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ब्लू व्हेल गेम चैलेंज की गिरफ्त में प्रिंस एवं प्रिंसेज

Vichar Manthan
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blu whaleजापानी कौम बहुत मेहनती थी द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद देश ने नई लड़ाई लड़ी आर्थिक युद्ध जापानी सामान विश्व के बाजारों में छा गया लेकिन जापान का रहन सहन मंहगा था | अपना जीवन स्तर उठाने के लिए नव विवाहित जोड़े चाहते थे एक ही बच्चा पैदा करें उनको सब कुछ दें | कुछ समय बाद देखा गया सुविधा सम्पन्न बच्चों की सोच वहाँ के कल्चर से हट कर बन रही थी अत: समझ  में आया एकलौता बच्चा ‘लिटिल एम्परर’ बन गया | सन 2000 के बाद अधिकतर जन्में बच्चों के माता पिता उन्हें प्रिंस या प्रिंसेज की तरह पालना चाहते हैं | उन्होंने जिन अभावों को झेला था वह नहीं चाहते थे बच्चों को कोई भी कमी झेलनी पड़े बच्चे को जन्म देने से पहले भी प्लानिंग की जाती है , मेहनत भी बहुत करते हैं यदि दोनों नौकरी पेशा उनकी इच्छा रही है बच्चा जब पहली बार आँखें खोले उनका अपना भरापूरा घर ,खिलोनों का कमरा ,पालने के लिए नैनी उसे भी बहुत जांच पड़ताल के बाद रखते थे उस पर भी सीसीटीवी कैमरे लगा देते हैं |

कुछ माँ  ऐसी भी हैं जिन्होंने अपने बच्चे की खातिर अपना कैरियर ही छोड़ दिया उनकी सोच का केंद्र बच्चा वह क्या खायेगा बच्चे अपने पसंद के स्नैक्स खा कर बाकी कूड़े दान में फेक देते हैं | यह अपने बच्चों को अपने आप पनपने का अवसर ही नहीं देती केवल पढ़ना ही नहीं उनको कई हाबी क्लास में भी भेजती हैं, चहुमुखी विकास | बच्चों के प्रति केवल ड्यूटी ही नहीं करती आशायें भी है उनका बच्चा सबसे आगे और आगे रहे वह बच्चे के नाम से जानी जायें पढ़ने में, खेलकूद प्रतियोगिताओं , सांस्कृतिक कार्यक्रमों , यही नहीं रियलिटी शो में भी सबसे अधिक चमके |जन्म से पहले ही उनके कैरियर का निर्धारण कर दिया जाता है एक बच्चे में अनेक बच्चों का सुख लेना चाहते हैं| जिनकी आमदनी भी अधिक नहीं है वह अपनी हैसियत न देख कर बड़े से बड़े मंहगे स्कूलों में भेजना चाहते हैं मान कर चलते हैं एक दिन यहाँ उनका बच्चा बहुत बड़ा अधिकारी बनेगा | बड़े बुजुर्ग घर से बाहर कर दिये गये हैं नहीं चाहते उनकी प्रतिदिन की जिन्दगी में हस्ताक्षेप करें |यदि उनके बच्चे सम्भालते हैं वह तभी नजर आयें जब वह चाहें उतना बोलें जितना जरूरी है आज के वृद्ध भी अपने बुढापे की तैयारी पहले कर लेते हैं वह अपनी फ्यूचर जेनरेशन के साथ रहने के बजाये अलग रहना पसंद करते हैं विदेशों में वृद्धाश्रम में चले जाते हैं |

बच्चे अब खुल कर पार्कों या गलियों में खुल कर खेल नहीं सकते डर रहता है किडनेपिंग न हो जाये घर में उन्हें इतनी सुविधाएं दी जाती है उन्हें अभाव महसूस न हो अपने साथियों के मुकाबले वह उन्नीस न रहें |कम्प्यूटर ,महंगे सेल फोन उपहार में दिये जाते हैं कुछ माता पिता 18 वर्ष होने का भी इंतजार नहीं करते बाईक फिर गाड़ी की चाबी पकड़ा देते हैं | जन्म दिन ऐसे धूम धाम से मनाये जाते हैं जैसे लिटिल प्रिंस या प्रिंसेज आज के दिन धरती पर अवतरित हुए थे ऐसे थीम जैसे ‘माँ क्वीन’ बेटी या बेटा राज कुमार या राजकुमारी मेहमान बच्चे परियाँ ऐसे सुविधा सम्पन्न बच्चों के बीच में अभाव ग्रस्त बच्चे अवसाद में घिर जाते हैं | आज से पहले बच्चों के सामने चैलेंज रहता था वह उसे स्वीकार करते थे |जल्दी ही समझ जाते थे उन्हें पढ़ कर अपनी जिदगी बनानी है कई बच्चों पर अपने भाई बहनों को सहारा देने की जिम्मेदारी भी रहती थी|  सिंगापुर में 12,13 वर्ष की उम्र में नेशनल स्तर पर इम्तहान होता है चुने जाने वाले बच्चों का पूरा खर्च सरकार उठाती है चीन से इस उम्र के हल्के घरों के बच्चे तैयारी करने के लिए सिंगापुर आते है इतनी कम उम्र में ही गम्भीर किशोर, अपने पैसे को कैसे खर्च करना है इम्तहान के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं टीचर से आशा करते हैं उनसे क्या न जान लें |चीन ऐसे ही नहीं ताकतवर होता जा रहा विदेशों में भी चीनी मौम आगे- आगे रौब से चलती है पीछे भागता बच्चा हर क्षेत्र में संघर्ष करता |

बच्चे आजकल सबसे अधिक वीडियो गेम खेलना पसंद करते हैं जिसे दीवानगी की हद तक खेलते हैं ज्यों ज्यों बच्चा बड़ा होता है उसके शौक बदलते जाते हैं किशोर उम्र के बच्चों में ब्लू व्हेल गेम के चैलेंज का शौक बढ़ रहा है खेल पर्सनल लिंक के जरिये ही खेला जा सकता है | खेल की शुरुआत 2013 में सबसे पहले रूस में हुई थी यह खेल विकृत मानसिकता के रशियन किशोर ईया सिदोरोव ने जिसे स्कूल से निकाल दिया गया था आन लाइन बनाया गया है |एक 17 वर्षीय लड़की खेल की शिकार ही नहीं थी आगे भी खेलने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी पकड़ में आने पर उसकी कमरे की तलाशी ली गयी कमरे में डरावनी फिल्मों की सीडी ऐसी ही किताबें सुसाईड के लिए उत्तेजित करने वाली डीवीडी और चित्र मिले उसने 17 साल के लड़के को खेल के आखिरी हिस्से में बंद कार को चलती छोड़कर दम घुटने से मरने की तरकीब सुझाई दम घुटने लगा वह गाड़ी का दरवाजा खोल कर भागा दुबारा लड़की से संपर्क किया जिसने उसे फटकारा ,धिक्कारा ,डराया अंत में लड़के ने मौत का खेल खेला दम घुटने से मर गया |लड़की जब पकड़ी गयी जज हैरान थे समझ नहीं आया इसे गुनाह में कितनी सजा दी जाये जिसका प्रत्यक्ष रूप से खेल में हाथ नहीं था अंत में तीन वर्ष की सजा दी गयी |

खेल क्या किशोरों के लिए खतरे की घंटी है यह 50 दिन तक चलने वाला गेम है धीरे – धीरे चेलेंज बढ़ता जाता है खेलने से पहले बच्चे से उसके परिवार और परिवेश की जानकारी ली जाती है खिलाड़ी पर पैनी नजर रखी जाती हैं | खेल में एक खेलने वाला दूसरा आदेश देने वाला ,चैलेंज करने वाला है|  किशोरावस्था में बच्चे सपनों की दुनिया में रहते हैं उन्हें पढ़ाई भी ऐसे लगती है सब कुछ हो जाएगा| खेलने से पहले बच्चे की सोच बदलते हैं उसे डरावनी क्राईम फिल्म देखने को कहा जाता है जो धीरे-धीरे उसकी सोच पर छा जाती हैं वह रात को जागता है दिन में उनींदा रहता है स्कूल और सहपाठियों के प्रति उदासीन हो जाता है खेल की गिरफ्त बढ़ती जाती है| खेल की शुरूआत ही शरीर को जख्मी करने से होती है अंत में इच्छा मृत्यू के तरीके भी खेल ही निश्चित करता है |हैरानी होती हैं पहले भरे पेट के बच्चे अब साधारण घरों के बच्चे भी मौत को गले लगा रहे हैं |

कुछ बच्चों ने अपने उद्गार व्यक्त भी किये हैं | माता पिता व्यस्त रहते हैं सब कुछ देते हैं समय नहीं दे सकते अकेलेपन के शिकार बच्चे सुविधाओं से ऊब जाते हैं वह माँ पिता की नजर से संसार देखना चाहते हैं उनसे लम्बी बाते करना चाहते हैं अपनी हर कल्पना उन्हें बताना चाहते हैं| घर आने पर भी उनके पास अपने बच्चे के दुःख सुख जानने की भावना नहीं होती| कमरे का एकाकीपन उन्हें खाने लगता है ऐसे में बच्चे और अकेले हो जाते हैं यदि वह स्वभाव से डिप्रेस हैं खेल उन पर और भी हावी हो जाता है | हैरानी होती है बच्चा अपने कमरे में क्या कर रहा है? उसके बदन पर घाव के निशान तो नहीं हैं बच्चा सबसे विमुख क्यों गया है? उसके आसपास केवल ब्लू व्हेल की दुनिया कैसे बन गयी , बच्चा बंद कमरे में ख़ास तरह का संगीत सुन रहा है ,सुन कर सम्मोहित सा क्यों हो रहा है उसकी आँखों से अचानक दर्द ही नही मौत का डर भी खत्म हो गया परिवार ने जानने की कोशिश नहीं की अचानक बच्चा अकेला उठ कर कहाँ चला गया माँ को भी पता नहीं चला ?

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