Menu
blogid : 15986 postid : 955139

आतंकवादी याकूब मेनन की फांसी पर राजनीति

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

आतंक वादी याकूब मैनन की फांसी पर राजनीति
१२ मार्च १९९३ ,मुम्बई बम धमाकों से दहल उठी | भारत में होने वाले पहले बम धमाके थे जिसमें पाकिस्तान का हाथ था यह 13 बम धमाके जिससे देश की व्यवसायिक नगरी मुम्बई दहलती रही | स्टाक एक्सचेंज में 1.30 पर पहला धमाका हुआ उसके बाद एक के बाद एक धमाके होते गये अपने घरों से रोजगार या खरीदारी के लिए निकले निर्दोष लोग हादसों के शिकार हुए | इन धमाकों में 257 लोगों की मौत और 713 लोग घायल हुए , लोग आज भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं | द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इतने बड़े पैमाने पर आर डी एक्स का इस्तेमाल हुआ था | यह भारत में पाकिस्तान के समर्थन से पहली बार किये गये धमाके थे जिसके साथ भारत में आतंकवाद की शुरुआत हुई | यह बम विस्फोट मुंबई में सभी प्रमुख स्थानों पर किए गए थे। ये प्रमुख स्थान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, कालबादेवी का हीरा बाजार, शिवसेना भवन, एयर इंडिया बिल्डिंग, जवेरी बाजार, सेंचुरी बाजार, मच्छीमार कॉलोनी माहिन, फाइव स्टार होटल सी-रॉक, प्लॉजा सिनेमा, फाइव स्टॉर जुहू सेन्टोर होटल, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाहर, होटल एयरपोर्ट सेन्टोर और पासपोर्ट कार्यालय वरली थे इनका उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों की मौत और मुम्बई की कमर तोड़ना था |
इस योजना को बनाने में प्रमुख भूमिका दाउद इब्राहीम , डी कम्पनी के मालिक की थी | |इस योजना को कार्यान्वित करने में टाईगर मेनन,अयूब मेनन याकूब मेनन बम विस्फोट का सामान लाने वाले तस्करों उनके अनेक साथी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस. आई का प्रमुख हाथ था |इसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी शामिल थे जिन्होंने कार और स्कूटरों में लगाये गये बम निश्चित स्थानों पर पहुचाये थे |
बम विस्फोटों का कारण बाबरी ढाचें को तोड़ने का बदला उसके बाद होने वाले दंगों को कारण बताया गया |
याकूब मेनन को 27 जुलाई 2007 को मुम्बई बम धमाकों की साजिश रचने के कारण टाडा कोर्ट में फांसी की सजा सुनाई गई |मेमन के वकीलों ने मुम्बई हाई कोर्ट ,के बाद सुप्रीम कोर्ट में और श्री राष्ट्रपति महोदय से फांसी को आजीवन करावा में बदलने की अपील की परन्तु फांसी की सजा बरकरार रही |जबकि मेनन के वकील चाहते थे सजा आजीवन कारावास में बदल जाए |याकूब मैनन पढ़ा लिखा व्यक्ति हैं वह चार्टर्ड अकाउंटेंट था | वह अपने भाई टाईगर मैनन के गैर कानूनी धंधों का हिसाब रखता था | मुम्बई बम धमाकों के बाद कराची चला गया | वह नेपाल की राजधानी काठमांडू आया था यहाँ से उसे गिरफ्तार किया गया | याकूब के वकीलों ने टाडा कोर्ट में गिरफ्तारी के बाद दलीलें दी इन धमाकों में उसके भाई टाईगर मेनन का हाथ था |जबकि सरकारी वकीलों की दलील थी वह बम काण्ड में बराबर का गुनाहगार है उसने न केवल फंड की व्यवस्था की बल्कि आतंकवादियों को पाकिस्तान जा कर हथियार चलाने की ट्रेनिग देने के लिए उनके जाने के लिए टिकट आदि की व्यवस्था की उसका 12 बमों को बनाने में उसका हाथ था | विस्फोटक उसके घर से दुर्घटना स्थल पर भेजे गये |
निर्दोषों को मौत के अंजाम तक पहुचाने वाले ने अपने बचाव के लिए हर संभव प्रयास किया दया की भी अपीले की | यह मुकदमा वहुत लम्बे समय तक लगभग 22 वर्ष तक चला उसने जेल में अपना आचरण बदला वह अनपढ़ों को पढाता था सबसे मीठा व्यवहार करता था लेकिन इससे उसका संगीन अपराध कम नहीं हो जाता | 30 जुलाई का दिन याकूब मैंनन की फांसी का दिन निर्धारित किया गया हैं |
लेकिन इससे पहले स्वर्गवासी वी रमन काउन्टर टेरिरिज्म डेस्क ‘( ‘रा ‘के पाकिस्तानी डेस्क )के प्रमुख थे याकूब मेनन और उनके परिवार को कराची से भारत लाने के अभियान के वही इंचार्ज थे |उनके अनुसार नेपाल पुलिस के सहयोग से याकूब को काठमांडू से गिरफ्तार कर भारत लाया गया था | याकूब ने जांच एजेंसियों से सहयोग किया उसी के द्वारा बम विस्फोट में पाकिस्तान की भूमिका भी उजागर हुई |उन्होंने 2007 में रेडिफ के लिए लेख लिखा था लेकिन उन्होंने लेख को छापने की अनुमति नही दी थी |इस लेख में उन्होंने लिखा याकूब काठमांडू में अपने रिश्तेदार से मिलने आया | वह एक वकील से समर्पण के लिए क़ानूनी सलाह लेने आया था लेकिन उस रिश्तेदार ने उसे समर्पण के लिए मना कर वापिस कराची जाने की सलाह दी वापिस जाने से पहले ही वह नेपाल पुलिस द्वारा पकड़ कर भारत को सौंप दिया गया | अपनी राय देते हुए उन्होंने कहा याकूब ने जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग किया , इस सहयोग के कारण विभिन्न हालातों पर नजर डालते हुए क्या फांसी की सजा पर अमल होना चाहिए| दोषी होने के कारण मेरे लिखने से क्या वह सजा से बच जाएगा ? यह लेख उनकी व्यक्तिगत राय थी | श्री रमन की जून 2013 में मृत्यु हो गई उनके भाई की स्वीकृति के बाद यह लेख छपा |
इस लेख से एक नई बहस शुरू हो गई देश के मुसलमानों का लीडर बनने की बहस | सबसे पहला ब्यान समाजवादी नेता अबू आजमी का आया | उन्होंने मुम्बई बम ब्लास्ट को बाबरी ढाँचे से जोड़ा बाबरी मस्जिद टूटने के खिलाफ प्रतिक्रिया (रिएक्शन )| फांसी की सजा को मजहब से जोड़ दिया गया , घुमा फिरा कर कहा उन्हें भारतीय न्याय व्यवस्था पर विश्वास है परन्तु सुप्रीम कोर्ट में जांच एजेंसियों ने जो तथ्य दिए उसी पर न्यायालय विश्वास कर न्याय करता हैं |धर्म की राजनीति का कार्ड खेलना शुरू किया |अबू आजमी क्या नहीं जानते ‘बम’ पर हिन्दू या मुस्लिम नहीं लिखा रहता हैं जो भी उसकी चपेट में आ जाता हैं उसकी मृत्यु या अपाहिज होना निश्चित है | मुम्बई में कितना विध्वंस हुआ रही बात रिएक्शन की भारत धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र है अपवाद को छोड़ कर किसी ने भी बाबरी ढाँचे के तोड़े जाने का समर्थन नहीं किया था | गोधरा में दंगाईयों ने बोगियों को जला कर सवारियों को ज़िंदा जला दिया जिसकी प्रतिक्रिया में गुजरात में होने वाले खूनखराबे को मानवता किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं ठहरायेगी |
सबसे जोर शोर से उबैसी ने पैरवी की मक्का मस्जिद में ईद के मौके पर इक्कठे लोगों के सामने गरज – गरज कर याकूब की फांसी को मजहबी रंग दिया |उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर उन्हें उन्हें विश्वास है ‘लेकिन ‘बयंतसिंह के कातिल को फांसी क्यों नहीं दी गई न क्योंकि उनके साथ अकाली दल की सरकार है अत: विधान सभा में प्रस्ताव पास हो गया | यही नहीं राजिव गांधी के कातिलों को भी सजाये-मौत नहीं दी गई ,उनके पीछे तमिलनाडू की दोनों सियासी पार्टियाँ थी क्योंकि याकूब मेनन मुस्लिम हैं उसके पीछे कोई दल नहीं है उसे फांसी की सजा दी जा रहीं है | इतनी लम्बी प्रक्रिया चली उवैसी साहब का कोई स्टेटमेंट नहीं आया ,आया तब जब वह चाहते हैं | मुस्लिमों की भावनाओं को धर्म के आधार पर भड़काने की कोशिश कर अपने आप को अकेला मुस्लिम हितैषी बतला रहे हैं | क्या न्यायालयों में धर्म देख कर न्याय दिया जाता है ? हाँ उवैसी साहब याकूब मेनन के नाम पर उनके खैर ख्वाह बन गये और मुस्लिम वोट बैंक की नीति करने की कोशिश कर रहे हैं | कुछ नेताओं ने भी बिहार चुनाव को सामने रख कर गोल मटोल स्टेटमेंट दिए परन्तु आतंकवादी घटना के परिणाम स्वरूप फ़ासी का विरोध नहीं किया, भारतीय न्यायव्यवस्था का समर्थन किया |
मुस्लिम क्या चाहते हैं ? इन दोनों पैरोकारों नें नहीं पूछा मुस्लिम भी आतंकवाद के साये में जीना नहीं चाहते हैं वह विकास चाहते हैं रोजगार चाहते हैं अपने बच्चों की शिक्षा उनका सुरक्षित भविष्य चाहते हैं | चैन से जीना चाहते हैं घर का हर सदस्य सांझ होते ही सुरक्षित घर लौटें चाहते हैं |
मुम्बई बम काण्ड पहला काण्ड जरुर था आखिरी नहीं हैं इसके बाद कई धमाके हुए 26 /11 को क्या भूला जा सकता है? संसद पर भी हमला हुआ | याकूब मेनन के कुछ समय रहे वकील श्याम केशवानी ने फांसी का विरोध करते हुए कहा आज हर देश में फांसी की सजा का विरोध हो रहा है मेनन की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जाना चाहिए |यह तो अपराधियों के अधिकार की बात है परन्तु जो जीना चाहते थे उनको असमय मौत के मुहं में धकेल दिया गया बच्चों से उनके अपने छिन गये कई अपाहिज और लाचार हो गये उनके अधिकारों का क्या ? कानून को भी धर्म में बांटना जैसे देश में हर धर्म के लिए अलग कानून हैं क्या उचित है ?





• .

·

· .

·

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh