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बचपन की याद, मेरे पिताजी के मित्र थे पीर मुहम्मद उनकी इकलौती बहन का नाम ? अब उनका नामकरण छुटटो था हम बच्चे छुटटो बुआ कहते थे खूबसूरत थीं परन्तु कभी बावर्ची खाने से नहीं निकलीं| शादी हुई थी शौहर ने एक दिन घर के दरवाजे पर खड़े होकर तीन बार तलाक कह कर नाता तोड़ दिया |
चैनल में ट्रिपल तलाक पर बहस थी मुस्लिम महिलायें बुलायीं गयी मौलाना भी आये थे उन्होंने कहा इस्लाम अबला का रक्षक बन कर आया है, दासता से मुक्ति दिलाई पिता की सम्पत्ति पर अधिकार दिलवाया , हदीस कहती है सही होगा खुदाई जुबान है | महिलायें झुण्ड की तरह लाई गयीं थी सब के मुहँ पर नकाब थे हरेक से अलग – अलग पूछो ट्रिपल तलाक के खिलाफ थीं शौहर दूसरी बीबी लेकर आता है तकलीफ होती हैं आँखों से पानी बहता है| उन्हें दुःख था वह पढ़ीं लिखी नहीं है हाँ नमाज पढ़ना जानती है एंकर ने पूछा ट्रिपल तलाक ठीक है सब एक साथ बोलीं “नहीं” यदि शौहर दे दे ?उन्होंने कहा हमारी तकदीर , हम विरोध नहीं कर सकतीं अल्लाह का हुक्म बदला नहीं जा सकता “हम नबी के हुक्म और शरीयत को मानती हैं”| उन्हें यही समझाया गया था|
ट्रिपल तलाक पर मौलानाओं के दो पक्ष है एक कहता है ट्रिपल तलाक को एक माना जाये दूसरा पक्ष कहता है तीन बार तलाक कहना गुनाह है परन्तु तलाक तो हो गया अब लौट नहीं सकता यदि शौहर फिर से बीबी को रखना चाहता है हलाला होगा | क्या महिला भी तीन बार तलाक कह कर जंजीरें तोड़ सकती हैं, नहीं मौलाना तय करेंगे किस ग्राउंड पर तलाक चाहिये |इस्लामी हकूमत होती तो तीन बार तलाक कहने पर शौहर को कसूरवार ठहरा कर सजा दे सकते हैं |
कोर्ट में अपनी वकील सहेली से मिलने गयी उस दिन एक मुस्लिम महिला को ब्यान दर्ज कराने थे महिला की खूबसूरती गजब उसने चादर लपेटी थी साथ में 11 साल का लडका था वह माँ को परेशान कर रहा था मेरा जन्म दिन मनाओ नहीं तो मैं अब्बू के पास चला जाऊंगा महिला ने बताया मेरे शौहर ने तलाक लिख कर अपने भाई के हाथों भिजवा दिया बच्चे भी छोड़ गया |20 साल की लडकी से शादी कर ली मैं पढ़ी नहीं हूँ जचगी करवाती हूँ मैने उसको कहा इसे अब्बू के पास जन्म दिन मनवाने भेज दो वह डर गयी बोली वह ले जायेगा ,मैं गारंटी लेती हूँ जैसे ब्यान खत्म हो तुम इसे भेज कर तमाशा देखो और न्याय बाद में मिलेगा हाँ तेरा बेटा अपना हो जाएगा उसने कलेजे पर पत्थर रख लिया कुछ देर में बालक रोता हुआ आया माँ से लिपट गया अम्मी रिक्शा पर अब्बू और छोटी बैठ कर चले गये मुझे गाली देकर भगा दिया|
ईरान में अधेड़ उम्र के पाकिस्तानी डाक्टर के हाथ में सदैव माला रहती थी सबको पढ़ाते मुसलमीन को खुदा ने जन्नत का वादा किया हैं| उन्होंने इरानी नर्स से निकाह पढ़वा लिया उसका नाम रखा आयशा खानम मेहर सोने के सिक्कों में देनी पड़ी| वह पाकिस्तान गये लौट कर नहीं आये आयशा परेशान थी हर पाकिस्तानी से उनकी बाबत पूछती | पाकिस्तानियों ने हमें बताया उनकी पत्नी सगी खाला की बेटी है इनके रिश्तेदारों की पांच लडकियाँ बीबी के कुनबे में ब्याही हैं इनको धमकी दी है जल्दी आओं नहीं तो सब को घर बिठा देंगे मजबूरी में गयें हैं परन्तु लौटे क्यों नहीं ?उन्होंने हंस कर कहा भाभी दोनों परिवार वालों ने पिटाई कर खाट पर डाल दिया होगा| डाक्टर साहब काफी समय बाद वापिस लौटे अब उन्हें हंसी नहीं आती थी ईरानी खानम के नखरे, खुला खर्च , घर भी पैसा भेजना पड़ता था |
मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद की हैं मोदी जी से भी न्याय की अपील है 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी |
डॉ शोभा भारद्वाज
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