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पटना की अदालत में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हाजिर हो

Vichar Manthan
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प्रसिद्धि पाने के लिए लोग न जाने क्या क्या हथकंडे करते हैं ,बड़े-बड़े खतरे मोल लेते हैं लेकिन त्रेता युग को कलयुग में लाने का प्रयत्न किसी ने सोचा भी नहीं होगा |पटना में सीतामढ़ी के एक वकील साहब ने राम कथा में वर्णित है ‘ भगवती सीता ‘ को राजा श्री राम ने निष्काषित कर वन भेज दिया था | उस युग में हुये अन्याय की कलयुग के न्यायलय में गुहार लगाई | वकील साहब ने भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण के खिलाफ याचिका दायर की ‘श्री राम ने अपनी निर्दोष गर्भवती पत्नी को त्याग कर वन में भेज दिया |जज साहब ने भी विधिवत तरीके से आदालत की कार्यवाही शुरू की श्री राम के नाम की गुहार लगी याचिका कर्ता वकील हाजिर थे जज साहब ने प्रश्न किया क्या मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के खिलाफ मुकदमा है |आप गवाह की हैसियत से आयें हैं परन्तु उस तारीख का जिक्र नहीं किया गया है जिस दिन भगवती सीता को वन जाना पड़ा था और शिकायत का आधर भी स्पष्ट नहीं है | वकील ने कहा मैं कोर्ट में सीता जी के लिए न्याय चाहता हूँ उन्हें बिना किसी दोष के निष्काषित किया गया और वन में जाना पड़ा जज साहब ने पूछा निष्कासन की तारीख क्या है ? त्रेता युग |क्या आपके पास गवाह है इस अदालत में कोई व्यक्ति त्रेता युग का उपस्थित है जो गवाही दे सके |त्रेता युग के बाद द्वापरयुग आया फिर कलयुग वह भी काफी बीत चुका है | बिना गवाह और आधार के मुकदमा खारिज हो गया लेकिन वकील साहब सुर्ख़ियों में आ गये |
तुलसी कृत रामचरित्र मानस में श्री राम चन्द्र के राज्याभिषेक और रामराज्य की स्थापना तक की कथा का वर्णन है आगे लव कुश कांड श्री बाल्मीकि कृत रामायण से जाना जाता है | जनमत की शक्ति एक धोबी की पत्नी रात को पति की आज्ञा के बिना अपने मायके में रुक गयी धोबी ने उसे घर से निकालते हुए कहा मैं राजा राम नहीं हूँ जिन्होंने एक वर्ष तक रावण के घर रही सीता को अपना लिया जबकि सीता जी को लंका में सबकी उपस्थिति में अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था | भगवान राम ने उस समय की परम्पराओं के अनुसार राज धर्म का पालन करते हुए सीता का परित्याग कर उन्हें भाई लक्ष्मण के हाथों वन भेज दिया | सीता अकेली निसहाय गंगा के तट पर खड़ी थी उन्हें लगा मानों माँ गंगा की गोद ही उनका आखिरी घर है वह गंगा में प्रवेश कर गयी लेकिन ऋषि बाल्मीकि ने भगवती सीता को रोका उन्हें नया नाम वनदेवी दे कर अपनी पुत्री बना कर शरण दी | भगवती सीता नई पहचान के साथ ऋषि के आश्रम में रहने लगीं |यहाँ उन्होंने प्रतापी श्री राम के दो पुत्रों पवित्र अयोध्या के राजकुमारों को जन्म दिया | ऋषि ने राजपुत्रों का नाम लव और कुश रखा |बाल्मीकि नें उन्हें विभिन्न विषयों एवं शस्त्रों की शिक्षा के साथ ही संगीत की शिक्षा भी दी |राजकुमार ऋषि बाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण को सस्वर गाते थे | इन कुमारों को अपनी माता के लिए न्याय मांगना था उस युग की परम्परा को बदलना था |
नेमिषारणय वन में राजा श्री राम ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया, विशाल यज्ञ स्थल और सभा स्थल बनाये गये | दूर-दूर से राजा महाराजा आमंत्रित किये गये उनके ठहरने के लिए नदी के तट पर निवास स्थान बनाये गये | वन्य प्रदेश के वृक्ष फलों से भरे हुए थे हर तरफ मनमोहक प्रकृति अपनी छटा बिखेर रही थी जंगली गुलाबों की सुगंध से वन सुगन्धित था | एक वर्ष से चल रहा अनुष्ठान आखिरी चरण पर था |बाल्मीकि भी रामायण का अंतिम श्लोक लिख चुके थे उन्होंने लव कुश को बुलाया उनके सामने आम के फलों की टोकरी रख दी उनसे कहा इन फलों के खाने से तुम्हारी आवाज और भी मीठी हो जायेगी तुम्हारी स्मृति सदैव बनी रहेगी | स्नान के उपरान्त जाओ खुले स्थान पर राम कथा को सस्वर गाना जिससे तुम्हारी आवाज और राम कथा जन जन तक पहुंचे |श्री राम भी तुम्हें अपने दरबार में कथा सुनने के लिए बुलायें तुम्हें उनके सम्मुख गाना है परन्तु रोज कुछ अंश ही गाना गाने से पहले जैसे पिता को प्रणाम करते हैं राजाराम के आदर में सिर झुकाना | वह तुम्हें कुछ देना चाहें मत लेना हम तो सन्यासी हैं कुटिया में रहते हैं हमारा अर्थ से क्या काम | अपने परिचय में कहना हम ऋषि बाल्मीकि के शिष्य हैं | दोनों भाई बांसुरी और ढपली पर राम कथा को जब गाते उनको चारो तरफ से भीड़ घेर लेती | आवाज में और कथा के बोलों में ऐसा सम्मोहन था कथा की चर्चा श्री राम तक पहुंच गयी उन्होंने इन बालकों को बुला कर यज्ञ के उपरान्त दरबार में भी कथा के गाने की व्यवस्था की |कथा का हर पात्र वहाँ उपस्थित था जानकी के पिता राजा जनक , अयोध्या का राज परिवार वह ऋषि गन जिनके साथ श्री राम ने वन में समय बिताया था ,राक्षस राज विभीष्ण रावण द्वारा अशोक वाटिका में सती सीता का निवास और राम रावण युद्ध के प्रत्यक्ष गवाह , बानर राज सुग्रीव और हनुमान | कथा सुन कर हर आँख से आंसू बहते थे | कथा में हर रस थे हर श्लोक अपने में परिपूर्ण थे |श्रोता हंसते थे रोते थे भावविभोर हो रहे थे राजा कीमती आभूषण लव कुश को उपहार में देना चाहते उन्होंने कुछ भी ग्रहण नहीं किया वह केवल रामायण के मुख्य पात्र सीता को देखना चाहते थे सब थे परन्तु भगवती सीता नजर नहीं आई | वह अपनी माता के पास लौट गये |
श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ का घोडा छोड़ा घोड़े के साथ शत्रुघ्न के नेतृत्व में अयोध्या की चतुरंगिणी सेना थी |दोनों भाईयों ने यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया | यज्ञ के घोड़े को पकड़ने का अर्थ था श्री राम की आधीनता या संधि स्वीकार नहीं करेंगे युद्ध करेंगे | समस्त अयोध्या की सेना और राजकुमारों को बालकों से युद्ध करना पड़ा |बालक भगवती सीता का प्रतिशोध ले रहे थे उनके तीखे तीरों की धार के सामने राजसी सेना बेहाल हो गयी| अयोध्या के राजकुमार लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न पराजित हो गये ,अंत में श्री राम को स्वयं आना पड़ा | यही था ऋषि बाल्मीकि जी की कथा का अंत फिर से दरबार सजा राजा महाराजाओं के साथ अयोध्यावासी भी इकट्ठे हुये | बाल्मीकि ने उपस्थित सभा को बताया लव कुश श्री राम और भगवती सीता के पुत्र हैं | दरबार में सीता को अपनी पवित्रता की परीक्षा देनी थी सीता ने चारो तरफ देखा सब अपने थे श्री राम के संकेत पर सीता ने परीक्षा दी उनके आदेश पर माँ धरती हिली वह उनकी गोद में समा गयी | धरती को शक्तिशाली राजा जीतना चाहते अधिकार जमाते हैं |धरती जिनके उदर में ज्वालामुखी हैं जब भूचाल आता है आत्मा तक कांप जाती है सुनामी की ऊँची लहरे तूफ़ान मचा देती हैं भगवती सीता में धरती में समाने की शक्ति थी राम सीता सीता कह कर विलाप करते रह गये न्याय तभी हो गया था | परम्पराएं समय के साथ धीरे – धीरे टूटी | आज मर्यादा पुरुषोत्तम राम और भगवती सीता की कथा घर- घर- श्रद्धा से गाई जाती है |
डॉ शोभा भरद्वाज

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