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उलेमाओं के वर्चस्व को चुनौती देती महिला काजी

Vichar Manthan
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लगभग 1430 वर्ष पहले इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार पैगम्बर मुहम्मद साहब द्वारा जिन्हें अंतिम नबी माना जाता है अरब की धरती पर हुआ था कहते हैं इस्लाम के सिद्धांत ईश्वर द्वारा दिए संदेश हैं लेकिन समझने में कठिनाई आने पर हदीस में इनकी व्याख्या की गयी है | जयपुर की दो महिला काजी जहाँ आरा और अफरोज बेगम राजस्थान की पहली काजी आजकल बहस का विषय बनी हुयी हैं जिन्होंने बकायदा दो वर्ष तक इस्लामिक कानून की शिक्षा ली हैं |उलेमाओं को महिलाओं की शिक्षा पर एतराज नहीं है परन्तु विरोध उनके काजी बनने पर हैं कारण शायद उनके एकाधिकार में महिलाओं द्वारा लगाई गयी सेंध हैं जिससे भारत के इस्लाम जगत में हलचल है | मौलवी इस्लाम में हदीस के शब्द – दर शब्द पालन को उचित मानते हैं | महिलायें शौहर द्वारा तीन बार तलाक कहे जाने पर घर टूट जाने की विरोधी रहीं है वह केवल पत्नी ही नहीं बच्चों की माँ भी हैं | गुस्से में घर तोड़ना आसान है परन्तु अफ़सोस होने पर तलाक दी गयी पूर्व पत्नी से दुबारा निकाह कराना बहुत मुश्किल है इसके लिए बहुत सख्त नियम है महिला यदि दूसरा निकाह कर लेती हैं किसी वजह से उसका दुबारा तलाक हो जाता है ऐसे में दोनों चाहे तो उनका फिर से निकाह हो सकता है इसे हलाला कहते है| यह सख्त नियम इस लिए था तलाक करने से पहले बार-बार सोचा जायें |महिलायें पति द्वारा पत्नी के जीते जी दूसरे विवाह की विरोधी हैं |निकाह में होने वाली धोखे धड़ी रोकने के लिये दारुल उलूम निस्वान ने महिलाओं को काजी बनाने की ट्रेनिग शुरू की गयी है वह पुरुष काजियों या इस्लामी शरीयत के विरुद्ध नहीं हैं बस महिलाओं के अधिकारों के समर्थक हैं |कुछ इस्लामिक देशों में भी महिला काजी हैं जिनमें सबसे अधिक संख्या इंडोनेशिया में है लेकिन भारत में उलेमा , मुफ़्ती और काजी महिला काजी का विरोध कर रहे हैं शिया काजियों का विरोध हल्का है लेकिन सुन्नी काजी इसे इस्लामी शरीयत के खिलाफ मानते हैं |

महिलाओं ने कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसे उन्होंने अछूता छोड़ा हो एयर क्राफ्ट उड़ाती हैं बंदूक लेकर मोर्चे पर भी खड़ी है |मुस्लिम महिला फातिमा बीबी सुप्रीम कोर्ट की जज बन चुकी है बंगला देश में दो प्रधान मंत्री रही हैं खालिदा जिया आजकल शेख हसीना | दोनों बकायदा चुनाव लड़ कर प्रधानमन्त्री बनी हैं बेनजीर भुट्टो प्रधान मंत्री भी बनी और राजनीति की भी चतुर खिलाड़ी थी |इतिहास में जायें भारत की भूमि में सुलतान इल्तुतमिश को दिल्ली के तख्त पर अपने बेटों से बेटी अधिक योग्य दिखी उन्होंने उलेमाओं के विरोध के बाबजूद बेटी को अपना उतराधिकारी बनाया |वह दिल्ली की तख्त नशीन पहली और आखिरी महिला सुलतान थी उनके सिक्कों पर लिखा था सुल्ताने आजम दीन और दुखियों की मददगार |इतिहास कार फरिश्ता के अनुसार वह अच्छी प्रशासक ,कूटनीतिज्ञ ही नहीं युद्ध कला में भी निपुण थी उनमें एक ही कमी थी वह महिला थी |बीदर की चाँद बीबी जैसी धर्म परायण बहादुर को कौन नहीं जानता परन्तु पुरुषों की दुनिया में एक महिला उनको पछाड़ दे उलेमा इसे कैसे सह सकते हैं फिर उन्हें तो दीन का सहारा है उसका लाभ क्यों न उठायें |
काजी महिलाओं को मुख्यतया विवाह तलाक मेहर हलाला सम्बन्धित समस्यायें सुनने का अधिकार मिल जाता है |काजी बनने का एलान करते ही मुफ्तियों ने उनका विरोध करते हुए कहा काजी की ट्रेनिंग लेना अलग बात हैं औरत जितना चाहे इल्म हासिल कर लें वह काजी नहीं बन सकती कुआन के अनुसार मर्द औरत का हाकिम हैं ख्वातीन यदि काजी बनेंगी वह हाकिम होंगी | महिलाओं के काजी होने का उलेमा वर्ग द्वारा जम कर विरोध किया जा रहा है उनके अनुसार इस्लाम में महिला को मर्द से नीचे माना जाता है | पैगम्बर साहब नबी के खानदान में महान पवित्र स्त्रियाँ थी उन्होंने कभी काजी बनने की इच्छा जाहिर नहीं की |
वह कहते हैं काजी को बादशाह मुकर्रर करते हैं जबकि भारत में इस्लामिक सरकार नहीं है संसदीय प्रणाली है | आसाम और छत्तीस गढ़ में काजी की नियुक्ति वहाँ के मुख्य मंत्री द्वारा की गयी है उसे मंत्री का दर्जा दिया जाता हैं काजी का काम केवल निकाह पढवाना मेहर नियत करना हलाला के विषय सुनना और तलाक के मुकदमें सुनना तक सीमित नहीं है | महिलाएं बहुत नर्म दिल होती हैं वह कत्ल और चोरी सम्बन्ध्ति सजायें देने में समर्थ नहीं हो सकती | भारत में कानूनी प्रक्रिया है जो संविधान के अनुसार कार्य करने के लिए अदालतें हैं | महिला काजी को उन्हीं मामलों पर निर्णय देना है जो काजी के अधिकार क्षेत्र में आते हैं |
इसके विपरीत महिलाओं के अधिकारों के समर्थक कहते हैं महिलायें नर्म दिली से महिलाओं के विषयों पर ध्यान देंगी महिलाओं की दशा बहुत खराब है कुछ लोग कुछ महीने के निकाह के बाद छोड़ जाते हैं पहली बीबी की परवरिश कर नहीं सकते दूसरा निकाह पढवा लेते हैं | महिला काजी महिला पक्ष की पूरी तरह बात सुनेंगी यह भी समझने की कोशिश करेंगी तलाक क्यों हो रहा हैं सही न्याय करेंगी |कई उदाहरण हैं जिनमें औरत पर जुल्म हुआ इमराना इसका उदाहरण हैं इसके साथ ससुर ने बेअदबी की कुछ मुफ्तियों ने कहा उसका शौहर के साथ निकाह खत्म हो गया अब वह ससुर की बीबी हो गयी इसका बहुत विरोध हुआ कानूनी प्रक्रिया के द्वारा ससुर रेप के इल्जाम में गिरफ्तार हुआ उसे दस वर्ष तक की कैद की सजा दी गयी इस सजा का स्वागत उलेमा वर्ग ने भी किया |
सुउदिया से अरब आते हैं कम उम्र की लडकियों से निकाह पढ़वा कर फिर तलाक देकर चले जाते हैं | यह काजी के बिना नहीं हो सकता कम से कम महिला काजी ऐसा जुल्म नहीं होने नहीं देंगी|
2003 में पश्चिमी बंगाल में पहली काजी शबनम आरा आरा बनीं थी उन्हें भी विरोध का सामना करना पड़ा था |
औरत आलिम बन सकती हैं काजी क्यों नहीं आज औरत कहाँ से कहाँ पहुची है उन्होंने सेना के क्षेत्र में भी प्रवेश किया है |औरत रहम दिल है परन्तु कई औरत सर्जन है |कई दानिशमंद तर्क देते हैं काजी की डिग्री सही होनी चाहिए उन्हें शरीयत का अच्छी तरह ज्ञान होना चाहिए |अब इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों पर बहस शुरू हो गयी है | हिजाब में रहना और बात है लेकिन अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना और बात जबकि पवित्र कुरान में उन्हें बराबरी का हक दिया जाता है फिर हदीस के बहाने उनका काजी बनने का हक क्यों नहीं दिया जा रहा है | आज समय बदल गया इन्सान चाँद पर पहुंच गया ऊंची – ऊँची इमारते बन गयी है अब तलवार बाजी का जमाना भी नहीं रहा महाशक्तियों के अलावा विकास शील देश भी एटमी शक्ति बन गये हैं तन बतन जंग इतिहास बन चुकी है हर धर्म के मानने वाले पुरानी परम्पराओं पर तर्क करने लगे हैं |अपने समय में इस्लाम में भी पुरानी गलत परम्पराओं को तोड़ा गया था |भारत में प्रजातंत्र है देश की आधी आबादी महिलायें यदि एक हो गयीं अपने हक के लिए अपने मताधिकार का मिल कर प्रयोग करने लगी वह सत्ता के केंद्र बन जायेंगी |

डॉ शोभा भारद्वाज

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