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सीबीआई एवं आयकर विभाग द्वारा लालू प्रसाद यादव के 22 ठिकानों पर छापे मारे गये, 1000 करोड़ की बेनामी सम्पत्ति और कर चोरी से सम्बन्धित मामले हैं| यदि किसी पर सीबीआई या आयकर विभाग का छापा पड़ता है, तो वह कानूनी दृष्टि से अपराधी माना जाता है। उस पर केस चलता है, बचने का बहाना नहीं होता,लेकिन जब किसी राजनेता या सत्ता में बैठे किसी मंत्री के खिलाफ केस दर्जहोता है या पकड़े जाते हैं, तो उनका व्यवहार देखकर हैरानी होती है। वे इसे सरकारद्वारा बदले की कार्रवाई सिद्ध करने की कोशिश करते हुए दलीलें देते हैं कि वे गरीबों के लिए काम करते हैं, उनको फंसाया जा रहा है। वे ऐसी सत्ता को हीसमाप्त कर देंगे, जो उनके विरुद्ध है| कम्यूनल कार्ड खेला जाता है। बड़े-बड़ेभाषण दिए जाते हैं। उनके समर्थक सड़कों पर निकलकर तोड़-फोड़ करते हैं औररैलियां की जाती हैं|
आज-कल देश के प्रधानमंत्री मोदी जी को कोसने का भीरिवाज है, लेकिन आय से इतनी अधिक सम्पत्ति, बढ़ती बेनामी संपत्ति और नकलीकम्पनियां व मनी लांड्रिंग का किसी के पास जबाब नहीं हैं और क्यों दें? दलील है कि अदालत से बड़ी अदालत जनता है, जिसने उनको चुना है| यदि एफआईआर दर्जहो जाए या कुछ समय के लिए जेल जाना पड़े, तो अपने समर्थकों के साथ ऐसे न्यायालयमें सरेंडर करने जाते हैं, जैसे विदेशी सत्ता के खिलाफ धरना देने जा रहेहैं। यदि गिरफ्तारी हो जाये, तो अपना कद ऐसे बढ़ा लेते हैं जैसे उनके साथ अन्यायहो रहा है|
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव पर चारा घोटाले का इल्जाम लगा। वर्षों केस चला, सजा हुई, लेकिनकानूनी दांव-पेच का सहारा लेकर अब जमानत पर हैं। हाईकोर्ट में पेशी होरही है। कहते हैं कि आगे अपील के लिए सुप्रीम कोर्ट भी है। कहने को उन्हें देश कीन्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है| सत्ता से तो हटा दिए गये हैं, अपने परिवारको सत्ता में स्थापित कर रहे हैं|
रेलवे मंत्री बने, उनकी संपत्ति बढ़ती गयी। उनकी पत्नी-बच्चे भी धनवानहो गये| उनका पटना में मॉल बन रहा है ‘लारा’, जिसकी तीनमंजिल धरती के भीतर है। बारह मंजिल ऊपर। यह पटना का सबसे बड़ा मॉल है| पटना के अलावा दिल्ली, रांची, पुरी, गुरुग्राम समेत 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई। हेराफेरी के आरोप में सीबीआई ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है।यही नहीं उनकी सांसद सुपुत्री मीसा भारती उनके दामाद शैलेश कुमार को भीप्रवर्तन निदेशालय में पेश होना था। पहली तारीख पर पेश नहीं हुए। देश का कानून मजाक नहीं है, अंत मेंपेश होना पड़ा। मनी लांड्रिंग मामले में आठघंटे दोनों से पूछताछ हुई |
लालू जी बिहार की जनता के सामनेदुहाई देकर उनकी हमदर्दी बटोरनाचाहते हैं। उनके अनुसार प्रधानमंत्री और अमित शाह उन्हें मिटाना चाहते हैं। उन्हें, उनकी बीवी और बच्चों को झूठे केस में फंसा रहे हैं| मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर लगे अभियोगों पर स्पष्टीकरण मांगा औरचार दिनों का समय दिया| तेजस्वी यादव का उत्तर था कि मुझ पर जिस सम्पत्तिके लिए अभियोग लग रहा हैं, मैं तो छोटा था, मूछें भी नहीं आयीं थी| हैरानी है इतनी सम्पत्ति बालक के पास कहाँ सेआई? परी कथा, परी ने अपनी जादू की छड़ी घुमाकर नींद में सोये तेजस्वीको सब कुछ दे दिया| कानून विशेषज्ञ तेजस्वी की दलील को नहीं मानते। बेनामीसम्पत्ति लेनदेन कानून में 1988 और 2016 में संशोधनों के अनुसार उम्र कोकोई महत्व नहीं दिया गया, क्योंकि कालाधन कमाने वाले धन का बहुत बड़ा हिस्सासम्पत्ति पर लगाते हैं, जिसे अपनी संतानों के नाम पर अधिक सुरक्षित समझतेहैं |
आखिर इंतजार था तेजस्वी यादव अपने पर लगे अभियोगों पर सफाई और इस्तीफा देंगे। नीतीश के अनुसार उनसे इस्तीफा नहीं माँगा था, केवल स्पष्टीकरण देने को कहा गया था| 20 महीने तक सरकार चली, उनका महागठबंधन टूट गया। हमारे संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री का इस्तीफा पूरे मंत्रिमंडल का इस्तीफा माना जाता है। अत: मंत्रिमंडल भंग हो गया| कोई भी दल चुनाव का इच्छुक नहीं है| नीतीश की छवि राजनीतिक हलकों में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टालरेंस की रही है। अपने 40 वर्ष के राजनीतिक जीवन में वह कर्मठ नेता रहे हैं। अपनी छवि पर किसी भी तरह का दाग नहीं लगने देना चाहते। अत: उन्होंने त्याग पत्र दे दिया। लालू प्रसाद यादव ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश पर ही आरोप लगा दिए, यदि नीतीश आरोपी थे, तो आपने उनके साथ गठबन्धन क्यों किया और कहा ‘यह गठबन्धन साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ बना है, यही स्टेटमेंट कांग्रेस के नेताओं ने दिया|
बिहार के विधानसभा चुनाव में एनडीए को अच्छे खासे बहुमत से जीतने की उम्मीद थी, लेकिन जेडीयू, लालू यादव के दल आरजेडी एवं कांग्रेस गठबन्धन की भारी बहुमत से जीत हुई| हैरानी की बात है कि लोग नीतीश कुमार से बहुत प्रभावित थे, उन्हें सुशासन बाबू कहते थे, लेकिन उनके दल को 71 और आरजेडी को 80 सीटें व कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपने परिवार को राजनीति में लाने की कोशिश नहीं की। इसके विपरीत लालू प्रसाद यादव का परिवार प्रेम जग जाहिर है| उनके एक पुत्र तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री रहे। दूसरे पुत्र तेजप्रताप का स्थान मंत्रिमंडल में तीसरा था| लालू जी कहते हैं कि उन्होंने नतीश को मुख्यमंत्री बनाया, यदि नीतीश नहीं तो क्या तेजस्वी यह पदभार सम्भालते। वह जानते थे कि चाचा नीतीश कुमार की छत्र छाया में उनके पुत्र बहुत कुछ सीख सकेंगे| प्रजातंत्र की मजबूरी ही कहा जाएगा|
आश्चर्य है जनता की याददाश्त क्या इतनी कम होती है? बिहार की सत्ता नीतीश कुमार और भाजपा के गठबंधन को आराम से नहीं मिली थी| लालू जी की सत्ता पर मजबूत पकड़ थी, लेकिन उनके सत्ता में आने के बाद बिहार के हालात खराब होने लगे। रोजगार के अवसर धीरे-धीरे कम होते गये| बिहार से आने वाली हर गाड़ी से जवान लड़के रोजी रोटी की खोज में, दिल्ली ही नहीं भारत के हर शहर में पलायन करने लगे| अनिश्चित भविष्य, सूखे चेहरे लालू प्रसाद के शब्दों में उन्होंने ‘ उन्हें स्वाभिमान दिया है| बिहार में गुंडाराज था। लालू जी के बस में बिहार चलाना नहीं था। वह बातें बनाना जानते थे। उनकी लच्छेदार बातें सब सुनकर लोग हंसते थे, जिससे मीडिया के चहेते बन गये थे| नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ में चुनावी गणित बिठाया। लालू जी के माई की काट ढूंढी। नबम्बर 2005 लालू जी की हार के बाद नीतीश बाबू की भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनी। धीरे –धीरे बिहार का कायाकल्प होता गया। बिहार के लोग अब अपने घरों को लौटने लगे। अब गुंडे जेल में थे। गुंडाराज खत्म होता गया। रोजगार के अवसर बढ़े| 2010 के चुनाव में नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से फिर सत्ता में आई। अबकी बार लालू प्रसाद की ऐसी पराजय हुई, उनके पास संख्या बल ही नहीं था| विपक्ष भी कमजोर पड़ गया |
नीतीश एक कुशल प्रशासक के रूप में उभरे। यहीं से वह अपनी राजनीतिक ताकत तोलने लगे। उन्हें भी जातिवाद के आधार पर वोट लेने, मुस्लिम वोट बटोरने का गणित भाने लगा। वह अपने आप को सच्चा धर्मनिरपेक्ष सिद्ध करना चाहते थे| हमारा संविधान स्पष्ट करता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है| बिहार के दिन सुधारते-सुधारते उनमें प्रधानमंत्री बनने की चाह जग गयी| भाजपा के गोवा अधिवेशन में 2014 के चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर उन्हीं के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ने का निश्चय किया गया| नीतीश कुमार और शरद यादव ने एनडीए से किनारा कर लिया। उन्हें भाजपा के नरेंद्र मोदी पसंद नहीं थे| लोकसभा में पूर्ण बहुमत के साथ मोदी जी प्रधानमंत्री बने|
अबकी बार नीतीश जी को लालूप्रसाद प्रसाद और कांग्रेस से गले मिलना पड़ा| चुनावों में इनके महागठबंधन को भारी बहुमत मिला| नीतीश मुख्यमंत्री बने थे। उनका गठबंधन भाजपा के खिलाफ था। फिर भी उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा लिए गये नोटबंदी के निर्णय और जीएसटी का समर्थन किया। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में वोट देने की घोषणा की। उनका कहना था कि कोविंद बिहार के राजपाल रहे हैं। उनके साथ उनकी सरकार के साथ अच्छा सामंजस्य था। सेना द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया|
उचित था कि तेजस्वी इस्तीफा दे देते, लेकिन लालूप्रसाद और तेजस्वी यादव न देने पर अड़ गये| जिस तरह लालू प्रसाद के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं नीतीश जी के लिए उनके साथ चलना मुश्किल था। उन्होंने 26 जुलाई की शाम को स्वयं इस्तीफा दे दिया| मोदी जी ने ट्विटर पर उनको मुबारकबाद दी। कुछ ही समय बाद सब कुछ बदल गया। सूचना आई नीतीश जी भाजपा के साथ सरकार बना रहे हैं| 27 जुलाई दस बजे नीतीश जी ने मुख्यमंत्री और सुशील मोदी ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने के बाद नये मंत्रिमंडल का गठन होगा| लालू जी को शिकायत है कि उनका दल बड़ा था, अत: उनके दल को सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए था| नीतीश जी के इस कदम पर जेडीयू के कुछ नेता असंतुष्ट हैं। उनके अनुसार उनका गठबंधन भाजपा के खिलाफ था, उन्हीं के साथ सरकार का चलाना, लेकिन सत्ता के इर्दगिर्द ही आज के नेता रहना पसंद करते हैं| लालू जी बहुत गुस्से में हैं। वे नीतीश जी पर कटाक्ष कर रहे हैं। नीतीश के कफन में झोला है कुछ के तो बोरियां होती हैं|
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