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30 जनवरी 1948 की शाम गाँधी जी के अंतिम शब्द ‘ हे राम ‘

Vichar Manthan
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विदेशी प्रवास के दौरान एक पाकिस्तानी बुद्धिजीवी ने मुझसे कहा भारत में एक ही नेता हुआ है महात्मा गाँधी उसे भी तुमने मार दिया | मैने तपाक से उत्तर दिया “वह भी तुम्हारे कारण हिन्दू मुस्लिम एकता के लिये | नासमझ नत्थू राम गौडसे ने उत्तेजना में भर कर ने उन पर गोली चलाई | आज यदि वह ज़िंदा रहते तुम्हारी सरकार और आईएसआई की भारत विरोधी नीतियाँ उन्हें मार देती “ यदि आज के युग में गांधी होते पाकिस्तान के एक समुदाय की जेहादी मनोवृत्ति ,नौजवानों के हाथ में कलम के बजाय बंदूक दे कर उन्हें आतंकवादी के रूप में बदल कर या उन्हें ज़िंदा बम बना कर या अपने ही बच्चों और जवानों के खून से पाकिस्तान की रंगी धरती को देख कर सह नहीं पाते “ हे राम “कह कर समाप्त हो जाते | गाँधी जी ने दिल से कभी विभाजन को स्वीकार नहीं किया था न वह भारत में दो राष्ट्रीयता के सिद्धांत के पक्ष धर थे वह भारत के हर निवासी को साथ ले कर चलना चाहते थे और चले गाँधी जी उस समय के करिश्माई नेता थे जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में सबको साथ लेकर सबके अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी अब वह अपने आप को स्वतन्त्रता आन्दोलन के साथ जोड़ना चाहते थे |जब वह भारत आये गुलामी की जंजीरों में जकड़ी गाँधी जी ने मातृ भूमि की कराह सुनी थी |दिसम्बर 1915 में मुम्बई के कांग्रेस के अधिवेशन में गाँधी जी ने भाग लिया यहाँ उन्होंने विभाजित भारत को महसूस किया देश अमीर गरीब,स्वर्ण (ऊची जाति के ) दलित हिन्दू मुस्लिम, गर्म विचार धारा , आधुनिक ( नरम दल ), रुढ़िवादी आधुनिक भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के समर्थक , ब्रिटिश विरोधी जिनको इस बात का बहुत कष्ट था देश गुलाम है| गाँधी जी किसके पक्ष में खड़े हों या सबको साथ ले कर चले | ऐसा आन्दोलन जिसमें सबकी भागीदारी हो|
ब्रिटिश सरकार ने रौलेट एक्ट द्वारा भारत वासियों पर कई बंधन लगाये 13 अप्रेल को 1919 बैसाखी के पर्व पर जिसे हिन्दू मुस्लिम सिख सभी मनाते थे जलियांवाला बाग अमृतसर में लोग इकठ्ठे हुए ,जो रालेट एक्ट की गम्भीरता को भी नहीं समझते थे | जलियांवाला बाग़ चारों तरफ से मकानों से घिरा था बाहर जाने के लिए एक ही गेट था वहाँ एक जन सभा में नेता भाषण दे रहे थे जरनल डायर ने निकलने के एकमात्र रास्ते को रोक कर निर्दोष बच्चों स्त्रियों व पुरुषों को गोलियों से भून डाला एक के ऊपर एक गिर कर लाशों के ढेर लग गये जिससे पूरा देश आहत हुआ गाँधी जी समझ गये अब एक ऐसे देश व्यापी आन्दोलन की जरूरत थी जिससे ब्रिटिश सरकार की जड़े हिल जाएँ | पूरा देश आजादी की लड़ाई के लिए तैयार हो चुका था |गांधी जी को हिन्दू मुसलमानों को मिला ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ने के लिए तैयार करना था | प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद टर्की के खलीफा के पद को समाप्त कर दिया गया जिससे भारतीय मुस्लिम उत्तेजित हो गये अली बन्धुओं के नेतृत्व में भारत में एक आन्दोलन चलाया गया जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया | बालगंगा धर तिलक एवं गांधी जी ने खिलाफत आन्दोलन को हिन्दू मुस्लिम एकता के रूप में देखा | नवम्बर 1919 को आल इंडिया खिलाफत सम्मेलन में गाँधी जी को अध्यक्ष चुना गया कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन के दो ध्येय घोषित किये गये “स्वराज्य तथा खिलाफत की मांगों की स्वीकृति |
गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत हुई जिसका तात्पर्य अहिंसात्मक ढंग से अपनी बात को ऐसी दृढ़ता से रखना जिसके सामने ब्रिटिश सरकार का दमन चक्र बेबस हो जाये | हम सत्य पर डटे रहेंगे चाहे मार्ग में कितनी अड़चनें क्यों न आये जीवन का ही अंत क्यों न हो जाये |वह आत्मिक बल से ब्रिटिश साम्राज्य को कम्पा देने वाली धमकी घुटने टेक कर देते थे जिसने भारत में एक राष्ट्र की भावना को जन्म दिया “|लेकिन यह हिन्दू मुस्लिम एकता अधिक समय तक नहीं चल सकी| असहयोग आन्दोलन वापिस ले लिया गया खिलाफत आन्दोलन भी खत्म हो गया अंग्रेजों ने अपनी पुरानी नीति के अनुसार फिर से मुस्लिम के साथ अपने सम्बन्धों की नजदीकियां बढ़ाई |
ब्रिटिश साम्राज्य का सिद्धांत था फूट डालो राज करो जिसके लिए उन्होंने अपने साम्राज्य की नीव मजबूत करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक एक्ट पारित कर अल्पसंख्यक वर्गों के लिए के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र निर्धारित किया |यह हिन्दू मुस्लिम समुदाय को बाँटने का प्रयत्न था गांधी जी ने त्रस्त होकर आमरण अनशन किया पूरे देश में दुःख की लहर दौड़ गई अंत में पुन: एक्ट में संशोधन पास कर अल्पसंख्यक वर्ग को संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्ग्रत विशेष आरक्षण प्रदान किया |
वर्तमान के हर प्रश्न का उत्तर इतिहास देता है-
१९०५ में मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा और उन्हें एक मंच पर लाने के लिए मुस्लिम लीग की स्थापना की गई
“सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा” गीत के रचयिता शायर मौलाना इकबाल के मन में भी अलग मुस्लिम राष्ट्र के विचार ने जन्म लिया था उन्होंने इलाहाबाद में 1930 के मुस्लिम लीग के अध्यक्षीय भाषण में उत्तर पश्चिम प्रान्त सिंध , बिलोचिस्तान पंजाब अफगान सूबा-ए सरहद में अलग राष्ट्र की कल्पना की थी लेकिन पाकिस्तान शब्द पहली बार १९३३ में चौधरी रहमत अली खान जो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी थे और उनके साथियों ने चार पेज का पम्पलेट Now or Never छाप कर पाकिस्तान की विचारधारा को आकार और शब्द दिये जिसमें पंजाब , नार्थवेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस ,कश्मीर, सिंध और बिलोचिस्तान मिल कर एक अलग मुस्लिम राज्य बनेगा जिसका नाम पाकिस्तान होगा |
पकिस्तान का प्रस्ताव पहली बार 23 मार्च १९४०के दिन आल इंडिया मुस्लिम लीग ने पारित किया |जिन क्षेत्रों में मुस्लिम बहुमत में है जैसे नार्थ वेस्टर्न और ईस्टर्न जोन में भारत से अलग हो कर पाकिस्तान बनेगा यह भारत से अलग मुस्लिम राष्ट्र होगा | कांग्रेस ने इसका विरोध किया उस समय एक बात स्पष्ट थी मुस्लिम लीग और कांग्रेस दोनों ही पूर्ण स्वतन्त्रता के समर्थक थे लेकिन कांग्रेस संयुक्त भारत चाहती थी |क्रिप्स मिशन भारत आया लेकिन पूर्ण स्वराज्य की समस्या को सुलझा नहीं सका | 1946 में कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि इसमें विभाजन की कोशिश की गई थी जिन्ना ने 1946 में डायरेक्ट एक्शन डे की चेतावनी दी | मुस्लिम लीग ने बिना हिचकिचाहट के कहा हिन्दू और इस्लाम अलग धर्म हैं उनके अलग रीति रिवाज संस्कृति है मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं बहुसंख्यक के लिए उनके मन में असंतोष ही रहेगा |
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन कमजोर पड़ चुका था अब भारत को अधिक समय तक गुलाम बनाये रखना संभव नहीं था |सत्य अहिंसा के शस्त्र के सामने वह कमजोर पड़ गया | लार्ड माउन्टबेटन ब्रिटिश साम्राज्य वाद के हित साधने के लिए भारत के वायसराय नियुक्त कर भेजे गये उन्होंने कांग्रेस को मानसिक रूप से विभाजन के लिए तैयार करने का प्रयत्न किया उन्होंने सरदार पटेल को समझाया |पटेल समझ गये थे विभाजन हो कर ही रहेगा यदि विभाजन को रोका देश के टुकड़े टुकड़े हो जायेंगे अब नेहरु जी बारी थी मौलाना आजाद ने अपनी पुस्तक इंडिया विन्स फ्रीडम में लिखा हैं नेहरु जी माउन्टबेटन और लेडी माउन्टबेटन से बहुत प्रभावित थे | लेडी माउन्टबेटन बहुत बुद्धिमान और आकर्षक महिला थी उसने विभाजन के लिए नेहरु जी को तैयार किया | गांधी जी को तैयार करना था जो विभाजन के पूरी तरह खिलाफ थे उनके अनुसार देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा |गांधी जी खुले तोर पर भारत का विभाजन स्वीकार नहीं कर रहे थे परन्तु अब विरोध भी नही कर रहे थे | गांधी जी ने भी मौन रह कर प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जबकि जनता को विश्वास था वह विभाजन नहीं होने देंगे |
लार्ड माउन्ट बेटन के भारत भूभाग पर दो अलग राष्ट्रों को लेबर कैबिनेट में भी अधिकतर लोगों ने समर्थन दिया | कई ब्रिटिश नीति का विद्वान भी इस प्राय द्वीप के विभाजन के पक्ष में थे |
3 जून 1947 के प्लान के अनुसार हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो राष्ट्रों का निर्माण हुआ पकिस्तान के दो हिस्से थे पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान , पूर्वी पाकिस्तान अब बंगला देश के नाम से अलग राष्ट्र है |ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रियासतें चाहे तो इन दो राष्ट्रों में विलीन हो सकती हैं या स्वतंत्र भी रह सकती हैं |रियासतों का विलय आसान नहीं था सरदार पटेल के प्रयत्नों के फल स्वरूप रियासतों का भारत में विलय संभव हो सका |लेकिन कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होते हुए भी पाकिस्तान से झगड़े का कारण बना हुआ है |
15 अगस्त 1947 को गुलामी की बेड़ियाँ टूट गयी सुबह नव प्रभात लेकर आई | विश्व पटल पर दो राष्ट्रों का उदय हुआ |नव प्रभात क्या सुख कारी था ?लाखो लोग घर से बेघर हो कर अनिश्चित भविष्य की खोज में काफिले के काफिले जीवन की रक्षा के लिए अपना घरबार खेत खलियान सब कुछ छोड़ने को विवश हो गये | | कुछ लोग अपने घर के पास के शहर के अलावा कहीं नहीं गये थे वह नहीं जानते थे हिन्दुस्तान कहाँ है ?उनका घर कहाँ बसेगा ? बेहालों को बसाना आसान नहीं था अंत में कटी हुई लाशों से भरी रेलगाड़ियाँ आने लगी काश गाँधी जी पहले समझ लेते पाकिस्तान बन कर रहेगा | भारत की और से मुस्लिमों के साथ भी यही प्रतिक्रिया होने लगी लगभग दस लाख लोगों की हत्या हुई इतने बड़े रूप में स्थानतरण पहली बार हुआ|
जिस समय देश आजादी मना रहा था उस समय नोआखाली में साम्प्रदायिक दंगा पीड़ितों की स्थिति सुधारने में गांधी जी प्रयत्न शील थे| उनके लिए उन्होंने उपवास रखा उनका उपवास तभी टूटा जब दोनों सम्प्रदाय के लोगों ने अपने हथियार डाल दिये इस प्रकार शांति स्थापित हो गई गांधी जी एक साथ दो स्थानों में नहीं रह सकते थे, अत: पंजाब के दंगे नहीं रुके कई बेघरबार लोगों ने अपने अस्थाई निवास कुतुबमीनार के आस पास बना लिये वह मजबूर थे अपना सब कुछ वह पीछे छोड़ आये थे |गांधी जी इसे नेशनल धरोहर मानते थे उन्होंने जगह खाली कराने के लिए उपवास रखा | हिन्दू मुस्लिम सिख समुदाय के लोगों ने उन्हें विश्वास दिलाया वे हिंसा का रास्ता छोड़ कर शान्ति लायेगे तब जाकर उन्होंने अपना अनशन तोड़ा| गांधी जी के खिलाफ रोष की भी कमी नहीं थी सरकार ने पाकिस्तान को विभाजन समझौते के अनुसार 55 करोड़ रु० न देने का निर्णय लिया क्योंकि सरदार पटेल जैसे नेताओं को भय था पाकिस्तान इस धन का उपयोग भारत के खिलाफ जंग छेड़ने में करेगा| गांधी जी ने आमरण अनशन आरम्भ कर दिया गांधी जी को भय था पाकिस्तान की अस्थिरता और असुरक्षा की भावना भारत के प्रति गुस्से और वैर में परिवर्तित हो जायेगी तथा सीमा पर हिंसा फैल जायेगी अंत में भारत को पाकिस्तान को भुगतान करना पड़ा |गाँधी जी ने नहीं देखा लेकिन सबने देखा पकिस्तान ने कबायली भेज कर कश्मीर पर हमला कर दिया | हमारा बार्डर कभी शांत नहीं रहा 1965 ,1971 तथा करगिल की जंग हम लड़ चुके हैं |
30 जनवरी 1948 का दिन गांधी जी दिल्ली स्थित बिड़ला मन्दिर से प्रार्थना स्थल की और आ रहे थे भीड़ में से निकल कर नाथूराम गोडसे सामने आया उसने पहले उन्हें प्रणाम किया उसके हाथ उनके पैर की तरफ बढ़े उसके हाथ में पिस्तौल चमकी फिर अचानक उन पर तीन गोलियां चलाई बापू के मुहं से अंतिम शब्द थे ‘ हे राम निकला ‘जिसने भी सुना बापू नहीं रहे बेचैन हो गया | नाथू राम गोडसे 29 वर्ष का था उसने अपने जीवन में कुछ नहीं किया था जैसे वह बापू का अंत करने के लिए दुनिया में आया था| एक बार ऐसा लगा जैसे बक्त ठहर गया हैं गाँधी जी के पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित किया गया अपार जन समूह यमुना के किनारे एकत्रित था | उस दिन भारत से पाकिस्तान गये कई लोगों ने भोजन नहीं किया लेकिन जिन्ना ने अपने शोक संदेश में ” गाँधी जी को केवल हिदुओं का महान लीडर लिखवाया ” उनके सेक्रेटरी ने उनसे कहा ” गांधी जी महापुरुष थे उन्होंने पाकिस्तान को 51 करोड़ का राजस्व दिलवाया हमें आर्थिक संकट से उबारा ” जिन्ना ने कहा बस शोक संदेश में केवल हिन्दुओं का लीडर लिखों | अफ़सोस की बात हैं गांधी जी सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन में हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए संघर्ष करते रहें उस महापुरुष को केवल हिन्दुओं का लीडर बना दिया |विश्व के महानुभावों ने गांधी जी के बारे में अपने विचार व्यक्त किये ,हम जितना बापू को जानने की कोशिश करते हैं उतना ही बापू मय हो जाते हैं |
डॉ शोभा भारद्वाज

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