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स्वर्गीय गजेन्द्र सिंह की मौत का जिम्मेदार कौन ?

Vichar Manthan
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आम आदमी पार्टी की किसान रैली में भाग लेने गजेन्द्र सिंह दोसा राजस्थान से दिल्ली आये थे | वह राजनीति में अपनी जमीन खोज रहे थे विधायक का चुनाव लड़ कर हार चुके थे अब उनका झुकाव आप दल की तरफ था |इस समय दुखी थे उनकी फसल भी अन्य किसानों की तरह बर्बाद हो गई थी |साफ़ सुथरे कपड़े सिर पर पाग ,पूरी तरह राजस्थानी रंग में रंगे हुए |जन्तर मन्तर में होने वाली रैली में पेड़ पर चढ़ गये हाथ में झाड़ू था वह वसुंधरा राजे सिंधिया और मोदी विरोधी नारे लगा रहे थे |यह आप वालों के लिए मनोहारी था लेकिन कुछ देर बाद सुसाइड नोट लिखते नजर आये उसे जनता में उछाल दिया और गले में फंदा डाल लिया | सब कुछ धीरे-धीरे चल रहा था आप के नेता गण अपनी रैली में मग्न थे अब मंचासीन बन्धुओं की नजर उन पर पड़ गई | कुमार विश्वास कविताये इस अंदाज से पढ़ रहे थे जैसे चुनाव सभा को सम्बोधित कर रहे हों फंदा गले में पड़ा देख कर नीचे उतरने की अपील की गई तब तक गजेन्द्र फंदे झूल गये | पुलिस से भी मदद की अपील की गई एक आवाज आई लटक गया विश्वास के हाथ में माईक था दूसरे हाथ से लटकने का इशारा किया |कार्य कर्त्ताओं ने पेड़ पर चढ़ कर शव को उतारा , दिल्ली पुलिस की गाड़ी में राम मनोहर अस्पताल ले जाया गया |
दृश्य बदल गया मुख्य मंत्री जी की तारीफ़ में कुछ कसीदे पढ़े गये जनता जनार्धन से स्वागत में तालियों की अपील की गई अब मंच पर सियासत शुरू हो गई | केजरी वाल जी ने कहा वह व्यथित हैं कम ही बोलेंगे उन्होंने अपने अंदाज में पुलिस को दोष दे कर किसान की मृत्यु का जिम्मेदार केंद्र सरकार को बनाया किसान की दुर्दशा का ठीकरा मोदी जी पर फोड़ा |केजरीवाल महोदय के सामने मौत को गले लगाता किसान अधिक दूरी पर नहीं था व्यवस्था परिवर्तन की बात करने वाले अपने आप को आम आदमी कहनेवाले गरीबों की राजनीति करने वाले उनके हित चिंतक बनने वाले यदि मंच से नीचे उतर कर किसान से अपील करते वह नीचे उतर आता उसके सुसाइड नोट से स्पष्ट था वह आत्म हत्या करने नहीं आया था वह उनसे मदद की आशा करता था घर लौटने का उपाय चाहता था |केजरी वाल जी वादों की राजनीति करने में मशहूर हैं वादों की झड़ी लगाना आशायें बाटना उनका मूल मन्त्र है |आप के नेता भी जान चुके हैं यदि शान्ति से दल में रहना है वह बोलो जो उनके नेता को पसंद हैं वही बोले अटपटे ब्यान दिये गये मुख्य मंत्री क्या पेड़ की डाल पर चढ़ते और भी बहुत कुछ ऐसे महोदय बोल रहे थे जिनके लिए मेरे मन में बहुत सम्मान था जब वह टीवी चैनल को अपनी सेवा देते थे परन्तु अब वह नेता हैं आगे लिखना नहीं चाहती | यह वह केजरी वाल जी हैं जब राजनीति में अपनी जगह बना रहे थे मीडिया को साथ लेकर आते खम्बे पर चढ़ कर बिजली के तार जोड़ते थे | अब समय बदल चुका है आप की 67 सदस्यों की सरकार है | सब उनके आधीन हैं जिसे चाहें ऊँगली के इशारे से बाहर कर दें |
इस समय चुनाव नहीं है विधान सभा में उन्ही की हर तरफ जय जयकार है केंद्र में मोदी सरकार है राज्यों के चुनाव दूर हैं लेकिन पुराना ढर्रा कैसे छोड़ दें छूटते ही ब्लेम गेम शुरू हो गया | यही नहीं अन्य नेताओं ने जोर शोर से चुनावी भाषण दिये तब तक संसद तक खबर पहुच चुकी थी सतारूढ़ दल के केन्द्रीय मंत्री , राहुल गांधी और अजय माखन अस्पताल पहुँच चुके थे | केजरी वाल भी अंत में गये परन्तु पांच मिनट में वापिस चले लगे | आप के नेता प्रेस कांफ्रेंस करने लगे उनके कवि से नेता बने हैं अपनी तलवार इधर उधर घुमा कर प्रहार करने लगे जनता हैरान और परेशान |गजेन्द्र उनके आह्वान पर दिल्ली आया था उसकी रक्षा करना आप पार्टी का फर्ज था आप के पास वालंटियरों की कमी नहीं है क्यों नहीं पहले ही उसे उतारा गया ?सब अपनी राजनीति किसानों के कंधे पर चढ़ कर चमकाना चाहते हैं दिल्ली के लोग आये दिन होने वाली रैलियों से परेशान है दूरदराज से लोगों को दिल्ली बुला कर प्रदर्शन करते हैं अपनी ताकत दिखाते हैं |
आये दिन किसानों की आत्महत्या की खबरें आती रहती हैं | यह आत्महत्या दिल्ली के दिल कहे जाने वाले क्षेत्र में बैठे श्रोताओं के सामने और टीवी के सामने बैठे दर्शकों के सामने हुई | रात जा रही हैं परन्तु क्षोभ खत्म होने का नाम नहीं ले रहा लिख कर भी शान्ति नहीं मिल रही है गजेंद सिंह की आत्म हत्या दिल्ली वासियों के दिलों पर बोझ छोड़ गई | क्या रैली उसी समय समाप्त हो कर शोक सभा में नहीं बदल जानी चाहिए थी डॉ शोभा भारद्वाज

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