Menu
blogid : 15986 postid : 1211973

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा सुप्रीमों मायावती जी का चुनावी बिगुल

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

जितने धूम धड़ाके से नारे लगाते, हलचल मचाते हुए राजनीति में प्रवेश किया जाता  है उतना ही चर्चित और प्रभावी होती है | बसपा का गठन लोकप्रिय  नेता काशी राम द्वारा 14 अप्रैल 1984 को किया गया था |उन्होंने हर दलित वर्ग के कार्यकर्ताओं को संगठित कर उनके स्वाभिमान को जम कर हवा देते हुये जोशीला नारा दिया तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार दलित वर्ग कांग्रेस का वोट बैंक था उसे अपने प्रभाव में ले लिया |दलित वर्ग डॉ अम्बेडकर जी को अपना उद्धारक और फरिश्ता समझते थे लेकिन काशीराम जी ने उनको बसपा के झंडे तले चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दल के रूप में में संगठित किया | काशीराम जी का दाया हाथ मायावती जी के नेतृत्व में बसपा ने तेरहवीं लोकसभा के चुनाव में हिस्सा लेकर 14 सीटें जीतीं |दलित वर्ग पर अपनी पकड़ मजबूत होती गयी धीरे-धीरे उनके सदस्यों की संख्या सदन में बढ़ने लगी लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए द्वारा लोकसभा का चुनाव लड़ने के बाद दल की स्थिति कमजोर हो गयी भाजपा को भी सदन में बहुमत मिला |

दल का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश है| काशीराम जी का निधन होने के बाद सर्वेसर्वा बनी मायावती जी दल की मुश्किल की घड़ी थी अब उन्होंने जूते मारने वाले नारों के स्थान पर दूसरी जातियों से सहयोग करना उचित समझा | बसपा ने अपना स्वरूप बदला तिलक तलवार और तराजू वर्ग को उनके दल में स्थान मिला इसका श्रेय सतीश चन्द्र मिश्रा ( बसपा के महासचिव)को भी दिया जा सकता है अब वह  मायावती जी के  पीछे ढाल बन कर खड़े दिखाई देने लगे मायावती जी समझ गयी थी अकेले दलित वर्ग के सहारे सरकार बनाना सम्भव नहीं है दूसरे दलों के साथ सरकार बनाई जा सकती है लेकिन सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने के लिए उन्होंने दूसरी जातियों से भी हाथ मिलाना है | अगड़ी जातियाँ भी समझ गयी थीं समाजवादी पार्टी के रहते सत्ता मिलना मुश्किल है अत: उन्होंने मायावती जी की तरफ रुख किया 2007 में उत्तर प्रदेश में बसपा ने अपने बहुमत के बल पर सरकार बनाई |अपने सत्ता काल के  पांच वर्ष तक प्रशासन पर अपनी पकड़ ढीली नहीं पड़ने दी कानून व्यवस्था पर उनका कंट्रोल था इसको उत्तर प्रदेश की जनता जानती है | उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे | मायावती को हटा कर अखिलेश यादव की सरकार सत्ता में आई| अबकी बार होने वाले चुनावों में मायावती पुन : सत्ता पर अधिकार पाने के सपने देख रही हैं |मायावती ज्यादातर लिखित भाषण पढ़ती हैं  लेकिन जब उन्हें लगता है उन्हें अपनी बात पर जोर देना है अपनी धाकड़ आवाज में गरजती हैं | कई दलित नेताओं ने उभरने मायावती जी को प्रभावित करने की कोशिश भी की लेकिन काशीराम और मायावती जी के व्यक्तित्व एव: पार्टी पर पकड़ के सामने वह निरुपाय ही रहे |

बहुजन समाज पार्टी को इन दिनों राजनीतिक झटके लग रहे थे बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश विधान सभा में विपक्ष के नेता मौर्य समाज के प्रभावशाली स्वामी प्रसाद मौर्य, ने बसपा छोड़ दी |  कुछ दिनों के बाद पार्टी के दूसरे राष्ट्रीय महासचिव पासी समाज के कद्दावर नेता आर के चौधरी ने भी अपने पद से त्याग पत्र दे कर पार्टी छोड़ दी  लेकिन वह किसी भी दल के साथ नहीं जुड़े है |अपने समर्थको के साथ मिल कर  नया दल बना रहें हैं |यह पहली बार नहीं हुआ काशी राम जी के समय में भीं कई दलित नेताओं ने दल छोड़ कर नये दलों का गठन किया था  परन्तु उनके दलों का अस्तित्व ही खत्म हो गया  |मायावती जी बसपा से सम्बन्धित जातियों से सीधी जुडती हैं  वह राजनीतिक दलों और बिचौलिये ले नेताओं से साथ बात नहीं करती सदैव  बहुजन समाज की बात करती हैं| मायावती जी अभी सोच ही रही थी आगे की रणनीति क्या होगी उनके दो कद्दावर नेता दल से अलग हो कर उनकी निंदा कर रहे हैं उनका आरोप है बसपा में टिकट बिकती है हरेक को टिकट की कीमत अदा करनी पड़ती है | भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने आगे बढ़ पर उनके लिए निंदनीय शब्द का इस्तेमाल किया सोचा उपस्थित जनता तालियां बजायेंगी| भाजपा की ही दशा दयनीय हो गयी मायावती जैसी धाकड़ लीडर जो मुख्यमंत्री और अब सांसद हैं दलितों की प्रिय लीडर है के लिए गलत भाषा का प्रयोग करना मूर्खता थी | भाजपा ने तुरंत कार्यवाही कर पहले दयाशंकर को उपाध्यक्ष पद से हटा कर छह वर्ष के लिए दल से भी निकाल दिया |मायावती जी के लिए अपना दम और कार्यकर्ताओं की एक जुटता दिखाने का सुअवसर था उन्होंने अवसर का लाभ उठा कर अपने सम्मान का प्रश्न बनाया ,समर्थक झुण्ड के झुण्ड निकल आये उनमें इतना जोश और क्रोध था वह बढ़ -बढ़ कर अपना जोश दिखाने लगे एक महिला नेता ने तो कैमरे पर कहा जो दया शंकर की जीभ काट कर लाएगा वह उसे पचास लाख का इनाम देंगी यह भी नहीं सोचा इतना धन क्या उनके पास है ? बसपा के विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बड़े नेताओं और सहयोगियों के सामने अपशब्दों की बौछार की |कुछ जोशीले नेताओं ने उसकी बूढी माँ ,बहन, बेटी और पत्नी के लिए भी अभद्र नारे लगाये दयाशंकर की बहन को पेश करो, बेटी को पेश करो के नारे लगे | भीड़ वकायदा पोस्टर और बैनर भी ले कर आई थी सब कुछ सुनियोजित था वह भूल गये मायावती जी को भी यह नारे भारी पड़ सकते हैं |

देश में कानून का शासन है दयाशंकर पर एफआईआर दर्ज हो चुका था पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए जगह-जगह छापे मार रही है | परिवार डरा सहमा था दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह बाहर निकली टीवी चैनलों में अपना पक्ष रखा | दयाशंकर राजनीतिक व्यक्ति हैं मायावती जी भी ऊंचे दम खम वाली महिला है उनका राजनीतिक झगड़ा है दयाशंकर की पत्नी’ बूढी माँ ‘बहन और 12 वर्ष की बच्ची राजनीति में नहीं है |उनकी नन्हीं बेटी इतना डर गयी घर से बाहर नहीं निकल रही है |बच्ची और माँ को अपशब्द कहने वालों के खिलाफ दयाशंकर की पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराया बसपा के कार्यकर्ताओं के अभद्र नारों की सीडी और एफआईआर की कापी और पास्को एक्ट ( प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ओफेंसेस एक्ट )की नियमावली राज्यपाल को सौंपी | लोकसभा में भी परिवार की महिलाओं के लिए कहे गये अपशब्दों को उचित नही समझा | मायावती जी को बचाव की मुद्रा में आना पड़ा बचाव करते हुये कहा उनके समर्थक उन्हें देवी मानते हैं वह क्रुद्ध हैं स्वाति सिंह को जितना बुरा लग रहा है उतना ही उनके परिवार को भी बुरा लगा है | बचाव में कई दलित नेताओं को सदियों पुराने दलितों के साथ किये गये जुल्म याद आये | सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग एक दूसरे के लिए कुछ भी बोलते रहते है सदन में माफियाँ भी मांगी जाती हैं |एक और कानून का सहारा लेना दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं का जमघट इकट्ठा करना परिवार को अपशब्द कहना ? मायावती ने सत्ता का सुख भोगा है उनकी माँ एवं उनकी भव्य मूर्तियाँ बनी हैं लेकिन नादान सी बच्ची को धार पर रखना कहाँ का न्याय है ? यदि उनको प्रभावित करने के चक्कर में उनके कार्यकर्ता होश नहीं खोते भाजपा की स्थिति दयनीय हो जाती भाजपा दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है बहुत भारी पड़ता बसपा अब बैक फुट पर आ गयी है सत्तारूढ़ सपा ने कहा राजनीति में निंदनीय भाषा के इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए |यदि बसपा को बैठे बिठाये मुद्दा मिला था भाजपा को बचाव का मुद्दा मिल गया | लेकिन मायावती जी ने जोर शोर से चुनाव का बिगुल बजा दिया है चुनाव में दोनों विषय गरमाये जायेंगे दोनों नारी की गरिमा से सम्बन्धित प्रश्न हैं जिनमें एक नन्ही बच्ची भी है जिसने भीड़ से अपने लिए अपशब्द सुने हैं उसे वर्षों बुरे स्वप्न डरायेंगे |

.

.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh