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मेरी माँ ” क्वीन बी “

Vichar Manthan
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जेनरेशन गैप में मैने अपने बच्चों का वर्णन करते हुए अपनी माँ के बारे में थोड़ा बहुत लिखा है | मेरी माँ के पिता अर्थात मेरे जागीरदार नाना कालेज में प्रिंसिपल और जाने माने अंकगणित के माहिर थे | माँ अंग्रेजों के समय में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार ( पिकेटिंग ) करने के लिए धरने देती थीं मेरे चारो मामा स्वतन्त्रता सेनानी थे एक मामा जी आजाद हिन्द फौज में भाग लेने सुमात्रा गये थे आजाद हारने के बाद लौटने पर जेल गये लेकिन जल्दी ही देश आजाद हो गया , उन्होंने पहला चुनाव भी जीता , जल्दी ही उनकी मृत्यु हो गई | मेरी माँ और मौसी के स्कूल में उस जमाने में लडकियों को आत्म रक्षा के लिए लाठी चलानी सिखाई जाती थी मेरी मौसी दोनों हाथों से लाठी चलाती थी और मेरी माँ एक हाथ से, पूरा परिवार एक आदर्श परिवार परिवार था | उन दिनों ब्राह्मणों में संगीत ,ज्योतिष और आयुर्वेद सीखने का प्रचलन था नाना जी ने घर में सूरदास से अपने बच्चों को क्लासिकल म्यूजिक की शिक्षा दिलवाई मेरी अम्मा बहुत अच्छा गाती हैं |
जबकि मेरे पिता जी बहुत साधारण परिवार के थे लेकिन उन्होंने पढाई में स्कूल कालेज में सदा रिकार्ड बनाया | मेरे नाना को मेरे पिता बहुत पसंद आये उन्होंने रिश्ते की बात चलाई और मेरी माँ शायद सोलह बरस की होंगी उनका विवाह हो गया मेरे पिता जी बहुत गोरे हेंडसम थे फिर भी मेरी दादी ने बहू को देखा घबरा गई उनके घुटनों तक लंबे बाल गेहुआं रंग यह तो उनके बेटे को मोहित कर लेगी |हम पूछते माता जी मोहित क्या होता है ?वह चिढ़ कर कहती अरे नयनतारा बन जायेंगी |बहुत अच्छे दिन थे अम्मा सख्त थी पिता जी नर्म और हमारी दादी, हम उन्हीं को अपनी माँ समझते थे |सुबह हम सब की आँख अम्मा के राग भैरवी से खुलती कभी पिता जी भी उसमें सुर मिलाते अम्मा ने सबको हौबी में संगीत की शिक्षा दी मुझे भी सिखाने की कोशिश की परन्तु हारमोनियम के स्वर से कभी मेल नही बैठा अत :अम्मा कहती बेसुरी तेरे बस का म्यूजिक नहीं हैं आज भी घर में भजन कीर्तन होता हैं मैं बस ताली बजाती हूँ |
मुझ ग्रेजुएशन करनी थी घर से कालेज पांच मिनट की दूरी पर था लेकिन केवल लडकियों का कालेज काफी दूर था मुझे मेरी दादी के विरोध के बाद भी कोएजुकेशन में पढ़ने भेजा पढाई पूरी करने के बाद पी.एच .डी. करने दिल्ली भेजा |पढाई के मामले में अम्मा बेहद सख्त थी वह साइंस के अलावा किसी विषय को विषय ही नहीं समझती थी |हम चार बहने दो भाई थे मेरी शादी भी दिल्ली में हुई |मेरे पति देव का वर्णन करते समय वह उनकी डिग्री बाद में बताती इनका इस तरह बखान करतीं वह पुलिस का डाक्टर है पुलिस वाले उससे थर-थर कांपते है |
हमारा हंसता खेलता परिवार था मेरी एक बहन की शादी पढ़ते – पढ़ते मेरे पिता जी के मित्र परिवार के अच्छे जानकर के सपुत्र से हुई उनसे घर जैसे सम्बन्ध थे अत : लडके की ज्यादा पूछताछ भी नहीं कर पाये लड़का सर्वदुर्गुण सम्पन्न निकला सुसराल ने शर्मिंदा होने के बजाय बहन को इतना तंग किया जो कहानियों में ही सुना था जब हम लेजाना चाहते उनके आधा दर्जन पुत्रों के सामने मेरे पिता लाचार आखिर में मेरे जीजा श्री ने अपनी किसी पुरानी मित्र से विवाह कर लिया उनके घर में उससे पुत्र ने जन्म लिया | मेरी बहन की वहाँ जरूरत ही नहीं थी बेटा उन्होंने रख लिया बेटी मेरी बहन के साथ |मेरी बहन की उम्र इक्कीस बर्ष की थी सामने वाले पूरे दबंग और उच्च पदासीन ,उनका सपुत्र कालेज का नेता , मेरे पिता भी अधिकारी थे परन्तु बेटियों के बाप थे मजबूर थे | कानून कुछ भी कहे पर हम लाचार बेबस अपना घर शहर भी छोड़न पड़ा उस वक्त नौयडा नया बसा था वहाँ हमारा छोटा सा घर था परिवार वहाँ आ गया मेरी माँ ने हिम्मत नहीं हारी उन्होंने लडकी से नौकरी नहीं कराई घर में ही स्कूल खोल लिया |
मेरी माँ पिता जी में बहुत प्रेम था एक दिन मेरे पिता जिन्होंने कभी माँ के सामने पीठ नहीं मोड़ी थी ऐसी मोड़ी फिर कभी नही उठे |वह अपनी असमर्थता को सह नहीं सके | मैं विदेश में थी अम्मा ने गजब की हिम्मत दिखाई पिता जी को नोएडा से लेकर अपने घर मेरठ लाई मेरी बहन की नन्ही बेटी पिता जी के शव पर लेटी थी वह कुल एक वर्ष की थी जब मेरे पिताजी की शव यात्रा निकली पीछे भीड़ ही भीड़ माँ ने बच्चों को संयत रहने को कहा सबसे छोटी बहन सुन्न हो गई वह लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज की वोटिंग लिस्ट में थी एडमिशन पक्का था वह उठ नही सकती थी छोटा भाई चुपचाप जो काम होता करता या सिर झुका कर बैठा रहता उसका इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन हो गया था मेरे पिता जी को श्रद्धान्जली देने के लिए भारी भीड़ थी अचानक छोटा भाई चीखने लगा अम्मा सब संकोच छोड़ कर उसको संयत करने लगी लिख नहीं सकती घर पर कैसा पहाड़ टूटा था बस जिन्दा रहे|
अपने माता पिता की इकलोती लाड़ली बेटी अचानक रानी मधुमक्खी (मेरे पति का दिया नाम ) बन गई |किसी से मदद नहीं ली, सबने सिर जोड़ कर अम्मा के सुपरवीजन में बहुत मेहनत की आज नोएडा के सम्मानित लोगों की श्रेणी में आते हैं हैं सब कुछ है बस नहीं हैं तो हमारे पिता जी | जिस बच्ची को बेकार समझा था वह इंजीनियरिंग की पढाई कर रही थी उसका दादा रिटायर हो चुका था उसे देखने आया उसने पूछा तुम जानती हो मैं कौन हूँ पोती ने कहाँ हाँ मेरे बायलोजीकल बाप के बाप अब वह क्या बोलता | मेरी भांजी स्कालर शिप पर विदेश पढ़ने गई उसके बाद अमेरिका आज वह बहुत ऊचे पद पर काम कर रही हैं| उसके घर एक नन्हीं बच्ची ने समय से पहले जन्म लिया वह बेहद कमजोर थी उसने अम्मा को बुलाया अम्मा आप ही मेरी बेटी को बचा सकती हो और अम्मा 84वर्ष की उम्र में बम्बई गई उस बच्ची को बचा लिया | मेरी बहन को सभी जानते हैं लोग सुसराल में कमजोर पड़ी अपनी बेटियों को समझाने लाते हैं अब वह एक पत्रिका की सम्पादक है व्यंग भी लिखती हैं उसका बेटा भी माँ के पास आगया |
16 मई के दिन हमारे अनोखे पिता ने संसार से विदा ली थी अत: उनकी पुण्य तिथि के दिन हम सब इकट्ठा होते हैं सब बेहद उदास, काफी समय बीत गया ऐसा लगता है कल की बात है कभी कोई पिताजी कह कर चीखने लगता है हम सब रोने लगते हैं अम्मा सबको चुप कराती है कोई भी कह देता हैं अगर अम्मा तुम चली गई तो हम भी तुम्हारे साथ ही सता हो जायेंगे |सब बच्चे अम्मा से बेहद प्यार करते हैं उनका जन्म दिन मनाते हैं बकायदा पोतियाँ एंकरिंग करती हैं अम्मा केक काटती हैं | मदर्स डे पर अपनी क्वीन बी माँ का सफर लिख रही हूँ |

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