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मुख्य मंत्री नितीश कुमार के शासन का इतिहास गठबंधन से महागठबंधन तक

Vichar Manthan
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क्या बिहार में जंगल राज में जंगल राज पार्ट टू की शुरुआत हो चुकी है | बिहार 2015 विधान सभा के चुनावों से पूर्व नितीश कुमार लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर चुनाव में उतरे उन्हें उन दलों के साथ गठबंधन करना पड़ा जिनके खिलाफ वह कभी चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने थे | नितीश जी के पास सुशासन का हथियार था लेकिन लालू प्रसाद के पास चुनाव जीतने के हथकंडे और बंधा बंधाया संगठन , चुनाव शुरू हुए मोदी जी विकास का मुद्दा लेकर चले थे जैसे – जैसे चुनाव पास आते गये विकास का मुद्दा कहीं दूर भटक गया लेकिन भाजपा नेताओं की बयान बाजी ,लालूप्रसाद और नितीश जी का आक्रामक रुख और असहिष्णुता की ऐसी बयार चली मोदी जी बहुत पिछड़ गये | चुनाव में महा गठ्बन्धन की जीत हुई लेकिन महान आश्चर्य की बात थी विधान सभा चुनाव में जीती गयी 178 सीटों में नितीश जी को 71 ,सीटें मिली | लालू प्रसाद यादव के दल को उनसे अधिक 80 सीटें लालू जी के पुत्र उप मुख्यमंत्री बने और उनके दूसरे पुत्र को मंत्री परिषद में तीसरा स्थान मिला |संख्या बल के अनुसार लालू के पुत्रों को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी चाहिए थी लेकिन महा गठ्बन्धन ने नितीश जी को भावी मुख्यमंत्री घोषित किया था लालू जानते थे उनके पुत्र अनुभवी नहीं है वह चाचा नितीश की छत्र छाया में बहुत कुछ सीख सकेगें लेकिन वोटर को बेवकूफ बना कर उनकी सन्तान वोट लेने की कला में माहिर हो गई थी | नितीश जी के सुशासन से बिहार की जनता परिचित थी मतदाता कहते थे हम जानते हैं नितीश बाबू का का जबाब नहीं है फिर भी सीटें लालू जी के दल की अधिक क्यों थी ?
इंसान की याददाश्त बहूत छोटी होती है वह भूल गये लालूप्रसाद के सत्ता में आने के बाद बिहार की क्या हालत थी |बिहार से आने वाली हर गाड़ी से जवान लडके रोजी रोटी की तलाश में दिल्ली ही नहीं भारत के हर शहर में जहाँ रोजी रोटी मिल सके ,अनिश्चित भविष्य उनके सूखे चेहरे ,सबके पास एक बैग जिसमें दो जोड़ी कपड़े एक चादर एक थाली और सत्तू या चिवड़ा |उनके पास न रोजी न रोटी न रहने का ठिकाना था न ही कोई भविष्य ,लालू प्रसाद के शब्दों में उसने ‘ उन्हें स्वाभिमान दिया है ,|लालू जी के बस में बिहार चलाना नहीं था वह केवल बाते बनाना जानते थे जिससे मिडिया के चहेते बने हुये थे उनकी लच्छेदार बाते सब सुन कर लोग हसते थे बिहार का इंसान रोता था उनकी मजबूरी का फायदा काम देने वालों ने भी खूब उठाया कम वेतन ज्यादा काम |‘बिना ओवर टाइम के गुजारा मुश्किल था लोगों को दूध की चाय भी नसीब नहीं थी ओ बिहारी एक सम्बोधन बन गया था ,एक कमरे में दस -दस जीवन रहते थे |जो लोग बिहार में रहते थे उनके जीवन की सुरक्षा की गारंटी नहीं थी सर्वत्र कुशासन था रंगदारी और अपहरण एक व्यवसाय था लड़कियों की बात तो जाने दीजिये लड़के भी बाहर निकलने से डरते थे परदेसी पटना के नाम से घबराते थे |
ऎसे में नितीश कुमार ने भाजपा के साथ में चुनावी गणित बिठाया लालू जी के माई (यादव और मुस्लिम वोट ) के फार्मूले की काट ढूंढी लेकिन नितीश जी को सरकार बनाने का बहुमत नहीं मिल सका |विधान सभा में नितीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा , जदयू तथा शरद यादव ने पहली बार ३ मार्च २००० में नितीश जी की सरकार अवश्य बनी थी पर बिहार का दुर्भाग्य वह बहुमत साबित नहीं के पाये लालू प्रसाद यादव को तीसरी बार सरकार बनाने का अवसर मिला |
बिहार में लगभग 23 जन जातियां हैं जिन्हें नितीश जी ने महादलित की श्रेणी में रखा नितीश जी को विजय दिलाने में जीतन मांझी का बहुत बड़ा हाथ था वह महादलितों के प्रभाव शाली नेता थे| बिहार विधान सभा की ६० सीटें आरक्षित हैं मांझी जी के प्रयत्नों से महादलितों के वोट उन्हें मिले नवम्बर २००५ को लालू जी की हार से उनका १५ साल के शासन का अंत हुआ |नितीश जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी और नितीश जी ने मुख्य मंत्री पद की शपथ ली |धीरे – धीर बिहार के दिन फिरने लगे अपराधियों को फास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से दंडित किया गया अपराध व्यापक रूप से राज्य सरकार की समस्या बन गए थे |पुलिस के आत्म बिश्वास को जगाया गया अपराधों की संख्या में कमी आ गई उसमे एक दम रोक लग गयी |लोग रोजी और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में रहनें को मजबूर थे अब वह बिहार लौटनें लगे बिहार में सबसे बड़ी समस्या रोजी रोजगार की थी अब ,ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले लोग टेलीफ़ोन द्वारा रोजगार की जानकारी प्राप्त कर सकते थे और भी अनेक कार्यक्रम चलाए गये चलाये गये |उनकी सरकार में पुलिस सेवा में भर्ती की गई शिक्षा के क्षेत्र में भी रोजगारों को बढ़ाया गया | बिहार में निर्माण कार्यों की शुरुआत हुई , स्कूली विद्यार्थियों को साइकिल देने की योजना शुरू की तथा दोपहर के समय मिड -डे मील योजना शुरू की गई जिससे गरीब बच्चे स्कूल आने लगे | अपराधों में कमी आने से और साइकिल मिलने से लड़कियां स्कूल जाने लगी पिछड़ी जाति की लड़कियां एवं लड़को की भी स्कूल में संख्या में बढ़ोतरी हुई जबकि इस साइकिल योजना में काफी भ्रष्टाचार से नितीश सरकार की आलोचना भी की गई | जनता के स्वास्थ का ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की गई गावों में अस्पतालों में निशुल्क दवा का वितरण कार्य शरू किया गया किसानों के लिये राष्ट्रीय बैंको में किसानों के कल्याण के लिए ऋण योजनाएं शुरू की गई |बिहार में विकास दर बढ़ी |
२०१० में फिर चुनाव हुए नितीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी बड़े बहुमत से एक बार फिर सत्ता में आये अबकी बार लालू प्रसाद की राजनितिक पराजय हुई उन पर चारा घोटाले का आरोप था जो बाद में साबित हो गया | विपक्ष कमजोर पड़ गया उसके पास संख्या बल ही नहीं था |नितीश जी राजनैतिक पटल पर एक कुशल राज नेता के रूप में उभरे यहीं से वह अपनी राजनितिक ताकत तोलने लगे उनके पास इतनी सीटें थी वह दो ,तीन निर्दलीय मिला कर आराम से अपनी सरकार बचा सकते थे यदि भाजपा हट जाती है तो उनके अपने दल के लोगो में मंत्री पद का बटवारा हो जाता |नितीश जी को भी मुस्लिम वोट बैंक पकड़ने का चस्का लग गया था | मुस्लिम समाज का यह दुर्भाग्य रहा है वह सदैव एक वोट बैंक बने रहें है वह किसकों वोट दें दूसरे लोग उन्हें डरा कर या सब्ज बाग दिखा कर एक मुश्त , वोट बैंक के माहिर ख़िलाड़ी हथिया लेते हैं | नितीश कुछ दिन कराची की यात्रा कर आये उसके बाद उन्हें भी जाति वाद के आधार पर वोट लेने के साथ मुस्लिम वोट बटोरने का गणित भी भाने लगा उन्होंने भी अपने आप को सच्चा धर्म निर्पेक्ष सिद्ध करना चाहते थे| संविधान में स्पष्ट है भारत एक धर्म निर्पेक्ष राष्ट्र हैं| अच्छा खासे बिहार के दिन सुधारते -सुधारते उनमें प्रधान मंत्री पद की इच्छा जग गई उन्होंने अपने आप को प्रधान मंत्री पद के योग्य समझना शुरू कर दिया |
नितीश कुमार अब भाजपा से दूरी बनाना चाहते थे उन्हें सुअवसर मिल गया |भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले प्रधान मंत्री पद के उम्मीद बार की घोषणा कर मजबूती से एक जूट हो कर चुनाव में जाना चाहती थी भाजपा के अंदर सत्ता के लिए संघर्ष की स्थिति थी उनके वरिष्ठ नेता लाला कृष्ण अडवाणी प्रधान मंत्री बनने के इच्छुक थे उनकी अवस्था कॉफी हो चुकी थी तथा भाजपा नेतृत्व अब युवा वर्ग को आगे लाना चाहता था यह नितीश जी ने अपने लिए सुअवसर जान कर नरेंद्र मोदी के विरोध में एन.डी.ए. छोड़ने की धमकी दी , नितीश कुमार और शरद यादव ने एन डी ए से किनारा कर लिया उन्हें भाजपा के नरेंद्र मोदी पसंद नहीं थे ,वह भाजपा में अडवाणी जी के समर्थक वर्ग को भी भड़काना चाहते थे | भाजपा भी अपना गढ़ मजबूत कर रही थी उसने कई जातियों के समूह को अपनी और आकृष्ट किया पासबान से उनका सीटों का समझौता हुआ ,नितीश जी के दल से टूट कर आने वालों का तो स्वागत किया राजद से आने बालों को अपने बिहार के लोगों के विरोध के बाद टिकट दे दी नितीश जी से एक और भूल हुई मोदी जी की रैली थी सुरक्षा की ऐसी चूक हुई रैली के स्थल पर जब मोदी जी का भाषण चल रहा था एक के बाद एक बम विस्फोट हो रहे थे मोदी ने अपने भाषण से लोगों को ऐसा सम्मोहित किया कोई भगदड़ नहीं मची लोग शांत रहे कई लोगों की जान भी गई ,कोई उत्तेजना नहीं फैली लोग मोदी जी की नेतृत्व का लोहा मान गए सरकार की भी बहुत किरकिरी हुई |

2014 के लोकसभा चुनाव में नितीश जी को करारी हार का सामना करना पड़ा था उन्हें लोकसभा की 40 सीटों में 2 सीटें ही मिल सकी थीं अत : उन्होंने मुख्य मंत्री पद जीतनराम मांझी को सोंप दिया |विधान सभा चुनाव के नजदीक आने पर मांझी जी से सत्ता छीनने का प्रयत्न करना मांझी जी ने भी अपनी सत्ता बचाये रखने का हर संभव प्रयत्न किया शायद नितीश जी समझ रहें होंगे मेरी चरण पादुका ले कर मांझी सिंहासन की सेवा करेगे जब मैं चाहूँगा सत्ता आदर सहित मुझे सौंप दी जायेगी परन्तु वही हुआ जो होता रहा हैं | अब उन्हें मजबूरी में दुश्मन से हाथ मिलाना पड़ा |
लालू जी की आरजेडी के साथ महागठ्बन्धन की सरकार बनने के बाद आशा की जाती थी बिहार में सुशासन बाबू के नेतृत्व में बिहार को अच्छी सरकार मिलेगी लेकिन अभी सरकार बने अधिक समय नही हुआ है दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या से हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ यहाँ तक थानेदार को भी गोली से उड़ा दिया रंगदारी का पुराना व्यवसाय फिर से पनपने लगा एक प्रतिष्ठित डाक्टर के यहाँ गोलियां चला कर डराने की कोशिश की गयी | श्री मान लालू को अब कुछ नहीं करना हैं केवल नितीश जी पर निशाना साधना है |विपक्षी दल भाजपा ने इसे जंगल राज पार्ट टू की शुरुआत कहा फिर से पुरानी घटनाएँ दोहराई जा रहीं है दिन प्रतिदिन बढती अपराधिक घटनाओं को क्या मुख्यमंत्री सम्भाल पायेंगे कुछ भी कहना अभी मुश्किल है सुशासन बाबू की सरकार लालू प्रसाद के दल के साथ बनी है जनता की स्मृति कम हो सकती है लेकिन श्री लालू का 15 वर्ष का कुशासन बिहार के इतिहास के पन्नों पर दर्ज है |
डॉ शोभा भारद्वाज

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