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श्री केजरी वाल जी के 21विधायको की सदस्यता ? राजनीति “Jagran Junction Foram “

Vichar Manthan
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श्री केजरी वाल जी के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के दिल्ली विधान सभा में सत्तर में से 67 उम्मीदवार जीते यह ऐसी जीत थी जिसमें 15 वर्ष तक दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका| भाजपा ने दिल्ली चुनाव जीतने में सारी ताकत लगा दी थी उनके केवल तीन विधायक जीत कर आ सके | सदन में पहुंची आप की भीड़ में विपक्ष बड़ी मुश्किल से दिखाई देता था | केजरी वाल जी ने चुनाव में वादों की झड़ी लगा दी थी उनके 70 वादे थे लेकिन चुनाव मुख्यतया मुफ्त पानी और आधे रेट पर बिजली पर जीता गया था | उन्होंने जनता के सामने अपनी छवि एक ईमान दार राजनेता के रूप में प्रस्तुत की दूसरों को ईमानदार या बेईमान का सर्टिफिकेट का ठेका भी उन्होंने ले लिया था | 1991 में 69 वे संविधान संशोधन बिल द्वारा दिल्ली का नाम नेशनल कैपिटल टेरेटरी दिल्ली किया गया था यह भी स्पष्ट था दिल्ली की विधान सभा के कुल सदस्यों के 10% का मंत्री मंडल बनेगा | केजरी वाल जी के मंत्री मंडल में सात सदस्य थे | संविधान के 191 अनुच्छेद में स्पष्ट लिखा हैं विधायको के किसी भी लाभ के पद पर आसीन होने से उसकी विधान मंडल की सदस्यता समाप्त जायेगी | अनुच्छेद 192 के अनुसार सदस्यता समाप्त होने का फैसला चुनाव आयोग कीअनुमति के बाद राज्यपाल द्वारा लिया जायेगा | आम आदमी पार्टी के विधायकों की विशाल संख्या से सब बहुत उत्साहित थे मुख्यमंत्री किसी न किसी रूप में अधिकाँश को लाभ का पद देकर चाहते थे असंतुष्टि को बढावा न मिले | मार्च 2015 को दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति की गयी यूँ समझिये विधायिका के 28 लोगों को कार्यपालिका बना दिया | संविधान में विधायिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र की अलग – अलग व्याख्या है |यदि विधायिक कार्यपालिका के क्षेत्र में काम करती है इसे कार्यपालिका के कार्य क्षेत्र में दखल माना जाएगा |
संसदीय सचिवों के लिये सचिवालय में 21 सुसज्जित कमरे तथा गाड़ियों की सुविधा भी दी गयी |विधान सभा के स्पीकर ने कहा यह उनके अधिकार क्षेत्र में हैं संसदीय सचिवों को काम करने के लिए कमरा दिया जाये| कौन से संसदीय सचिव किस विभाग के मंत्री की सहायता करेंगे यह भी लिखित था | प्रशांत पटेल नामक एक समाजसेवी वकील ने सचिवों की नियुक्ति के तीन माह के भीतर ही राष्ट्रपति महोदय के सामने याचिका दायर कर आरोप लगाया दिल्ली सरकार में 21 विधायक लाभ के पद पर हैं यह असंवैधानिक है | इन विधायकों की सदस्यता रद्द होनी चाहिए | केजरीवाल सरकार को जैसे ही अपनी भूल का अहसास हुआ कानून में जरूरी बदलाव कर 24 जून 2015 को अपने विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए दिल्ली सरकार एक बिल ले कर आई जिसके तहत डिस्कवालिफिकेशन प्रोविजन से बचा जा सके यह संरक्षण बिल पूर्वप्रभारी था इसे मंजूरी के लिए एलजी नजीब जंग को भेज , केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रपति महोदय को भेज दिया |राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिल को लौटा दिया जिससे संसदीय सचिवों की सदस्यता खतरे में पड़ गयी | मुख्य मंत्री जी की संसदीय सचिवों के पद को वैध बनाने की कानूनी कवायद बेकार हो गयी उन्होंने अपना तर्क दिया संसदीय सचिवों की नियुक्ति कानूनी दायरे में की गयी है | उनके विधायक संसदीय सचिव होने के नाते कोई वेतन या भत्ता जैसी सुविधा नहीं ले रहे जो लाभ के पद पर रहते मिलती है लेकिन यदि ‘क़ानूनी दायरे में संसदीय सचिवों की नियुक्ति सही थी फिर उन्होंने जरूरी बदलाव के नाम पर विधेयक को विधान सभा में पास क्यों कराया’ इसका मुख्यमंत्री जी के पास तर्क नहीं कुतर्क हैं |
आप विधायकों को इस सम्बन्ध में 10 मई तक उत्तर देना था इन सचिवों के लिए निर्धारित कमरे सुविधापूर्ण थे उनमें कुर्सियों सोफा कम्प्यूटर और ऐसी आदि की व्यवस्था थी जिससे उनके पद की गरिमा बने | अधिकतर कमरों में विवाद उठने के बाद ताले जड़ दिये गये |कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों को सत्ता का अनुभव था लेकिन आम आदमी पार्टी को अभी प्रशासनिक अनुभव नहीं था फिर संख्या बल का गर्व जिसके सामने विपक्ष कुछ भी नहीं था नियमा नुसार नियुक्ति से पहले कानून बनाना चाहिए था देश में कोई भी संविधान से परे नहीं हैं | भाजपा और कांग्रेस दोनों ने मुख्य मंत्री द्वारा की गयी नियुक्तियों का विरोध किया था | जैसे ही विधायकों की सदस्यता संकट में आयीं केजरीवाल ने अपनी आदत के मुताबिक़ राजनीति शुरू कर दी उन्होंने तर्क दिये पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश ( 2005 में हाई कोर्ट में नियुक्ति को चैलेंज किया गया है यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है ) में संसदीय सचिव कार्य करते हैं | राजस्थान, गुजरात, मणिपुर ,मिजोरम ,अरुणाचल प्रदेश ,मेघालय और नागालेंड संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गयी है जबकि इन प्रदेशों में पहले कानून बना तब नियुक्तियां की गयी है न ही किसी ने इन नियुक्तियों को चैलेंज किया है |जून 2015 में ममता बनर्जी मुख्यमंत्री पश्चिमी बंगाल द्वारा की संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अमान्य घोषत किया था| यह भी कोर्ट ने स्पष्ट किया था कोई भी लाभ का पद चाहे लाभ नहीं लिया गया है फिर भी नियुक्ति से विधान सभा की सदस्यता रद्द हो जाएगी |
केजरी वाल हर विषय पर अपने आप को विक्टिम सिद्ध करने की कला के माहिर हैं | अपने आप को शहीद बताने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी जबकि उनकी गद्दी पर कोई संकट नहीं है | अभी दिल्ली में चुनाव नहीं हो रहे लेकिन पंजाब के चुनाव पास हैं | यदि उनके 21 सदस्य अयोग्य घोषित होते हैं उन्हें चुनाव लड़ना पड़ेगा | उनके लिए परशानी के साथ देश के प्रधान मंत्री को चैलेंज करने का सुअवसर भी मिला जैसे मोदी जी का काम केजरीवाल को तंग करना ही है | शीला जी का एलजी से इतना अच्छा सामंजस्य था वह हर सप्ताह उनसे मिलने जाती थीं लेकिन केजरीवाल जी अपने आप को एलजी नजीब जंग द्वारा सताया हुआ भी मानते हैं | चुनाव आयोग द्वारा पूछे गये जबाब में 21 विधायकों ने लगभग एक ही उत्तर दिया है वह इंटर्न हैं उनका काम केवल दिए गये आदेशों का पालन करना है यह इंटर्न स्वयम सेवा के लिए आये हैं |अजीब बात हैं यह इंटर्न मंत्री जी की फाईलें भी देख सकते हैं | हैरानी की बात है आम आदमी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के विरोध में सुथरी राजनीति के नाम पर जीती थी | अब वह भी अन्य राजनितिक दलों के समान व्यवहार कर रही है |
श्री केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई जिसमें वह केवल अपना पक्ष रखने आये थे उनके अनुसार 1953 से संसदीय सचिव का पद था हमारे साथ ही दोगला पन क्यों ? उन्होंने अपने कामों का बखान किया अपनी सरकार को सर्वश्रेष्ठ सरकार बताया यही नहीं दूसरे दलों में अनपढ़ नेता भी हैं उनके विधायक डाक्टर इंजीनियर एमबीए हैं योग्य हैं काम करना चाहते हैं वह लग्न से काम कर रहे हैं| वह देख रहे हैं स्कूलों में टीचर पढ़ा रहें है मोहल्ला क्लीनिकों में काम चल रहा | अस्पतालों की निगरानी कर रहे हैं गरीबों को इलाज सही ढंग से मिल रहा है या नहीं उनके विधायकों ने स्कूलों में 8000 कमरे बनवाये | उनकी सरकार सर्वश्रेष्ठ हैं उनके कामों की प्रशंसा विश्व में हो रही है |संसदीय सचिव उनके आँख कान हाथ हैं | यह काम तो विधायकों का कार्य क्षेत्र हैं |उन्होंने मोदी जी से अपील की मोदी जी आपका झगड़ा मुझसे है मुझे सजा दीजिये लेकिन दिल्ली की जनता ने आपका क्या बिगाड़ा है उन्हें परेशान मत करो |इस तरह वह जवान विधवा की तरह विलाप कर एकतरफा अपनी बात रख कर बिना प्रेस को जबाब दिए चले गये | वैसे भी आप के प्रवक्ता केवल अपनी बात कहते हैं लगातार बोलते हैं किसी की सुनना उनके स्वभाव में नहीं है सत्ता के बाद भी वह विपक्ष जैसा व्यवहार करते हैं अपने आप को विक्टिम बताते हैं |उनका कथन हैं ‘मोदी जी न काम करते हैं न काम करने देते हैं’ चुनाव के दिनों में तरह – तरह तरह के अभियोग लगाये जाते हैं केवल आम आदमी के नेता गण ख़ास कर केजरीवाल अपने आप को देश के प्रधान मंत्री के समकक्ष समझाने के लिए उनका विरोध करने को तत्पर रहते हैं |केजरीवाल के विधायक पहले नहीं हैं जिन पर सदस्यता रद्द होने का संकट है |2006 में सोनिया गांधी को लाभ के पद पर रहते हुए इस्तीफा देकर फिर से चुनाव लड़ना पड़ा था जया बच्चन की राज्यसभा की सदस्यता रद्द हुई थी , यूपी के दो सदस्यों की सदस्यता रद्द हुई थी 2015 में बजरंग बहादुर और उमाशंकर सिंह की सदस्यता रद्द हुयी | अभी देश के चुनाव आयोग की रिपोर्ट आनी बाकी है केजरी वाल अपने संसदीय सचिवों के विषय को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगे और राजनीति जब तक चल सकेगी करेंगे |
डॉ शोभा भारद्वाज

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