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राज्यसभा में सत्तारूढ़ दल का अल्पमत ,सदन में केवल हंगामा

Vichar Manthan
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राज्यसभा
अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुखिया श्री प्रणव पंड्या को राष्ट्रपति महोदय ने राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों की सूचि में शामिल किया गौरव की बात थी लेकिन श्री पंड्या ने राज्यसभा के सांसद पद को स्वीकार नहीं किया अपनी असहमति के साथ कारण स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा राज्यसभा का माहौल मेरे अनुकूल नहीं है पिछले दो वर्षों से मैं राज्यसभा की कार्यवाही देख रहा हूँ सांसद क्या कर रहे हैं ? मैं बाहर रह कर ही लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में सहयोग कर सकता हूँ | संसद के आज के स्वरूप को देख कर आश्चर्य नहीं हुआ नीतिवानों और बुद्धिजीवियों यही सोच रहे है |सांसद बनने के लिए लोग क्या नहीं करते ? जिनको साहित्य ,विज्ञान कला और समाज सेवा जैसे विषयों में योगदान है उन्हें राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं मनोनीत होना सम्मान की बात मानी जाती है |कई महानुभाव सांसद बने ,शपथ ग्रहण की परन्तु कभी भूले भटके ही उन्होंने राज्य सभा में दर्शन दिए |
संसद के दो सदन हैं निचला सदन लोकसभा और उच्च सदन राज्यसभा है |संविधान के अनुच्छेद 102 के अनुसार कोई भी भारत का नागरिक जिसकी आयु 30 वर्ष है पागल कोढ़ी दिवालिया न हो सरकारी पद पर आसीन न हो राज्य सभा का सदस्य बनने के लिए सक्षम है | राज्यसभा के सदस्यों की निर्धारित संख्या संविधान के अनुच्छेद 80 द्वारा 250 है इसके 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं | संविधान के अनुच्छेद 102 के अनुसार राज्य सभा का गठन ही संविधान के अनुसार संघीय स्वरूप देने के लिए किया है |नाम से ही स्पष्ट होता है राज्यसभा राज्यों की परिषद है राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधान सभाओं के चुने विधायक करते हैं इसी लिए राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या ज्यादातर उस प्रदेश की जनसंख्या पर निर्भर है लेकिन छोटे राज्यों का केवल एक सदस्य ,दिल्ली में विधान सभा बनने के बाद एक सदस्य राज्यसभा के लिए चुना जाता है | राज्य सभा का सदस्य मंत्री परिषद का सदस्य बन सकता है अरुण जेटली अमृतसर से चुनाव हार गये लेकिन राज्य सभा के सदस्य हैं वित्त मंत्री हैं |स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव हार गयी लेकिन राज्यसभा की सदस्य है वह मानव संसाधन मंत्री हैं इंदिरा जी के स्वर्गवासी होने के बाद चुनाव में कंग्रेस को भारी बहुमत मिला उस समय बड़े-बड़े दिग्गज लोकसभा का चुनाव हार गये थे यहाँ तक अटलबिहारी बाजपेयी जी को भी राज्यसभा के रास्ते संसद में आना पड़ा | राज्यसभा स्थायी सदन है प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष है दो वर्ष बाद दो तिहाई सदस्य पद मुक्त हो जाते हैं उनके स्थान पर दूसरे सदस्य आ जाते हैं |
हर विधेयक को पास होने के लिए राज्यसभा में भी तीन वचनों में से गुजरना पड़ता है पहले वाचन में विधेयक की रुपरेखा पढ़ी जाती है दूसरे वाचन में विधेयक पर बहस होती है | तीसरे वाचन में मतदान यदि विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है वह हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास जाता है उनके हस्ताक्षर के बाद कानून का रूप धारण करता है | वित्त विधेयक पर पर राज्यसभा को अधिक अधिकार नहीं दिया गया है केवल राज्यसभा में केवल 14 दिन के लिए आता है उस पर बहस होती है संशोधन पेश किये जाते हैं संशोधनों को सरकार माने या न माने यह सरकार पर निर्भर हैं |देश के महामहिम राष्ट्रपति के मतदान में संसद के दोनों सदन और विधान सभा के विधायक भाग लेते हैं |उपराष्ट्रप्ति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा किया जाता है उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापित का पद भार सम्भालते हैं | राज्यसभा उपसभापति का चुनाव करती है | महाभियोग की कार्यवाही में दोनों सदन भाग लेते हैं संविधान में संशोधन बिल राज्यसभा में भी २/३ के मत से पास होता हैं |आपातकाल से जुड़े सभी प्रस्ताव राज्यसभा द्वारा पास होने जरूरी है | संविधान में संशोधन के लिए संविधान संशोधन बिल भी पृथक सभा बुला कर 2/3 बहुमत से पास होंगे है। किसी महत्वपूर्ण विधेयक के पास न होने की स्थिति में संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में मतदान कराया जा सकता है | दोनों सभाओं के बीच गतिरोध दूर करने के लिए, संविधान में दोनों सभाओं की संयुक्त बैठक बुलाई जा सकती है । अभी तक तीन ऐसे अवसर आयें है हैं जब सदनों के सदस्यों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए संयुक्त बैठक हुई थी। संयुक्त बैठक में उठाये जाने वाले मुद्दों का निर्णय दोनों सभाओं में उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों की कुल संख्या के बहुमत से किया जाता है। संयुक्त बैठक संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित की जाती है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा के अध्यक्ष करते हैं | 25 नवम्बर 2001 को सर्वदलीय राष्ट्रीय सम्मेलन में संसद एवं विधान सभों को मर्यादित करने के लिए नियम बना कर आचार संहिता का निर्माण किया गया जैसे प्रश्न काल के दौरान शांति बनाये रखना ,सदन के बीच में अपने स्थान से उठ कर नारेबाजी न करना , राष्ट्रपति के भाषण के दौरान मर्यादित व्यवहार करना प्रत्येक सदस्य को अपनी सम्पत्ति की घोषणा करें , जब कोई सदस्य भाषण दे रहा है उसके विचार सुनना टोका टिप्पणी न करना , सदन में फोन का इस्तेमाल नहीं करना ,बिना स्पीकर को सूचित किये किसी पर आरोप लगा कर उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना ,न्यायालय में चलने वाले विषयों को बिना अनुमति के सदन में उठाना अध्यक्ष जी की अनुमति से अपनी बात रखना और भी कई नियम बनाये गये | सत्ता रूढ़ दल की जिम्मेदारी है सदन में सबका सहयोग ले कर चले परन्तु कैसे ?कांग्रेस अधिकतर सत्ता में रही है उनके कार्यकाल में होने वाले घोटालों के विरुद्ध आवाज न उठे चर्चा न हो उनमें हंगामा करने की प्रवर्ती बढ़ी हैं |राज्यसभा में भाजपा और एनडीए का बहुमत नहीं है कांग्रेस की सदस्य संख्या अधिक है |राज्यसभा का स्वरूप हम देख रहे हैं यह लोकतंत्र का कौन सा स्वरूप है ?संसदों का कैसा व्यवहार हैं ? किसी भी विधेयक में अडचन डालना, महत्वपूर्ण विधेयक रुके हुए हैं | राज्य सभा की कार्यवाही शुरू होती है कुछ देर बाद सांसद अपनी असहमति जताने के लिए वेल में आ जाते हैं विधेयक को फाड़ना नारे बाजी करना सदन में चर्चा के लिए पहले सहमती देना चर्चा के दौरान अपनी बात कहना दूसरे पक्ष की बात सुने बिना ही सदन से वाक् आउट करना | संविधान सभा ने वित्त विधेयक पर राज्यसभा को विचार के लिए 14 दिन का समय दिया अच्छा किया |
कांग्रेस अध्यक्षा ने कांग्रेसियों को आक्रामक रहने का निर्देश दिया था |शायद उसी का रूप देश टीवी के माध्यम से देख रहा है |जब भी किसी महत्व पूर्ण विषय पर बहस होती है नेता गण बजाय विषय पर चर्चा करने के विषय को भटका कर अपने चुनाव क्षेत्रों को सम्बोधित करते हैं या कार्यवाही ठप्प करते नजर आते हैं | पूर्व अध्यक्ष संगमा जी ने संविधान विषय पर बहस के दौरान ने कुछ सुझाव दिये उनके अनुसार देश के प्रधान मंत्री लोकसभा का सदस्य होना चाहिए डॉ मनमोहन सिंह दो बार प्रधान मंत्री बने वह राज्यसभा के सदस्य थे |राज्य सभा के सदस्य अपने राज्य के होने चाहिये |सुझाव और भी थे| जनता ने सुने परन्तु सांसदों ने शोर में उड़ा दिये |भारत माता को सम्मान देना भारत माता की जय कहने में राजनीती करने पर श्री जावेद अख्तर ने राज्यसभा में उनका कार्यकाल समाप्त होने पर भाषण के दौरान भारत माता की जय विरोधियो को करार जबाब दिया उन्होंने कहा यह मेरा अधिकार और भारत माता की जय से उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया |किसी भी सदन की कार्यवाही पर टैक्स दाता का धन खर्च होता है इसका किसी को ध्यान नहीं है |
डॉ शोभा भारद्वाज

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