Menu
blogid : 15986 postid : 1320879

सीपी में सागर भर लाऊँ contest

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

मेरा सौभाग्य ,मुझे स्कूल या कालेज के दौरान किसी भी भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ा मैं एमए की   क्लास में अकेली लड़की थी मैने विषय ही ऐसा चुना था अंतर्राष्ट्रीय राजनीति ,कानून और सम्बन्ध जैसे शुष्क विषय पढ़ने से ज्यादातर लड़कियाँ बचती थीं| मेरी डेस्क सबसे पहली लाइन में थी कभी बाहर खड़े होकर सर का इंतजार नहीं करना पड़ा क्लास में तन्मयता से लेक्चर सुनती कभी कभी किसी अंतर्राष्ट्रीय समस्या पर सर राय मांगते मेरी राय सबसे अलग होती थी क्योंकि मैं हर समस्या को कूटनीतिक दृष्टिकोण से देखती थी | डिपार्टमेंट में चुनाव होना था मैं भी चुनाव लड़ना चाहती थी मैने स्वयं ही अपना नाम दिया प्रोफेसर सर ने चश्में के नीचे से झांका उन्हें मेरी हिम्मत पर आश्चर्य हुआ |उन्होंने कहा पूरे डिपार्टमेंट में कम लड़कियाँ हैं फिर तुम तो अपने सेक्शन में अकेली हो वोट कौन देगा ?ख़ैर उन्होंने एक हल निकाल कर डिबेट का आयोजन किया मैं तर्क और कुतर्क में सबसे कुशल थी आखिर में बोली और सबके प्वाईंट काटे ख़ास कर जो सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी था उसको टिकने ही नहीं दिया| एक अन्य प्रतियोगिता रखी गयी यदि चुनाव जीत कर रिप्रजेंटेटिव बनें डिपार्टमेंट का क्या भला करोगे | उन दिनों छात्र संघ में राजनीतिक दलों का जोर था प्रचार में धन बल का भी प्रयोग होने लगा मेरी छात्र संघ  की राजनीति में न रूचि थी न हिम्मत मैने अपनी बात कही यदि चुनी गयी मैं अपने विभाग में किसी को छात्र आंदोलनों में हिस्सा लेने नहीं दूंगी कालेज की लायब्रेरी बहुत अच्छी है सबको प्रोत्साहित करूंगी पढ़ें तथा अपने कैरियर को देखें मार्कशीट जीवन भर साथ देती हैं | दूसरे राज्यों से भी विद्यार्थी कालेज में पढ़ने आते हैं किसी को गुमराह नहीं होने दूंगी प्रोफेसर सर की हंसी निकल गयी सूखी साँवली सी लड़की में कितना हौसला है | उन्होंने मुझे मनोनीत कर लिया अब मेरी बारी थी जिसको फ़ीस माफ़ी की जरूरत देखती लेकिन कहने में शर्म महसूस करते थे माफ़ कराती | कालेज में कई आंदोलन हुये दीवारों पर लिखा था सत्ता का जन्म बंदूक की गोली से होता है | सभी दलों से जुड़े छात्र नेता ऐसे ओजस्वी भाषण देते छात्रों के मन के तार हिल जाते ‘छात्र एकता जिंदाबाद ,‘हमारी मांगें पूरी करों’ के जोशीले नारों से कालेज परिसर गूंजता | कालेज के पास ही कचहरी थी वहाँ जलूस की शक्ल में जाकर हाय-हाय करते लेकिन हमारी क्लास लायब्रेरी में पढ़ती दिखाई देती मैने किसी को जलूस में जाने नहीं दिया मेरे पिता जी ने जो हितोपदेश मुझे दिये थे कैरियर ही लक्ष्य समझाया था वही मैने कातर आवाज से सबको समझाया |मेरे जैसी सूखी सी लड़की के लिए आसान नहीं था अब सब लायब्रेरी में बैठ कर नोट्स बनाते हास्टल में रहने वाले छात्र लायब्रेरी बंद होने तक पढ़ते थे कुछ आईएएस की तैयारी करने लगे | पढ़ाई का नशा सबसे ऊँचा होता है यदि कैरियर की उचाईयाँ समझ में आ जायें कहना ही क्या है? सभी कैरियर के प्रति समर्पित थे दो वर्ष कैसे निकल गये पता नहीं चला ?

कालेज के बाद लगभग सभी को अच्छी नौकरी मिली |उस समय का सबसे तेजस्वी छात्र नेता  राजनीति में गया यही उसका ध्येय था उससे उस समय की सबसे शानदार एमएससी टापर उसकी सहपाठी ,बाद में अपने कालेज में लेक्चरर ,दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारी की बेटी ने परिवार वालों से विद्रोह कर प्रेम विवाह किया था | चन्द्रशेखर जी की सरकार तीन महीने रही थी उसमें उसे मंत्री पद मिला उसके बाद गुमनामी के अंधेरों में डूब गया एक बार चैनल में दिखायी दिया बहुत पुराना कुर्ता पैजामा पहने था चेहरे पर मायूसी थी |

डॉ शोभा भारदवाज

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh