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जीने के लिए वृक्षारोपण करें लेकिन उनकी रक्षा भी कीजिये

Vichar Manthan
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इतिहासकार जब भी किसी प्रशासक का जिक्र करते हैं , लिखते हैं अमुक प्रशासक ने सड़कों के दोनों तरफ छायादार एवं फलदार वृक्ष लगवाये थे राहगीरों के लिए साफ पीने के पानी की व्यवस्था की थी | राहगीर वृक्षों की छाया तले विश्राम कर आगे की यात्रा करते थे| लुटियन दिल्ली में आज भी के किनारे ब्रिटिश काल में लगाये गये वृक्ष हैं| जिनमें आम ,इमली जामुन ,पीपल बरगद और नीम के पेड़ प्रमुख हैं इनके तने चौड़े हैं पेड़ों के नीचे घनी छाया एवं ठंडक रहती है | आज कल ऐसे वृक्ष जैसे अमलतास गुलमोहर और अनेक  फूलों वाले वृक्षों का चलन है यह जल्दी ही बड़े होकर सीजनल फूलों से लद जाते हैं गर्मी के दिनों में मन और तन को शांति देते हैं छाया विशाल नहीं परन्तु सुखकारी होती हैं |वृक्षारोपण की इच्छा शक्ति में कहीं कमी नहीं है हर वर्ष अनेको वृक्ष लगाये जाते हैं लेकिन कमी उन्हें बचाने की इच्छा शक्ति की है |

एक परिवार का घर सड़क के किनारे था उन्होंने घर के बाहर तीन गुलमोहर के पौधे लगाये उनका पूरा ध्यान रखते थे| आसपास दुकानें थीं दाई और के दुकानदार नें तीन चार दिन बाद ही अपनी तरफ का पौधा उखाड़ कर फेक दिया तर्क था जब यह पेड़ बन जाएगा उनकी  दूकान का बोर्ड दिखायी नहीं देगा | बचे दो पौधे परिवार ने कैसे बचाये उनका दिल जानता है पौधों ने सिर उठाया बच्चों की बानर सेना उन्हें उखाड़ने की फिराक में रहती उस परिवार का पौधों को बचाने के लिए सबसे झगड़ा होता था पौधों  के चारो तरफ लोहे का कटघरा लगा दिया लेकिन सड़क से गुजरते भैंसा गाड़ी वाले सुस्ताने के लिए रुकते पेड़ के नाजुक तने से भैंसा बांध देते| भैंसा अपना बदन खुजाता कटघरा हिलता ,पेड़ के नाजुक तने से भी टकराता| स्कूलों की छुट्टी होती बच्चों की भीड़ टहनियों को नोचती जाती पेड़ की रक्षा में तैनात उनका बंधा अल्सेशियन कुत्ता जैसे ही कोई पेड़ के नजदीक आता भयानक आवाज में भोंकता | पेड़ बड़े हो  गये लेकिन उनमें फूल नहीं आये परिवार कहाँ हार मानने वाला था? उन्होंने फूलों की बेलें पेड़ की जड़ों के पास रोप दी सहारे के लिए रस्सियाँ लगा कर पेड़ के ऊपर चढ़ा दीं बेलों में गुलाबी और सफेद शेड वाले खुशबूदार फूल लगे गुलमोहर की शोभा दुगनी हो गयी |एक दिन गुलमोहर की फुनगी पर लाल –लाल फूलों के गुच्छे खिले वह नीचे से दिखाई नहीं देते थे परिवार घर की छत पर चढ़ कर निहारते बहुत ही खूबसूरत नजारा था | धीरे-धीरे पूरा पेड़ फूलों से भर गया पेड़ों की टहनियां ने चारो तरफ फैल कर घनी छाया बना दी | अब राहगीर पेड़ों की घनी छाया के नीचे बैठ कर कुछ देर सुस्ताते लड़के लडकियाँ भी आपस में बातें करते पेड़ उनका मिलन स्थल था |पेड़ों पर परिंदों ने घोसला बना लिया लेकिन जिन्हें मुफ्त का ईधन चाहिए था उन्हें पेड़ों में मनों लकड़ी दिखायी देती थी कभी भी मौका देख कर पेड़ पर चढ़ जाते हरी भरी टहनियों को मरोड़ने लगते लेकिन उस घर का जागरूक कुत्ता आहट से समझ जाता शोर मचा कर परिवार के लोगों को इकठ्ठा कर लेता | आसपास के दुकानदारों को दुःख था पेड़ों की घनी छाया में उनका साईन बोर्ड दिखाई नही देता था रोज पेड़ों को छांटने के मंसूबे बनाये जाते |बायीं और के रेस्टोरेंट का मालिक सफल हो गया उसने पेड़ की जड़ों में न जाने क्या डाला एक पेड़ सूख कर गिर गया | कुछ दिनों बाद रेस्टोरेंट भी बंद होगया उसमें ग्राहक अब भी नहीं आ रहे थे | एक वर्ष बाद दूसरा विशाल वृक्ष भी गिर कर सड़क पर फैल गया लेकिन किसी को चोट नहीं आई सब हैरान थे |जो रोज लकड़ियों की फिराक में रहते थे पेड़ पर कुल्हाड़ियाँ चलाने लगे इस परिवार का कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकला सब गुमसुम थे अपने प्यारे गुलमोहर के टुकड़े होते देखना नहीं चाहते थे अब पत्तों के अलावा कुछ नहीं रहा |

मैं घर लौट रही थी हैरान रह गयी पेड़ों की छटाई का ठेका लेने वाले  जम कर हरे भरे वृक्षों के तनों पर कुल्हाड़ियाँ चला रहे थे लकड़ियों का ढेर लगा था | कई बूढ़े पेड़ों को छटवा नहीं, कटवा रहे थे | मैने पूछा महोदय आप क्या कर रहे हैं बड़ी मुश्किल से पेड़ पनपते हैं पेड़ आक्सीजन देते हैं हवा शुद्ध करते हैं आप कटवा रहे हैं उन्होंने मुझे ऐसे देखा जैसे जंगल का कोई जीव शहर में आ गया हैं |महानुभावों का जबाब था पेड़ धूप रोकते हैं इनकी पत्तियों और बसेरा करने वाले परिंदों की बीठों से गंदगी फैलती हैं पूरा दिन कौए कावं- कावं करते हैं| हैरानी हुई मार्च का महीना था कुछ दिनों बाद गर्मी पड़ने वाली है  गर्मियों में छाया कितनी सुखकारी होगी फिर पत्तों की खाद और  उपजाऊ मिटटी(सौएल ) बन जाती हैं| वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करते हैं | प्रदूष्ण बढ़ने से नन्हे नन्हें बच्चों को साँस की तकलीफ हो रही हें स्वयं भी सारी रात खांसते हैं कुदरत का सिलेंडर इन्हें बुरा लगता है |क्या  गले में आक्सीजन का सिलेंडर बाँध कर जियोगे ?

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हमें पेड़ पोधों से प्रेम है अपने घर में सुंदर महंगे पौधे डिजाईनर गमलों में लगा कर उन्हें काटते छांटते हैं धूप दिखाते हैं सही पानी और महंगी खाद डालते हैं लेकिन कईयों ने अपने ड्राईंग रूम में आक्सीजन देने वाले वृक्षों को बोनसाई बना कर गमलों में लगा दिया| जापानी छोटे कद के होते हैं उन्हें विशाल वृक्ष शायद अच्छे नहीं लगते वहाँ से पीपल आम वट इमली और नीम जैसे से जुगादी पेड़ों की जड़ें काट कर दो फुट का बौना बना दो हमने भी सीख लिया |  घर से बाहर लगे हरे भरे फूलों से लदे वृक्ष हमें बुरे लगते हैं |

बिमारी के कीटाणु एक शरीर में लग कर फिर दूसरे शरीर को खाने लगते हैं | धरती को नष्ट कर हम किस प्लेनेट में रहने जायेंगे| पचास प्रतिशत जंगल खत्म हो रहे हैं उसके साथ वन्य जीवों की अनेक प्रजातियाँ भी नष्ट हो गयी |हमारे बच्चे उन्हें अब चित्रों में देख सकेंगे | धरती कई बार गर्म होकर ठंडी हुई कई सभ्यताएं नष्ट होकर धरती के भीतर क्रूड आयल बन गयीं हम भी नष्ट हो जायेंगे लेकिन धरती को फर्क नहीं पड़ता जीवन की समस्त आवश्यकताओं की वस्तुये धरती के ऊपर हैं जितना खोदते जायेंगे ऐश्वर्य की वस्तुये मिलती हैं विकसित देशों ने जम कर धरती का दोहन किया है जिसका परिणाम समस्त विश्व को भुगतना है लाखो वर्ष पहले सूर्य की ऊर्जा ने धरती को जीवन दिया था लेकिन धरती को प्रदूषित करने में हमने कोर कसर नहीं छोड़ी अब तो पर्वतीय क्षेत्रों में भी गर्मी का दबाब बढ़ता जा रहा है जरूरत धरती पर एक- एक पेड़ लगा कर उसे बचाने, सन्तान के समान पालने से है धरती फिर से हरी भरी जीवन दायिनी सुखकारी हो जायेगी |

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