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ओबेसी बन्धुओं की मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश

Vichar Manthan
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ओबेसी की मुस्लिम वोट बैंक में सेंध ? राजनीति में आने के लिये आजकल ऐसा विषय चुना जाता है जिसमें जोश खरोश हो सुनने वालों की धमनियों में रक्त उछाल लेने लगे | इस स्टाईल को कई राजनेताओं ने अपनाया उनकी पतंग राजनीति में जम कर उड़ी कई की कट भी गई और वह इतिहास बन कर रह गये | ऐसे ही ओबेसी बन्धु हैं यह स्वर्गीय सांसद सुलतान सलाहुद्दीन के बेटे हैं | छोटे भाई साहब आंध्र प्रदेश विधान सभा के सदस्य अकबरुद्दीन का एक ही तरीका हैं अपनों की भीड़ में बहुसंख्यक समाज को गाली देना देवी देवताओं धार्मिक चरित्रों ,धर्म का मजाक उड़ाना गाय को माता कहने का मजाक उड़ा कर गोकुशी का समर्थन कर भीड़ से तालियाँ बजवाना | इनके बड़े भाई असदुद्दीन ओवेसी लन्दन से कानून की डिग्री लेकर आये हैं भव्य व्यक्तित्व पहनावा अवध के नबाबों जैसा उनके दो रूप हैं जब वह चैनल में अपने विचार रखने जाते हैं उनका रूप अलग होता है वह एक मंझे राजनेता की तरह बात रखते हैं ग्रुप डिस्कशन से बचते हैं केवल अपनी बात कहना जानते हैं सामने वाले के तर्क पर जल्दी ही पटरी से उतर जाते हैं | उनके पास कु तर्कों का पिटारा है जहाँ उनकी बात का विरोध होता है वहाँ देश की जम्हूरियत ,न्याय व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता संविधान की दुहाई देते हैं धमकाने वाली भाषा का भी प्रयोग करते हैं फंस जाने पर प्रश्न पर प्रश्न करते हैं, कानून की पढ़ाई का इस्तेमाल अपने हित में करने की कला में माहिर हैं | जब अपने समर्थकों को सम्बोधित करते हैं उनकी जुबान जहर उगलती है
विभाजन के समय हैदराबाद में शासक मुस्लिम थे निजाम हैदराबाद लेकिन 85 %प्रजा हिन्दू थी जैसे ही 3 जून 1947 के प्लान की घोषणा हुई ब्रिटिश साम्राज्य में आने वाली रियासतें चाहें आजाद रह सकती हैं या भारत और पाकिस्तान में विलय कर सकती हैं | निजाम हैदराबाद ने भारत और पकिस्तान के साथ विलय न करने की घोषणा की, हैदराबाद स्वतंत्र और सम्प्रभु राज्य रहेगा इस विषय को 13 सितम्बर 1948 में सुरक्षा परिषद में ले गये लेकिन भारत सरकार को मंजूर नही था |सरदार वल्लभभाई पटेल गृह मंत्री थे उन्होंने सेना की मदद से पांच दिशा में हमला कर १०० घंटे में 18 सितम्बर 1948 को कब्जा कर लिया गया निजाम ने सुरक्षा परिषद से अपना अभियोग हटा लिया| |हैदराबाद में मजलिसे –ए-इत्तेहादुल मुसलमीन का बहुत प्रभाव रहा है यह लगभग 80 वर्ष पुराना संगठन है | मजलिस से तात्पर्य मुसलमानों की धार्मिक और राजनितिक संस्था से है ओबीसी परिवार के हाथ में यह संगठन 1957 में आया जब इस दल से प्रतिबन्ध हटा इसके नाम के साथ आल इंडिया जोड़ दिया गया हैदराबाद के मुस्लिम अधिकतर इसी दल का समर्थन करते हैं जबकि कभी कभी विरोध की आवाज भी उठती है |आजकल असदुद्दीन ओबीसी इस दल के अध्यक्ष हैं और सांसद भी है | यह परिवार अक्सर भडकाऊ भाषणों द्वारा राजनितिक माहौल को गर्म करते रहते हैं राजनीति में ही ओबीसी परिवार का रूतबा ही नहीं बढ़ा उनके परिवार की सम्पत्ति में भी जम कर वृद्धि हुई हैं उनके एक इंजीनियरिंग कालेज और मेडिकल कालेज के साथ दूसरे कालेज और दो अस्पताल भी हैं |
छोटे भाई अकबरुद्दीन ओबेसी ने आदिलाबाद और निर्मल कस्बे में अपने भाषण में कहा 15 मिनट यदि पुलिस हट जाए 25 % मुस्लिम 100%हिन्दुओं को मिटा देंगे| अपने सुनने वालों से तालियाँ पिटवाई पहले गिरफ्तारी से बचे फिर गिरफ्तार भी हुये , जमानत के लिए दो वकील खड़े कर दिए हुई इतना दबदबा है अभी तक एफ आई आर दर्ज नहीं हुआ किसी की उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं है |बड़ा भाई तीन बार से सांसद हैं अपने आपको शत प्रतिशत राष्ट्रीय नेता कहते हैं | मुस्लिम विषयों के साथ राष्ट्रीय विषयों को उठाते हैं जैसे 1984 का सिखों का कत्लेआम गुजरात दंगे बाबरी ढाँचे का टूटना उसे शहादत का नाम देते हैं | आजकल दलित हित की भी बात करते हैं |
लेकिन जब पाकिस्तान की मदद से बम्बई ब्लास्ट कांड के आरोपी अभियुक्त याकूब मेनन की फांसी पर प्रश्न उठा कर देश की न्याय व्यवस्था पर प्रश्न उठाया असिमान्न्द को फांसी क्यों नहीं हुई जबकि याकूब पर 22 वर्ष तक मुकदमा चला उनकी फांसी तक न्यायालय में विचार हुआ | असीमा नन्द पर तो अभी आधा समय भी नहीं हुआ | ओरंगजेब मार्ग का नाम बदलने पर एक चेनल में बहस करने आये उन्होंने ओरंगजेब मार्ग का नाम बदलने पर एतराज जताते हुए ओरंगजेब की तारीफ़ में कसीदे पढ़े अंत में असलियत पर आ गये वह ‘ मर्दे मुजाहिद ‘ था सब जानते हैं मुजाहिद मुजाहिदीन से निकला है | ओबेसी का दूसरा रूप , अपने सुनने वालों की भीड़ में बोलने का रूप जिसमें उनकी वाणी आग उगलती है वह मुस्लिम के हित में वही कहते हैं जो गरीब मुसलमान सुनना चाहता है बेरोजगारी , असुरक्षा की भावना सरकारी नौकरियों में 16 % आरक्षण टेक्निकल शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में भी आरक्षण सबसे आसान हैं नोजवानों की भडका कर उन्हें अपने पक्ष में कर सड़क पर निकालना तोड़ फोड़ करवा कर कानून को चुनौती देना जबकि जरूरत हैं नौजवान शक्ति को विकास के रास्ते पर ले जाने की |आजकल वह मुस्लिम राजनीति के सर्वेसर्वा बन कर अपने दल को पूरे देश में फैलाने का इच्छुक हैं | सभी राजनेता जैसे कांग्रेस और समाजवादी मुस्लिमों के एक मुश्त वोट के लिए प्रयत्न करते रहते हैं वह उन्हें असुरक्षा का भय दिखा कर एक मात्र वही उनके हित चिंतक हैं वही उनका विकास कर सकते हैं वोट हासिल करते हैं |अब ओबेसी इस वोट बैंक को हथिया कर राजनीति में अपना रूतबा कायम करना चाहते हैं |
देश आजाद हुआ भारत और पाकिस्तान दो राष्ट्रों का जन्म हुआ भारत एक सहिष्णु धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है देश का संविधान है जिसकी रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय है | आजादी के समय गरीबी से लोग बेहाल थे हरेक ने समझा छोटा परिवार सुखी परिवार अपने आप को गरीबी के दलदल से निकाला लेकिन क्या मुस्लिम को यह बात किसी भी नेता ने समझाई गई मुस्लिम नेता बनने का बहुत आसान तरीका है जहर की खेती करों उन्हें भडकाओ अपने पीछे चलाओ बाद में सरकार तुम्हारी बात को बजन देगी बिचौलिया बन कर फायदा उठाओ | दूसरे नेताओं ने भी मुस्लिम को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है वह इस्तेमाल भी हुए हैं चुनाव समीप आते ही सब मुसलमानों की तरफ भागते हैं और अपने आप को उनका हितचिन्तक बताने की कोशिश कर वोट मांगते हैं |
बिहार में चुनाव है ओबेसी अपना राजनितिक कद बढ़ाने बनाने बिहार जा रहे हैं लालू ने पन्द्रह वर्ष माई ( मुस्लिम और यादव )का हितेषी बता कर राज किया ओबेसी के दल एम आई एम ने महाराष्ट्र में दो सीटें हासिल की अब वह सीमांचल बिहार में अपने प्रत्याक्षी खड़े कर रहे हैं जहाँ चार प्रदेश हैं अररिया , किशन गंज ,कटिहार और पूर्णियां जहाँ 24 सीटें है इन प्रदेशों 38 % से 45 % तक मुस्लिम हैं | 2017 के यूपी चुनाव में भी अपने दल को उतारना चाहते है |वह आजम गढ़ में भाषण देने जाना चाहते थे लेकिन अखिलेश सरकार उनके इरादे जानती है इजाजत नहीं दी ओबेसी ने मुस्लिमों का हितेषी समझे जाने वाले मुलायम सिंह को भी नहीं बक्शा , वह कहा वह संसद में बोल सकते हैं पर यूपी में नहीं मुलायम सिंह मुश्किल से बनाया वोट बैंक आसानी से कैसे जाने दे सकते हैं फिर आजम खान क्या करेंगे ?मोदी जी ने चुनाव से पहले सलमान खान के साथ पतंग उडाई सलमान खान अपने भाई सुहेल खान की फिल्म जय हो का प्रमोशन कर रहे थे | सलमान खान को सभी बहुत पसंद करते हैं ओबेसी ने तुरंत अपील कर दी उनकी फिल्म कोई न देखे वह तो फतवा भी देने लगे | चिरिंजीवी आंध्र प्रदेश के मशहूर ऐक्टर हैं बाद में चुनाव में उतरे डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी थे | वह हैदराबाद को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के समर्थक थे तेलंगाना विवाद में ओबेसी उनसे भी नाराज हो कर उन्हें भी धमकाने लगे | वह स्वर्गीय नरसिंहाराव राव से भी चिढ़ते है क्योंकि उन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का रेडियो सुनने पर ऐतराज किया था उनके लिए ऐसे – ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जो राजनेता कहलाने वाले व्यक्ति को शोभा नहीं देते | ओबेसी उन्हें बाबरी ढाँचे की रक्षा न कर पाने का दोषी मानते हैं |
आजादी से पहले जिन्ना मुसलमानों के शक्तिशाली नेता थे |आजादी के बाद कई नेताओं पर मुस्लिम ने विश्वास जताया अब ओबेसी राष्ट्रीय स्तर पर उनका नेतृत्व करना चाह रहे हें| उनके अनुसार सेक्युलर नेताओं और कांग्रेस से मुस्लिमों का मोह भंग हो गया है जबकि कांग्रेस ने आंध्रा में उनके दल के समर्थन से सरकार बनाई थी |वह भाजपा और नरेंद्र मोदी की निंदा करते कभी नहीं थकते| भाजपा पर मुसलमान विश्वास नहीं करते वहाँ आर एस एस का प्रभुत्व हैं |अत: स्वयं एक मात्र मुस्लिम नेता बन कर राष्ट्रीय स्तर पर उभरना चाहते हैं लेकिन दलितों को भी साथ लेकर चलना चाह रहे हैं |उनके बोल “ मैं फिर से तुम से कह रहा हूँ कि जब तक हम ज़िंदा हैं, ये दुनिया ज़िंदा है, आबाद है | हम नहीं तो दुनिया नहीं | दरवाजा खुलेगा तो खून की नदियाँ बहेंगी” पुलिस को नामर्दों की फौज कहते हैं |क्या मुस्लिम समाज ऐसे नेता को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करेंगे ?

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