल से शांत हुई |ऐसे कुकृत्य करने वालो को भी उनके पक्ष में लड़ने के लिए वकील मिल गये और न्यायिक प्रक्रिया अपनी चाल से चलती रही अंत में अपराधियों को फांसी की सजा हुई | निर्भया जीना चाहती थी वह और उसका पूरा परिवार अच्छी जिन्दगी के लिए संघर्ष कर रहा था पर क्या हुआ ?
निर्भया पर बी.बी.सी.ने डोकुमैंटरी फिल्म बनाई | अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार पर प्रश्न उठा | हमारा देश इस विषय में दुनिया के सब देशों से आगे जा रहा है अभियुक्त मुकेश का इंटरव्यू लेने की इजाजत दी गई उसने जो कहा वह इस देश की प्रतिष्ठा को शर्म सार करने के लिए काफी है उसने लडकियों के घर से देर से निकलने पर सवाल उठाया साथ ही कहा यदि वह लडकी जिसने अपने सम्मान की रक्षा के लिए उनका संघर्ष किया था विरोध नहीं करती उसे वह अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद छोड़ देते उस पर उन्हें इतना गुस्सा नहीं आता ‘ यह था रेपिस्ट का अधिकार’ ? कोर्ट में भी दलील दी गई यदि रेपिस्ट को फांसी दी जायेगी रेप की शिकार लड़की मार ही दी जाएगी | दो वकील साहबों ने भी इंटरव्यू दे कर लडकियों पर ही प्रश्न चिन्ह लगाया | ए,पी.सिंह ने निर्भया केस के अभियुक्तों के पक्ष में अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए कई चैनलों में अपनी बात रखी समाज सुधारक बनने का भी प्रयत्न किया| सबनें इनका कड़ा विरोध किया था |दूसरे महानुभाव एम.एल. शर्मा हैं |बड़ी हैरानी की बात है कल क्या हमारी जेलों में बंद आतंकवादियों को भी अपनी बात कहने का अवसर दिया जायेगा ?
निर्भया पर ही कहानी खत्म नहीं हुई कुछ ही दिन में एक छोटी बच्ची नासमझ बच्ची को मानव भेड़िया उठा कर ले गया उसके साथ वह किया जिसे आदिम समाज भी धिक्कारता होगा वह भी इसके लिए कड़ी सजा देता होगा शायद इतना कड़ा दण्ड जिससे समाज को सबक मिले |किसी किशोरी को चलती गाड़ी में खींच कर उठा ले जाना ,अकेली स्कूल जाती लड़की को अगवा कर उससे अपनी हवस पूरी करना |अपनी क्षण भर कि खुशी के लिए जिंदगी का वह दाग देना जिससे न वह जिन्दा रहती है न मुर्दा ,मानसिक रूप से लगभग मर जाती है | घर में अकेली लड़की को जबरदस्ती उठा कर ले जाना सामूहिक रूप से उसका देह शोषण करना भेद खुल जाने के डर से उसे मार डालना पत्थर से उसके मुँह को कुचल देना जिससे उसकी पहचान मिट जाये ,या जीवित को फूक देना इसे क्या जवानी कि गलती माना जायेगा या अपराधिक मानसिकता, का वहशीपन ? जो डाक्टर लड़की का इलाज करते हैं वह जानते हैं लड़की किस पाशविकता से गुजरी है |शायद यही वजह है लोग नन्हीं वच्ची के जन्म पर उदास हो जाते हैं |
आज सभ्य समाज ने औरतों को बराबरी का अधिकार दिया है | प्राचीन भारत में औरत को बहुत ऊचां दर्जा दिया था पर धीरे -धीर विदेशी आक्रमण कारी देश में आते गए औरतों की आजादी खत्म होती गई | बाल विवाह ,पति के मर जाने पर उसे जिन्दा ही उसके शव के साथ चिता में जला देना |यह राजाराम मोहन राय के प्रयत्न थे वह चिता से उठाई गई आज वह चिता से अर्श तक पहुँची | लड़के लड़कियां एक साथ पढ़ते हैं को -एजूकेशन है , आपस में मित्रता का भाव है स्वस्थ प्रति स्पर्धा है, विश्वास भी है एक दूसरे के साथ विचारों का मेल होने से कई जोड़े बन जाते हैं ,भविष्य में विवाह भी करना चाहते हैं | माता पिता भी विवाह की स्वीकृति दे देते हैं | कई लड़को की ऐसी मानसिकता बन जाती है यदि उन्हें कोई लड़की पसंद आ जाये तो मुझे यही लड़की चहिये इस मानसिकता से ग्रस्त हो कर उन्हें लड़की की हाँ या न से कोई मतलब नहीं है जिस तरह से माँ बाप से वह सब कुछ चाहते हैं इसी तरह लड़की पर भी वह हक जमाने लगते हैं आये दिन किसी लड़की पर तेजाब डाल देना ,या उसे उठा ले जाना उसके सम्मान को नष्ट करना | या किसी को पहले शादी का झांसा देना फिर मुकर जाना बचनें के लिए या लड़की से पीछा छुड़ाने के लिए उसे विश्वास में ले कर पहले बुलाना फिर उसे धोखा दे कर वस्तु की तरह अपनें दोस्तों में बाँट देना यानि सामूहिक बलात्कार , जिंदगी का ऐसा दाग देना जिसे जाल में फसी या फसा ली गई लड़की ही जानती है | हर हाथ में आज कल सेल रहता है उससे, चित्र खींच कर ब्लैक मेल करना या चित्रों को इंटरनेट पर डाल कर बदनाम करना या डालने की धमकी देना लड़की की गलती और लाचारी का पूरा फायदा उठाना ,यह एक खेल बन गया है |
निर्भया का क्या दोष था उसके साथ पाशविक व्यवहार किया गया| बम्बई में लड़के शिकार की टोह में घूमते रहते थे कई औरतों को उन्होंने अपना शिकार बनाया था उस पर भी गिद्ध की तरह झपटे थे और वह सामूहिक बलात्कार का शिकार बनी| उन लड़कों मे एक नाबालिग लड़का भी था, यह तो लड़की ने हिम्मत दिखाई पुलिस में केस दर्ज हुआ | लडकों का अपराध सिद्ध होने पर उनके लिए फांसी की सजा घोषित की गई | यदि देश में सख्त कानून नहीं होगा तो यह समाज लड़कियों के रहने लायक ही नहीं रहेगा| औरतें को भी संविधान ने वोट का बराबर हक दिया है जिस दिन वह अपनें वोट की कीमत समझ गई , जाति धर्म शिक्षा अशिक्षा ,अमीरी और गरीबी से ऊपर उठ गई उन्होंने मिल कर अपनें वोट को एक कर लिया और मजबूत वोट बैंक बन गई तो उन्हीं की सरकार होंगी इस लिए पुरानी मानसिकता से ऊपर उठ जाइए | हम सभ्य समाज के प्राणी हैं |
निर्भया के अपराधियों को आज तक फांसीं नही दी गई है| दीमापुर में रेप के अपराधी को भीड़ ने जेल तोड़ कर निकाल लिया उसे सात किलोमीटर तक घसीटा फिर मार-मार कर मार डाला चौराहे पर लटका दिया |लोग आज अपने हाथ में कानून लेने लगें हैं उन्हें लगता है कानून कुछ नही करेगा न्यायालयों में एक लम्बी कहानी चलती रहेगी |
कानून के प्रति अविश्वास सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है बी.बी.सी. की डोकूमेंटरी लन्दन में प्रसारित की गई और जगह भी प्रसारित कर भारतीयों की मानसिकता के नाम पर देश की संस्कृति की गलत तस्वीर पेश की जायेगी |क्या अब इस देश में सख्त कानून की आवश्यकता नहीं है या हम बहस ही करते रहेंगे ? डॉ शोभा भारद्वाज

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