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मेरा विवाह मथुरा निवासी परिवार में हुआ था डाक्टर पति प्रगति शील विचारों के थे परिवार में कभी दहेज पर प्रश्न नहीं उठा सुखद जीवन , मैं नियमित लायब्रेरी जाती अपनी थीसिस पूरी कर रही थी सुसराल सनाढ्य थे हम सारस्वत ब्राह्मण , इनके शादी के विज्ञापन में सभी ब्राह्मण मान्य लिखा था | मेरा ननिहाल पंजाब में हैं अपना प्राचीन मन्दिर है | मेरी ननदें मेरे सम्पर्क में बहुत महत्व कांक्षी हो चुकीं थी एक का विवाह विदेश में हुआ वहाँ उन्हें ख्याति और अलग पहचान मिली हैं| अम्मा जी गावँ की लेकिन शिक्षित परिवार से थीं |भारत सरकार की तरफ से यह विदेश गये छोटी नन्द की शादी में भाग लेने हम स्वदेश आयें सभी उत्साहित थे |बरात दरवाजे पर पहुंची इनकी मौसेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ कर वर पक्ष के प्रमुखों से परिचय ही नहीं कराया गुणगान भी किया| जीजी की गृहस्थी दुखद थी तलाक हुआ लेकिन महिला सशक्तिकरण का अनुपम उदाहरण थीं अमेरिका गयीं वहाँ से गणित में रिसर्च कर अब आईआईटी में प्रोफेसर थी उनके सम्मान में मैं श्रद्धा से नतमस्तक रहती थी कोने में कुछ कुर्सियाँ थीं ले जाकर कहा यहाँ चुपचाप बच्चों को समेट कर यहाँ बैठ जाओ हमने किसी को नहीं बताया तुम पंजाबन हो मैं गुमसुम हो गयी वहाँ खेलते बच्चों से बच्चे खेलना चाहते थे, खाने की सुगंध आ रही थी भूखे भी थे मम्मा चलो सब खाना खा जायेंगे हम क्या खायेंगे?अंत में कुछ खाने वाले बचे थे इन्होने मुझे देखा अरे तुम यहाँ बैठी हो खाना नहीं खाना बच्चे नींद में थे मुश्किल से उन्हें खिलाया |
फेरे होने वाले थे जीजी वहाँ खड़ी थीं उन्होंने मुझे कहा उस कोने में बैठ जाओ परिवार की अन्य महिलायें मुझे अकेले बैठा देख कर वहीं आ गयी सभी मुझसे बहुत प्रेम करतीं थी| यहाँ कन्यादान सभी परिजन लेते हैं मेरी हिम्मत नहीं हुई |
मेरे बीमार ससुर अंतिम सांसे ले रहे थे विवाह किसी तरह निपट गया यह उनके पास चिंतित बैठे थे अचानक अम्मा जी ने प्रश्न किया दुल्हन तुम्हारे परिवार से कोई नहीं आया इन्होने जबाब दिया आपने बुलाया कहाँ था ? बस जीजी इन पर बरस पड़ीं क्या लिखूं उन्होंने पंजाबी के साथ और अलंकार लगा कर खानदान पर चलीं गयीं मेरा दर्प जगा अचानक मैने इनकी तरफ देखा दुःख से इनका चेहरा लाल था| मेरे नाना रला राम जोशी मशहूर गणितज्ञ थे उनकी लिखी पुस्तकें जीजी की किताबों के साथ सम्मान से रखी थी वह उनकी प्रशंसक थीं पर अम्मा जी के शब्द बोल रहीं थीं मैं रोने के लिए कोना ढूँढ़ रही थी| यह पहली बार हुआ था, अंतिम बार नहीं सब उच्च कोटि के ब्राह्मण थे मैं ? हर शादी ब्याह में अपने लिए कोना ढूँढ़ लेती थी रिश्तेदार हैरान होते गाँधी वादी हूँ विरोध में एक शब्द नहीं | अम्मा का आपरेशन था उनका मेरा ब्लड ग्रुप एक था खून दिया मरने से पहले वह मथुरा जाना चाहती थी अंतिम दिनों में मुझे और बच्चों को बुलाया यह मुझे उनकी मृत्यू पर भी लेकर नहीं गये |
दो साल पहले ननद की बेटी की शादी थी बरात आने पर इनका भतीजा सबको बुलाने आया मेरे पास विदेश बसी नन्द बैठी थी सब चले गये वह मेरे सामने संकोच से खड़ा था मैने संकेत से कहा कोई बात नहीं पढ़ने वाले इज्जत करते थे | शादी के दो माह बाद दीदी अपनी बेटी दामाद को लेकर घर आयीं अब उन्हें मेरी जरूरत थी|
चार वर्ष पहले ब्राह्मण सम्मेलन में मेरा लेक्चर था मैने ब्राह्मण समाज की स्थिति पर लम्बा भाषण दिया बहुत भीड़ थी उपस्थित गणमान्य स्टेज के पास ताली बजाते आगे आये सम्मानित किया अंत में मेरा प्रश्न था मनु महाराज की वर्ण व्यवस्था में क्या ब्राह्मणों के अंदर भी जाति व्यवस्था थी ब्राह्मण ऊँचा नीचा भी होता है, सभी ब्राह्मणों को एक नहीं होना चाहिए ?
डॉ शोभा भारद्वाज
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