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‘व्यवस्था परिवर्तन’ का नारा और केजरीवाल

Vichar Manthan
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केजरीवाल जी ने दिल्ली विधान सभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए दिल्ली की जनता से लगभग सत्तर वादे किये जिसमें प्रमुख वादा व्यवस्था परिवर्तन और स्वराज्य भी था | ऐसा लग रहा था केजरी वाल जी जनता से किये वादे पूरे करने के साथ एक साफ़ सुथरी व्यवस्था के समर्थक हैं | उन्होंने चुनाव में प्रचंड बहुमत प्राप्त किया उनके दल ने दिल्ली विधान सभा की सत्तर सीटों में से 67 सीटें जीती, बड़े जोश से उनका शपथ ग्रहण समारोह हुआ जिसमें उन्होंने इन्सान से इन्सान का हो भाई चारा गीत भी गाया सत्ता सम्भाते ही उन्होने केंद्र से और फंड की डिमांड रख दी जबकि अपने चुनावी रेलियों में कहते थे मैने देख लिया हैं दिल्ली में बहुत पैसा हैं | M.C.D. कर्मचारियों को वेतन देने पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया बार-बार कहा मुझे M.C.D.सौंप दो मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा बहुत हंगामा हुआ लेकिन सफाई कर्मचारियों ने अधिक दिन तक सहन नहीं किया उन्होंने शहर में जगह जगह कूड़े के ढेर लगा दिए | केजरीवाल जी को मजबूर हो कर वेतन देना पड़ा उन्हें जनता द्वारा ही चुनी गई संस्था से झगड़ा रास नहीं आया | यही नहीं जिन उनके अपने नजदीकी सिपहसालारों की मदद से उन्होंने चुनाव जीता था उनका भी विरोध पसंद नहीं आया पहले प्रशांत भूषण और योगेन्द्र को दल से बाहर का रास्ता दिखाया उसके बाद उनके साथियों को भी सहन नहीं किया यहाँ तक जिस लोकपाल बिल को सामने रख कर उन्होंने विधान सभा से ४९ दिन की सरकार चला कर इस्तीफा दिया था अपने लोकपाल रामदास जी को भी हटा दिया | उन्हें मीडिया द्वारा आलोचना पसंद नहीं हैं उन्होंने मीडिया को भी नहीं बख्शा जिस मीडिया के कंधे पर वह सवार हो कर आये थे मीडिया ने उनकी हर बात को कवर किया था जीतने के बाद वह मीडिया को धमकाने लगेमीडिया, वह जो चाहे उसको कवर करे वह जो बोले बस उसी को दिन भर सुर्ख़ियों में दे |
संविधान में तीन भागों में कार्यों को बाटा गया है १.केंद्र सूचि २. राज्य सूचि 3. समवर्ती सूचि जिस पर राज्य और केंद दोनों कानून बना सकते हैं l कुल पांच केंद्र शासित प्रदेश हैं जो केंद्र सरकार के आधीन हैं लेकिन ६९वे संशोधन द्वारा दिल्ली में विधान सभा का गठन किया गया संविधान का अनुच्छेद २३९ AA दिल्ली सरकार और राज्यपाल के अधिकारों की व्याख्या करता है दिल्ली में दो सरकारें हैं केंद्र सरकार और राज्य सरकारें, राज्य सरकार के अधिकार सीमित हैं देश में प्रधान मंत्री अटल जी की सरकार रही हैं इसके अलावा गुजराल और श्री देवगौड़ा की सरकार रही हैं दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने ताल मेल से काम किया हैं यदि कोइ मतभेद था उसे बंद कमरों में सुलझा लिया गया |15 वर्ष तक श्रीमती शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्य मंत्री रही हैं वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाना चाहती थी पुलिस को अपने अधिकार में लेना चाहती थी निर्भया कांड के बाद वह बहुत परेशान रहीं लेकिन वह समझ चुकी थी दिल्ली में विदेशी राजनयिक बसते हैं उनकी सुरक्षा और आतंकवादी गतिविधियों के बढने से पुलिस व्यवस्था केंद्र सरकार अपने हाथ में रखना चाहती हैं | चुनाव के समय एक चैनल में मुझे आप समर्थकों की भीड़ में जाने का मौका मिला जहाँ लोग कह रहे थे हमें शीला अम्मा ने बहुत कुछ दिया हमें झुग्गी की जगह जमीन दी बीपीएल कार्ड दिया सदा हमारी सुनी लेकिन अब हम केजरी वाल जी को वोट देंगे शीला जी से जो मिलना था मिल गया अब फ्री पानी और बहुत सस्ती बिजली चाहिए| वैसे ही झुग्गी बस्तियों को बिजली का बिल देने की आदत नहीं है वर्षों तक बिजली की मेन तार में कुंडे लगा कर बिजली ली है | शीला जी चुनाव हार गई परन्तु दिल्ली में उनके प्रशासन पर किसी को एतराज नहीं था | वादों की झड़ी लगा कर केजरी वाल के दल को जबर्दस्त बहुमत से जीत हासिल हुई | केंद्र में भी बहुमत की सरकार हैं भाजपा के पास अपना पूर्ण बहुमत है 340 N.D.A.की सदस्य संख्या को मिला लें बहुमत की कमी नहीं है दूसरी और दिल्ली विधानसभा में भाजपा के तीन विधायक हैं कांग्रेस का कहीं नाम नहीं है |
अब उनका झगड़ा ब्योरोक्रेट( नौकर शाहों )को लेकर है संसदीय व्यवस्था में बहुमत की सरकार होती है यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता मिली जुली सरकारें बनती हैं , कभी –कभी जल्दी –जल्दी सरकारें बदलती हैं लेकिन प्रशासन नौकर शाह सम्भालते हैं राजनीतिक परिवर्तनों का पता ही नहीं चलता |फ्रांस की ब्योरोक्रेसी इतनी सक्षम है जल्दी-जल्दी सरकारें बदलती रहती थी परन्तु देश चलता रहता था यह नौकर शाह भी मामूली हस्ती नहीं हैं | लाखों परीक्षार्थी परीक्षा में बैठते हैं कुछ ही लोकसेवा आयोग द्वारा लिखित और मौखिक परीक्षा में पास होते हैं नियुक्ति मिलने से पहले उनकी ट्रेनिंग होती है | आईएएस और आईपीएस अधिकारी बनना हर पढ़े लिखे नौजवानों की दिली चाह होती हैं |
केजरी वाल जी के मुख्य सचिव के के शर्मा केजरी वाल को पसंद नहीं थे उन्होंने दस दिन की छुट्टी ली अब उनके स्थान पर कार्यवाहक सचिव की नियुक्ति होनी थी उपराज्य पाल नजीब जंग ने मुख्य सचिव के छुट्टी जाने की वजह से शकुंतला गैमलिन को कार्यकारी मुख्यसचिव नियुक्त किया जिनके पास ऊर्जा विभाग था उपराज्यपाल के अनुसार किनको कार्यकारी सचिव नियुक्त किया जाए लिस्ट में कुछ नाम भेजे थे 40 घंटों तक जबाब न आने पर उन्होंने लिस्ट में दिये नामों में शकुन्तला गैमलिन को नियुक्त किया लेकिन केजरी वाल ने इसे उपराज्य पाल की दखलंदाजी माना उन्होंने कहा यह नियुक्ति बिना उनकी राय लिए की गई है अत : यह फैसला असंवैधानिक हैं | यही नहीं केजरी वाल ने ओटो वालों से सम्वाद सभा में शकुन्तला गैमलिन पर बड़े नाटकीय ढंग से आरोप लगाया उनकी बिजली कम्पनी से सांठ गाँठ हैं यही नहीं अरिंदो मजुमदार की नियुक्ति राज्यपाल ने की थी इस लिए उनके दफ्तर पर भी ताला जड़ दिया |शकुन्तला सीनियर अधिकारी हैं उनपर ऐसा आरोप लगाने से सिविल सर्विस के अधिकारियों में क्षोभ पैदा हो गया वह अब अपनी पोस्टिंग दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर चाहते हैं इस झगड़े में |पहले नजीब जंग राष्ट्रपति महोदय से मिले उसी शाम को मुख्य मंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष शिशोदिया भी उनसे मिले| |
केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर दिल्ली सरकार को उनके कार्य क्षेत्र समझाये दिल्ली सरकार के कार्यक्षेत्र में लोक व्यवस्था ,पुलिस और भूमि सम्बन्धी कार्य नहीं आते| प्रशासनिक अधिकारी भी केंद्र सरकार से सम्बन्धित है अत :अधिकारियों के तबादले के लिए उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री से सलाह लेने की जरूरत नहीं है दिल्ली सरकार के आधीन भ्रष्टाचार निरोधक ब्योरो को केन्द्रीय कैडर के अधिकारियों के खिलाफ जाँच करने का अधिकार नहीं है | -केजरी वाल की प्रोपगंडा मिनिस्ट्री का जबाब नहीं है वह किसी भी झगड़े को केंद्र सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करने में माहिर हैं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस अधिसूचना से यह स्पष्ट हो चुका है कि ‘‘दिल्ली का तबादला-पोस्टिंग उद्योग’’ आप सरकार से भयभीत है।|केजरीवाल ने भी कहा वह ट्रांसफर पोस्टिंग की इंडस्ट्री खत्म करना चाहते हैं उनके भय से दलाल भाग रहे हैं | अपने ट्वीट में कहा, ‘भाजपा पहले दिल्ली चुनाव हार गई अब वह पिछले दरवाजे से सरकार चलाना चाह रही है आज की अधिसूचना हमारे भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों के बारे में भाजपा की घबराहट को दिखाती है । भाजपा आज फिर हार गई ‘
।केजरी वाल ने 39 वरिष्ट अधिकारियों के’प्रति भी अपनी अनिच्छा जाहिर की हैं| किसी नौकर शाह का जीवन भर के काम से मिला नाम उसके विरुद्ध किया गया एक कमेंट खराब कर देता है| कांग्रेस के अनुसार केजरी वाल किसी की भी पगड़ी उछाल सकते हैं जबकि केजरीवाल इस विषय को लेकर सुप्रीमकोर्ट भी जा सकते हैं| संवैधानिक विवादों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होती है |केजरी वाल ने अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष में दिल्ली के सेंट्रल पार्क में जनसभा बुलाई हैं यही नहीं दिल्ली विधान सभा का आपतकालीन सेशन भी उन्होंने मंगलवार से बुलाया है अब वह केंद्र द्वारा दिए नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं |
व्यवस्था परिवर्तन का अर्थ यह भी हो सकता है नियमों का इस्तेमाल अपने अनुसार न कर पाने की स्थिति में उसके खिलाफ प्रोपगंडा करना |संवैधानिक विषयों को सड़क पर ले आना |केजरी वाल को जनता पर बहुत भरोसा है वह हर विवाद को जनता के बीच ले जाने की बात करते हैं जबकि रोजी रोटी के बोझ से त्रस्त जनता के पास समय ही कहाँ है चुनाव के समय का जोश था अब तो रह गयी है रोजमर्रा की परेशानियां |
डॉ शोभा भरद्वाज

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