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दिल्ली के मुख्य मंत्री केजरी वाल की राजनैतिक कार्य शैली ” जागरण जंगशन फोरम”

Vichar Manthan
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श्री केजरीवाल विवादित बयानों के नाम से जाने जाते हैं प्रधान मंत्री को हाथ में कागज ले कर अक्सर बहस के लिये ललकारते रहते है | विवादों के सहारे मोदी जी से अपने को श्रेष्ठ सिद्ध करने की होड़ में लगे रहते हैं |कैबिनेट मंत्री अरुण जेटली और नितिन गडकरी पर खुले आम घोटालों के आरोप लगाये जिससे उनको अदालत का दरवाजा खटकाना पड़ा किसी का भी चरित्र हनन करना शायद उनकी राजनीतिक कार्य शैली है अब उन्होंने सांसद महेश गिरी और ऍनडीएमसी के उपाध्यक्ष करण सिंह तंवर पर ऍनडीएमसी के लीगल एडवाईजर श्री एम-एम खान की हत्या पर एलजी को पत्र लिख कर सीधा आरोप लगाया |एक तीर से दो शिकार दिल्ली सरकार के पास पुलिस विभाग नहीं है केजरी वाल दिल्ली पुलिस को अपने अधिकार में चाहते हैं |केजरीवाल ने बिना कानून बनाये 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी यह असंवैधानिक था आफिस आफ प्रौफिट मामले में इनविधायकों की सदस्यता जा सकती है , विषय को भटकाने की चाल खेली है | कानून कहता है जब तक न्यायालय में किसी का अपराध सिद्ध नहीं होता आप किसी पर हत्या जैसे अपराध में सहायक होने का आरोप कैसे लगा सकते हैं ?जबकि पुलिस ने उनको संदिग्ध भी नहीं माना है | यह काम पुलिस और न्यायालय का है केजरी वाल की कार्य शैली की तरह महेश गिरी ने पहले केजरीवाल को बहस की चुनौती दी अब उन्ही के अंदाज में मुख्यमंत्री आवास के बाहर अन्नजल त्याग कर धरने पर बैठ गये केजरी वाल जी एक सांसद से बहस करें?
मीडिया को टीआरपी चाहिए वह उनकी कही बातों को हवा देता रही है मुख्यमंत्री जी प्रेस कांफ्रेंस बुला कर आरोप लगाने की कला के माहिर हैं मीडिया के प्रश्नों के उत्तर देने की जरूरत भी नहीं समझते उनके प्रवक्ता आगे उनकी बात को बढ़ाते हैं उसमें भी वह अपनी कहते है दूसरे की सुनना उनकी फितरत नहीं है |आप की सरकार बनने के बाद जून में ही उनके कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर पर कानून की फर्जी डिग्री का आरोप लगा जिसे आम आदमी पार्टी के नेताओं ने मोदी सरकार द्वारा बदले की कार्यवाही माना लेकिन जब यूनिवर्सिटी की उनकी रिपोर्ट आई वह उनके यहाँ कभी पढ़े ही नहीं तब पार्टी के तेवर ढीले पड़े उन्हें पद से निकाल दिया | उनके मंत्री आसिफ अहमद खान पर एक बिल्डर से पैसा उगाहने का वीडियो सामने आया अबकी बार केजरी वाल जी ने तुरंत कार्यवाही की लेकिन केजरीवाल जी के सचिव राजेन्द्र कुमार के दफ्तर पर सीबीआई ने छापा मारा केजरी वाल तिलमिला उठे | सोमनाथ भारती पर भी खिड़की एक्सटेंशन निवासी अफ़्रीकी महिलाओं से नियमों को ताक पर रख कर कार्यवाही करने का मामला था केंद्र सरकार ने एसीबी( एंटी करप्शन ब्यूरो ) दिल्ली सरकार से लेकर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया जिसके ज्वाईंट कमिश्नर एम के मीणा हैं | केजरीवाल के कार्यकाल में सत्ता ग्रहण करने के कम समय में उठे मामले भी विचारणीय हैं | एक 400 करोड़ का शीला सरकार के समय का टेंकर घोटाला जिसकी जांच उनके मंत्री कपिल मिश्रा द्वारा कर ली गयी थी लेकिन ग्यारह महीने से केस दर्ज नहीं हुआ अब शीला सरकार और केजरीवाल सरकार दोनों पर FIR दर्ज होने से केजरीवाल तिलमिला उठे उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में मोदी जी के खिलाफ जो कह सकते थे कहा, प्रेस कांफ्रेंस में अपनी बात कह कर प्रश्न पूछने का अवसर दिए बिना चले गये |केजरीवाल जी पारदर्शिता की दुहाई देते थे उनके व्यवहार से ऐसा लग रहा था जैसे वह चुनाव सभा को सम्बोधित कर मोदी जी को ललकार रहे हैं |
दिल्ली में हुये अन्ना आन्दोलन के बाद चर्चा में आये केजरीवाल चर्चा में आये |अन्ना जनलोक पाल बिल के पक्ष में मजबूत जन मत का निर्माण करना चाहते थे परन्तु राजनीति में नहीं आना चाहते थे लेकिन केजरी वाल और उनके समर्थक समकालीन परिस्थितियों का पूरा लाभ उठा कर चुनाव लड़ना चाहते थे |कांग्रेस सरकार के काल को यदि घोटालों का काल कहा जाये कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी इस लिए बकायदा आम आदमी पार्टी के नाम से दल बना कर चुनाव घोषणा पत्र जारी किया जिसमें लोक लुभावन वादे थे जैसे 20. 000 लीटर मुफ्त पानी बिजली के आधे दाम सबके दिल में उतर गये | दिल्ली की सत्तर सीटो पर प्रत्याक्षी खड़े किये गये |पूरी दिल्ली में इनका चुनाव चिन्ह झाड़ू लहराया गया भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ नारे लगे जिससे देश और विदेशों तक के नौजवान प्रभावित हुए | कई तो विदेशों में नौकरी छोड़ कर आ गये पढ़े लिखों ने इसे देश की सेवा का सुअवसर समझा उत्साही नौजवान आपकी टोपी पहन दिल्ली में घूमने लगे पैसा भी खूब आया अपने चुनाव अभियान को क्रांति कहा और स्वराज का नारा दिया | पहली बार चुनाव में उतरे थे जम कर कुतर्क और आरोप लगाये गये |आज तक की सब सरकारें बेकार और चोर हैं किसी को भी करेक्टर सर्टिफिकेट देने का अधिकार केजरी वाल जी को कब मिल गया पता ही नहीं चला |
पुनर्वास कलोनियाँ के बाशिंदों ने सोचा झुग्गी में रहते थे शीला सरकार ने जमीन दे दी केंद्र की कांग्रेस सरकार ने खाद्य सुरक्षा का अधिकार मिला आधे दाम में बिजली 20000 लीटरमुफ्त पानी केजरी वाल दे देंगे बात एक दम दिल में उतर जाती है |चाणक्य ने कहा था मुफ्त में कभी जल नहीं देना चाहिए वह अनंत नहीं है | दिल्ली से लोकलुभावन वादे कर केजरी वाल जीत’ गये |जनता सरकार से क्या चाहती है ,उसकी क्या इच्छायें हैं यह इसकी जीत थी | उनकी विधान सभा में 28 सीटें थीं |कांग्रेस के बिना शर्त समर्थन दिया नखरे के साथ सरकार भी बन गयी |
महेश गिरी उनके खिलाफ धरना दे रहे हैं धरना प्रदर्शन केजरी वाल की नीति रही है | 26 जनवरी 1950 भारत के लिए गौरव का दिन हैं ,देश का अपना संविधान लागू हुआ था | इस दिन सेनाये राजपथ पर मार्च पास करती हुई राष्ट्रपति को सलामी देती हैं |कदम से कदम मिलाती हुई सेना के कदमों की थाप से पूरा राजपथ गूंज उठता है देश की प्रगति को जनता के सामने दर्शाया जाता हैं | अमेरिकन राष्ट्रपति हमारे मेहमान बन कर आने वाले थे लेकिन 26 जनवरी से कुछ दिन पूर्व दिल्ली के CM आम आदमी पार्टीं के सर्वस्व राज पथ के पास रेल भवन पर धरना प्रदर्शन करने बैठे थे ऐसा करने के लिए उन्होंने यही समय क्यों चुना था , यह वही जानते हैं? वह जमीन पर सोये यही नहीं देश की जनता का आह्वान कर रहे थे जो भी मुझे टेलीविजन पर देख रहें हैं आ जाओ उनके कार्यकर्ता दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई बैरिकेट तोड़ने के लिए आतुर थे |आखिर केजरी वाल जी क्या चाह रहे थे ?क्या देश की राजधानी में बैठ कर देश को इजिप्ट बनाने का दिवास्वप्न देख रहे थे ?इजिप्ट को क्या मिला केवल भुखमरी ?आप के इस नेता को 26 जनवरी पर खर्च होने वाला पैसा भी बेकार लग रहा था अजीब हैरानी की बात है |इसे उनके अनुसार गरीबों में बाँट देना चाहिए | वह अपनी ताजा –ताजा ख्याति को भुनाना चाह रहे थे|जब देखा उनका धरना बे असर हो रहा है , पढ़ा लिखा वर्ग पसंद नहीं कर रहा एलजी द्वारा भेजे पराठें खा कर उठ गये|
आजादी की दूसरी लड़ाई पर किसके खिलाफ? यह कहते थे भ्रष्टाचार के खिलाफ है | दिल्ली के लोगों ने इनका ड्रामा देखा भाईचारे और इंसानियत के गाने सुने |मौका देख कर असंवैधानिक ढंग से जनलोकपाल बिल को जनता के खुले दरबार में पेश करने की जिद पकड़ ली ड्रामें के बाद सुअवसर जान कर इस्तीफा दे कर प्रधानमन्त्री बनने चल दिये असफल रहने पर जनता से माफ़ी मांग कर फिर विधान सभा का चुनाव लड़ने आ गये| |बड़े जोर शोर से विधान सभा का चुनाव लड़ा गया जनता को ऐसा लग रहा था जैसे कोई मसीहा आ गया लोग बड़ी संख्या में घर से निकले कुछ ने आईआईटियन हैं, कुछ अबकी गर्मी में जम कर ऐसी चलाएंगे बिल तो आधा आना है कुछ मुफ्त पानी के नाम पर कुछ ने बदलाव के नाम पर वोट दिया |
केजरीवाल जी कुतर्क के माहिर हैं वे कहते थे मैं अराजकता वादी हूँ | अपनी तुलना गांधी जी से करने लगे |गांधी जी विदेशी सत्ता ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अहिंसा और सत्याग्रह के शस्त्र से लड़े थे जबकि आप सत्ता के लिए |उनको मतदाता ने 67 सीटों के साथ विधान सभा में भेजा | केजरी वाल ने मुफ्त पानी का वादा निभाया लाभ केवल जिनके यहाँ मीटर थे को मिला अधिकांश को पानी का पैसा देना पड़ता है | शीला सरकार के समय जहाँ पाईप लाईन नहीं थे टेंकर जाते थे आज भी जाते हैं | 400 यूनिट तक आधे दाम बिजली जैसे ही एक यूनिट भी बढ़ेगा बिजली महंगी हो जायेगी सर्दी में फायदा हुआ परन्तु आधे दाम में ऐसी और कूलर नहीं चल सकते | दिल्ली वालों को फर्क नजर नहीं आरहा| केजरी वाल जी को पंजाब गुजरात और गोआ में चुनाव लड़ना है पहले विवादित बयानों द्वारा अपनी पब्लिसिटी अवश्य कर रहे हैं देखते हैं उनकी नीति कितनी सफल होती है |
डॉ शोभा भारद्वाज

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