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‘गांधी जी का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में योगदान ‘पार्ट -2

Vichar Manthan
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पूर्ण स्वराज
31 दिसम्बर के लाहौर अधिवेशन में कहा यदि भारत को तुरंत ओपनिवेशिक स्वराज्य नहीं प्रदान किया तो उनकी अगली माँग पूर्ण स्वराज्य होगी और 26 जनवरी 1930 के दिन लाहौर में पूर्ण स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया गया |गांधी जी आगे के आन्दोलन की रूप रेखा बनाने लगे|
सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं दांडी यात्रा – –नमक बनाने पर थोड़ा सा टैक्स बढाया गया हमारे समुद्रों में नमक बनता है इस सुअवसर का गांधी जी ने लाभ उठाया इसे जन जाग्रति आन्दोलन में बदल दिया गाँधी जी ने तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन से नमक कानून रद्द करने के लिए कहा 12 मार्च 1930 के दिन सावर मती के आश्रम से 78 चुने हुए स्त्री पुरुष सहयोगियों के साथ गांधी जी का काफिला पैदल ऐतिहासिक यात्रा पर निकल पड़ा आगे- आगे रास्ते में पड़ने वाले गावों में सरदार पटेल जन समर्थन जुटा रहे थे | वह रास्ते के हर गावं में ठहरते सबको आजादी का अर्थ समझाते गाँधी जी पैदल चल कर उनके पास से गुजर रहें हैं छोटा सा समूह बढ़ता गया –बढ़ता गया ,330 किलोमीटर की ऐतिहासिक यात्रा रास्ते में रुक – रुक कर गाँधी जी जन समूह को सम्बोधित कर आजादी की अलख जगा रहे थे | 6 अप्रैल के दिन बिना कर चुकाए गांधी जी ने अपनी झोली में नमक भर लिया ऐतिहासिक यात्रा की गूंज पूरे देश में फैल गई जगह – जगह नमक कानून तोड़ा गया ब्रिटिश साम्राज्य हिल गया |गांधी जी कैद कर लिये गये सरकार का जितना दमन चक्र चला उतना ही विरोध बढ़ गया |मजबूर होकर लार्ड एर्विन ने गांधी जी से बातचीत का प्रस्ताव भेजा |गांधी इरविन का इतिहास में प्रसिद्ध समझौता हुआ | इसके अनुसार सारे राजनैतिक कैदी छोड़ दिए गये गांधी जी को गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने का बुलावा आ गया|
गोलमेज सम्मेलन –- महात्मा गाँधी इस सम्मेलन में भाग लेने इंग्लैंड गये सादा आधी धोती ऊपर चादर, वहाँ के लोगों नें कम कपड़े पहनने का कारण पूछा उन्होंने कहा ब्रिटिश साम्राज्य ने हमारे तन पर यही छोड़ा है |गाँधी जी का मनपसन्द शाल फट गया था उन्होंने अपनी देख रेख में एक महिला कार्यकर्ता से उसमें पैबंद लगवाये इसी पैबंद वाले शाल में वह अपने गरीब देशवासियों का प्रतिनिधित्व करने गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने गये थे वहाँ वह ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की बगल में बैठाये गये , बकिंघम पेलेस में ब्रिटिश सम्राट द्वारा दी गई चाय पार्टी में शामिल हुये वह कभी गंदे या फटे कपड़े पहनना पसंद नहीं करते थे | वह सरकारी गेस्ट हाउस में न ठहर कर मजदूर बस्ती में ठहरे वहाँ के लोगों से उनका जम कर वार्तालाप हुआ मजदूर नेताओं ने उनसे प्रश्न किया आप विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हैं हमारे कारखाने बंद हो जाने से हमारे रोजगार का क्या होगा गांधी जी ने उन्हें देश की दीन दशा के बारे में बताया लोग अपनी कपास को कात कर कपड़ा बनता हैं इससे सबका तन ढकता है ,स्वदेशी की भावना बलवती होती है|
ब्रिटिश प्रधान मंत्री चर्चिल उन्हें बिलकुल पसंद नहीं करते थे वह उन्हें नंगा फकीर कह कर सम्बोधित करते थे |वही फकीर देश की जनता के दिलों में राज कर गया उनके साम्राज्य के पतन का सहयोगी बना | गोल मेज सम्मेलन असफल रहा लेकिन ब्रिटेन की जनता के दिलों को गाँधी जी ने जीत लिया |वह जहाँ से निकलते थे लोगों की भीड़ उनका स्वागत करती थी | वह 28 दिसम्बर को गोलमेज सम्मेलन असफल हो गया |गाँधी जी स्वदेश लौटे स्वदेश लौटे |सम्मेलन में देसी रियासतों के प्रतिनिधि और मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि थे|
सरकार ने एक एक्ट पारित कर अल्पसंख्यक वर्गों के लिए के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र निर्धारित किया यह हिन्दू मुस्लिम समुदाय को बाँटने का प्रयत्न था गांधी जी ने त्रस्त होकर आमरण अनशन किया पूरे देश में दुःख की लहर दौड़ गई अंत में पुन: एक्ट में संशोधन पास कर अल्पसंख्यक वर्ग को संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्ग्रत विशेष आरक्षण प्रदान किया 8 मई 1933 को गाँधी जी ने हरिजनों के हित में 21 दिन के अनशन की घोषणा की उन्होंने हरिजन समाचार पत्र निकला अब वह वर्धा के निकट आश्रम सेवा ग्राम में रहने लगे | अंग्रेज सरकार ने हरिजनों को भी भारतीय समाज से अलग कर बाँटने की कोशिश की थी लेकिन गाँधी जी ने संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र में आरक्षण देने का आश्वासन दिया जितनी सीटें सरकार ने दी उससे भी अधिक सीटें देने के लिए कहा |
करो या मरो ( do or die ) 1942 अंग्रेजो भारत छोड़ों |–मई 1942 जापान बर्मा पर कब्जा कर उत्तर भारत तक आ पहुंचा गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस में योजना तैयार हुई भारत को आजाद करने की तारीख तय करे और आश्वासन दें | आजाद भारत की सेना मित्र राष्टों की सेना के साथ मिल कर युद्ध करे अपने देश को आक्रमणकारियों से बचाये ऐसे मौके पर जब अंग्रेज द्वितीय युद्ध में फसे हुये थे कई नेताओं ने आन्दोलन का विरोध किया अंग्रेजों का दमन चक्र प्रारम्भ हो गया जेल आन्दोलन कारियों से भर गये यह आन्दोलन सबसे शक्तिशाली आन्दोलन बन गया लेकिन गांधी जी का संदेश था अहिंसा के साथ करो या मरो और अंतिम स्वतन्त्रता के इस प्रयास में अनुशासन बनाये रखों 9 अगस्त १९४२ को गाँधी जी और कांग्रेस कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया उन्हें पुन के आगा खान महल में दो साल के लिए कैद कर लिया 22 फरवरी को गांधी जी की की अर्धांगिनी जिन्हें प्यार से लोग कस्तूरबा कहते थे उनका देहांत हो गया यह गांधी जी के लिये बहुत बड़ा आघात था अपने द्वारा चरखे से कात कर बनाई गई साड़ी में लिपटी बा को अग्नि को सौंप दिया बापू मौन थे | |भारत छोड़ों आन्दोलन—- ने पूरे देश को हिला दिया | 6 मई युद्ध की समाप्ति के साथ गाँधी जी को आजाद कर दिया गया | ब्रिटिश सरकार समझ चुकी थी अब देश को गुलाम बनाये रखना आसान नहीं है वह आर्थिक रूप से भी दिवालिया हो चुके थे |
विभाजन – जिन्ना किसी भी कीमत पर देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो राष्ट्रों में विभाजन चाहते थे वह मान कर चलते थे हिन्दू और मुस्लिम दो राष्ट्रीयताएँ हैं उन्हें एक अलग
मुस्लिम देश चाहिए | जहाँ वह इस्लामिक तौर तरीके से रह सकें |गांधी जी को किसी भी कीमत पर विभाजन स्वीकार नहीं था | ने 1946 में कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि इसमें विभाजन की कोशिश की गई थी |वह हर उस योजना के खिलाफ थे जो विभाजन का समर्थन करती थी गांधी जी के नजदीकी नेता जानते थे विभाजन के अलावा कोई उपाय नहीं है गांधी जी को भी मजबूर किया गया | 3 जून प्लान के अनुसार हिन्दुस्तान और पाकिस्तान ( पूर्वी पाकिस्तान आज बंगला देश है के नाम से सम्प्रभु राष्ट्र है ) दो राष्ट्रों का निर्माण होगा आजादी के दिन ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन रियासतें भी आजाद हो जायेंगी वह चाहें तो भारत या पाकिस्तान में विलीन हो सकती हैं या स्वतंत्र रह सकती है |गांधी जी ने भी मौन रह कर प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जबकि जनता को विश्वास था वह विभाजन नहीं होने देंगे|
14 अगस्त 1947 मध्य रात्री को गुलामी की बेड़ियाँ टूट गई ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा उपहार स्वरूप भारत की शक्ति को कमजोर करने के लिए विश्व पटल पर दो नये राष्ट्रों का उदय हुआ भारत और पाकिस्तान |ब्रिटिश साम्राज्य सिमटने लगा दूसरे विश्व युद्ध ने ब्रिटेन को इतना कमजोर कर दिया था वह इस उपमहाद्वीप पर शासन करने में असमर्थ हो चुके थे सत्य ,अहिंसा और असहयोग के शस्त्र के सामने कमजोर पड़ चुका था |पन्द्रह अगस्त की सुबह सूर्योदय नव प्रभात लाया यह नव प्रभात क्या सुखकारी था ?लाखों लोग घर से बेघर अनिश्चित भविष्य की खोज में काफिले के काफिले हिन्दुस्तान की और चलने के लिए मजबूर कर दिए गये कुछ लोग अपने घर के पास के शहर के अलावा कहीं नहीं गये थे वह नहीं जानते थे उनका घर कहाँ बसेगा बेहालों को बसाना आसान नहीं था अंत में कटी हुई लाशों से भरी रेलगाड़ियाँ आने लगी भारत की और से मुस्लिमों के साथ भी यही प्रतिक्रिया होने लगी लगभग दस लाख लोगों की हत्या हुई इतने बड़े रूप में स्थानतरण पहली बार हुआ|
जिस समय देश आजादी मना रहा था उस समय नोआखाली में साम्प्रदायिक दंगा पीड़ितों की स्थिति सुधारने में गांधी जी प्रयत्न शील थे| उनके लिए उन्होंने उपवास रखा उनका उपवास तभी टूटा जब दोनों सम्प्रदाय के लोगों ने अपने हथियार डाल दिये इस प्रकार शांति स्थापित हो गई गांधी जी एक साथ दो स्थानों में नहीं रह सकते थे, अत: पंजाब के दंगे नहीं रुके कई बेघरबार लोगों ने अपने अस्थाई निवास कुतुबमीनार के आस पास बना लिये वह मजबूर थे अपना सब कुछ वह पीछे छोड़ आये थे गांधी जी इसे नेशनल धरोहर मानते थे उन्होंने जगह खाली कराने के लिए उपवास रखा | हिन्दू मुस्लिम सिख समुदाय के लोगों ने उन्हें विश्वास दिलाया वे हिंसा का रास्ता छोड़ कर शान्ति लायेगे तब जाकर उन्होंने अपना अनशन तोड़ा| लेकिन गांधी जी के खिलाफ रोष की भी कमी नहीं थी सरकार ने पाकिस्तान को विभाजन समझौते के अनुसार 55 करोड़ रु० न देने का निर्णय लिया क्योंकि सरदार पटेल जैसे नेताओं को भय था पाकिस्तान इस धन का उपयोग भारत के खिलाफ जंग छेड़ने में करेगा| गांधी जी ने आमरण अनशन आरम्भ कर दिया गांधी जी को भय था पाकिस्तान की अस्थिरता और असुरक्षा की भावना भारत के प्रति गुस्से और वैर में परिवर्तित हो जायेगी तथा सीमा पर हिंसा फैल जायेगी अंत में भारत को पाकिस्तान को भुगतान करना पड़ा |गाँधी जी ने नहीं देखा लेकिन सबने देखा पकिस्तान ने कबायली भेज कर कश्मीर पर हमला कर दिया | हमारा बार्डर कभी शांत नहीं रहा 1965 ,1971 तथा करगिल की जंग हम लड़ चुके हैं |
30 जनवरी 1948 का दिन गांधी जी दिल्ली स्थित बिड़ला मन्दिर से प्रार्थना स्थल की और आ रहे थे भीड़ में से निकल कर नाथूराम गोडसे सामने आया उसने पहले उन्हें प्रणाम किया उसके हाथ उनके पैर की तरफ बढ़े उसके हाथ में पिस्तौल चमकी फिर अचानक उन पर तीन गोलियां चलाई बापू के मुहं से अंतिम शब्द हे राम निकला उसके साथ ही गांधी जी के युग का अंत हो गया | नाथू राम गोडसे 29 वर्ष का था उसने अपने जीवन में कुछ नहीं किया था जैसे वह बापू का अंत करने के लिए दुनिया में आया था| बापू के अंतिम शब्द ” हे राम ” जिसने भी सुना बापू नहीं रहे बेचैन हो गया | नेहरु जी इस तरह रो रहे थे सरदार पटेल के लिए उन्हें सम्भालना मुश्किल था |एक बार ऐसा लगा जैसे बक्त ठहर गया हैं गाँधी जी के पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित किया गया अपार जन समूह यमुना के किनारे एकत्रित था | उस दिन भारत से पाकिस्तान गये कई लोगों ने भोजन नहीं किया |लेकिन जिन्ना ने अपने शोक संदेश में ” गाँधी जी को केवल हिदुओं का महान लीडर लिखवाया ” उनके सेक्रेटरी ने उनसे कहा ” गांधी जी महापुरुष थे उन्होंने पाकिस्तान को 51 करोड़ का राजस्व दिलवाया हमें आर्थिक संकट से उबारा ” जिन्ना ने कहा बस शोक संदेश में केवल हिन्दुओं का लीडर लिखों | अफ़सोस की बात हैं गांधी जी सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन में हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए संघर्ष करते रहें उस महापुरुष को केवल हिन्दुओं का लीडर तक सीमित रखा |
जनता उन्हें बापू कहती थी टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 में उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से रंगून रेडियो से सम्बोधित किया था| राष्ट्रपिता इतिहास के पन्नों में अमर हो गये विश्व के महानुभावों ने गांधी जी के बारे में अपने विचार व्यक्त किये |हम जितना बापू को जानने की कोशिश करते हैं उतना ही बापू मय हो जाते हैं |
डॉ शोभा भारद्वाज

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