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दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग एवं संविधान में वर्णित राज्यपाल की शक्तियाँ

Vichar Manthan
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श्री माननीय उपराज्यपाल नजीब जंग ने पद से इस्तीफा दे दिया आश्चर्य हुआ अभी उनका कार्यकाल 18 महीने बाकी था |दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है यहाँ राज्यपाल के अधिकार अन्य राज्यों से अधिक है| दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में न पुलिस आती है न डीडीए ,परन्तु मुख्यमंत्री अरविन्द केजरी वाल मानने को तैयार नहीं हैं उनके अधिकार सीमित हैं जबकि देश संबिधान से चलता है उपराज्यपाल का कर्तव्य हैं संविधान की मर्यादा में रह कर काम हो| श्री जंग ने इस्तीफे का कारण निजी बताया है वह शिक्षा जगत में लौटना चाहते हैं | मोदी सरकार सत्ता में आई थी कई राज्यों के राज्यपाल बदल दिए लेकिन जंग अपनी जगह पर रहे ,उन्होंने इस्तीफे की पेश कश की थी अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था| अचानक इस्तीफा एक सस्पेंस बना हुआ है|  माना जाता है राज्यपाल किसी दल से सम्बन्धित न हो पहले राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी तालमेल बना रहता था अब कई राज्यों में क्षेत्रीय दल की सरकारें है राज्यपाल और सरकार के बीच तनातनी हो जाती है| श्री जंग का कार्यकाल दिल्ली सरकार के साथ विवादों में घिरा रहा जबकि पूर्व मुख्यमंत्री शीला जी का उपराज्यपाल महोदय से बहुत अच्छा सामंजस्य था वह हर सप्ताह उनसे मिलने जाती थीं लेकिन केजरीवाल जी अपने आप को नजीब जंग द्वारा सताया सिद्ध करते रहे हैं | बेशक 70 में 67 सीटें उनकी पार्टी ने जीती थीं बहुमत से सरकार बनती है| दिल्ली संविधान से चलती है |

केजरी वाल की पहली सरकार कांग्रेस के सहयोग से बनी थी | 26 जनवरी पास थी वह धरने पर बैठ गये श्री जंग ने मुख्यमंत्री को पराठें भिजवा कर सत्याग्रह तुडवाया |केजरीवाल लोकपाल बिल को खुले में पास करना चाहते थे जिसकी संविधान इजाजत नहीं देता बहाना अच्छा था, इस्तीफा दे दिया |एक वर्ष तक दिल्ली में राष्ट्रपति शासन रहा शांति रही| श्री जंग के दायित्व बढ़े राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल उन सभी अधिकारों का उपभोग करते हैं जो मुख्यमंत्री को प्राप्त हैं फिर से चुनाव होने के बाद आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला उनकी सरकार बनी| श्री नजीब जंग मध्यप्रदेश के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं वह दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में वाईस चांसलर भी रहे हैं |जुलाई 2013 में डॉ मनमोहन सरकार ने उन्हें उपराज्यपाल नियुक्त किया |वह दिल्ली के 20वें राज्यपाल थे |

संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार राज्यपाल राज्य विधान सभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए आमंत्रित करता है यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ है ऐसे में मिली जुली सरकार का गठन होता है जिन दलों ने बहुमत होने का दावा किया है देखता है क्या उनका बहुमत है ? राज्यपाल उच्च अधिकारी जैसे महाधिवक्ता ,राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों राज्य के विश्वविद्यालयों के उप कुलपतियों की नियुक्ति करते हैं| हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति के सम्बन्ध में राष्ट्रपति महोदय को सलाह देते है | समय-समय पर राज्य के प्रशासन के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री राज्यपाल को सूचनाएं देते हैं |यदि राज्य सरकार संविधान का उलंघन करते हैं या बहुमत समाप्त हो जाता है राज्यपाल राष्ट्रपति महोदय से राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की सिफारिश करते|

राज्यपाल के विधायिका सम्बन्धी अधिकारों का वर्णन अनुच्छेद 174 में किया गया है वह राज्य विधान सभा का सत्र बुलाते हैं विधान सभा को भंग करने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकते हैं| विधान सभा में एक एंग्लो इंडियन सदस्य होना चाहिए दिल्ली में एक ही सदन है विधान सभा | अनुच्छेद 192 के अनुसार किसी विधान सभा के चुने गये सदस्य की सदस्यता समाप्त करने का फैसला चुनाव आयोग की अनुमति के बाद राज्यपाल द्वारा किया जाता है दिल्ली सरकार ने अपने 21 विधायकों की सचिव पद पर नियुक्ति की नियमानुसार किसी भी लाभ के पद पर नियुक्ति होने से विधायक की सदस्यता रद्द हो जाती है केजरीवाल सरकार को जैसे ही अपनी भूल का अहसास हुआ, कानून में जरूरी बदलाव कर 24 जून 2015 को विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए दिल्ली सरकार एक बिल लेकर आई जिसके तहत डिस्कवालिफिकेशन से बचा जा सके बिल को उपराज्यपाल के पास भेज दिया उन्होंने राष्ट्रपति के पास भेज दिया राष्ट्रपति महोदय ने बिल को लौटा दिया जिससे संसदीय सचिवों की सदस्यता खतरे में पड़ गयी निर्णय बाकी है |

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाती मालीवाल की नियुक्ति बिना श्री जंग की परमिशन के की गयी वह केजरीवाल की करीबी थी आगे मालीवाल ने आप पार्टी के कार्यकर्ताओं को मोटे वेतन पर पद बांटे |दिल्ली में टैक्स कमिश्नर की नियुक्ति और  डीईआरसी की चेयर प्रश्न कृष्णा सैनी की नियुक्तियां बिना जंग की स्वीकृति के की गयीं |मुहल्ला क्लिनिक के प्रभारी श्री तरुण को श्री जंग ने पद से हटाया केजरीवाल ने जंग को केंद्र सरकार का कर्मचारी करार दिया |अनेक झगड़ों में हिटलर तक कहा | अधिकारों का विवाद कोर्ट तक पहुंचा लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में दिल्ली का प्रशासनिक प्रमख उपराज्यपाल को माना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन फैसला आना है |श्री जंग ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा- संसद में चर्चा के दौरान तय हुआ था दिल्ली देश की राजधानी है इसे राज्य का दर्जा देने के बजाय केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देना चाहिए चर्चा के बाद 1989 में बालकिशन कमेटी की रिपोर्ट में फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल को दिया है इसीलिए दिल्ली सरकार द्वारा किये फैसलों में उन्हीं आदेशों को रोका है जो असंवैधानिक हैं संशोधन के लिए दुबारा भेजा गया है|

राज्यपाल कार्यपालिका अध्यक्ष हैं आम चुनाव के बाद प्रत्येक वर्ष होने वाले सत्र से पहले विधानसभा के पहले सत्र को राज्यपाल सम्बोधित करते है या संदेश भी भेज सकते है| विधान सभा में पास किया गया विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति से ही विधेयक बन सकता है विवादित विधेयक को पुन : विचार के लिए विधान मंडल में भेजा जा सकता लेकिन विधेयक फिर से पास हो जाने पर वह हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य हैं | दिल्ली में वह राष्ट्रपति के पास भेजते हैं |यदि विधान सभा का सत्र नहीं चल रहा किसी विषय पर कानून बनाना आवश्यक है ऐसे में राज्य सूचि में दिए गये विषयों पर मंत्री परिषद राज्यपाल की अनुमति से अध्यादेश जारी कर सकती है| यह 6 माह के अंदर विधानसभा में स्वीकार होना चाहिए |वित्त विधेयक उपराज्यपाल की अनुमति के बिना पेश नहीं किया जा सकता |आस्कमिक निधि में व्यय राज्यपाल की अनुमति से हो सकता | जंग नें सभी विधायकों की स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से एक ही बार में 10-10 करोड़ किये जाने सम्बन्धित विधेयक दिल्ली सरकार को लौटा दिया वह जानना चाहते थे बढौतरी का प्रस्ताव क्यों सही है ? दिल्ली के विधायकों की सैलरी में 400 प्रतिशत बढौतरी का विधेयक राष्ट्रपति महोदय ने उपराज्यपाल को लौटा दिया | जंग सियासी बयानबाजी नहीं करते थे सदैव संविधान के दायरे रह कर काम करते थे वह शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहते थे इससे पहले ही उनका इस्तीफा आ गया अब एक ही सवाल है नये उपराज्यपाल नियुक्ति होगी क्या उनसे दिल्ली सरकार का विरोध नहीं होगा ? समय बतायेगा |

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