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मसर्रत आलम का पाकिस्तान प्रेम

Vichar Manthan
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भारत में अभिव्यक्ति की पूरी स्वतन्त्रता है आप पाकिस्तान के प्रेम में नारे लगाये उसका झंडा लहराए क्या पाकिस्तान के दबाए सताये अल्पसंख्यकों ने कभी ऐसा किया है |अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेकने के लिए कुछ भी करे सबको आजादी है |
हम ईरान के खुर्दिस्तान प्रांत में रहते थे खुर्द ईरान ,इराक टर्की और सीरिया तक फैले हुए है वह सब मिल कर आजाद खुर्दिस्तान की सदैव माँग करते थे | जब मैं ईरान में गई उस समय शाहे ईरान वतन की मिट्टी को चूम कर वतन छोड़ चुके थे ईरान में इस्लामिक सरकार अपने पैर जमा रही थी मेरे पति की पोस्टिंग खुर्दिस्तान की राजधानी सनंदाज के पास सलवताबाद में हुई थी वह पहले से रह वहाँ रहे थे जब हम लोग बस से खुर्दिस्तान के पास पहुचे प्रवेश से पहले बस रोक दी गई बसों का लम्बा काफिला सुबह होने का इंतजार कर रहा था सामने ऊंची पहाड़ों की चोटियाँ मानों आसमान को छू रही हों ज्यादातर पहाड़ सूखे थे उन्हीं के बीच में हरियाली में अंगूर और मेवों के बाग़ थे
दिन निकलते ही बख्तर बंद तोप गाड़ियाँ आई वह आगे – आगे चलने लगी मैने यह नजारा पहले कभी नहीं देखा था अजीब लग रहा था अंत में हम राजधानी सनंदाज पहुंचे |बहुत ही खूबसूरत पहाडियों से घिरा शहर था उसके आखिरी छोर पर अस्पताल , अस्पताल में ही घर था नीचे ढलान पर रुद्खाना (निरंतर बहने वाली पहाड़ी नदी ) पहाड़ पर छोटे झरने झर रहे थे यह समय पतझड़ का था पत्ते पीले और लाल थे |घर भी बहुत बड़ा था किचन में किसी चीज की कमी नहीं थी उस घर में हमारी अपनी बस तीन अटैची थी | मैने ऐसी खूबसूरत जगह कभी नहीं देखी थी |
मुझे देर से सोने की आदत थी मैं जग रही थी अचानक ऐसा लगा जैसे युद्ध हो रहा हो तोपें गरज रही थी परन्तु मेरे पति आराम से अपने काम से लगे थे उन्होंने बताया यह रोज का शोर है अक्सर खुर्द विद्रोहियों और ऊचीं पहाड़ी पर बनी पासगाह (सुरक्षा चौकी ) में झड़पें होती रहती हैं | शाम को छह बजे सड़क बंद हो जाती थी केवल बख्तर बंद गाड़ियां ही चलती थी ,वह भी डर- डर कर गोला बारी करते थे लेकिन अस्पताल पूरी तरह सुरक्षित था | एक दिन खिड़की के कांच पर हल्की ठक- ठक की आवाज हुई मैने वैनिशियन ग्लाइनड हटा कर देखा सामने खुर्द खड़ा था गले में जनेऊ की तरह हथ गोलों की माला और दो कलाश्निकोव् बंदूक पूरा चलता फिरता असलहे का जखीरा था वह रौशनी पड़ते ही पीछे हट गया मेरी हालत खराब हो गई मैने अपने पति से कहा वह निर्विकार भाव से अस्पताल गये कुछ देर बाद लौटे मैंने हैरान परेशान पूछा यह यहाँ के निजाम के खिलाफ जंग कर रहा है इन्होने कहा वह बीमार है मर जाएगा मैं अपने डाक्टरी पेशे का धर्म निभाता हूँ ,मेरी डयूटी है | यह अक्सर होता था सुबह यह वहां के निवासियों और पहाड़ी पर बनी पासगाह ( यहाँ एरिया की सुरक्षा के लिए सैनिक टुकड़ी रहती थी )के डाक्टर थे |पासगाह में ट्रेनी सरबाज तथा रिविल्युश्नरी गार्ड जिन्हें पासदार कहा जाता था| और यह विद्रोही भी दो प्रकार के १. कोमिला (कम्युनिस्ट ) २ . पिशमरगे ( जीवन की परवाह न करने वाले ) पूरा खुर्दिस्तान बारूद था लगभग हर घर का जवान खुर्दिस्तान की आजादी और विशाल खुर्दिस्तान का स्वप्न देख रहा था शाहे ईरान के बाद ईरान कमजोर पड़ गया था खुर्द विद्रोहियों ने सनंदाज पर अधिकार कर लिया लेकिन जल्दी ही कब्जा छुड़ा लिया गया |इराक ईरान के युद्ध की वजह से यह आन्दोलन पूरे जोरों पर था |अनेक कहानियाँ भी प्रचलित थी जैसे विद्रोहियों ने चूहे की तरह रिवोल्यूशनरी गार्ड पकड़ लिए उनके सामने खाना परोसा वह मौत के भय से थर-थर कांपते रहे फिर उनका सर काट दिया इसी तरह पासदारों के भी किस्से थे परन्तु मैने सुना बहुत कटे सर कभी नहीं देखे इस्लामिक सरकार धीरे-धीरे उन ऊँची पहाड़ियों में बने विद्रोहियों के अड्डे नष्ट करने लगी , कई जानें रोज जाती थी कभी – कभी सिविलियन गोला बारी में फंस जाते उन्हें अस्पताल लाया जाता उनका बहता खून रोक कर प्राथमिक चिकित्सा के बाद बड़े बिमारिस्तान भेजा जाता | जब वह ठीक हो कर घर लौटते आशीर्वाद देने आते उनकी सबसे बड़ी दुआ थी खुर्रा (बेटा ) न मरे| एक दिन एक पहाड़ के ऊपर से विद्रोहियों के गावँ पर लगातार गोले दागे जाने लगे जब तोप से गोला छूटता भयानक आवाज होती लक्ष्य पर पहुचता आवाज होती जिन परिवारों के लोग जंगलों में निकल गये थे| वह बेचैन थे उनको समझ नहीं आ रहा था किसका शौहर बेटा या भाई तोप की जद में है वह क्या करें इसी तरह चलता रहा | तीन दिन बाद बम वर्षक हल्के प्लेन आये वह उन गावों पर बम डाल रहे थे जब घूमते अस्पताल के ऊपर से गुजरते हम लोग भी देख रहे थे | अगले दिन विद्रोहियों को स्पेशल फ़ोर्स ने घेर कर जो ज़िंदा थे उन्हें पकड़ लिया तोप गाड़ियों के पीछे बाँध दिया वह घिसटते हुए जा रहे थे यह नजारा हमारी हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता हें, पर यह हकीकत थी | हम जिस एरिया में रहते थे हर व्यक्ति ने अपने को घर में बंद कर लिया गाड़ियाँ जल्दी ही निकल गई पासदारों को भी डर था कहीं वहां के निवासी उन पर हमला न कर दें |इसके बाद आगा खुमैनी की तरफ से आदेश आया जीवन की ख़ैर चाहते हो तो अमुक दिन तक आत्म समर्पण कर दो काफी विद्रोहियों ने आत्म समर्पण कर हथियार सौप दिये जिन पर कई चार्ज थे वह या तो मारे गये या इराक भाग गये |
उनका सब का पता लिख कर उन्हें घर भेज दिया ,आदेश दिया जब बुलायें हाजिर हो जाना जिस दिन हाजिरी लगानी थी यह लोग घर से निकलें बिलकुल सफेद पथराई हुई आँखे परिवार के लोगों की भी हिम्मत नहीं थी कुछ कदम साथ चले| इन्हें सजा भी दी गई सफेद पोश सहायको को पकड़ने के लिए मुखबिर बनाया | धीरे – धीरे खुर्दिस्तान बिलकुल शांत हो गया यह लोग मुख्य धारा में आने लगे उन्होंने ब्याह कर लिए काम भी करने लगे पूरा खुर्दिस्तान ऐसा हो गया जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं था | ईरान क्षेत्र का समूचा खुर्द प्रदेश एक वर्ष में बदल गया था जवान लडके लडकियाँ अपना कैरियर बनाने में लग गये थे |
इराक में भी इसी तरह खुर्दिस्तान की आजादी की जंग चल रही थी कोशिश की गई दबाने की परन्तु दबी नहीं एक दिन खुर्द क्षेत्रों को खाली करने का हुक्म आया आप लोगों को ईरान जन्नत लगता है जाईये आप जन्नत में बसिये |सुबह –सुबह उन्हें ट्रकों द्वारा खुर्दिस्तान के बार्डर पर जहां से ईरान की सीमा शुरू होता था उतार दिया |पैरों के पास इराकी सिपाही गोली चलाने लगे कबीले – के कबीले ईरान की और आने लगे उनकी बड़ी तकलीफ देह कहानी थी उनके साथ गर्भवती महिलाएं भी थी बड़ी मुश्किल से यह लोग छोटे पहाड़ी रास्ते से ईरान पहुचे ईरान में अपने लोगों से अलग करने के लिए उनके लिए तम्बू लगा दिए गये भोजन में नान और उबले आलू का प्रबंध किया गया अब उन्हें काम पर लगाया गया काफी पढ़े लिखे लोग थे जो जिस पद के योग्य थे उनको काम सौंप दिया उनमें कई डाक्टर भी थे उनको ईरानी करंसी में तनखा दी जाती |जबकि विदेशों के डाक्टरों को डालर में मोटी तनखा मिलती थी |वह हैरान परेशान क्या करें उस समय ईरान इराक की जंग चल रही थी | एक दिन खुर्द डाक्टर खुर्दिस्तान की आजादी में सहयोग देने के लिए विदेश की शानदार नोकरी छोड़ कर वतन लौटे आये थे अब तम्बुओ में रह रहे थे उन्होंने एम्बुलेंस के ड्राइवर को बीस तुमान देकर कहा एक डिब्बी सिगार सात अंडे ले आओ वाकी तुम रख लेना उसने हंस कर कहा आगा डाक्टर इसमें चार अंडे आ जाए बहुत हैं |ईरान से सबका मोह जल्दी ही भंग हो गया अब वह अपने देश लौटने लगे जाते – जाते कहा हमें बेशक सद्दाम (ईराकी प्रेसिडेंट ) मार दे अब हम अपने देश जा रहे हैं |वह लौट गये, जबकि अपने खुर्द नागरिकों पर इराक में गैस डाली गई थी |
कुछ विद्रोही मुझे आज भी याद हैं | एक बार अस्पताल के इंचार्ज के पास दो खुर्द विद्रोही रात काटने के लिए आये मैने उनसे मिलना चाहा दोनों मुश्किल से तेईस साल के होंगे मुझे देख कर आदर से खड़े हो कर सलाम किया मुझे पूछने लगे खानम क्या हमारा खुर्दिस्तान आजाद हो जाएगा ? मैं इस आन्दोलन को ठीक नहीं समझती थी फिर भी कहा यदि तुम्हारा अकीदा (संकल्प ) मजबूत होगा बन जायेगा ?परन्तु तुम पढ़े लिखे लगते हो बंदूक क्यों पकड़ी पढ़ कर तुम अपने खुर्द समाज का अधिक भला कर सकते थे वह जैसी भाषा अक्सर विद्रोही बोलते हैं बोलने लगे हमारे प्रदेश से भेद भाव होता है हम सुन्नी हैं हम अपना आजाद खुर्दिस्तान चाहते हैं हम शाह के समय से जंग कर रहे हैं इस समय जंग चल रहीं है मौका अच्छा हैं एक दिन हमारा खुर्द प्रदेश आजाद होगा |मैने इंशाल्ला कह कर बाद खत्म की | मन दुखी हुआ इनके नेता इंग्लैंड में रहते हैं इन्हें बरगला कर पिशमरगा बना दिया है| दो दिन बाद पता चला वह दोनों पकड़े गये शाम के समय खुर्दी का प्रोग्राम आता है ब्रेकिंग न्यूज में दोनों लडके टेलीविजन पर दिखाये गये उनके दांत तोड़ दिए गये थे चेहरे पर जुल्म के निशान थे उनसे स्टेटमेंट दिलाया जा रहा था हम इस्लाम के दुश्मन हैं हम रहम के लायक नहीं हैं परन्तु हैरानी की बात हैं उन्होंने यह नहीं बताया रात को वह अस्पताल में ठहरे थे उन्हें उसी रात को गोली से उड़ाया या फांसी दी पता नहीं परन्तु उनके शव काफिराबाद कब्रिस्तान ( यहाँ निजाम के विरोधी )में दफना दिए गये थे |उनकी कब्र पर कोई रोने नहीं आ सकता था |
पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब हैं वह अमेरिका की सहायता पर निर्भर हैं | जिस आतंकवादियों को भारत के लिए तैयार किया था अब वह उनके लिए ही सिर का दर्द बन रहे है सत्ता पर भी कब्जा करना चाहते हैं लेकिन हाफिज सईद जैसे निरंतर आतंकवादियों की खेप हमारे लिए तैयार कर रहे हैं कश्मीर में आतंकवादी निरंतर भेजे जा रहे हैं | कश्मीर में कई अलगाववादी है नेता हैं जिनकी राजनीति भारत विरोध पर चलती है |कुछ आजाद कश्मीर की बात करते हैं कुछ पाकिस्तान समर्थित कश्मीर चाहते हैं मसर्रत की पीठ पर हाफिज सईद ने हाथ रख दिया है | इन अलगाव वादियों की सुरक्षा पर भी भारत सरकार को खर्च करना पड़ता हैं |कश्मीर को आतंकवादियों का स्वर्ग बनाने से भी देश की सरकार रोक रहीं हैं मसर्रत सेना और कश्मीर पुलिस पर पत्थर मारने की पूरी ब्रिगेड तैयार कर रहा है | जबकि संग बारी काफिर या शैतान पर करने का चलन रहा है प्रजा तन्त्र को बचाने के लिए कश्मीर का प्रशासन सहता हैं| पत्थर भी मुंह ढक कर मारते हैं मारने वाले स्वयं भी जानते हैं यह गुनाह है |कश्मीर पुलिस में ज्यादातर मुस्लिम हैं क्या मसर्रत यह नहीं जानता ?बस पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की नजर में अपना रूतबा बढाना है जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की हालत खराब है |पाकिस्तान भी जानता है इससे पहले कश्मीर विकास की राह पर चल पड़े जितना उत्पात करना है करवा लो कब तक वहां का जवान अपना जीवन बनाने के बजाय पत्थर मारता रहेगा|
नोट -मैने खुर्दीस्तान की आजादी की जंग कैसे खत्म हुई विषय पर भाषण दिया था आज पहली बार कश्मीर की हालत देख कर लिख रही हूँ ताना शाही में ऐसे भी होता है | डॉ शोभा भारद्वाज

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