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सदन में स्पीकर पद की गरिमा को सांसद शोर में क्यों दबा रहे हैं ?

Vichar Manthan
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कई वर्षों से विपक्ष सदन चलने नहीं देता, सदन में  अपनी उपस्थित दर्ज कराना किसी बहाने से सदन की कार्यवाही बाधित करने की नई परम्परा देखी जा रही है | वेल में आकर संसद के अध्यक्ष या अध्यक्षा के सामने तख्तियाँ लेकर खड़े होना ,कागज फाड़ना ,नारे बाजी करती कुछ आवाजे सदन में लगातार सुनाई  देती है टोकने पर भी नहीं बंद नहीं होती जैसे उन्होंने शोर मचाने का दायित्व सम्भाल लिया है |आडवाणी जी ने सदन की प्रक्रिया के बाधित होने पर झुंझला कर स्पीकर सुमित्रा महाजन पर ही प्रश्न उठा दिया सार्वजनिक रूप से कहा अध्यक्षा और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार सदन नहीं चला रहे इसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों जिम्मेदार हैं |अजीब बात है  सुमित्रा महाजन लगातार प्रयत्न कर रहीं थी किसी तरह सदन चले |तीन घंटे पहले ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की संसदीय बैठक की जिसमें विपक्ष पर आरोप लगा कर पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर उसके इस व्यवहार को अलोकतांत्रिक कहा था | प्रश्न अपने ही दल के स्पीकर पर उठा कर अपने दल को कटघरे में खड़ा कर दिया| संसदीय कार्यमंत्री ने उन्हें समझाने की कोशिश की मीडिया की उपस्थित का हवाला दिया |आडवाणी जी पुराने सांसद हैं उनका क्रोध करना स्वाभाविक था लेकिन पार्टी लाइन की एक मर्यादा होती है| आडवाणी जी के अंदर प्रधान मंत्री बनने की महत्वकांक्षा पल रही थी लेकिन नये नेतृत्व नें उन्हें हाशिये ला दिया| यही कष्ट मुरली मनोहर जोशी को भी है | शोर केवल लोकसभा में नहीं होता राज्यसभा में भी निरंतर होता रहता है |राज्यसभा उच्च सदन है इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व है और इसके 12 सदस्य राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं | सदन की अध्यक्षता उप राष्ट्रपति सम्भालते हैं इनका चुनाव राज्यसभा और लोक सभा के सांसद मिल कर करते हैं| उप राष्ट्रपति हमीद अंसारी भी सदन की कार्यवाही सही ढंग से चलाने में असमर्थ हैं| महामहिम राष्ट्रपति ने सदन को चलने न देना वेल में आकर सदन की कार्यवाही बाधित करना बहुमत पर विपक्ष का हमला करार देते हुए टिप्पणी की, संसद के पुराने सदस्यों से कहा था कोशिश कर सदन की कार्यवाही चलाने में सहयोग करें | आडवाणी जी ने बुधवार को अपने कथन पर सुमित्रा महाजन के सामने सफाई पेश कर कहा उनका मतलब विपक्ष से था |

लोकसभा एवं राज्यसभा अध्यक्ष- भारतीय संविधान ने लोकसभा में ब्रिटेन के हाउस आफ कामन्स के स्पीकर की व्यवस्था को अपनाया | निम्न सदन लोकसभा को चलाने के लिए सदन में सबसे पहले अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है | स्पष्ट है जिस दल का बहुमत होता है उसी का अध्यक्ष बनता है लेकिन काफी समय से सर्व सम्मति से अध्यक्ष नियुक्त करने की परम्परा पड़ चुकी है |अध्यक्ष की मदद के लिए उपाध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है| उपाध्यक्ष का चुनाव भी बहुमत से होता काफी समय से  मिली जुली सरकारें रहीं हैं अत: यह पद विपक्ष के हिस्से में भी आया था |अध्यक्ष का काम सदन को सुचारू रूप से चलाना है | पद की  मर्यादा है लेकिन विपक्ष के द्वारा अवहेलना का किस्सा आज का नहीं है|  स्वर्गीय संगमा स्पीकर थे उनकी अधिकतर आवाज आती थी अमुक जी प्लीज बैठ जाईये अपने समय पर बोलियेगा यही हाल कांग्रेस के समय में मीरा कुमार का था | अध्यक्ष को अनेक अधिकार दिए गये हैं जिन्हें संविधान स्पष्ट करता हैं – 1.संसद का अधिवेशन शुरू होने पर राष्ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में भाषण देते हैं क्योंकि राष्ट्रपति कार्यपालिका अध्यक्ष हैं उनका भाषण सरकार की नीतियों की व्याख्या होती है | राष्ट्रपति के भाषण को शांति से सुनना सदन के सदस्यों का कर्तव्य है उसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव में यदि कुछ संशोधन प्रस्तुत किये जाते हैं उनकी अनुमति देना | 2 . प्रश्नोत्तर काल में कौन से प्रश्न पूछे जायेंगे एक बार आरोप भी लगा था सांसद पैसे लेकर प्रश्न पूछते हैं | 3. निजी या सरकारी विधेयकों को तीन वाचनों में से गुजरना पड़ता है |प्रथम वाचन में विधेयक की रुपरेखा बताई जाती है इसके बाद विधेयक प्रवर समिति में भेजा जाये या उस पर सीधे द्वितीय वाचन अर्थात बहस हो अंत में तृतीय बाचन में मतदान में पास होने के बाद दूसरे सदन में जाता है अर्थात पुन: निरीक्षण है यदि लोकसभा में सरकारी विधेयक गिर जाता है इसका अर्थ सरकार का बहुमत समाप्त हो गया है  राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से विधेयक कानून बनता है | 4.किस विधेयक को मनी विल के रूप में प्रस्तुत किया जायेगा स्पीकर अनुमति देते हैं | हाल ही में आई टी विधेयक मनी बिल के रूप में प्रस्तुत कर ध्वनि मत से पास किया गया | देश का बजट भी सदन में अध्यक्ष महोदय को सम्बोधित कर पढ़ा जाता है तब सदन के पटल पर रखते हैं | 5.संसद में किस विषय पर बहस होगी , किस नियम के तहत होगी अध्यक्ष निश्चित करते हैं |, हर दल का सदस्य बोलना चाहता है क्योकि जब से सदन की कार्यवाही टेलीविजन में दिखाई जारही है हर सांसद चाहता है वह  सदन को सम्बोधित करे ज्यादातर सांसद अपने क्षेत्र के मतदाताओं के लिए बोलते है कितने समय तक बोले, यदि कोई सदस्य समय सीमा लांघता है नहीं मानता उसका माईक बंद करा कर दूसरों को मौका देना ,किसी भी अभद्र टिप्पणी पर विरोध होने पर अध्यक्ष द्वारा ही संसद की कार्यवाही से हटाई जाती है | बिना अनुमति के यदि कोई सदस्य बोलता है या टोकता है अध्यक्षा कहती हैं यह सदन प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जा रहा अनुमति लीजिये तब बोलिए  |6. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का सभापतित्व करना लोकसभा अध्यक्ष का दायित्व है |7.सत्ता पक्ष की सरकार बनती है लेकिन विरोधी दल का नेता कौन होगा , उसे भी केन्द्रीय  मंत्री के समान सुविधाएं मिलती हैं अबकी बार किसी भी दल के पास इतने सांसद नहीं थे कांग्रेस बड़ा दल था लेकिन उसके केवल कुल  44 सदस्य थे अत: उसे विरोधी दल का नेता नहीं माना गया | 8.दल बदल कानून के अंतर्गत दल बदलने वालों की सदस्यता रहेगी या जायेगी इसका निर्णय अध्यक्ष करते हैं| दल बदल पर अंकुश लगाने के लिए राजिव गांधी जी के प्रधानमन्त्री काल में 52वा संशोधन किया गया था 9. अध्यक्ष मतदान में हिस्सा नहीं लेते लेकिन यदि किसी विषय पर सत्ता पक्ष और विरोधी पक्ष के बराबर मत हों मतदान कर सकते हैं | 10. सदन का कार्यकाल समाप्त होने पर सदन में विदाई भाषण अध्यक्ष देते हैं | समितियों के लिए अध्यक्षों की नियुक्ति करते  है |सदन की सुरक्षा उसी पर निर्भर है आप के नेता भगवत मान ने सदन की सुरक्षा का ध्यान न रखते हुए लोकसभा का वीडियों बना कर उसे वायरल किया उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही कर लोकसभा की कार्यवाही से सदन चलने तक अलग कर दिया |

देश आजाद होने के बाद संसद में बैठने देश की नीति निर्धारित करने का उत्साह अब धीरे- धीरे खत्म होता जा -रहा है | मेहनत से तैयार किये गये भाषण भी कम सुनने में आते हैं | अध्यक्षा का काम मुश्किल होता जा रहा है किसी ख़ास विषय में चर्चा के समय भी सांसद गायब हो जाते या ऊँघते दिखाई देते हैं कुछ की समझ में चर्चा ही नहीं आती | किसी बिल को पास होने के समय सत्ता पक्ष के सांसद भी गायब देखे गये हैं , विप जारी करना पड़ता है हजूर हाजिर रहना | लेकिन जब से मिली जुली सरकारों का चलन हुआ है अब सांसद सदन में शोर मचाओ सदन की कार्यवाही मत चलने दो अपने आप स्पीकर सदन को कुछ समय के लिए स्थगित कर देगा या देगी का चलन बढ़ गया है लेकिन अब बहुमत की सरकार है  सुमित्रा महाजन स्पीकर ने पांच दिनों के लिए 25 सांसदों को निलम्बित कर दिया था निलम्बन कोई नयी बात नहीं है राजीव जी के समय भी 69 सदस्यों का निलम्बन किया गया था विपक्ष , ख़ास कर कांग्रेस के हाथ मुद्दा लग गया था | अब विपक्ष एक साथ मिल कर नोट बंदी के खिलाफ गांधी जी की मूर्ति के नीचे धरना देता है लेकिन सदन में अध्यक्षा को सदन चलाने नहीं देते |बहस के बजाये सदन का बहिष्कार करना शोर मचाना यह कौन सा प्रजातंत्र है ?अब अध्यक्ष का पद भार सम्भालना आसान नहीं रहा |

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