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गोबंश की रक्षा हमारे अपने हित में

Vichar Manthan
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गोबंश की रक्षा हमारे अपने हित में है | बात बहुत पुरानी है मेरे नाना के समय की है मेरे नाना रला राम जोशी का स्वर्ग वास ९६ की उम्र में हुआ था उनकी मृत्यू को भी पचास वर्ष गुजर गये जब वह किशोरावस्था में थे उनके पिता का स्वर्गवास हो गया वह अकेले बच्चे थे उनके ताऊ के परिवार की उनके घर पर नियत पड़ गई असहाय माँ बेत्बेते को मारने की साजिश रचने लगे भय से उनकी माँ जान बचा कर रातो रात अपने इकलोते बेटे को लेकर अपने मायके चली आई |जब नाना ने अपनी पढाई पूरी कर ली उनकी नौकरी लग गई उन्होंने अपने हवेली नुमा घर के लिए अर्जी दी अंग्रेज अहलकार निर्णय देने के लिए मौका मुआयना करने आये नाना के पास कागज पत्र कुछ भी नहीं थे वहाँ के लोगों से पूछताछ की उन दबंगों के खिलाफ कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं थी शाम होने को आई अचानक एक गाय आई वहाँ लगे खूंटे के पास खड़ीं हो गई कुछ देर रम्भाई फिर लौटने लगी अंग्रेज ने पूछा यह किसकी गाय है पड़ोसियों ने कहा यह रला राम की माँ नें पाली थी| किसी और घर में रहती है पर रोज शाम को चर कर आती है पहले इस खूंटे पर खड़ी होकर माँ –माँ करती हैं फिर लौट जाती है पर बार बार पीछे मुड कर देखती है अंग्रेज अहलकार ने तुरंत न्याय कर दिया यह घर मेरे नाना का हैं गाय कभी अपना खूंटा नहीं भूलती इसी लिए रोज चरने के बाद अपनी जगह आती हैं और नाना को कब्जा दिला दिया |
मेरे नाना प्रसिद्ध गणितज्ञ थे वह कपूरथला के डिग्री कालेज में प्रिंसिपल थे यहीं मेरी नानी के पिता और उनके भाई कपूरथला के राजा के बुलावे पर राधा कृष्ण जी की मूर्तियाँ ले कर आये थे उनके सहयोग से मन्दिर बना सुबह भगवान के दर्शन करने उस समय के राजा साहब हाथी पर बैठ कर प्रतिदिन आते थे| रियासतों का भारत संघ में विलय हो गया अब मन्दिर अपना पर्सनल मन्दिर था कपाट बंद हो गये मेरी नानी, पूजा करती थी मन्दिर के कपाट सुबह शाम आरती के समय खुलते थे नानी के बाद में मेरे मामा बैक में बहुत बड़े अधिकारी थे पूजा करने लगे | भगवान को भोग घर में पलने वाली गायों के मक्खन, घी दूध से बने व्यंजन से लगाया जाता | गायें भी बहुत दुधारू थी अगले बछड़े के आने से कुछ दिन पहले तक दूध देती रहती थी जब घर में मेहमान आते मेरी नानी को मैने गायों से बात करते देखा है देख घर में मेहमान आयें हैं उनका ध्यान तुमने ही रखना है वह और भी दूध देती मामा जी ने अपनी अपनी मृत्यु से पहले मन्दिर के लिए लिए पुजारी नियुक्त किया उसके खर्च के लिए बैंक में मन्दिर और गायों के नाम निश्चित राशि जमा करा दी जिससे पुजारी का वेतन और गायों का खर्चा निरंतर मिलता रहे | जहाँ गाय बंधती थी वह हिस्सा मन्दिर के नाम कर दिया आज भी उसी पवित्रता से भगवान का भोग लगाया जाता है |
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई हमारा परिवार सफेद पोश था पिता जी अच्छे खासे पद पर काम करते थे उनके एक परम मित्र गावँ में रहते थे आपसी झगड़े में उनकी दुधारू गाय कटने के लिए उठा कर ले गे उसकी बछड़ी बच गई है उन्होंने कहा आप शहर में रहते हैं इस लिए कुछ दिन के लिए अपने पास रख ले रख लें आपसी झगड़ा खत्म होने पर में इसे ले जाऊँगा |इस तरह हमारे घर में बछड़ी आ गई उसका नाम करण यमुना कर दिया मैं दिल्ली में पढ़ती थी सबसे अधिक मैने नाक भों सिकोड़ी परन्तु वह नन्हीं मेहमान बड़ी मोहक थी| हमारे घर में काम करने वाली अम्मा ने गोबर के बदले गाय के एरिया में सफाई का जिम्मा ले लिया गाय हमारे घर आ गई परन्तु कभी अपने घर लौट नहीं सकी दो साल बाद गाय ने बछड़ी दी हाँ उस बछड़ी को मेरे पिता जी के मित्र ले गये | यमुना इतना दूध देती थी उसे दुहते दुहते ग्वाले के हाथ थक जाते थे भरा पूरा परिवार था दूध दहीं की जम कर खपत होती थी मेरी माँ अक्सर गाजर का हलवा बनाती पीला – पीला दूध उसमें गाजर पकती पूरा घर महक जाता हलवा क्या पूरा विटामिन ए था |मेरी नन्हीं भांजी ढाई किलो के करीब जम कर दूध पीती उसकी बुद्धि बहुत तीव्र है उसने शिक्षा के क्षेत्र में बेहद तरक्की की आज ऊचे पद पर कार्य कर रही है | सब इसे दूध का प्रताप मानते हैं मेरे मायके वालों ने नोएडा में घर बनाया मजबूरी थी अब जहाँ घर वहीं बसना था | इस एरिया में गाय रखने की इजाजत नहीं थी अत :घर के पास लाल डोरा में अपनी प्यारी यमुना के लिए एक कच्चा कमरा किराये पर लिया वह खुश नहीं थी परन्तु मेरी माँ उसके पास ही रहती थी जिससे उसे अकेलापन न लगे रात को यमुना को चारा पानी देकर घर आ जाते वहाँ के हर रहने वाले उसे प्रशंसा की नजर से देखते हम भी उसकी खूबियों का बखान करते नहीं थकते| एक दिन एक दिन सुबह सबेरे पड़ोस का चौकीदार भागता आया उसने बताया गाय का कहीं अता पता नहीं है सबने ढूंढा अखबार में उसकी फोटो और लाने वाले के लिए ईनाम की घोषणा की भी की हमारे परिवार के दुःख का ठिकाना नहीं था| कई दिन तक यमुना की आवाज कानों में गूंजती रही |
मेरे विवाह के बाद में और मेरे पति को भारत सरकार की तरफ से विदेश भेजा गया |यह मुस्लिम मुल्क था वहाँ दूध के नाम पर पतला मट्ठा पीते थे जिसे दूहा कहते थे बड़ी मुश्किल से एक मरीज के घर गाय थी दूध का इंतजाम किया वह परिवार भी हैरान था ऐसे भी बेवकूफ खारजी (विदेशी ) लोग हैं जो दूध के लिए बेचैन हैं | वहाँ गाय पालने का चलन है भैंस को गऊ मिश्की कहते हैं वह केवल चित्रों में ही दिखाई देती है | हमारी दूध की समस्या हल हो गई| एक दिन गाय का पैर जखमीं हो गया कौन सेवा करे उन्होंने कुछ किलो गोश्त और कुल चार हजार तुमान पर गाय का सौदा कर दिया लेकिन जल्दी ही समझ में आ गया कितनी बड़ी नासमझी हुई है हर माह की आमदनी थी और घर में भी दहीं जमता था | वह जल्दी से अतिरिक्त आय का साधन ढूंढने लगे उनकी बेटी की गावं में सुसराल थी वह गोश्त के व्यापारी थे अब दूध का व्यपार होने लगा | वहां से सुबह दूध ले आते बारह किलो दूध एक दिन छोड़ कर हम लेते थे बाकी और लोग भी दूध का महत्व समझ गये थे | जिस एरिया में मेरे पति की पोस्टिंग हुई वहाँ अकेले हम हिन्दू थे उन लोगों की नजर में काफिर और गऊ परस्त | वहाँ के लोगों में चर्चा होने लगी डाक्टर का परिवार ज़िंदा कैसे रहता हैं न गोश्त खरीदते हैं न अंडा उन्हें क्या पता हम प्याज भी नहीं खाते उन्होंने आकर पूछा डाक्टर जान आप खाते क्या हो बस क्षीर (दूध )के बारे में पूछते रहते ? इन्होने उन्हें दूध के दहीं पनीर के बारे में समझाया उनके इतना समझ में आया गाय का दूध पी कर इनके बच्चे पढने में तेज अंग्रेजी बोलते हैं और डाक्टर भी इसी लिए डाक्टर बन पाया है| अब वह भी अपने बच्चों को दूध पिलाने लगे गरम- गरम गाय का दूध कटोरे में चीनी मिला कर उनके बच्चे वह खुद बड़ी तृप्ति से पीने लगे उनके बच्चे पढाई समझने लगे |अब और लोग भी दूध का व्यवसाय करने लगे अभी तक वह हमें घिया खोर (हरे पत्ते खाने वाले ) समझते थे अब क्षीर खोर कहने लगे |चीन में गाय खा जाते हैं प्रोटीन के लिए सोया बीन से बने टोफू पर निर्भर रहते हैं|
देश में गाय गौहत्या पर बहस छिड़ी है समुदाय विशेष बीफ के पक्ष में तर्क देते हैं ऋगवेद में गौमांस खाते थे गौवंश की बली दी जाती थी मनु स्मृति का उदाहरण देते हैं वहभूल जाते हैं हिन्दू धर्म एक समय आकाश वाणी से बना धर्म नहीं है |हमारे चार वेद, पुराण सबका निचोड़ गीता है| ज्यों-ज्यों सभ्यता विकसित होती गई धर्म में समयानुसार परिवर्तन होते गये अहिंसा को परम धर्म मानने वाले भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी की भी धरती है | भारत नेताओं के वोट बैंक की धरती नहीं है |
भारत में काफी लोग गोश्त नहीं खाते प्रोटीन का जरिया दूध या पनीर है गाय का दूध बहुत पाचक होता है नन्हे बच्चे को बिना पानी मिलाये भी दिया जा सकता है इसलिए इस पशु की रक्षा करने का प्रयत्न किया गया है |125 करोड़ की आबादी है सब प्रोटीन के लिए गोश्त खाने लगें अंत में कीड़े मकोड़ों चूहे साप छिपकलिया खाने का नम्बर आ जाएगा इस लिए संस्कृति में गाय को माता कह कर दूध देने वाले पशु को बचाया संहार से बचाया गया हैं| गाय दूध का रात को हल्की चीनी मिला कर पी कर देखियेगा कैसी नींद आती है जिनका जिगर खराब हो जाता हैं केवल उनको गाय का दूध पचता है देश बहुत पुराना है इसलिए संस्कृति मेच्योर है| आप कहेंगे बकरी का ढूध हल्का होता है पीया जा सकता है | उसमें हीक आती हैं कहावत है बकरी दूध देती है मींग डाल कर | यहाँ कान्हा ने बंशी बजा कर गाय चराई थी उनका एक नाम गोपाल था |दूध दहीं और मक्खन से उनका शरीर इतना पुष्ट था उन्होंने किशोरावस्था में कंस को मार गिराया था |जो लोग गोश्त नहीं खाते समझ लीजिये उनके हिस्से का आप गोश्त खाते हैं यह सोच कर गायों को बख्श दीजिये उसकी हर देंन अनमोल हैं दूध दहीं पनीर भी शुद्ध प्रोटीन है | गोबर गोमूत्र धरती की शुद्धता और जमीन को उपजाऊ बनाते है | विवाद के लिए विवाद करना क्या उचित है धर्मनिर्पेक्षता का मतलब यह नहीं है आप अपने धर्म के लिए जागरूक रहे बहुसंख्यक की भावनाओं के प्रति उदासीन | आज पेट्रोल डीजल से चलने वाली गाड़ियां हैं फिर भी गावों में आज भी बैल गाड़ियों का चलन है |

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