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अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प की विदेश नीति का विश्लेष्ण पार्ट -2 जागरण जंगशन फोरम

Vichar Manthan
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ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद उनके खिलाफ कई शहरों में प्रदर्शन हुये नारे लगाये गये | कहा गया ट्रम्प हमारे राष्ट्रपति नहीं हैं ट्रम्प ने अपने चुनावी भाषणों में अवैध रूप से अमेरिका में रहने वालों मुस्लिमों और महिलाओं के खिलाफ टिप्पणियाँ की थीं| अमेरिकन मीडिया में लगातार उनके विरुद्ध प्रचार किया गया आज भी उन पर बहस हो रही है उनकी विदेश नीति पर प्रश्न उठाये जा रहे हैं |किसी ने नहीं समझा अमेरिकन जनता एक ऐसे राष्ट्रपति को चुनने के लिए उत्सुक थी जो कूटनीति से काम न लेकर सीधी भाषा से बात करे |श्री ट्रम्प ने अपने चुनावी भाषणों में नाटो गठबंधनों की आलोचना करते हुए कहा था अमेरिका विश्व में व्यापक बदलाव लाने के लिए बहुत धन खर्च कर चुका है जिससे वह अपने रक्षा पर पर्याप्त खर्च नहीं कर पा रहा है देश की आर्थिक स्थित पर भी असर पड़ा है | वाशिंगटन पोस्ट में दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था अमेरिका आज की स्थिति में नाटो को फंडिंग नहीं कर सकता। चुनावी सभाओं में वह वहीं बोलते थे जो श्रोता सुनना चाहते थे |अब उन्होंने श्री ओबामा से अपनी बातचीत में युद्ध नीति और नाटो से सम्बन्धित विषयों में यथा स्थित बनाये रखने में गहरी रूचि दिखाई । इसलिए नाटो और ट्रांस अटलांटिक गठबंधन को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को व्यक्त करने से ओबामा ने कहा उन्हें  खुशी हो रही है। वह अमेरिका को सैन्य दृष्टि से मजबूत बनाने के समर्थक हैं कोई विकल्प न होने पर सेना का इस्तेमाल किया जाएगा यदि अमेरिका किसी युद्ध में भाग लेता है उसे विजय के लिए लड़ना होगा |

इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान विश्व से अलग थलग पड़ गया था उस पर पेट्रोलियम निर्यात के लिए प्रतिबन्ध लगा था लेकिन वह शुरू से परमाणु हथियार बनाने की चुपचाप कोशिश कर रहा था ओबामा ने ईरान के साथ अपने सम्बन्ध सुधारने के लिए उसे अपने प्रभाव में लेकर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु एजेंसी आईएईए वियाना में स्थित एजेंसी के मुख्यालय में 18 दिन लम्बी बातचीत की जिसमें ईरान अमेरिका रूस चीन ब्रिटेन फ्रांस और जर्मनी ने भाग लिया समझौते पर ईरान ने हस्ताक्षर किये ओबामा के अनुसार ईरान को काफी लम्बे अर्से  तक परमाणु शक्ति बनने से रोका जा सकेगा| ईरान आईएईए की निगरानी के लिए तैयार हो गया है| ईरान के लिए समझौता बहुत लाभ दायक है वह फिर से विश्व में आर्थिक और व्यापारिक रिश्ते बना सकेगा | यह ओबामा की विदेश नीति का सफलतम कदम था लेकिन समझौते पर कांग्रेस की सहमती जरूरी है| कांग्रेस के दोनों सदनों में रिपब्लिकन का बहुमत है ओबामा को भय है ट्रम्प वीटो कर सकते हैं ‘हमने प्यार से जीता जहान’ ट्रम्प अड़चन पैदा न कर दें | ईरानी राष्ट्रपति रूहानी ने भी ट्वीट कर कहा है कि इस समझौते से नये द्वार खुलेंगे और उनके देश का विकास होगा। ईरान पर लगाये प्रतिबन्ध हटने के बाद ही भारत के साथ चाबहार बन्दरगाह का समझौता हुआ |

क्लीन एनर्जी- ओबामा नें इस दिशा में बहुत प्रयत्न किया और धन भी लगाया अमेरिका में सोलर सिस्टम को बढ़ावा दिया |विश्व के कई देश जलवायु परिवर्तन पर चिंतित है अत:पेरिस में अनेक देशों ने इस विषय पर विचार विमर्श किया |दोनों ध्रुवों से बर्फ पिघल कर समुद्र के जल स्तर को बढ़ा रही है |खेती योग्य भूमि रेगिस्तान में बदल रही है अत: पैरिस समझौते के पक्ष में 192 देशों ने  सहमती जताई लेकिन ट्रम्प जलवायू परिवर्तन को छलावा चीन का प्रोपगंडा मानते हैं | हिलेरी ने अपनी चुनावी सभाओं में ट्रम्प के विचार का कड़ा विरोध किया कहा हम एक ऐसे आदमी को वाईट हॉउस भेजने का जोखिम उठा सकते हैं जो जलवायू परिवर्तन को नजर अंदाज करता है हिलेरी के अनुसार अमेरिका को स्वच्छ ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था की और कदम बढाने चाहिए ज्यादा वेतन वाले रोजगार ,ज्यादा सौर पैनल एवं पवन ऊर्जा से संचालित टर्बाइन बनाने और लगाने चाहिए |ट्रम्प कहते हैं पेरिस समझौते से अमेरिका को एक समय बाद 53 खरब डॉलर का नुकसान होगा और इससे बिजली की कीमतें आसमान छूने लगेंगी। | क्या वह ओबामा की पालिसी आगे चलाएंगे? उन्होंने ट्रंप को चेताया है कि वह ईरानी परमाणु समझौता और पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय निर्णयों को रद्द नहीं करें।उन्होंने इन ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर कराने  के लिए बहुत प्रयास किए गए हैं

चीन के प्रति ट्रम्प का रुख सख्त है | ट्रम्प ने जनता को निजी और कार्पोरेट टैक्स कम करने का आश्वासन दिया है ट्रम्प ने अमेरिकन बाजारों को बढ़ाने के लिए टैक्स बढ़ाने की बात कही हैं अमेरिकन बाजार भारत की तरह चीनी सामानों से भरे हुए हैं वह अमेरिकन सामनों से सस्ते भी है ट्रम्प चाहते हैं जितना आयात हो उतना निर्यात अत: अमेरिका में आयात होने वाले चीनी सामान पर वह 45% टैक्स लगाने की बात करते हैं ||यही नहीं अमेरिकन ने सस्ते लेबर को दृष्टि में रख कर मेक्सिको में कारखाने लगाये हैं वहाँ से आने वाले सामान पर 35%ड्यूटी लगाने की बात करते हैं | यहाँ वह विशुद्ध व्यापारी की तरह काम करना चाहते हैं सही है अमेरिका के बंद कारखाने फिर से खुल जायेंगे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे वह घटते जा रहे थे | चीन से अमेरिकन हितों का  टकराव रहा है ट्रंप के आने से बढ़ेगा उनका मानना है जापान ने अपनी करंसी येन के साथ छेड़छाड़ कर डॉलर के मुकाबले फायदा उठाया है|अमेरिका को कई एशियाई देशों से भी व्यापार में नुकसान उठाना पड़ रहा है| उनका मानना है कि इसके लिए अमेरिका को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से बाहर निकलने की जरूरत है उनके विचार से ज्यादातर देश अमेरिकन कम्पनियों के लिए कड़े मानदंड रखते हैं जिससे कई सालों में अमेरिका का कारोबार सिकुड़ रहा है और इन देशों में तेज ग्रोथ रेट दर्ज हो रही है |

अफ़ग़ान तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने अमेरिका के लिए बयान जारी कर डोनल्ड ट्रंप को संदेश दिया   दूसरे देशों की बर्बादी पर अमेरिका  अपने राष्ट्रीय हित न देखे जाएं| ताकि दुनिया अमन के साथ रहे 25 दिसम्बर 1979 को रशिया ने अफगानिस्तान में प्रवेश किया दोनों विश्व शक्तियाँ अपना प्रभाव बढ़ा रही थीं लेकिन अमेरिका वियतनाम में मुँह की खा चुका था अत: उसने पाकिस्तान का सहारा लिया पाकिस्तान रशिया से सीधा झगड़ा मोल लेना नहीं चाहता था उसने तालिबान संगठन बना कर अपने सैन्य अधिकारियों से आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को लड़ने की ट्रेनिंग दी अफगानिस्तान पर हमले की जगह इस्लाम पर हमले का माहौल बनाया गया अमेरिका ने भी भरपूर सहायता दी आधुनिक हथियार मिले जिनमें अत्याधुनिक स्ट्रिंगर मिसाइल भी थीं  लेकिन साथ ही,अफगानी अफीम की खेती करते थे और उससे हीरोइन बनाते थे इससे पाकिस्तान में ड्रग कल्चर की भी शुरुआत हो गई| आज विश्व के विकसित देशों में हीरोइन की तस्करी का अड्डा पाकिस्तान है | मुजाहिदीनों के जेहादी तालिबान और अल –कायदा जैसे गुट बन गये रशिया के अफगानिस्तान से पलायन करने के बाद यह जेहादी पाकिस्तान के लिए तो बड़ा सर दर्द बने |पाकिस्तान में आये दिन बम फटते हैं आत्मघाती कहीं भी बम बांध कर फाड़ देते हैं खुद तो मरते ही हैं ओरों के लिए भी मौत बन जाते है यही नहीं पाकिस्तान भी आतंकवाद का अड्डा बन गया अमेरिकन सेनायें अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए लड़ रही हैं तालिबान उन्हें वहाँ से हटाना चाहते हैं अफ़ग़ान तालिबान के प्रवक्ता नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से अफ़ग़ानिस्तान से सेना वापस बुलाने की अपील कर रहे हैं ट्रम्प ऐसा कभी नहीं करेंगे अमेरिका के लिए अफगानिस्तान में डटे रहना और अड्डे बनाना विदेश नीति का एक हिस्सा है नाटो फौजी अभी इस सर जमीन को नहीं छोड़ेंगे |अमेरिका की मिलिट्री ताकत और सैन्य शक्ति भरपूर है हथियारों की बिक्री सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है | ट्रम्प की जीत का असर अधिकतर देशों पर नहीं पड़ेगा वह विकास शील देश हैं उनका उद्देश्य आर्थिक विकास है |

इराक, सीरिया समेत कुछ इस्लामिक देशों के खिलाफ बड़ी सैन्य कारवाई –मौजूदा समय में इस्लामिक स्टेट से मिल रही चुनौती को देखते हुए डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनो का पूरी ताकत के साथ दमन करने की जरूरत है.कच्चा टेक आतंकवादी संगठनों की रीढ़ की हड्डी है उनके खात्मे के लिए जरूरी है कच्चे तेल के कारोबार पर पूरी तरह से अमेरिका और मित्र देशों का कब्जा बनाया जाए |अमेरिकी की बैसाखियों पर पाकिस्तान जिंदा रहा है | भारत पर आजमाये जाने वाले हथियार अमेरिका की देन हैं   अमेरिका की कट्टरपंथी इसलाम से लड़ाई पश्चिम एशिया, सीरिया, इराक, सूडान, अफगानिस्तान, लीबिया, आदि में चलती रहेगी, लेकिन पाकिस्तान के सिर पर अमेरिकी हाथ बना रहेगा वैसे भी वह चीन की तरफ झुकता जा रहा है पकिस्तान ट्रम्प के मामले में सशंकित है |ट्रम्प से भारत को मधुर सम्बन्ध बने रहने की आशा है ट्रम्प के मुख्य सैन्य सलाहकार के अनुसार ट्रम्प प्रशासन में रक्षा और आतंकवाद की समाप्ति पर अधिक जोर दिया जाएगा | इसलिए उनकी विदेश नीति में भारत अहम होगा |

ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार में रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ सौहार्द जताया था सीरिया बर्बाद हो गया है पूतिन वहाँ असद को फिर से स्थापित करना चाहते हैं इस पर वह किसी किस्म का समझौता नहीं करेंगे |वह अपने आसपास के प्रदेशों और पूर्वी योरोपीय देशों में भी किसी कीमत पर अमेरिकन प्रभाव पसंद नहीं करेंगे | राष्ट्रपति पद के दावेदार ट्रंप का सबसे हैरानी का बयान रूस के लिए दिया गया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अमेरिका और रूस के बीच प्रतिद्वंदिता और आपसी अविश्वास से दुनिया वाकिफ है | इसके उलट ट्रंप ने पुतिन को एक ताकतवर ग्लोबल नेता घोषित करते हुए कहा है राष्ट्रपति बनने के बाद वह पुतिन के साथ गहरी दोस्ती गांठने का काम करेंगे| सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने पुर्तगाल टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा है  वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह अमेरिका की मदद के लिए तैयार है लेकिन यदि नव निर्वाचित राष्ट्रपति  ट्रंप सीरिया के बारे में अपनी नीति में बदलाव करते हैं सीरिया ‘देखो और इंतजार’ की नीति अपनाएगा’ क्योकि श्री ट्रंप के चुनाव जीतने पर पहली प्रतिक्रिया में असद ने कहा ट्रम्प ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने की आवश्यकता पर जोरदार बयान दिए थे लेकिन क्या वह सचमुच अपने वायदे पर कायम रहेंगे।

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