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व्यवस्था परिवर्तन और क्रान्ति का नारा नेतागिरी की आसान सीढ़ी

Vichar Manthan
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भारत में नौजवानों को कम से कम एक वर्ष तक मिलिट्री ट्रेनिग आवश्यक रूप से दी जानी चाहिए | वह सैनिकों की तरह सेना के सख्त अनुशासन में रहें उन्हें भारत पाकिस्तान , चीन के बार्डर पर लगाया जाये वह देंखे हमारे सैनिक कैसे खतरों से खेलते हैं सीमा पर ड्रग तस्करों और आतंकवादियों को कैसे रोकते हैं आये दिन पाकिस्तान की और से बरसाए गये गोलों की दहशत को झेलें जवान शहीद होता हैं उसका परिवार अपने आंसुओं को अंदर ही अंदर पीता हैं किसी का दुधमुहाँ बच्चा अपने पिता को मुखाग्नि देता है| सियाचिन की चौकी पर भयानक बर्फ के तूफानों में जवान कैसे देश की रक्षा करते हैं | वह जानेंगे शहादत क्या है ? इन्हें बैठा कर सीरिया अफगानिस्तान ईराक के लोग किस तरह बेहाल होकर योरोप के दरवाजे पर खड़े हैं कितने तो मर चुके हैं |ग्रीस जिसकी स्वयं की माली हालत खराब है वहाँ पनाह मांग रहे है | यह शरणार्थी हैं इनका वतन बर्बाद हो गया | वतन छूटता है क्या हाल होता हैं ?
देश को आजादी आराम से नहीं मिली थी न जाने कितनी कुर्बानियों की गाथा है आज हम किसी की भी कुर्बानी का मजाक उड़ा सकते हैं किसी की विचारधारा को हिन्दू वादी कह कर उसके बलिदान को भुला सकते हैं | ब्रिटिश साम्राज्य में घर से निकल कर सत्ता के खिलाफ आजादी का नारा लगाना बड़ी बात थी| आजादी की लड़ाई अलग-अलग तरह से लड़ी गयी | 1857 की क्रान्ति ,क्रांतिकारियों का बलिदान अहिंसा वादियों का सत्याग्रह पर डटे रहना नेता जी और सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज जिसने ब्रिटिश साम्राज्य को बाहर से चोट पहुंचाई थी | तब कश्मीर की आजादी ,मणिपुर की आजादी , नागालैंड की आजादी के नारे नहीं थे गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी भारत माँ की आजादी के नारे थे वन्देमातरम का गान था परन्तु आज के जवाहर लाल नेहरु विश्व विद्यालय के नये बुद्धिजीवी नक्सलवाद से लड़ते शहीद हुए 76 अर्ध सैनिक बलों की शहादत पर खुश होते हैं जश्न मनाते हैं | जेएनयू में 9 फरवरी को अफजल गुरु और मकबूल भट्ट का महिमा मंडन , उनकी फांसी की सजा को न्यायालय द्वारा की गयी हत्या और कश्मीर के लोगों को जिसमें लाखों कश्मीरी पंडित अपनी धरती से निकाल दिए गये आत्म निर्णय का अधिकार दिया जाए विषय का आयोजन किया गया | इसमें भाग लेने के लिए बाहर से भी विद्यार्थी आये देश विरोधी गतिविधियों के आयोजन के उद्देश्य का खुलासा होने के बाद इस पर रोक लगा दी गयी लेकिन फिर भी देश के विरोध में जम कर नारे लगे कितने अफजल मरोगे हर घर से अफजल निकलेगा ,पाकिस्तान जिन्दाबाद देश के टुकड़े – टुकड़े तक जंग की और आजादी के नारे लगे | पहली बार आम जनता को ज्ञात हुआ जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय यहाँ करदाता के धन से चलने वाली शिक्षण संस्थान में क्या होता है ? जिससे समाज में रोष फैल गया दुःख की बात है भारत में रहना भारत के विरुद्ध नारे लगाना इसका हर क्षेत्र में विरोध किया गया | विषय बदलने के लिए छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया ने 11 फरवरी को फिर सभा का आयोजन किया उसमें ब्राह्मणवाद वाद से आजादी मनुवाद से आजादी के नारे लगवा कर भाषण द्वारा अपने आप को बचाने की कोशिश की लेकिन तब तक उसका और कई लोगों का चेहरा जनता के सामने बेनकाब हो चुका था कन्हैया गिरफ्तार किया गया बाकी चार गायब हो गये बाद में कैम्पस में नजर आये लेकिन उनको आत्म समर्पण करना पड़ा |
जेएनयू शिक्षण संस्थान की स्थापना की घोषणा| 22 दिसम्बर 1966 को संसद में की गयी थी | विश्व में संस्थान का बहुत नाम है यहाँ शिक्षा ग्रहण करना सम्मान की बात समझी जाती है यहाँ एनडीए के सैनिक अफसरों को भी डिग्री दी जाती है पूरे भारत से यहाँ शिक्षा प्राप्त करने विद्यार्थी आते हैं कई बहुत गरीब घरों के हैं उनके लिए बहुत कम फ़ीस, सस्ता भोजन और आवास की वजह शिक्षा प्राप्त करना आसान हो जाता है |वह अपना कैरियर बना लेते हैं |यहाँ की प्रगतिशीलता और शैक्षणिक माहौल में छात्रसंघ का बहुत महत्व है जेएनयू में शुरू से ही बाम पंथियों का बहुत जोर है | किसी भी विषय पर बेबाक बहस करना संस्थान की विशेषता है लेकिन अधिकतर बामपंथी विचार धारा पर बहस की जाती है| सोवियत संघ के टूटने के बाद मार्क्सवाद कमजोर पड़ने लगा चीन भी माओवादी विचार धारा पर अडिग नहीं रहा धीरे –धीरे बदल रहा है |बंगाल में 25 वर्ष तक कम्युनिस्टों का शासन था ममता बनर्जी जी ने कड़ी टक्कर लेकर उनका गढ़ तोड़ा |बंगाल के लम्बे शासन के बाद लाल सलाम समानता का सपना दिखाता रहा क्या समानता आई या केवल नारा बन कर रह गयी हैं व्यवस्था परिवर्तन का नारा,क्रान्ति की बातों में अलगाव वाद और देश को तोड़ने की बातें भी जुड़ गयीं जिसका विरोध हुआ | यह भारत की अखंडता और सम्प्रभुता को चुनोती देने वाला कृत्य था |कन्हैया देश द्रोह के अभियोग में गिरफ्तार कर लिया गया इसके साथ ही राजनीति शुरू हो गयी | हर राजनीतिक दल को छात्र चाहिए जिनके सहारे हंगामा कर चुनाव में उनका इस्तेमाल किया जाये |
कन्हैया को चेतावनी देते हुए केवल छह माह की अंतरिम जमानत दी गयी है लेकिन आरोपों की जांच चलती रहेगी |हाई कोर्ट की जस्टिस प्रतिभा रानी ने जमानत देते समय उन महापुरुषों को याद किया जिनका देश की आजादी में नाम है अपने देश के लिए उन्होंने सुंदर शब्दों में कहा उपकार फिल्म का गीत अलग – अलग रंगों में देश के प्रति प्रेम दर्शाया है| बसंत ऋतु में शान्ति का रंग जेएनयू जैसे प्रतिष्ठान में खत्म हो रहा है | इसका उत्तर यहाँ के छात्रों वा शिक्षकों और संस्थान का कार्यभार सम्भालने वालों को देना पड़ेगा |वह सुरक्षित वातावरण में इसी लिए रह रहे हैं क्योंकि युद्ध के मैदान में हमारे जवान सबसे ऊंचे बर्फीले स्थान पर जहाँ आक्सीजन भी कम हैं देश की सीमा की पहरेदारी कर रहे हैं |जो देश विरोधी नारे लगा रहे हैं वह उस ऊचाई पर घंटा भर भी नहीं रह सकते |यह नारे शहीदों के मनोबल को तोड़ने वाले है जिनके शहीद ताबूत में तिरंगे में लिपटे हुए पहुंचते हैं जो छात्र वीडियो में नारे लगाते दिख रहे हैं उन्हें आत्म मंथन करने की जरूरत है |जेएनयु को चाहिए वह छात्रों को सही रास्ते पर लायें जिससे वह देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा सकें देश विरोधी नारों को मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता| जज ने बहुत अच्छी बात कही छात्रों में एक तरह का इंफेक्शन फैल रहा है इसे बिमारी बनने से रोकना है इंफेक्शन फैलने से रोकने के लिए एंटी बायोटिक का प्रयोग किया जाता है यदि इसके बाद भी इंफेक्शन कंट्रोल में नहीं आता रोकने के लिए कई बार आपरेशन करने की जरूरत पडती है |
20 दिन की जेल में कन्हैया पूरा नेता बन कर निकला उसने कहा बदनाम होंगे क्या नाम न होगा ? नाम तो हुआ देश को पता चला जेएनयु में इस प्रकार के तत्व भी टैक्स पेयर के धन पर पल रहे हैं | कन्हैया ने बहुत जोशीला भाषण दिया उसके भाषण में उन लोगों की रिहाई के लिए संघर्ष करते रहने का आह्वान था जिन्होंने अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की महिमा मंडन करने का आयोजन किया ,अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर देश तोड़ने के नारे दिए | (क्या अमेरिका के किसी विश्वविद्यालय में लादेन के समर्थन में नारे लगे हैं ,9 /11 के हमलावरों का यशोगान किया गया है पेरिस में हाल में ही आतंकवादी हमले के आरोपी का महिमा मंडन किया गया है ?) जश्न में लाल सलाम था वह क्रान्ति का नारा बुलंद कर रहा था दलितों को साथ लेकर चलना चाह रहा है | भारत के अंदर क्रान्ति कर ऐसी व्यवस्था लाना चाहता है सब बराबर हों राष्ट्रपति और मजदूर का बेटा एक साथ पढ़े हाल ही में स्वराज के नारे और व्यवस्था परिवर्तन की बात पर दिल्ली में नेतागिरी हुयी थी यह नारा सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी अवश्य बना |प्रोफेशनल कालेज में कम्पनियां नौकरी देने के लिए आती हैं छात्र अपना बेस्ट प्रदर्शित कर नौकरियाँ प्राप्त करते हैं| कन्हैया नेतागिरी का इम्तहान दे रहा हैं हर समाचार पत्र और चैनलों में चर्चा का विषय बना हुआ है |पांच राज्यों में चुनाव आने वाले हैं राजनीतिक पार्टियों के लिए कन्हैया को अपने पक्ष में वक्ता या उम्मीदवार बनाने का अवसर है | वह चीख –चीख कर बड़ी – बड़ी बातें करेगा मोदी जी की आलोचना करेगा | देश में संविधान के शासन के स्थान पर किसी विचारधारा के शासन की बात करेगा |राजनीति में या तो नेता बन कर जम जाएगा या कुछ समय तक जुगनू की तरह चमक कर गुमनामी के अँधेरे में खो जाएगा |
छात्रों का राजनीती में उपभोग करने के लिए सभी दल तैयार रहते हैं | जेएनयू में ऐसे छात्र हैं सिर झुका कर पढ़ते हैं अपना कैरियर बनाते हैं जिनमें कई प्रोफेसर है कई प्रशासनिक अधिकारी बने अपने संस्थान का नाम रोशन किया कुछ नेता भी हैं |कुछ केवल किसी के पीछे नारे लगा कर अपना कैरियर बर्बाद कर चुके हैं जब होश आया समय निकल चुका था सामने गहरा अन्धेरा था हाँ उनके नाम पर राजनीतिक रोटियाँ सेकने वाले कई आगे आये | चीन में भी छात्र आगे आये थे उन्होंने भी चीनी साम्यवाद के विरुद्ध व्यवस्था परिवर्तन के नारे लगाये थे | विदेशी चैनलों में जम कर चर्चा भी हुई चीन की सरकार ने छात्रों के सामने बुलडोजर खड़े कर दिये आज किसी को इस घटना की याद भी नहीं है | ईजिप्त को क्रान्ति के इच्छुकों ने देश बर्बाद कर दिया इस्लाम के नाम पर सत्ता सम्भालने को कई तैयार हैं देश में रोजगार का साधन टूरिज्म बर्बाद हो गया | ईरान में भी विश्वविद्यालयों में राज शाही का विरोध हुआ उन पर इस्लामिक सरकार सवार हो गयी | मिडिल ईस्ट में सत्ता परिवर्तन और क्रान्ति की लहर चल रही है इस्लामिक स्टेट की विचारधारा सत्ता पकड़ने को तैयार खड़ी है | भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था है संविधान हैं संविधान में परिवर्तन लाने की व्यवस्था है संसद में कानून पारित होते हैं संविधान की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय है | किसके खिलाफ क्रान्ति और व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया जा रहा है ?
डॉ शोभा भारद्वाज

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