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‘गांधी जी का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान’ पार्ट एक

Vichar Manthan
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गाँधी जी की कर्म भूमि भारत
भारत भूमि को गाँधी जी की आवश्यकता थी | गुलामी की जंजीरों में जकड़ी उनकी मात्र भूमि कराह रही थी |यहाँ एक ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता थी जो स्वतन्त्रता आन्दोलन को दिशा नई दिशा दे | 9 जनवरी 1915 के दिन बम्बई की धरती पर अपने परिवार पैर रखा अपार जनसमूह उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा इस तारीख को प्रवासी दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है | श्री गोखले ने उन्हें देश की परिस्थितियों को समझने का सुझाव दिया गांधी जी ने देश के हालात को समझने के लिए भारत भ्रमण करने की योजना बनाई वह सदैव तीसरे दर्जे में सफर करते थे जिससे देश की नब्ज को जान सके, सर्व साधारण से जुड़ सकें | वह शान्ति निकेतन जा कर रवीन्द्रनाथ टैगोर से मिले गांधी जी ने उन्हें गुरुदेव कहा और टैगोर ने उन्हें महात्मा का सम्बोधन दिया | मई 1915 में गांधी जी ने अहमदाबाद के पास कोचरब में अपना आश्रम स्थापित किया लेकिन वहाँ प्लेग फैल जाने के कारण साबरमती क्षेत्र में आश्रम की स्थापना की |
दिसम्बर 1915 में मुम्बई के कांग्रेस के अधिवेशन में गाँधी जी ने भाग लिया गाँधी जी ने यहाँ विभाजित भारत को महसूस किया देश अमीर गरीब,स्वर्ण (ऊची जाति के ) दलित हिन्दू मुस्लिम, गर्म विचार धारा , आधुनिक ( नरम दल ), रुढ़िवादी आधुनिक भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के समर्थक , ब्रिटिश विरोधी जिनको इस बात का बहुत कष्ट था देश गुलाम है| गाँधी जी किसके पक्ष में खड़े हों या सबको साथ ले कर चले |गाँधी जी उस समय के करिश्माई नेता थे जिन्होंने दक्षिण में सबको साथ लेकर सबके अधिकारों की लड़ी थी |
चम्पारण एवं गुजरात के खेड़ा का सत्याग्रह आन्दोलन
बिहार के चम्पारन में सत्याग्रह का नेतृत्व किया| उनका आन्दोलन जन आन्दोलन होता था जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी होती थी उनका एक ही तरीका था अपनी बात को शान्ति और द्रढ़ता से रखें | यहाँ गांधी जी का भारत में पहला सत्याग्रह था यहाँ के किसानों को नील की खेती के लिए विवश किया जाता था लेकिन मूल्य अंग्रेज तय करते थे वहाँ के लोगों की दशा इतनी खराब थी महिलाओं के तन पर पूरा कपड़ा भी नहीं था| वह बस किसी तरह जिन्दा थे उन्होंने यहाँ के लोगों को चरखे का महत्व समझाया अपनी रुई को कात कर अपने लिए वस्त्र तैयार करे |गाँधी जी के अहिंसात्मक सत्याग्रह के बल पर अंग्रेज सरकार को किसानों को रियायत देने पर विवश हो गई |गावँ के लोगों को सफाई से रहने की शिक्षा दी |चम्पारण में वह अपने कार्यकर्ताओं शीत किसानों के संघर्ष का नेतृत्व कर रहे थे एक अंग्रेज पत्रकार ने उन पर कई अभियोग लगाये | किसानों को गुमराह करने के लिए गाँधी देसी वेशभूषा में रहते हैं गाँधी जी ने उत्तर दिया मैने स्वदेशी का व्रत लिया है मेरे कपड़े मेरे या मेरे साथियों के हाथ से बुने और सिले जाते हैं | गाँधी जी ने बाद में कुर्ता पहनना भी बंद कर दिया और घुटने तक धोती और चादर में रहने लगे |
गुजरात क्षेत्र का खेडा क्षेत्र -बाढ़ एवं अकाल से पीड़ित था जैसे सरदार पटेल व अनेक स्वयं सेवक आगे आये उन्होंने ब्रिटिश सरकार से कर राहत की माँग की गांधी जी ने वहाँ एक आश्रम बनाया गावों का सर्वेक्षण कर वहाँ के निवासियों पर होने वाले जुल्मों का लेखा जोखा इकट्ठा कर असहयोग आन्दोलन द्वारा इस भीषण समस्या का सामना किया यहाँ एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जिसमें किसानों से शपथ ली गई वे किसी भी कीमत पर कर नहीं देंगे बेशक उनकी जमीनें जब्त कर ली जाएँ गांधी जी के नेतृत्व में कर वसूलने वाले अधिकारीयों का सामजिक बहिष्कार किया गया |गांधी जी ने पूरे भारत वासियों से सहयोग की अपील की अंत में पांच माह बाद अंग्रेजों को झुकना पड़ा किसानों को कर देने से मुक्ति मिली सभी कैदी मुक्त कर दिए गये गांधी जी की ख्याति देश भर में फैल गई|यही नहीं खेड़ा क्षेत्र के निवासियों को स्वच्छता का पाठ पढाया |वहाँ के दुखी लोग शराब की लत के शिकार थे उन्हें समझाया |
1914 से 18 प्रथम विश्व युद्ध – युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगा दिया बिना जाँच के किसी को भी कारागार में डाला जा सकता था | यह रालेट एक्ट कहलाता था गांधी जी ने देश भर में रालेट एक्ट के विरुद्ध अभियान चलाया |पंजाब में इस एक्ट का विशेष रूप से विरोध हुआ पंजाब जाते समय में गांधी जी को कैद कर लिया गया साथ ही स्थानीय कांग्रेसियों को भी कैद कर लिया गया |13 अप्रेल को 1919 बैसाखी के पर्व पर जिसे हिन्दू मुस्लिम सिख सभी मनाते थे जलियांवाला बाग अमृतसर में लोग इकठ्ठे हुए ,वह रालेट एक्ट की गम्भीरता को भी नहीं समझते थे | जलियांवाला बाग़ चारों तरफ से मकानों से घिरा था बाहर जाने के लिए एक ही गेट था वहाँ एक जन सभा में नेता भाषण दे रहे थे जरनल डायर ने निकलने के एकमात्र रास्ते को रोक कर निर्दोष बच्चों स्त्रियों व पुरुषों को गोलियों से भून डाला एक के ऊपर एक गिर कर लाशों के ढेर लग गये जिससे पूरा देश आहत हुआ गाँधी जी ने खुल कर ब्रिटिश सरकार का विरोध किया अब एक ऐसे देश व्यापी आन्दोलन की जरूरत थी जिससे ब्रिटिश सरकार की जड़े हिल जाएँ |
लखनऊ पैक्ट — प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद टर्की के खलीफा के पद को समाप्त कर दिया गया जिससे भारतीय मुस्लिम उत्तेजित हो गये अली बन्धुओं के नेतृत्व में भारत में एक आन्दोलन चलाया गया जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया | बालगंगा धर तिलक एवं गांधी जी ने खिलाफत आन्दोलन को हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में देखा |नवम्बर 1919 को आल इंडिया खिलाफत सम्मेलन में गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया तथा १ अगस्त 19२० को खिलाफत के प्रश्न पर असहयोग आन्दोलन शुरू किया गया कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन के दो ध्येय घोषित किये गये “स्वराज्य तथा खिलाफत की मांगों की स्वीकृति “
असहयोग आन्दोलन –असहयोग आन्दोलन गाँधी जी के सत्याग्रह का ही अंग था जहाँ अहिंसात्मक ढंग से अपनी बात को ऐसी दृढ़ता से रखना जिसके सामने ब्रिटिश सरकार का दमन चक्र बेबस हो जाये |दिसम्बर 1921में गाँधी जी की भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया अब असहयोग आन्दोलन का उद्देश्य स्वराज्य प्राप्त करना था अब तक कांग्रेस पार्टी किसी एक कुलीन संगठन से बंधी रहती थी अब उसे राष्ट्र व्यापी बनाने की योजना थी वहुत कम शुल्क पर पर सदस्यता ली जा सकती थी कांग्रेस में अनुशासन लाने के लिए एक समिति का गठन किया गया |
सत्याग्रह –सत्याग्रह शब्द को अंग्रेजी में पौसिव रेजिस्टेंट भी कहते हैं परन्तु गाँधी जी के अनुसार इसे निर्बलों का हथियार माना जायेगा |इसे गाँधी जी के साथी मगनलाल ने सत-आग्रह की संधि कर सदाग्रह नाम दिया गाँधी जी ने इसी को अधिक स्पष्ट कर सत्याग्रह शब्द बनाया |इसका सफल प्रयोग उन्होंने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में गोरों द्वारा बनाये गये पंजी करण कानून के विरोध में किया | सत्य पर डटे रहेंगे चाहे मार्ग में कितनी अड़चनें क्यों न आये जीवन का ही अंत क्यों न हो जाये |
असहयोग आन्दोलन के कई रचनात्मक हथियार थे असहयोग को वह अपनी मौलिक सूझ नहीं मानते थे| इसके समर्थन में वह भक्त प्रहलाद और विभीषण का उदाहरण देते थे जिन्होंने पशुबल से बनाई गई सत्ता का विरोध किया उसके साथ सहयोग नहीं किया , लेकिन अन्याय और बुराई के खिलाफ सामूहिक असहयोग के तरीके और राजनितिक क्षेत्र में उसका प्रचलन उनकी मौलिक सूझ बूझ थी वह आत्मिक बल से ब्रिटिश साम्राज्य को कम्पा देने वाली धमकी घुटने टेक कर देते थे गांघी जी ने अंग्रेज सरकार की हिंसा और फौजी ताकत का मुकाबला सत्याग्रह ,अहिंसात्मक असहयोग और सामूहिक सविनय अवज्ञा आन्दोलन से किया उन्होंने भारत की विशाल शक्ति को एकत्रित कर अंग्रेज सरकार का मुकाबला किया |भारत में एक राष्ट्र की भावना को जन्म दिया |
द्वितीय युद्ध की समाप्ति से पहले जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम का प्रयोग किया |एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया परमाणु बम के सामने क्या अहिंसात्मक आन्दोलन टिक सकता हैं गांधी जी का विश्वास इस विध्वंस को देख कर भी नहीं डिगा उन्हें सत्याग्रह की आत्मिक शक्ति पर पूरा विश्वास था | एकता में बहुत बल होता है
1.शराब का बहिष्कार 2.हिन्दू मुस्लिम एकता पर बल 3.अहिंसा पर बल 4.स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार 5. राजस्व न देना 6.छुआछूत का विरोध 7.अंग्रेजों द्वारा दी गई उपाधियों को लौटाना जैसे सर रायबहादुर 8.सरकारी नौकरियों का त्याग,एवं अदालतों का बहिष्कार |
इस आन्दोलन में महिलाओं को भी शामिल किया गया |आन्दोलन से पहले गांधी जी ने केसरे-हिन्द का पुरूस्कार लौटा दिया अन्य लोगों ने भी अपने पदक पदवियां और पुरूस्कार लौटा दिए |विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए अनेक शिक्षण संस्थाएं जैसे काशी विद्यापीठ , बिहार,गुजरात महाराष्ट्र विद्यापीठ एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की गई |जनता ने आन्दोलन में जम कर सहयोग दिया सरकार के दमन चक्र का जम कर विरोध किया गया पूरा देश अंग्रेजों के खिलाफ एक डोर में बंध गया| ऐसा लगने लगा लक्ष्य दूर नहीं हैं | लेकिन दुर्भाग्य से 5 फरवरी देवरिया जिले के चौरा चौरा नामक स्थान पर पुलिस ने सत्याग्रहियों के जलूस को बल पूर्वक रोकना चाहा जनता क्रोध में आ गई उन्होंने थाने में आग लगा दी जिसमें एक थाने दार सहित 21 सिपाहियों की म्रत्यु हो गई | गांधी जी ने तुरंत आन्दोलन रोक दिया उन्होंने कहा आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर अपमान हर एक यातना पूर्ण बहिष्कार यहाँ तक मृत्यु को भी गले लगाने के लिए तैयार हूँ | आन्दोलन रोकने का एक कारण और भी थी मुस्लिम समाज ने आन्दोलन से हाथ खीँच लिया |गांधी जी का नेताओं ने विरोध भी किया लेकिन वह मौन रहे अब वह रचनात्मक कार्यों में लग गये उन्होंने आमिर गरीब सभी को चरखा कातने के लिए प्ररित किया |महिलाओं से भी कहा वह स्वदेशी आन्दोलन का हिस्सा बनें | चरखा और खादी आन्दोलन का प्रतीक बन गये |
गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन वापिस ले लिया लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उन्हें जेल भेज कर 10 मार्च 1922 को राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया यहाँ कटघरे में खड़े महान व्यक्ति को देख कर अंग्रेज जज ने कुर्सी पर बैठने से पहले सिर झुका कर आदर से उनका अभिवादन किया |साथ ही अपने फैसले पर उन्होंने कहा “जो लोग आपसे राजनीति में मतभेद रखते हैं वे भी आपके ऊंचे आदर्शों और साधू चरित्र के प्रशंसक हैं |” गांधी जी ने तत्काल उत्तर दिया “भारत के देश भक्त को जिस धारा के अंतगर्त सजा दी गई है | इस सजा को मैं अपना सौभाग्य समझता हूँ मैं जानता हूँ मैं आग से खेल रहा हूँ जेल से रिहा होकर भी वही करुगाँ जो अब तक कर रहा था |” उन्हें छह वर्ष कैद की सजा दी गई | गांधी जी जब भी अदालत में मुकदमें की सुनवाई के दौरान आते थे वहाँ पर उपस्थित सभी लोग उनके सम्मान में खड़े हो जाते थे | गाँधी जी को जेल की ऊंची दीवारों में कैद कर दिया गया यहाँ उन्हें अकेली कोठरी में रहते थे वह कोपीन के अलावा कुछ नहीं पहनते थे ,लेकिन आँतों के रोग के कारण उन्हें आपरेशन के लिए रिहा कर दिया |गांधी जी के बिना कांग्रेस दो दलों में बंट गयी जिसका एक हिस्सा चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरु के नेतृत्व में सदन में भागीदारी के पक्ष में था दूसरा दल इसके विपरीत था| गांधी जी इससे बहुत आहत थे उन्होंने कांग्रेस की सक्रिय राजनीत से अलग हट कर मतभेद दूर करने का प्रयत्न किया |
1925 -1928 गांधी जी समाज सुधार के कार्यक्रम से जुड़ गये उन्होंने स्वच्छता अभियान चलाया निरीक्षण कर जनता को साफ़ रखने के लिये शिक्षित करने का कार्यक्रम बनाया |. | गांधी जी ने अपने जीवन का बहुत बड़ा भाग हरिजनों के हित के लिए समर्पित किया उन्होंने उनके लिए सत्याग्रह किया उन्हें हरिजन नाम उन्हीं ने दिया था , उनकी बस्तियों में वह उन्हें स्वच्छता का पाठ पढाते थे बस्तियों की सफाई करवाते| उनके आश्रम में विभिन्न जातियों धर्मों के लोग रहते थे सफाई का पूरा कम आश्रम वासी खुद करते थे कहीं भी गंदगी या कूड़ा दिखाई नहीं देता था |सब्जियों के छिलकों और जूठन को खाद बनाने वाले गढ़े में साल दिया जाता उसे मिट्टी से ढक दिया जाता जिससे खाद बनाई जाती इस्तेमाल किये गये पानी से बाग़ की सिचाई होती |मल मूत्र दोनों के लिए अलग व्यवस्था थी गाँधी जी के आश्रम वासियों स्त्री और पुरुष के मन से गंदगी के प्रति घृणा समाप्त हो चुकी थी |
महिला सुधार आन्दोलन- महिलाएं गाँधी जी की सदैव ऋणी रहेंगी उन्होंने उन्हें पर्दे से बाहर निकाल कर आंदोलनों का हिस्सा बनाया |उनकी पत्नी कस्तूरबा उनकी सहचरी थी उन्होंने उन्हें भी स्वयं शिक्षित करने का प्रयत्न किया | गाँधी जी के समय में महिलाओं को वह आजादी नहीं थी जिस आजादी की वह हक दार है गाँधी जी कहते थे एक बेटी को पढाना पूरे कुल को पढ़ाने जैसा है | पढ़ी लिखी माँ आगे अपनी सन्तान की शिक्षा का भी ध्यान रखेगी तभी समाज में सुधार आयेगा |वह विधवा विवाह के समर्थक थे दहेज प्रथा के घोर विरोधी थे |कई महिलाओं ने उनके प्रोत्साहन पर स्वतन्त्रता संग्राम में हिस्सा लिया वह विदेशी वस्तुओं की दुकानों में पिकेटिंग करती थी उनका बहिष्कार करने के लिए लोगों को समझाती थी | देश आजाद हुआ भारत के संविधान में स्त्रियों को समान अधिकार दिये |
साईमन गो बैक–ब्रिटिश सरकार ने सर साईमन के नेतृत्व में संविधान सुधार आयोग बनाया जिसमें एक भी सदस्य भारतीय नहीं था| जिसका पूरी तरह बहिष्कार किया गया केवल कांग्रेस ही नही कांग्रेस के बाहर के मुस्लिम नेताओं ने भी किया |कई स्थानों पर जलूस निकले जिनका नेतृत्व नामी नेताओं ने किया पूरा देश साईमन वापस जाओ के नारों से गूंज उठा |
दिसम्बर 1928 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाँधी जी ने प्रस्ताव रखा जिसमें ओपनिवेशिक स्वराज्य की माँग रखी जिसके लिए एक वर्ष का समय दिया गया लेकिन अंग्रेजों की तरफ से कोई हलचल न होने पर गांधी जी ने 31 दिसम्बर के लाहौर अधिवेशन में कहा यदि भारत को तुरंत ओपनिवेशिक स्वराज्य नहीं प्रदान किया तो उनकी अगली माँग पूर्ण स्वराज्य होगी और 26 जनवरी 1930 के दिन लाहौर में पूर्ण स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया गया |गांधी जी आगे के आन्दोलन की रूप रेखा बनाने लगे|
पूर्ण स्वराज्य
डॉ शोभा भारद्वाज

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