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राजनीति के गिरते स्तर को और कितना गिराओगे कन्हैया

Vichar Manthan
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राजनीति के गिरते स्तर पर हैरान हूँ |आज कल संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को बिना सबूत कुछ भी कह कर मानहानि करें मीडिया की सुर्खियाँ बन जाओगे |प्रधान मंत्री के लिए भद्दे शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं अभिव्यक्ति की आजादी है |यहाँ तक जान की बाजी लगाने वाले सैनिको के लिए कुछ भी बोलो विश्व में देश की छवि खराब करो , कश्मीर हमारा हिस्सा नहीं हैं क्योंकि दुनिया के कुछ देश उसे अपने नक्शे में विवादित मानते हैं| क्या दुनिया के देश बताएंगे हमारे प्रदेश कौन से हैं ? मैकमोहन लाइन पूर्वी हिमालय क्षेत्र के चीन-के अधिकार वाले क्षेत्र, भारत के अधिकार वाले क्षेत्रो के बीच में सीमा निर्धारित लेकिन चीन हमारे कुछ प्रदेशों को अपना कहता है मैकमोहन लाइन को नहीं मानता है क्या हम उसे अपने प्रदेश सोंप दे ? यह जेएनयू के भाषण के विषय है |बैमुला की आत्म हत्या बहुत दुखद है सस्ती लोकप्रियता जल्दी नेता बनने की चाह कईयों के भविष्य यहाँ तक जीवन को भी लील लेती हैं |आजकल नेता बनने की सीढ़ी में न्यायपालिका के निर्णय को चुनोती देते नारे याकूब मेमन ,अफजल गुरु मकबूल भट्ट हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल ज़िंदा हैं न जाने कैसी सोच छात्रों में पनप रही है या पनपाई जा रही है| राजनीति में आना है आरक्षण का नारा दो सार्वजनिक सम्पत्ति तोड़ों पूरे प्रदेश में हंगामा मचा दो , लोगों के रोजगार पर चोट करो रेलें रोकों | पहले गुजरात में हार्दिक पटेल ने इसकी शुरुआत की आगे हरियाणा में जो हुआ कितना घृणित था कोई नया नेता तो नहीं उभरा हाँ दस साल के शासन काल के जाने का दुःख कहीं नई सरकार जम न जाएँ अवश्य दिखा | आरक्षण का मुद्दा उठा कर जाटों को भड़का कर अपने ही प्रदेश को पीछे ले जाने की चाल चली गयी |
नेहरु परिवार से सम्बन्धित नयनतारा सहगल जिन्होंने बिहार चुनाव से पहले साहित्य अकादमी का पुरूस्कार यह कह कर लौटाया मोदी सरकार के आने के बाद भारत में असहिष्णुता बढ़ी है उसके बाद बढ़ चढ़ कर पुरूस्कार लौटाने का सिलसिला शुरू हो गया लेकिन बिहार में भाजपा की पराजय के बाद यह मुद्दा ठप हो गया |इन्हीं नयनतारा को कन्हैया मोदी जी की टक्कर का नजर आया है वही मोदी जी के खिलाफ ऊर्जा का संचार करने में समर्थ है आश्चर्य हुआ एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ जिन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में गुजरात में अपने काम से प्रसिद्धी पायी थी | उनकी प्रसिद्धी ने अपने ही दल में विरोध के बावजूद उन्हें प्रधान मंत्री का उम्मीदवार बनाया गया देश को उनके नेतृत्व में लड़े गये चुनाव से वर्षों बाद बहुमत की सरकार मिली मोदी जी ने विश्व में भारत का सम्मान बढ़ाया | स्वर्गीय इंदिरा गांधी ही ऐसी प्रधान मंत्री थीं जिन्हें अपनी पार्टी के भीतर और पार्टी से बाहर विरोध का सामना करना पड़ा था लेकिन विश्व में वह सम्मानित नेता थीं | नयनतारा जी के कथन से हैरानी हुई कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस सदा प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार के रूप में देख रही है उनको नयनतारा जी मोदीजी का सही प्रतिद्वंदी न मान कर उन्हें कन्हैया सही नजर आ रहा है | छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया जिसके नेतृत्व में अफजल गुरु की बरसी मनाई जा रही थी |न्यायालय द्वारा मौत की सजा दिए गये अफजल गुरु और मकबूल भट्ट के पक्ष में नारे लगे अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल ज़िंदा हैं |
11 फरवरी को कन्हैया ने रुख मोड़ने की कोशिश की आजादी मनुस्मृति से आजादी के नारे लगाये इससे क्या कन्हैया का दोष कम हो गया ?उसे न्यायालय ने सख्त टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट नें छह माह की अंतरिम बेल दी गयी | जेल से छूटते ही कन्हैया अपने आप को ऐसे प्रोजेक्ट करने लगा जैसे स्वतन्त्रता सेनानी हो देश हित में जेल गया हो |आजादी का नारा भी भारत के अंदर आजादी में बदल गया | आजाद भारत में हर नागरिक आजाद है हाँ उसके मौलिक अधिकार दूसरों के मौलिक अधिकार से न टकरायें यदि अधिकार हैं तो कर्तव्य भी हें | रातो रात कन्हैया चैनलों का चहेता बन गया उन्हें उसमें टीआरपी दिखने लगी जेल से छूटने के बाद यह पहला अवसर था जब किसी छात्र नेता का( जेएनयू कैम्पस ) में दिया लम्बा भाषण लाईव नेशनल टेलीविजनों पर प्रसारित कर पूरे देश में दिखाया गया| उसकी प्रेस कांफ्रेंस दी गयी | उसका इंटरव्यू लेने की होड़ लग गयी बस यह नहीं कहा गया सबसे पहले हमने कन्हैया श्री का इंटरव्यू प्रसारित किया है | इसमें कोई शक नहीं कन्हैया को चढ़ाने में मीडिया का पूरा हाथ है | भाषण में उसने अपने विरोधियों यहाँ तक देश के प्रधान मंत्री को भी नहीं बक्शा |भाषण में वह क्यों जेल भेजा गया उस पर कुछ नहीं कहा यदि 9 फरवरी की घटना में उसका समर्थन नहीं था तो उसने विरोध भी नहीं किया था यहाँ तक कहा जा रहा है जब जेएनयु प्रशासन ने अफजल गुरु की बरसी के प्रोग्राम पर रोक लगाई कन्हैया ने उसका विरोध किया था | कन्हैया का हौसला इतना बढ़ गया रोज उसके स्टेटमेंट आने लगे श्री मान कन्हैया ने महिला दिवस के अवसर पर सीमा और जम्मू कश्मीर की सुरक्षा में लगे सैनिकों, सीमाओं की रक्षा करने में शहादत देते सैनिकों पर टिप्पणी की तुम कितना कोशिश करो हम ह्यूमनराईतस के वायलेशन पर बोलेंगे वह सेना का सम्मान करता है लेकिन कश्मीर में सुरक्षा बल द्वारा महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं यहाँ तक वह सुरक्षा सेनाओं को रेपिस्ट बताने लगा | देश के रक्षकों पर भी आक्षेप लगाना क्या यह भी अभिव्क्ति की स्वतन्त्रता में आता है ? सस्ती लोकप्रियता कहाँ से कहाँ पहुंच गयी है |राजनीति, नेतागिरी की चाह और मीडिया के कैमरों का मोह इतना बढ़ गया वह सेना पर ही कमेंट करने लगा |जिस दिन मीडिया को लगेगा कन्हैया से टीआरपी नहीं आ रही उसकी तरफ मुड़ कर भी नहीं देखेंगे | एक युवक ने उसे थप्पड़ मारने की कोशिश की | हमारी सेना को कन्हैया जैसे नये छुट भैया नेता का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए विश्व में हमारी सेनायें शांति सेना का काम करती है उनका सम्मान है | कन्हैया को पहले बंगाल के चुनाव में उतारने पर विचार किया गया लेकिन बामपंथियों के समझ में नहीं आ रहा है यह उन्हें चुनाव में नुक्सान दे सकता है | देश कभी भी सेना के सम्मान पर चोट पहुँचाने वाले को सहन नहीं करता | हाँ बामपंथी विश्वविद्यालयों की राजनीत में उसे छात्रों को बरगलाने भेज सकते हैं |
डॉ शोभा भारद्वाज

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