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ब्रिटिश नीति फूट डालो राज्य करो

Vichar Manthan
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ब्रिटिश नीति फूट डालो राज्य करो
23 मार्च को पाकिस्तानी डे है | यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय पर्व हैं भारत में पाकिस्तानी के राजदूत ने कश्मीर के अलगाव वादियों को उत्सव में शामिल होने के लिए निमंत्रित किया है | हुरियत के मीरवाईस प्रतिनिधि मंडल के साथ पाकिस्तान के इस उत्सव में भाग लेंगे | वह चाहते हैं भारत पकिस्तान में बातचीत फिर से शुरू हो कश्मीर विषय से जुड़े मुद्दों पर भी बातचीत की जाये | भारत अलगाववाद का विरोध करता है | पिछले वर्ष पाकिस्तान उच्चायुक्त अब्दुल वासित के अलगाव वादियों से मुलाक़ात करने पर भारत ने पाकिस्तान के साथ प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द कर दी थी| कश्मीर में मुफ़्ती मुहम्मद के नेत्रत्व में भाजप और पी.डी.पी.की सरकार काम कर रही हैं | एक समय था फ़िल्मी कलाकार स्वर्गीय हंगल ने पाकिस्तान डे में भाग लिया था उसका समाज के बहुत बड़े वर्ग की और से विरोध हुआ था |
१८५७ की क्रान्ति अंग्रेजों के खिलाफ पहला स्वतन्त्रता संग्राम था जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दी उन्हें सोचने पर विवश कर दिया आखिर क्यों अचानक उनके साम्राज्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं |इस क्रान्ति का नेत्रत्व बहादुर शाह जफर ने किया था | ब्रिटिश नीति करों ने अब मध्यम वर्गी पढ़े लिखे मुस्लिम की और ध्यान देना शुरू किया | फूट डालो राज्य करो के प्राचीन रोमन सिद्धांत के आधार पर बंगाल का विभाजन धर्म के आधार पर किया |जिसका मुस्लिम ने भी विरोध किया था |लार्ड कर्जन स्वयं बंगाल गये उन्होंने मुस्लिम समाज को समझाया बंगाल विभाजन प्रशासनिक कारण से नहीं किया गया हैं यह मुस्लिमों को बंगाल के अंदर मुस्लिम प्रान्त के लिए अपनी आवाज उठाने का मौका दिया गया है | अब मुस्लिम समाज ब्रिटिश साम्राज्यवाद की मजबूती का साधन बन रहे थे | एक मुस्लिम का प्रतिनिधि मंडल लार्ड कर्जन के बाद आये बायसराय मारले और मिंटो से मिलने हिज हाईनेस आगा खां के नेत्रत्व में आया जिसका वायसराय ने स्वयं स्वागत किया |उसी दिन भारत का बहुत बड़ा वर्ग स्वाधीनता संग्राम से अलग हो कर अपने अधिकारों की बात करने लगा | १९०५ में मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा और उन्हें एक मंच पर लाने के लिए मुस्लिम लीग की स्थापना की गई
“सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” गीत के रचयिता शायर मौलाना इकबाल के मन में भी अलग मुस्लिम राष्ट्र के विचार ने जन्म लिया था उन्होंने इलाहाबाद में 1930 के मुस्लिम लीग के अध्यक्षीय भाषण में उत्तर पश्चिम प्रान्त सिंध , बिलोचिस्तान पंजाब अफगान सूबा-ए सरहद में अलग राष्ट्र की कल्पना की थी लेकिन पाकिस्तान शब्द पहली बार १९३३ में चौधरी रहमत अली खान जो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी थे और उनके साथियों ने चार पेज का पम्पलेट Now or Never छाप कर पाकिस्तान की विचारधारा को आकार और शब्द दिये जिसमें पंजाब , नार्थवेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस ,कश्मीर, सिंध और बिलोचिस्तान मिल कर एक अलग मुस्लिम राज्य बनेगा जिसका नाम पाकिस्तान होगा |
पकिस्तान का प्रस्ताव पहली बार 23 मार्च १९४०के दिन आल इंडिया मुस्लिम लीग ने पारित किया |जिन क्षेत्रों में मुस्लिम बहुमत में है जैसे नार्थ वेस्टर्न और ईस्टर्न जोन में भारत से अलग हो कर पाकिस्तान बनेगा यह भारत से अलग मुस्लिम राष्ट्र होगा | कांग्रेस ने इसका विरोध किया लेकिन एक बात स्पष्ट थी मुस्लिम लीग और कांग्रेस दोनों ही पूर्ण स्वतन्त्रता के समर्थक थे लेकिन कांग्रेस संयुक्त भारत चाहती थी |क्रिप्स मिशन भारत आया लेकिन पूर्ण स्वराज्य की समस्या को सुलझा नहीं सका |जिन्ना ने १९४६ में डायरेक्ट एक्शन डे की चेतावनी दी | मुस्लिम लीग ने बिना हिचकिचाहट के कहा हिन्दू और इस्लाम अलग धर्म हैं उनके अलग रीति रिवाज संस्कृति है मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं बहुसंख्यक के लिए उनके मन में असंतोष ही रहेगा |
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन कमजोर पड़ गया था अब भारत को अधिक समय तक गुलाम बनाये रखना संभव नहीं था |सत्य अहिंसा के शस्त्र के सामने वह कमजोर पड़ गया | लार्ड माउन्टबेटन ब्रिटिश साम्राज्य वाद के हित साधने के लिए भारत के वायसराय नियुक्त कर भेजे गये उन्होंने कांग्रेस को मानसिक रूप से विभाजन के लिए तैयार करने का प्रयत्न किया उन्होंने सरदार पटेल को समझाया |पटेल समझ गये थे विभाजन हो कर ही रहेगा यदि विभाजन को रोका देश के टुकड़े टुकड़े हो जायेंगे अब नेहरु जी बारी थी मौलाना आजाद ने अपनी पुस्तक इंडिया विन्स फ्रीडम में लिखा हैं नेहरु जी माउन्टबेटन और लेडी माउन्टबेटन से बहुत प्रभावित थे | लेडी माउन्टबेटन बहुत बुद्धिमान और आकर्षक महिला थी उसने विभाजन के लिए नेहरु जी को तैयार किया | अब गांधी जी को तैयार करना था जो विभाजन के पूरी तरह खिलाफ थे उनके अनुसार देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा |गांधी जी खुले तोर पर भारत का विभाजन स्वीकार नहीं कर रहे थे परन्तु अब विरोध भी नही कर रहे थे |लार्ड माउन्ट बेटन के भारत भूभाग पर दो अलग राष्ट्रों को लेबर कैबिनेट में भी अधिकतर लोगों ने समर्थन दिया | कई ब्रिटिश नीति का विद्वान भी इस प्राय द्वीप के विभाजन के पक्ष में थे |
३जून१९४७ के प्लान के अनुसार हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो राष्ट्रों का निर्माण हुआ पकिस्तान के दो हिस्से थे पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान , पूर्वी पाकिस्तान अब बंगला देश के नाम से अलग राष्ट्र है |ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रियासतें चाहे तो इन दो राष्ट्रों में विलीन हो सकती हैं या स्वतंत्र भी रह सकती हैं |रियासतों का विलय आसान नहीं था सरदार पटेल के प्रयत्नों के फल स्वरूप रियासतों का भारत में विलय संभव हो सका |लेकिन कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी पाकिस्तान से झगड़े का कारण बना हुआ है |
१५ अगस्त १९४७ को गुलामी की बेड़ियाँ टूट गयी सुबह नव प्रभात लेकर आई | नव प्रभात क्या सुख कारी था ?लाखो लोग घर से बेघर होकर हो कर अनिश्चित भविष्य की खोज में काफिले के काफिले हिन्दुस्तान की और चलने लगे कुछ लोग अपने गावँ के शहर के अलावा कहीं नहीं गये थे वह नहीं जानते थे उनका घर कहाँ बसेगा | इन बेहालों को बसाना आसान नहीं था अंत में कटी हुई लाशों से भरी रेल गाड़ियाँ आने लगीं जगह खाली कराने के लिए मुस्लिमों के साथ भी यही प्रतिक्रिया होने लगी | लगभग १० लाख लोगों की हत्या हुई | आज शरणार्थी होने का घाव काफी मात्रा में भर चुका है | डॉ शोभा भारद्वाज

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