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31 दिसम्बर कुछ मीठी कुछ खट्टी यादें जागरण जंगशन

Vichar Manthan
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31 दिसम्बर कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें

‘31 दिसम्बर, नया वर्ष दस्तक दे रहा था दिल्ली में उन दिनों नये साल का जश्न मनाने कनाट प्लेस पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हो कर उत्साह और उमंग से मिल कर नये वर्ष स्वागत करते थे आतंकवाद के भय से चलन कम हो गया है | कुछ जम कर शराब पीकर दंगा भी करते अत: पुलिस की तरफ से पुलिस अस्पताल के कड़क डाक्टर की कनाट प्लेस के थाने में ड्यूटी लगती थी| दंगाईयों को पुलिस पकड़ कर लाती थी कितनी मात्रा में शराब पी हैं मेडिकल होता था मेरे पति की हर वर्ष ड्यूटी लगती थी | उसी दिन डिलीवरी का समय आ गया मुझे अस्पताल में भर्ती कर इनको ड्यूटी पर जाना था मेरे पेरेंट्स मेरठ में रहते थे मैं वहीं थी परिवार के सभी लोग थे मेरे पिता जी की जिम्मेदारी बढ़ गयी थी जब उनसे फ़ार्म पर दस्तखत कराये गये उनका हाथ कांप रहा था गला सूखा हुआ था मैने उन्हें समझाया आप क्यों चिंता करते हो सब ठीक होगा | ठंडा दिन बारिश हो रही थी भयानक शीत लहर चल रही थी कुछ समय के लिए मुझे कमरा दिया गया वहाँ बच्ची को जन्म देने के बाद महिला लेटी थी उसकी हालत खराब थी ओंठ सूखे हुए बिलकुल पीली लेकिन सुसराल के रिश्तेदार बातों में मग्न थे उनकी चर्चा का विषय अमुक के लड़की हुई पहली बेटी थी समझ लो लक्ष्मी, घर वालों की हैसियत नहीं थी फिर भी वह दो लाख का खर्चा कर नाम करण पर उपहार (छूछक) लाये |जच्चा की हालत देख कर मैं घबरा गयी मैने कहा यदि आपकी बहू बचेगी तभी छूछक आयेगा आप अपने लडके को फिर से घोड़ी चढ़ाने अगले दहेज की लिस्ट तैयार करो | सबने मुझे घूर कर देखा| डाक्टर महिला को देखने आई उसकी हालत देख कर घबरा गयीं तुरंत उसे आईसीयू में ले जाया गया| प्रसूति गृह में चर्चा जोरों पर थी सुबह से केवल लडकियाँ जन्म ले रहीं हैं लगभग सभी परिवार सुन कर परेशान थे सबको बेटा चाहिये था |

कष्ट से मेरी बेटी दुनिया में आई मेरी आँखों से आंसू आ गये डाक्टर ने हैरान होकर पूछा क्या बेटी के जन्म पर दुखी हैं ?नहीं जिस कष्ट से मैं गुजर रही हूँ मेरी बच्ची को भी गुजरना पड़ेगा| डाक्टर ने लम्बी साँस लेकर आप को यह दर्द याद ही नहीं रहेंगे कुदरत का ऐसा नियम है कहते हैं| औरत कमजोर और नाजुक होती है लेकिन बच्चे को दुनिया में लाते समय जान पर खेलती है | बच्ची लायी गयी डाक्टर ने हंस कर कहा कितनी स्वस्थ है इसकी उंगलियाँ बहुत लम्बीं है देखना सफल गायनाकौलोजिस्ट बनेगी मुझे हंसी आ गयी बच्ची बड़ी आँखों से चारो तरफ देख रही थी लेकिन बल्ब की तेज रौशनी पर नजर पड़ते ही उसने आँखे मींच ली |अगली सुबह रात की ड्यूटी के बाद दिल्ली से बच्ची के पिता पूरी रात की थकाऊ ड्यूटी के बाद बस का सफर कर अस्पताल पहुंचे बच्ची को गोद में उठाया सबसे पहले उनकी नजर उसकी लम्बी उँगलियों पर पड़ी अरे इसकी उंगलिया कितनी पतली लम्बी हैं इसे सर्जन बनाऊँगा हंसी आई | इन्होने बेबी के कानों से ट्रांजिस्टर लगाया मध्यम सुर में गाना बज रहा था भोंहें तिरछी कर बच्ची ने आँखे घुमायीं अगला शब्द था अरे यह तो म्यूजिक की मेरी तरह शौकीन है| घर का हर व्यक्ति बच्ची से अपनी सूरत मिला रहा था सबसे उसकी सूरत मिलती थी मेरे पति को उसमें परिजनों की छवि दिख रही थी पर बेटी ने डाक्टरी नहीं की |

बेटी का जन्म सभी परिजन अपने परिवार की परम्परा के अनुसार मिल कर मनाते लेकिन यह अपनी  ड्यूटी बजाते | शराब पीकर कर बहकने वालों को पुलिस ला रही थी जो अधिक हंगामा नहीं कर रहे थे उनको कुछ देर बिठा कर थोड़ा झाड़ पिला कर भेज देते लेकिन जो लिमिट क्रास कर रहे थे उनका बकायदा मेडिकल हो रहा था| एयरपोर्ट में एमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात एक डाक्टर साहब को स्वयं एस एच ओ ले कर आये उन्होंने ड्यूटी के दौरान ऐसा हंगामा मचाया हैरानी हुई पढ़ा लिखा आदमी भी आपे से बाहर हो सकता है इन्होने हम पेशे का ख्याल कर उन्हें बिठाया हर कोशिश की होश में आ जायें या शराब का लेबल कम हो जाए या बेंच पर सो जायें परन्तु वह नशे में धुत किसी तरह कंट्रोल में नहीं आ रहे थे पुलिस वालों को ही गालियाँ दे रहे थे वह सातवें आसमान पर थे मजबूरी में उनका कागज बनाना पड़ा दुःख हुआ, उदास थे परन्तु मजबूरी |

कुछ वर्ष बाद इन्हें ईरान जाने का अवसर मिला |वहाँ खुर्दिस्तान की कैपिटल सन्नदाज के आखिरी छोर के अस्पताल में इंचार्ज थे| डाक्टर अकसर जुम्मे की छुट्टी के दिन किसी के घर में इकठ्ठे होते थे हमारा घर अस्पताल में था वहाँ से खूबसूरत घाटी शुरू होती थी कुछ दूरी पर ढलान पर पहाड़ी नदी बहती थी अत: सभी अक्सर हमारे घर आते |उनमें वह डाक्टर साहब भी आये लेकिन वह इनको पहचान नहीं सके नशे में उनको होश ही कहाँ था? इन्होने भी जिक्र नहीं किया | वह चार वर्ष कैपिटल से दूर कस्बे की डिस्पेंसरी में काम करते थे अब उनका संन्नदाज की एमरजेंसी सेंटर में तबादला हो गया, महीने में कुछ दिन रात की ड्यूटी भी शामिल थी | इस्लामिक ईरान में शराब पर पूरी तरह बैन था यदि कोई पकड़ा जाता था सार्वजनिक कोड़े लगते थे |मिनी बस में लोगों को लाया जाता उनको काजी कोड़े मारने का हुक्म देता| मिनी बस की छत पर सजा याफ्ता को लिटाया जाता बंधें हाथ खोल दिए जाते चार पासदार (रिवोल्यूशनरी) गार्ड बारी-बारी से कोड़े मारते यदि कोई पीठ पर हाथ रख लेता दुबारा कोड़ा पड़ता भयभीत करने वाला नजारा रूह कांप जाती थी परन्तु वह डाक्टर साहब अंगूर या किशमिश बड़े बर्तनों में सड़ा कर शराब घर में ही निकालते| कई बार उनकी रात की एमरजेंसी ड्यूटी होती थी वह नशे में धुत्त ,दूसरे डाक्टर उनकी ड्यूटी कर देते थे| इंचार्ज खुर्द था उसे डाक्टर साहब से बहुत सहानुभूति थी उसने कभी उनकी शिकायत नहीं की |

उनकी पत्नी और दोनों बच्चियाँ भारत से गर्मियों की छुट्टियों में ईरान आयीं थी हमारे घर भी सबके साथ आयीं डाक्टर साहब की पत्नी लेक्चरर थीं उनकी टांगों में नीली नसें उभरी हुईं थी कालेज बड़ी मुश्किल से जा सकतीं थी, बैठ कर क्लास लेती थी स्टूडेंट उनकी बहुत इज्जत करते थे उनको सहयोग देते थे वह बहुत मृदु भाषी थी |उनकी बच्चियां बेहद प्यारी पढ़ने में गजब थीं देख कर कष्ट हुआ | उनकी पत्नी की इच्छा थी रुपया इकट्ठा हो जाए डाक्टर साहब अपना नर्सिंग होम बना लेंगे उनकी पिता| की दी हुई कोठी अच्छी जगह पर थी ऊपर की मंजिल पर किरायेदार रहते थे, तब वह नौकरी छोड़ देंगी और भी कई डाक्टर आये थे पाकिस्तानी परिवार भी थे महिलाओं में डाक्टर साहब की चर्चा चली पत्नि ने बताया उनकी दिल्ली में शानदार नौकरी थी| 31 दिसम्बर को रूटीन ड्यूटी थी मैने इन्हें जाने से पहले तक पीने नहीं दिया परन्तु एयरपोर्ट की ड्यूटी फ्री शाप से इन्होने शराब खरीदकर जम कर पी, पीने के बाद इनको होश नहीं रहता पर्सनैलिटी बदल जाती हैं वहाँ जम कर हंगामा किया पुलिस इन्हें काबू करने की कोशिश कर रही थी परन्तु यह और बिफर गये अंत में इन्हें कनाट प्लेस के थाने लाना पड़ा ड्यूटी पर तैनात डाक्टर ने हम पेशे का भी लिहाज नहीं किया इनके खिलाफ रिपोर्ट दे दी इससे पहले भी दो बार इन्हें वार्निंग मिल चुकी थी अबकी बार उन्हें नौकरी से निकाला नहीं पर इस्तीफा लिखवा लिया | इनका परिवार सोर्स फुल है उन्होंने कोशिश कर ईरान भिजवा दिया | पाकिस्तानी डाक्टर भाभी और उनके शौहर डाक्टर साहब का हमसे बहुत प्रेम था उनके बच्चे इन्हें ताया जी कहते थे उन्हें अनजान डाक्टर साहब पर बहुत क्रोध आया उन्होंने कहा ऐसा डाक्टर दोजख की आग में जलेगा अरे यह भी नहीं सोचा डाक्टर साहब के बाल बच्चें होंगे कुछ ने कीड़े पड़ने की बद्दुआ दे दी मैं आँख बचाती रही |

डाक्टर साहब की पीने की आदत बढ़ती गयी अंत में लाचार होकर खुर्द इंचार्ज ने उन्हें समझाया आप अपने देश लौट जाओ नहीं तो किसी दिन मुसीबत में फंस जाओगे यहाँ का माहौल सख्त होता जा रहा है मजबूरी में देश लौट गये कई वर्ष बाद पता चला उनकी मृत्यु हो गयी | मैं उनके घर अफ़सोस करने गयीं बच्चियाँ बड़ी हो गयीं थी पढ़ने में कुशाग्र थी उन्होंने बताया पापा ने घर में ही कार के गैरज में क्लीनिक खोली थी |क्लिनिक अच्छी चल रही थी परन्तु शराब की आदत मरीज इंतजार करते रहते अंत में यह हालत हो गयी साँस में पके केले जैसी बू आती थी खाने को देख कर उलटी करते इलाज का कोई असर नहीं हुआ एक दिन आँखे मूंद ली उन्होंने हैरानी से कहा लोग क्यों पीते है क्या अपने परिवार को रोता छोड़ जाने के लिए ?सरकार क्यों नहीं शराब बंदी करती | सुना है पापा को पहला पैग मेरे दादा ने 16 साल की उम्र में दिया था उस दिन हमारी दादी जी सिर पीट लिया बहुत रोयीं थी |मैं उन्हें क्या कहती जिसने ईरान की सख्त सरकार में भी पीने का जुगाड़ कर लिया था उसे कौन रोक सकता है | समय बीतता गया एक दिन मैने उनके घर फोन किया भाभी ने फोन उठाया उन्होंने बताया उनकी बड़ी बेटी डाक्टर हैं अब वह यूएस के नामी मेडिकल कालेज में लोन लेकर एमएस कर रही है वह सर्जन बनना चाहती है | छोटी का मेडिकल में आखिरी वर्ष है| वह अब रिटायर हो चुकी हैं | मन को शांति मिली |

मैं 31 दिसम्बर को खुश होती हूँ आज मेरी बेटी दुनिया में आई थी जिसने हमें यश और मान दिया लेकिन डाक्टर साहब और उनके परिवार को कभी नहीं भूली, उदास हो जाती हूँ इतना क्यों पीते थे इतनी जल्दी दुनिया छोड़ गये | नये वर्ष का स्वागत शराब से क्यों ? ऐसा क्या पीना पीकर होश ही न रहे |

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