Menu
blogid : 15986 postid : 1235304

श्री कृष्ण नीति ( राजनीतिज्ञ , कूटनीतिज्ञ भगवान श्री कृष्ण )

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

14021465_1082023681887734_6020155603642403241_n

मेरे ननिहाल में 180 वर्ष पुराना पर्सनल मन्दिर की  राधा कृष्ण की युगल मूर्ति

देवपुत्र पांडव ,यज्ञ की अग्नि से जन्मी द्रौपदी अपना सब कुछ गवाँ कर तेरह वर्ष के लिए वनवास जा रहे थे |महामंत्री विदुर से राजा धृतराष्ट्र ने कहा हे विदुर पांडू पुत्रों और द्रौपदी के वन गमन का वर्णन करो, हस्तिनापुर की प्रजा की प्रतिक्रिया क्या है कहो? विदुर ने कहा हे राजन मुख्य द्वार से सबसे पहले द्रौपदी बाहर आई जिसकी सुन्दरता और तेज अतुलनीय हैं उसने अपने दोनों हाथों से चेहरा छुपा लिया है बहुत कारुणिक दृश्य है कुछ समय पूर्व की साम्राज्ञी के खुले केश हवा में लहरा रहे हैं केशों से भी उनका मुँह ढका हुआ हैं हृदय में उठने वाले मूक क्रन्दन से वह रह-रह कर काँप रहीं है | अनिष्ट सूचक विदुर हमने लक्ष्मी का अपमान किया है उसकी आँख से धरती पर गिरने वाला एक आंसूं विनाश कर देगा |कोरवों की स्त्रियाँ इसी तरह खुले केश क्रन्दन करेंगी| युधिष्टिर? उन्होंने वस्त्र से अपना चेहरा ढक लिया है उनकी नजरें धरती की तरफ झुकी हुई हैं वह संभल –सभल कर पैर रख रहें हैं जैसे धरती हिल रही है लम्बीं सांस ले कर कहा उनकी दृष्टि किसी को भी जला सकती है वह सोच रहे हैं पाप और अन्याय के बोझ से धरती हिल रही है यदि नहीं तो बनवास समाप्त होने के बाद ऐसा युद्ध होगा धरती कांप जाएगी | भीम ? राजन महाबली भीम की दशा विचित्र है वह बार बार अपनी भुजाओं से अपने कंधों को ठोक कर दांये और बांये देखते हुए लम्बी सांसे खींच रहे है वह सोच रहें हैं कितना मजबूर हूँ धिक्कार है मेरी भुजाओं के बल को एक दिन मैं भुजाओं से पीस कर हर कौरव को नष्ट करूंगा |विदुर, अर्जुन ?हे राजन वह सबसे पीछे चल रहे हैं बार बार झुक कर धरती से मुठी भर मिटटी और कंकड़ उठा कर हर दिशा में फेक रहे हैं, गांडीव से इतने वाण निकलेंगे युद्ध भूमि ढक जायेगी और नकुल नें अपने शरीर पर पीली मिटटी मली है ,महाराज नकुल की आँखें धरती में गड़ी हैं धिक्कार है ऐसे रंग रूप को अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर सका और सहदेव? महाराज सहदेव ने चेहरे पर सफेद राख मली है |आप जानते हैं उसे नक्षत्रों और ज्योतिष शास्त्र का अद्वितीय ज्ञान है पर आकाश की और देख रहे हैं कुछ उँगलियों पर गणना कर रहे हैं | वह महाविनाश घड़ी की गणना कर रहा हैं 13 वर्ष के बाद ऐसा कौन सा नक्षत्र आयेगा जब शत्रु कुल का सम्पूर्ण विनाश हो जाएगा | प्रजा की प्रतिक्रिया क्या है ?राजपथ के दोनों और प्रजा सिर झुकाए खड़ी है उनकी आँखों से आंसू झर रहे हैं परन्तु मौन हैं |विदुर राज्य की शक्ति से भयभीत है लेकिन मूक प्रतिरोध है | दुर्योधन को संदेश भेजो मैने बुलाया है राजमद में झूमते दुर्योद्धन से धृतराष्ट्र ने कहा दुर्योद्धन एक क्षण भी शांत मत बैठना नारी के अपमान का भयानक प्रतिशोध ,भयानक युद्ध होगा अभी पांडव क्षीण हैं उन्हें नष्ट करने का यत्न करो यदि आमोद प्रमोद में लगे रहे तेरह पांडव  तप कर कुंदन बन कर निकलेंगे उनके साथ जनमत होगा ,मित्र राजाओं की सहानुभूति और महान राजनीतिज्ञ श्री कृष्ण का साथ जिन्हें समस्त भारत का भगवान मानता है  |

कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव पांडवों की सेना मरने मारने को तैयार आमने सामने खड़ी थी समय के महान राजनीतिज्ञ जिन्होंने राजनीति को नयी दिशा दी थी कूटनीतिकार द्वारिकाधीश अर्जुन के सारथि के रूप  हाथ रथ की डोर ले कर युद्ध के मैदान में विचलित अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे |

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम ||

परित्राणाय साधूनां  विनाशाय  च दुष्कृताम |धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||

सामने हस्तिनापुर की द्यूत सभा के सभी पात्र खड़े थे | युधिष्टिर अपने भाईयों सहित अपमान का बदला लेने के लिये प्रतिज्ञा बद्ध थे| विपक्ष में कौरवों पांडवों के पितामह भीष्म हस्तिना पुर की रक्षा में समर्थ |हस्तिनापुर की द्यूतसभा में सम्राट युधिष्ठर जुये में सब कुछ हार चुके थे इंद्रप्रस्थ का राजपाठ अपने महान योद्धा पाँचों भाई यहाँ तक महारानी द्रोपदी को भी |दुर्योद्धन ने अपने छोटे भाई दुशासन को आदेश दिया जुए में हारी पांडवों की पत्नी अब उनकी दासी है राज्यसभा में लाया जाये |कुछ समय पहले की साम्राज्ञी जिसने सम्राट के साथ राजसूय यज्ञ किया था लाचार दीन हीन उसे लम्बे केशों से घसीटता दुशासन राजसभा में ला रहा था द्रौपदी पूरे बल से प्रतिरोध कर रही थी, राजसभा में ला कर पटका यहाँ भीष्म जैसे महान पितामह उन्होंने हस्तिनापुर के सिंहासन की रक्षा का अपने पिता को वचन दिया था काश स्त्री की रक्षा का भी दायित्व समझते ,द्रोणाचार्य जैसे आचार्य , कर्ण जैसे महावीर और भी अपने समय के हस्तिनापुर के महान योद्धा उपस्थित थे| सिंहासन पर अंधा राजा धृतराष्ट्र आसीन था खुली आँखों वाले गूंगी बहरी सभा में दुर्योधन ने अपनी जंघाओं का इशारा करते हुए कहा आ दासी मेरी जंघा पर बैठा जा |भरी सभा में द्रौपदी को वस्त्र हीन करने का आदेश दिया गया |अकेली निस्सहाय अपने सम्मान की गुहार धृतराष्ट्र से लगाई अविवेकी राजा पुत्र मोह में पागल था नितिज्ञ कहे जाने वाले सभासदों से ,दोनों कुलों के पितामह के सामने जा कर प्रश्न पूछा जब सम्राट अपने आप को हार चुके थे उन्हें मुझे जुए पर दांव लगाने का अधिकार किसने दिया? भीष्म ने राजसत्ता का मुकाबला करने के बजाय धर्म का सहारा लिया| आचार्य  द्रोण के पास भी बहाना था द्रौपदी उनके शत्रु द्रुपद की बेटी थी| अंगराज कर्ण को स्वयंवर में द्रौपदी सूतपुत्र कह कर प्रतियोगिता से बाहर कर चुकी थी वह वैसे ही जातीय भेद के शिकार थे |भीम ने क्रोध में प्रतिज्ञा की दुशासन ने द्रौपदी को केशों से घसीटा है उसके छाती के रक्त से केशों को सीचूंगा जिस जंघा पर दुर्योद्धन ने बैठने का इशारा किया था अपनी गदा से तोड़ दूंगा| अर्जुन भी बिलख उठे नकुल अग्नि लाओ जिन हाथों से द्रौपदी को दांव पर लगाया सम्राट के हाथ जला दूंगा लेकिन किसी ने न प्रतिकार किया न सभा का बहिष्कार, तेजस्वी नारी का तमाशा देखते रहे| द्रोपदी का रोद्र रूप ,बिरोध अंत में थक कर भगवान श्री कृष्ण को पुकारना सबने देखा दुशासन ने असहाय उस युग की नारी की साड़ी खींची द्रौपदी की हृदय विदारक पुकार श्री कृष्ण के कानों में पड़ी उन्होंने उनकी रक्षा की या उनके नाम का भय था आततायी खींचते- खींचते थक गया जो भी हुआ सभा के बंद कपाटों में हुआ| निढाल द्रौपदी अंत में गिर पड़ी अब अंधे राजा का विवेक जागा या उनकी पत्नी गांधारी ने जगाया |राजा ने पांडवों को जो भी हारा था लौटा दिया लेकिन द्यूतसभा में फिर से पांसे फेके गये अबकी बार हारने वाले को 12 वर्ष का बनवास और एक वर्ष अज्ञात वास का दंड भुगतना था|

बनवास और अज्ञात वास समाप्त हुआ श्री कृष्ण शांति दूत बन कर हस्तिनापुर गये पांडवों का अधिकार मांगा अंत में पांच गाँव पर समझौता करने के लिए तैयार थे  लेकिन गाँव राजनीतिक महत्व के  थे  दुर्योद्धन कुछ भी देने को तैयार नहीं था | उलटा श्री कृष्ण को कैद करने के लिए तत्पर दुर्योद्धंन को  विराट रूप दिखाया , कर्ण को उसके जन्म की कथा सुना  कर बताया वह ज्येष्ठ कुंती पुत्र पांडवों का भाई है दुर्योद्धन के पक्ष से तोड़ने का प्रयत्न किया  | सुलह नहीं हुई  अंत में भयानक युद्ध हुआ दस दिन तक भीष्ण पितामह ने युद्ध किया उन्होंने पांडवों को न मारने की प्रतिज्ञा की थी परन्तु सेना का भीषण संहार कर रहे थे सेना बिना युद्ध कैसा ? अंत में शिखंडी को आगे कर श्री कृष्ण ने अर्जुन से भीष्म पर ऐसे वाण चलवाये वह शर शैया पर गिर पड़े| गुरु द्रोण, श्री कृष्ण की कूटनीति ने युधिष्टिर को झूठ बोलने पर मजबूर किया पुत्र मोह से ग्रस्त, उसके झूठे वध का शोर सुन कर शस्त्र त्याग दिया उनका गला काट कर द्रौपदी के भाई ने प्रतिशोध लिया | दुशासन को भीम ने ऐसी सजा दी जिसे सदियाँ याद रखेंगी उसका सीना फाड़ कर रक्त पान किया और द्रौपदी के खुले केशों को रक्त में डुबोया| अर्जुन पुत्र अभिमन्यु को सात महारथियों ने मिल कर मारा था उसकी मौत को ढाल बना कर श्री कृष्ण के आदेश पर कर्ण जब अपनी  शस्त्र विद्या भूल चुका था रथ का पहिया धरती में धस रहा था वह निहत्था था अर्जुन से मरवाया | श्री कृष्ण के पास हर वध का ओचित्य था अंत में विष बेल दुर्योद्धन की गदा युद्ध के नियम के विरुद्ध भीम को इशारा कर जंघा तोड़ कर मरवाया | महाभारत समाप्त हुई कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण का गीता का दर्शन सर्वत्र पूजित है| विश्व के सबसे पहले कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण साध्य की पवित्रता में हर साधन को उचित समझते थे  उन्होंने पांडवों के पक्ष से दुर्गम विजय को सुगम बना दिया |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh