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आडवाणी जी की इमरजेंसी की वापसी को लेकर निर्मूल आशंका

Vichar Manthan
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आडवाणी जी की आपतकालीन स्थिति को लेकर चिंता
भाजपा के कभी कद्दावर रहे नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने देश में आपातकाल जैसी स्थिति की वापसी को लेकर आशंका जताई है, |बड़ी हैरानी की बात है आडवानी जी लम्बे समय से सांसद रहे हैं अटल जी की सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे हैं तथा प्रधानमन्त्री पद के भी दावेदार और इच्छुक रहे हैं | आडवानी जी का भाजपा को मजबूत करने में बहुत योगदान रहा हैं ,अब वह उसका फल चखना चाहते थे सबसे बड़ी अड़चन उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधान मंत्री पद का दावेदार घोषित करने के समय पैदा की थी | |यह महत्व कांक्षा कोई नई नहीं है पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी जी को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की सलाह दे कर स्वयं अपने को प्रधान मंत्री बनाने की इच्छा जाहिर की थी ,और आज के समय में वह रोज रूठ जाते हैं या कोप भवन में चले जाते हैं ,या अपने विचारों से जनता एवं अपने दल के विरोधियों को अवगत कराते रहते हैं ज्यादातर यहीं समाचार आता है आडवाणी जी नाराज हैं सब उनको मनाने जा रहें हैं फिर उनका स्टेटमेंट आता नहीं सब ठीक है भाजपा की आधी ताकत इनके रूठने और इनको मनाने में निकलती रही है | अब भाजपा उन्हें किनारे लगा चुकी है लेकिन इमरजेंसी पर की गई टिप्पणी ने 40 वर्ष पूर्व घोषित इमरजेंसी पर एक बहस छेड़ दी |
इंदिरा जी के चुनाव में प्रतिद्वंदी राजनारायण की कोर्ट में दी गई याचिका में इंदिरा जी रायबरेली जो उनका चुनाव क्षेत्र था इस चुनाव में सरकारी अधिकारियों और मशीनरी का प्रयोग किया गया है | सुनवाई के बाद निर्णय देते हुए १२ जून 1975 को इलाहाबाद के उच्च न्यायालय ने इंदिरा जी के लोकसभा चुनाव को रद्द घोषित कर दिया तथा संसद का चुनाव लड़ने पर भी छह वर्ष का प्रतिबन्ध लगा दिया जबकि भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री का सांसद होना आबश्यक है | इंदिरा जी ने इस फैसले के विरुद्ध सुप्रीमकोर्ट में अपील की लेकिन उनके राजनैतिक विरोधियों ने अवसर का लाभ उठाकर उन पर इस्तीफे का दबाब डाला |हड़तालों और चारो तरफ होने वाले विरोधों से कई राज्यों का जनजीवन ठप पड़ गया जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आन्दोलन और प्रखर हो गया |विपक्षी दल एक हो गये संसद भवन और इंदिरा जी के आवास को घेर कर उन पर इस्तीफे का दबाब बढने लगा | 25 जून को जय प्रकाश नारायण की रामलीला मैदान में विशाल रैली हुई उसी रात को आपतकालीन स्थिति लगाने का इंदिरा जी ने निर्णय लिया , इंदिरा जी सत्ता छोड़ना नहीं चाहती थी उन्होंने न ही संसद ,न ही मंत्री मंडल से इमरजेंसी लगाने की सलाह ली रात को आपतकालीन घोषणा का ड्राफ्ट तैयार करवाया जिसमें संविधान की धारा 352 के तहत इमरजेंसी लगाने की राष्ट्रपति महोदय से सिफारिश की गई वह सिद्धार्थ शंकर रे के साथ राष्ट्रपति फखरुद्दीन अहमद के पास गई उन्होंने भी अधिक विचार न कर घोषणा पर उसी रात अपने हस्ताक्षर कर दिए उनके समय के लोग कहते थे राष्ट्रपति साहब अपने आप से एक बार दगा कर लेंगे परन्तु इंदिरा जी से नहीं | इंदिरा जी सेंसरशिप की हिमायती थी लेकिन वह अखबारों को बंद करने के लिए उनकी बिजली काटने के पक्ष में नहीं थी न ही वह अदालतों को बंद करना चाहती थी यह सब उनके पुत्र संजय गांधी के प्रभाव में हो रहा था | उस समय के सूचना प्रसारण मंत्री आई के गुजराल ने इसका विरोध किया उनकी जगह विद्या चरण शुक्ल को सूचना प्रसारण मंत्री बना दिया गया |
इंदिरा जी कुछ नेताओं जिनमे जे.पी. भी थे गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी उनको भी गिरफ्तार किया गया साथ ही उनके अनुसार अशांति मचाने वाले ज्यादातर विरोधी नेता गिरफ्तार कर लिए गये |मंत्री मंडल की बैठक में भी केवल रक्षा मंत्री श्री स्वर्ण सिंह के अलावा किसी ने इमरजेंसी पर प्रश्न नहीं किया |
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सुबह सबको अखबार पढने के आदत होती है 25 जून की रात को केवल दो अखबार छपे हिन्दुस्तान टाइम्स और स्टेट्स मैंन इनके दफ्तर के एरिया की बिजली नहीं काटी गई थी बाकी अखबारों की छपाई बहादुर शाह जफर मार्ग पर होती थी बिजली काट दी गई थी |मैं दिल्ली में पढ़ती थी मेरे मामा स्टेट्समैन के दफ्तर मैं महत्व पूर्ण पद पर काम करते थे उन्होंने मुझ बताया देश में आपतकालीन घोषणा हो गई है | मुझे आज भी याद है एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था लोग आपस में खुल कर चर्चा नहीं कर रहे थे परन्तु अफ्फाहों का बाजार गर्म था | मेरा मन भी लायब्रेरी में पढने में नहीं लगा मैं अपने मामा जी के घर चांदनी चौक में रहती थी घर जाने के लिए टाउन हाल से कुछ ही दूर पर थी देखा कई कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे उनके बीच में विजय राजे सिंधियाँ ने कुछ बोलने के लिए माईक उठाया चारो तरफ मुस्तैद खड़ी पुलिस अपना घेरा कम करने लगी सिंधियाँ जी को पुलिस जीप में बैठने की प्रार्थना की गई वह बैठ गई उनके जीप में बैठते ही नारे कुछ तेज हुए जीप के जाते ही भीड़ छटने लगी |
इमरजेंसी में अनुशासन और अधिकारों के साथ कर्तव्यों पर भी जोर दिया गया पूरे देश में अनुशासन का माहौल था सरकारी कर्मचारी समय पर अपने काम पर जाते | जिसने भी विरोध का प्रयत्न किया उसी की नौकरी खतरे में पड़ गई अनेक गिरफ्तारिया हुई दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने जामा मस्जिद के आस पास बसी अनाधिकृत बस्तियों को हटाया गया जिसका जम कर विरोध हुआ लोग बेघर हो गये जिससे साम्प्रदायिक कटुता फैली| जबरन परिवार नियोजन के कार्यक्रम चलाए गये जिसका इमरजेंसी हटने के बाद चुनावों में जम कर प्रचार किया गया|
21 माह के बाद आपत कालीन स्थिति समाप्त कर चुनावों की घोषणा की गई |इंदिरा जी के विरोध में सभी अलग-अलग विचारधारा वाले दल एक हो गये उन्होंने जनता दल बना कर कांग्रेस के विरुद्ध चुनाव लड़ा चुनाव का परिणाम इंदिरा जी की आशा के विपरीत था वह ही नहीं संजय गांधी भी चुनाव हार गये | इंदिरा जी आम जनता की प्रिय नेता थी फिर भी जनता की तरफ से यह चेतावनी थी हर कीमत पर प्रजातंत्र को बचाया जाएगा विश्व के राजनैतिक चिंतक भी हैरान थे आधा पेट भोजन खा कर सोने वाली गरीब जनता भी अपने अधिकारों के प्रति इतनी जागरूक है | आज मीडिया इतना शक्तिशाली है कोई इमरजेंसी लगाने के विषय में सोच भी नहीं सकता |

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